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Thursday, 6 November 2025

सम्मान और संवेदना: जीवन का मूल मूल्य - सनबीम ग्रामीण स्कूल

हमें किसी को भी अपने मतलब के लिए परेशान नहीं करना चाहिए, ऐसा करना गलत है और इससे बचना चाहिए । दूसरों के साथ सम्मान और करुणा से पेश आना चाहिए, भले ही वे हमारी बात न समझे या अलग राय रखते हो। दूसरों के प्रति सम्मान: हर इंसान को सम्मान देना हमारा कर्तव्य है दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने या उन्हें परेशान करने से उनके साथ हमारे रिश्ते खराब होते हैं। नकारात्मकता से बचे :किसी को अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करना या परेशान करना नकारात्मकता फैलाता है। इससे बचना चाहिए।
नाम- सीमा कक्षा - 8

हमें अपने मतलब के लिए दूसरों को परेशान नहीं करना चाहिए का मतलब है कि हमें अपने फायदे के लिए दूसरों को तकलीफ या कष्ट नहीं देना चाहिए इसका अर्थ है कि हमें दूसरों की भावनाओं और जरूर का सम्मान करना चाहिए और दूसरों के साथ वैसा व्यवहार नहीं करना चाहिए जैसे जैसा हम खुद के लिए नहीं चाहते हैं जैसे उस बच्चे को जो घर के बाहर कर दिया गया था उसे ठंड लग सकती थी या कोई जानवर उठा कर ले जा सकता था या किडनैप भी हो सकता था तो हमें यह समझना चाहिए कि हम अपने फायदे के लिए किसी के साथ ऐसा व्यवहार ना करें जिससे कि किसी को कष्ट हो। हमें दूसरों के साथ ऐसा व्यवहार करना चाहिए जो हम स्वयं अपने साथ दूसरों से अपेक्षा करते हैं। नैतिक सिद्धांत है जो सहानुभूति और दूसरों के प्रति सम्मान पर जोर देता है किसी के साथ ऐसा व्यवहार ना करें जिससे उसे दुख या परेशानी हो। कभी-कभी हम छोटी समस्या का समाधान करने के लिए बड़े से बड़ा कदम उठा लेते हैं जो कि गलत है जिसमें केवल हमारा ही फायदा होता है लेकिन दूसरों का नुकसान होता है। इसलिए कुछ भी करने से पहले सोच समझ कर कोई कदम उठाए ताकि किसी को हमारी वजह से दुख न पहुंचे।

नाम - आदित्य मौर्य
कक्षा- 8

Sunday, 28 September 2025

ईमानदारी – जीवन का आभूषण और समाज की शक्ति - Reena Devi

ईमानदारी मनुष्य के जीवन का वह आभूषण है, जो न केवल व्यक्ति के व्यक्तित्व को निखारने में मदद करता है, बल्कि समाज और राष्ट्र को भी मजबूत बनाता है। ईमानदारी का अर्थ केवल सच बोलना नहीं है, बल्कि हर परिस्थिति में सत्य और नैतिकता का साथ देना है। यह जीवन जीने का ऐसा तरीका है, जो हमें भीतर से शांति और आत्मसम्मान प्रदान करता है।

ईमानदारी केवल व्यक्तिगत जीवन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे सामाजिक और व्यावसायिक जीवन का आधार है। यदि शिक्षक ईमानदार होगा तो आने वाली पीढ़ी सही दिशा पाएगी, यदि नेता ईमानदार होगा तो राष्ट्र प्रगति करेगा, और यदि विद्यार्थी ईमानदार होगा तो उसका भविष्य उज्ज्वल होगा। इसलिए कहा गया है कि ईमानदारी केवल एक गुण नहीं, बल्कि हमारे चरित्र का आईना है।

