Showing posts with label निस्वार्थता. Show all posts
Showing posts with label निस्वार्थता. Show all posts

Thursday, 6 November 2025

सम्मान और संवेदना: जीवन का मूल मूल्य - सनबीम ग्रामीण स्कूल

हमें किसी को भी अपने मतलब के लिए परेशान नहीं करना चाहिए, ऐसा करना गलत है और इससे बचना चाहिए । दूसरों के साथ सम्मान और करुणा से पेश आना चाहिए, भले ही वे हमारी बात न समझे या अलग राय रखते हो। दूसरों के प्रति सम्मान: हर इंसान को सम्मान देना हमारा कर्तव्य है दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने या उन्हें परेशान करने से उनके साथ हमारे रिश्ते खराब होते हैं। नकारात्मकता से बचे :किसी को अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करना या परेशान करना नकारात्मकता फैलाता है। इससे बचना चाहिए।
नाम- सीमा कक्षा - 8

हमें अपने मतलब के लिए दूसरों को परेशान नहीं करना चाहिए का मतलब है कि हमें अपने फायदे के लिए दूसरों को तकलीफ या कष्ट नहीं देना चाहिए इसका अर्थ है कि हमें दूसरों की भावनाओं और जरूर का सम्मान करना चाहिए और दूसरों के साथ वैसा व्यवहार नहीं करना