जीवन में ईमानदारी को अपनाना केवल एक विकल्प नहीं, बल्कि एक जिम्मेदार नागरिक की पहचान है। यह न केवल दूसरों की नजरों में हमें महान बनाती है, बल्कि हमारे आत्मसम्मान और आत्मसंतोष को भी बढ़ाती है। झूठ और बेईमानी से क्षणिक लाभ मिल सकता है, परंतु ईमानदारी से मिलने वाला संतोष और प्रतिष्ठा जीवनभर हमारे साथ रहती है।

इसलिए हमें हर परिस्थिति में सच बोलने, सही रास्ते पर चलने और अपने कर्मों में ईमानदार बने रहने का प्रयास करना चाहिए। यही हमारे जीवन को सार्थक और आदर्श बनाता है।

– Reena Devi
Arthur Foot Academy

ईमानदारी – जीवन की सबसे बड़ी विरासत - Simran


मैंने इस बात से सीखा है कि ईमानदारी इस संसार में एक ऐसी राह है, जो किसी भी व्यक्ति को वहाँ तक पहुँचा सकती है जहाँ कोई बेईमान मनुष्य नहीं पहुँच सकता। इसलिए, हर मनुष्य को ईमानदारी की राह पर चलना चाहिए।

ईमानदारी का एक उदाहरण मैंने अपने घर में देखा है। मेरे पिताजी हलवाई का काम करते हैं। एक बार हमारी दुकान पर एक बूढ़ा व्यक्ति मिठाई लेने आया। उसने ₹480 की मिठाई खरीदी और ₹1000 का नोट दिया। मेरे पिताजी ने उसे मिठाई देकर कहा कि अभी मेरे पास केवल ₹20 हैं, बाकी ₹500 आप शाम को आकर ले लेना। उस बूढ़े व्यक्ति ने कहा कि ठीक है, मैं शाम को आकर पैसे ले लूँगा।

मैं उस समय 16 वर्ष की थी और पिताजी की मदद करती थी। अगले दिन पिताजी ने मुझसे पूछा कि क्या वह बूढ़ा व्यक्ति ₹500 ले गया था? मैंने कहा – नहीं। तब पिताजी ने मुझसे ₹500 दिए और कहा कि मैं उसे उसके घर जाकर पैसे लौटा आऊँगा। मैंने पिताजी से पूछा कि वह व्यक्ति खुद आकर ले लेता, तो पिताजी ने कहा – "कोई बात नहीं, वह भूल गया होगा। किसी के पैसे रखने से हम राजा नहीं बन जाते।"

उस दिन के बाद से मैंने भी सीखा कि यदि कोई हमारी दुकान पर अपना सामान या पैसे भूल जाता था तो मैं भी तुरंत लौटा देती थी।

एक और उदाहरण मुझे याद आता है। साक्षी खन्ना अंकल हमारी दुकान से सामान लेते थे और महीने भर का हिसाब रखते थे। जब उनकी तनख्वाह मिलती, तो रात 10-11 बजे भी यदि पिताजी सो गए होते, तो वे उन्हें उठाकर कहते – "लाल जी, सामान का हिसाब जोड़ लो।" पिताजी हिसाब जोड़कर राशि बताते और वे तुरंत पैसे चुका देते।

इसी तरह मेरे दादाजी और उनके भाई भी दुकान चलाते थे। उस समय कई लोग अनाज या चावल देकर सामान खरीदते थे। एक बार चूहों ने दुकान की बोरी काटकर अनाज अपने बिल में जमा करना शुरू कर दिया। बोरी हल्की हो गई तो दादाजी के भाई को लगा कि दादाजी ने चोरी-छिपे अनाज बेच दिया है। उन्होंने गुस्से में दादाजी को मारा-पीटा, लेकिन दादाजी चुप रहे। बाद में, जब बोरी हटाकर देखा गया तो पता चला कि नीचे चूहों का बिल है और सारा अनाज वहीं जमा है। यह देखकर दादाजी का भाई शर्मिंदा हो गया और समझ गया कि उसका भाई कितना ईमानदार है।

इन सभी घटनाओं से मुझे यह सीख मिली कि ईमानदारी कभी छिपती नहीं। जैसे बेईमानी सामने आ जाती है, वैसे ही ईमानदारी भी अपने आप प्रकट हो जाती है। इसलिए जीवन में हमेशा ईमानदारी की राह पर चलना चाहिए, चाहे समय अच्छा हो या बुरा।

ईमानदारी सबसे बड़ी विरासत है। यह न केवल स्वयं के जीवन को आधार देती है, बल्कि दूसरों को भी सही राह दिखाती है। अच्छे कार्य अपने आप अभिव्यक्ति करते हैं, इसलिए हर इंसान को अच्छे काम करने चाहिए और ईमानदारी की राह पर ही चलना चाहिए।

Simran
Arthur Foot Academy

Thursday, 25 September 2025

ईमानदारी और सच्चाई – चरित्र की सच्ची पहचान - Sunbeam Gramin School

ईमानदारी का तात्पर्य सत्यनिष्ठा, निष्ठा, सम्मान और सच्चाई से होता है, जो किसी भी तरह से झूठ, चोरी या धोखे से इनकार करने का भाव है, जबकि सच्चाई से तात्पर्य किसी वस्तुनिष्ठ तथ्य या वास्तविकता के अनुरूप होना है, जो सटीक और सत्यापित हो। संक्षेप में, ईमानदारी एक चरित्र का गुण है, जो सच कहने और नैतिक मूल्यों का पालन करने से व्यक्त होता है, जबकि सच्चाई वह वस्तुनिष्ठ वास्तविकता है, जो सही है और जिसकी पुष्टि की जा सकती है।

ईमानदारी - ईमानदारी का अर्थ है सच बोलने वाला होना, किसी भी तरह से झूठ, चोरी या धोखे से इनकार करना।

नैंसी गिरी
कक्षा - 8

सच्चाई और ईमानदार व्यक्ति का चरित्र को मजबूत बनाता है। जब व्यक्ति सच बोलता है तो समाज में विश्वास और एकता का निर्माण होता है। ईमानदार लोग दूसरों के लिए प्रेरणा देते हैं। ईमानदारी एक नैतिक अवधारणा है। सामान्य रूप से इसका तात्पर्य सत्य से होता है, किन्तु विस्तृत रूप से ईमानदारी में मन, वचन तथा कर्म से प्रेम, अहिंसा, विश्वास जैसे गुणों के पालन पर बल देती है।

ईमानदारी एक ऐसा गुण है, जो लालच और बेईमानी से बचाती है। ईमानदारी हर एक मनुष्य में होना चाहिए। ईमानदारी से जो कार्य किए जाते हैं, वे अवश्य पूरे होते हैं। अनुशासन में रहना, सच बोलना और दूसरों की ईमानदारी से मदद करना चाहिए।

विशाखा यादव
कक्षा - 8

Sunday, 21 September 2025

जंतुओं का आंतरिक जीवन - सनबीम ग्रामीण स्कूल

 जंतुओं के आंतरिक जीवन का अच्छे-बुरे के संदर्भ में अर्थ यह है कि जानवर वे व्यवहार करते हैं, जिन्हें अगर मनुष्य करें तो नैतिक रूप से गलत या बुरा माना जाएगा, जैसे प्रतिस्पर्धा या भोजन के लिए हत्या। लेकिन यह व्यवहार उनके लिए स्वाभाविक और विकासवादी रूप से अनुकूल होता है और उन्हें बुरा या गलत नहीं माना जाता। यह शब्द जंतुओं में नैतिकता की मानवीय अवधारणा को लागू करने की कोशिश करता है, जो उनके लिए प्राकृतिक और आवश्यक व्यवहारों पर लागू नहीं होता है।

नैन्सी मौर्या
कक्षा – 8

जंतुओं का आंतरिक जीवन उनकी भावनाओं (खुशी, दुःख, डर) और व्यवहार (शर्म, पश्चाताप, अनुशासन) से भरा होता है, जो उनके जीवित रहने और सामाजिक संबंधों को प्रभावित करता है। हालांकि उनमें मानवीय नैतिकता (सही–गलत) नहीं होती है, लेकिन वे अपने अनुभवों के आधार पर अच्छे या बुरे व्यवहार को सीखते और अपनाते हैं, जो उनके कल्याण पर निर्भर करता है।

धन्यवाद।
सीमा
कक्षा – 8

अच्छाई और बुराई - मनोज कुमार

 पशुओं में पाए जाने वाले निःस्वार्थ प्रेम, अपनी प्रजाति के प्रति सहिष्णुता और अपने बच्चों की सुरक्षा की प्रवृत्ति उनकी अच्छाई में शामिल होती है। जैसे, कई जानवर अपने झुंड में एक नैतिक आचार-संहिता का पालन करते हैं और बिना किसी पूर्वाग्रह के प्यार व आत्म-समर्पण प्रदर्शित करते हैं।

दूसरी ओर, शिकारियों से बचाव के लिए अपनी प्रवृत्ति का पालन करना, भोजन की तलाश करना और अपनी जरूरतों के लिए दूसरे जानवरों के साथ प्रतिस्पर्धा करना बुराई में शामिल हो सकता है।

निष्कर्ष – जंतुओं का आंतरिक जीवन उनकी शारीरिक और प्राकृतिक प्रवृत्तियों के इर्द-गिर्द घूमता है, जो हमें बुराई लग सकता है। जैसे शिकार करना या प्रतिस्पर्धा करना उनके अस्तित्व के लिए आवश्यक हो सकता है। दूसरी ओर, उनका निःस्वार्थ प्रेम और अपने बच्चों की रक्षा करना उनकी अच्छाई को दर्शाता है। यह समझना महत्वपूर्ण है कि उनके आंतरिक जीवन को मानवीय नैतिकता (सही या गलत) के मापदंडों पर नहीं मापा जा सकता।

धन्यवाद।
मनोज कुमार
सनबीम ग्रामीण स्कूल

Sunday, 27 July 2025

गुरुओं की कुर्बानी: एक भूलने योग्य नहीं कहानी - Sakshi Pal

इस एपिसोड से मुझे यह समझ में आया कि कभी भी किसी व्यक्ति के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए। सभी को एक समान मानना चाहिए।अब ज़रा गुरु के सिंहों के बारे में ध्यान से सुनिए — दस लाख सैनिकों से टक्कर लेने वाले, जो सूरमाओं की गिनती में आते हैं। चालीस की संख्या में चमकौर के युद्ध में वीरता से लड़ते हुए बलिदान देने वाले  जोड़ी लड़ाके थे, जो अपने साथियों के साथ पाले गए थे।

छोटे साहिबजादे — बाबा ज़ोरावर सिंह और फतेह सिंह — अपनी दादी जी के साथ थे। रास्ते में उन्हें गंगू ब्राह्मण मिला, जो माताजी और बच्चों को अपने गांव खेड़ी ले आया। यह वही गंगू था जो पहले गुरुघर में सेवा करता था, रसोइया था और लंगर बनाता था। लेकिन वह भीतर से दगाबाज़ था। उसने रात को माताजी को दो मंजी (खाट) लाकर दी। माताजी ने कहा, "हमें एक मंजी की ही ज़रूरत है, क्योंकि मेरे पोते मुझसे कभी दूर नहीं सोते।"

रात होते-होते बच्चे अपनी दादी से कहने लगे, “अब माताजी, पिताजी और बड़े भाई हमें लेने आएंगे, तो हम उनके साथ नहीं जाएंगे।” बच्चे जानते थे कि वे बलिदान देने वाले परिवार से हैं, और उनका आत्मबल अपार था। उधर गंगू ब्राह्मण का असली चेहरा सामने आया — वह बेईमान हो गया। उसने रात को माताजी की सोने की थैली चुरा ली। वह यह भूल गया कि जिसकी थैली वह चुरा रहा है, वह वही बुज़ुर्ग माता है, जिसकी जवानी में उसके पति ने हमारे तिलक और जनेऊ की रक्षा के लिए दिल्ली के चांदनी चौक पर अपना सिर दे दिया था।

गंगू यह भी भूल गया कि हमारे हिंदू धर्म को बचाने के लिए गुरु तेग बहादुर जी ने अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया था। इस घटना से यह सीख मिलती है कि इस दुनिया में कोई भी व्यक्ति हो — चाहे हमारे गुरु हों या आमजन — हमें उनके उपकारों को कभी नहीं भूलना चाहिए। कभी भी किसी के साथ धोखा नहीं करना चाहिए, जैसा कि गंगू ब्राह्मण ने माता जी के साथ किया। गंगू ब्राह्मण को यह याद रखना चाहिए था कि जिन गुरुजी ने हमारा तिलक और जनेऊ बचाने के लिए अपना सिर दे दिया, उनके परिवार के साथ धोखा करना कितना बड़ा अधर्म है।

Sakshi Pal

Monday, 14 July 2025

एक सपना, एक सोच – जो बने सबकी कोशिश - Arthur Foot Academy

 

How will we move ahead and make our school from good to great

The staff team at AFA shows the way by stating a clear vision and mission for the school. We ensure that every stakeholder is involved in the process, and we grow together.

मेरी कल्पना की आर्थर फुट एकेडमी

जब मैं अपनी आँखें बंद करती हूँ और कल्पना करती हूँ, तो मुझे भविष्य की आर्थर फुट एकेडमी एक ऐसे स्थान के रूप में दिखती है जहाँ हर बच्चा मुस्कान के साथ सीखने आता है। स्कूल का वातावरण शांत, सुरक्षित और प्रेरणादायक है। बच्चे आत्मविश्वास के साथ खुलकर बोलते हैं, सहयोग करते हैं और अपनी जिम्मेदारी समझते हैं। यहाँ शिक्षा के साथ-साथ संस्कार, नैतिकता और व्यावहारिक ज्ञान भी दिया जाता है। स्कूल में तकनीक और परंपरा का सुंदर मेल है — बच्चे स्मार्ट क्लास से भी सीखते हैं और पेड़ के नीचे बैठकर प्रकृति से भी।

समाज में आर्थर फुट एकेडमी की पहचान एक ऐसे स्कूल के रूप में होती है जहाँ से शिक्षा प्राप्त कर बच्चा न सिर्फ पढ़ा-लिखा होता है, बल्कि एक अच्छा इंसान भी बनता है। लोग कहते हैं – इस स्कूल में न सिर्फ रटा-रटाया ज्ञान, बल्कि जीवन जीने की कला सिखाई जाती है।

Vision

प्रश्न: हम अपने स्कूल के बच्चों का भविष्य कैसा बनाना चाहते हैं?
उत्तर: हम चाहते हैं कि आर्थर फुट एकेडमी के बच्चे आत्मनिर्भर, संवेदनशील और समाज के लिए उपयोगी नागरिक बनें। वे न केवल पढ़ाई में अच्छे हों, बल्कि नैतिक मूल्यों को भी समझें और अपनाएं।

Mission

प्रश्न: हम बच्चों को एक बेहतर समाज के लिए कैसे तैयार कर रहे हैं?
उत्तर: हम बच्चों को समूह कार्य, सामाजिक सेवा, नैतिक शिक्षा और संवाद कौशल सिखाकर उन्हें एक जिम्मेदार नागरिक बनने की दिशा में ले जा रहे हैं।

- साक्षी पाल 

हम अपने बच्चों के लिए कैसा भविष्य चाहते हैं?

हम अपने बच्चों के लिए एक सुरक्षित, सुखद और उज्ज्वल भविष्य चाहते हैं। हम चाहते हैं कि वे स्वतंत्र रूप से सोच सकें, अपने सपनों को पूरा कर सकें और अच्छे इंसान बनें।

हम चाहते हैं कि उन्हें अच्छी और नैतिक शिक्षा मिले जिससे उन्हें जीवन में सफलता मिले। न सिर्फ किताबी ज्ञान, बल्कि व्यावहारिक ज्ञान और जीवन मूल्यों की भी समझ हो।

स्वतंत्र सोच और आत्मनिर्भरता

हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे आत्मनिर्भर बनें, जो अपने भविष्य के फैसले स्वयं ले सकें और जीवन की समस्याओं का सामना खुद करें। वे संवेदनशील, दयालु और मददगार हों। हम उन्हें सच्चाई और ईमानदारी से जीवन जीना सिखाते हैं।
वे सभी के साथ मिल-जुलकर प्रेम से रहें और सभी का आदर करें।

हम चाहते हैं कि हमारे स्कूल के बच्चे खुशहाल, आत्मनिर्भर और समाज के लिए उपयोगी बनें।वे कल के नेता, वैज्ञानिक, शिक्षक, कलाकार और अच्छे इंसान बनकर देश-दुनिया में नाम रोशन करें।

हम बच्चों को एक बेहतर समाज के लिए कैसे तैयार कर रहे हैं?

हम जानते हैं कि हमारे देश और समाज का भविष्य हमारे बच्चों पर निर्भर करता है। इसलिए हम उन्हें सोच-समझकर और पूरी मेहनत से तैयार कर रहे हैं। हम उन्हें सिखा रहे हैं:

  • Honesty (ईमानदारी)

  • Respect (सम्मान)

  • Kindness (दयालुता)

  • Helping Nature (मदद करने की भावना)

हम सिर्फ किताबों की पढ़ाई ही नहीं कराते, बल्कि उन्हें नैतिक शिक्षा भी देते हैं ताकि वे सही और गलत में फर्क समझ सकें।
आज के डिजिटल युग में हम उन्हें सिखाते हैं कि वे मोबाइल, इंटरनेट और गैजेट्स का इस्तेमाल सिर्फ पढ़ाई और अच्छी चीजों के लिए करें, न कि गलत चीजों में उलझें।

Equality and Respect

हम उन्हें यह सिखाते हैं कि सभी इंसान बराबर हैं – चाहे वे किसी भी धर्म, जाति या आर्थिक स्थिति से हों। सभी का सम्मान करना चाहिए। उन्हें Unity in Diversity और Gender Equality की भी सीख दी जाती है।

Social Work and Community Service

हम बच्चों को दूसरों की मदद के लिए प्रोत्साहित करते हैं – जैसे बुजुर्गों की सहायता करना, गरीब बच्चों को पढ़ाना या समाज के लिए कुछ उपयोगी करना। इससे उनमें जिम्मेदारी की भावना आती है। हम बच्चों को केवल पढ़ा नहीं रहे, बल्कि उन्हें responsible citizen, good human being और socially aware व्यक्ति बना रहे हैं ताकि वे आने वाले समय में एक मजबूत, शांतिपूर्ण और बेहतर समाज बना सकें।

- स्वाति
मेरे सपनों का Arthur Foot Academy

हमारा Arthur Foot Academy ऐसा होना चाहिए जहाँ ईमानदारी और नैतिकता हर बच्चे में हो। स्कूल का माहौल ऐसा हो कि बच्चे दबाव में न होकर, उत्साह के साथ कहें – "कब सुबह हो और कब हम स्कूल जाएँ!"

पढ़ाई के साथ-साथ बच्चे खेल, गायन, नृत्य जैसे गतिविधियों में भी सबसे आगे हों। और जब वे स्कूल से बाहर निकलें तो लोग पूछें – "कहाँ से पढ़कर आए हो?"

हमारे बच्चे न केवल अपने स्कूल, बल्कि अपने गाँव और समाज का भी नाम रोशन करें।

Vision

प्रश्न: आपके सपनों का Arthur Foot Academy कैसा हो?
उत्तर: मैं चाहती हूँ कि Arthur Foot Academy ऐसा हो जहाँ बच्चे सिर्फ पढ़ाई ही नहीं, बल्कि अपने सपनों को साकार करने का स्थान समझें — एक ऐसा मंदिर या घर, जहाँ वे शिक्षा और संस्कारों के साथ अपने सपनों की उड़ान भर सकें।

Mission

प्रश्न: हमारे स्कूल में ऐसी कौन सी बातें हों जिन्हें हम सब मिलकर सिखाएँ?
उत्तर: मैं चाहती हूँ कि हम बच्चों को सिखाएँ:

  • सच बोलना

  • बड़ों का सम्मान करना

  • आत्मनिर्भर बनना

  • अपनी गलती स्वीकार करना

  • दूसरों की मदद करना

- ललिता पाल

आपको क्या लगता है कि पढ़ाई से बच्चों को सबसे बड़ा क्या लाभ मिलता है?

पढ़ाई से बच्चों को विषयों की गहरी समझ मिलती है, जिससे वे दुनिया को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं। अच्छी शिक्षा मिलने पर बच्चे समस्याओं का समाधान निकालना और निर्णय लेना सीखते हैं। जब बच्चे कुछ नया और अच्छा सीखते हैं, तो उनका आत्मविश्वास भी बढ़ता है। हमारे स्कूल में हर बच्चे को उसकी क्षमताओं के अनुसार सीखने और आगे बढ़ने का अवसर मिलता है।

हम अपने स्कूल के बच्चों का भविष्य कैसा बनाना चाहते हैं?

हम अपने स्कूल के बच्चों का भविष्य केवल उज्ज्वल ही नहीं, बल्कि मजबूत और उद्देश्यपूर्ण बनाना चाहते हैं।
हमारा लक्ष्य सिर्फ परीक्षा में अच्छे अंक दिलाना नहीं, बल्कि उन्हें अच्छा इंसान बनाना है। हम ऐसा भविष्य चाहते हैं जहाँ बच्चे आत्मनिर्भर हों, सोचने की क्षमता रखते हों, सवाल पूछ सकें और दूसरों के सवालों के उत्तर सोच-समझकर दे सकें।
शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं होनी चाहिए – हम चाहते हैं कि हमारे Arthur Foot Academy के बच्चे कला, खेल, विज्ञान और सामाजिक विषयों में भी अपनी रुचियाँ पहचानें और उन्हें निखारें। वे चुनौतियों से डरें नहीं, उनका साहसपूर्वक सामना करें। हमारा प्रयास रहेगा कि हम उन्हें ऐसा वातावरण दें, जहाँ वे सुरक्षित महसूस करें, अपनी बात खुलकर कह सकें और हर दिन कुछ नया सीखें। हमारा स्कूल उन्हें वो पंख देना चाहता है जिससे वे खुले आकाश में उड़ सकें।

साक्षी खन्ना

हम अपने स्कूल के बच्चों का भविष्य कैसा बनाना चाहते हैं?

हमें अपने विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा देनी चाहिए, ताकि वे अपने माता-पिता और स्कूल का नाम रोशन कर सकें।हम अपने स्कूल को उत्कृष्ट बनाने के लिए कई प्रयास कर सकते हैं — जैसे बेहतर पढ़ाई के लिए सुरक्षित और सहायक वातावरण तैयार करना, जहाँ बच्चे आत्मविश्वास के साथ सीखें और अपने सपनों को पूरा कर सकें। हम उन्हें इतना सक्षम बनाना चाहते हैं कि वे कोई भी परीक्षा सफलता से पास कर सकें। हमें बच्चों को अधिक से अधिक ज्ञान देना चाहिए ताकि उनका भविष्य सुरक्षित हो सके। हमें अपने विद्यार्थियों को अपनी राय खुलकर व्यक्त करने का अवसर देना चाहिए। उनका mind sharp बनाना चाहिए, ताकि जो कुछ भी वे पढ़ें, वह उन्हें समझ आए और याद रहे। हमें बच्चों को सिर्फ रटाना नहीं, समझना सिखाना चाहिए।

Education – शिक्षा क्या है?

शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं होती — यह जीवन को दिशा देने वाली शक्ति है। शिक्षा वह दीपक है जो न केवल व्यक्ति के भविष्य को उजाला देता है, बल्कि पूरे समाज को भी एक नई दिशा देता है।जहाँ शिक्षा नहीं है, वहाँ समाज में जागरूकता भी नहीं होगी। इसलिए शिक्षा को सर्वोपरि मानना चाहिए।

रूबल कौर

हम अपने स्कूल के बच्चों को कैसा भविष्य देना चाहते हैं?
हम बच्चों को ऐसा भविष्य देना चाहते हैं जो सुरक्षित हो और संभावनाओं से भरा हो। हम चाहते हैं कि वे न केवल पढ़ाई में, बल्कि खेल-कूद, कला और सोचने-समझने की क्षमता में भी आगे रहें। हम ऐसा वातावरण देना चाहते हैं जहाँ बच्चे अपने सपनों को पहचानें, खुलकर सोचें, सवाल करें और अपने रास्ते खुद खोजें। बिना किसी डर या दबाव के वे अपनी समस्याओं को हमारे साथ साझा करें, खुलकर जीवन जीएँ, और अपने स्कूल, समाज व देश का नाम रोशन करें। वे अपने देश के प्रति वफादार नागरिक बनें।

मेरे सपनों का Arthur Foot Academy

एक ऐसा स्थान जहाँ बच्चे खुशी-खुशी सीखने आएँ, डर नहीं बल्कि प्रेम और सहयोग का वातावरण हो।स्कूल की इमारत रंग-बिरंगी हो, पेड़-पौधों और सुंदर फूलों से सजी हो, खेल-कूद के लिए खुला मैदान हो और हर कोने में कुछ नया सीखने का अवसर हो। बच्चों को सिर्फ किताबों से नहीं, बल्कि खेल, कहानियाँ, कला, संगीत और प्रयोगों से भी सीखने का अवसर मिले।

सबसे ज़रूरी बात – बच्चों के प्रति सम्मान। 

हर बच्चे का सम्मान करें, और यह समझें कि उन्होंने हमें यह अवसर दिया है कि हम उनके भविष्य को गढ़ सकें — पूरी ईमानदारी और समर्पण के साथ।

- रीना देवी

आपके सपनों का Arthur Foot Academy कैसा होना चाहिए?

मैं चाहती हूँ कि मेरा सपना Arthur Foot Academy सबसे अच्छा स्कूल बने — ऐसा कि आस-पास के लोग कहें, “यह सचमुच एक बेहतरीन स्कूल है!”

हमारे स्कूल में ऐसी कौन-सी बातें हों जिन्हें हम मिलकर सिखा सकते हैं?

हम बच्चों को पढ़ना, लिखना और खेलना — सब कुछ मिलकर सिखाएँ, ताकि वे जल्दी आगे बढ़ सकें। हमें बच्चों को उनके समझने योग्य तरीके से पढ़ाना चाहिए — अलग-अलग तरीकों से सिखाना चाहिए, ताकि वे रुचि के साथ सीखें।हर बच्चे को पढ़ाई, लेखन और खेल के अलग-अलग तरीके आने चाहिए, जिससे वे पूर्ण रूप से विकसित हो सकें और अपने माता-पिता, स्कूल और शिक्षकों का नाम रोशन कर सकें।

- सिमरन कौर

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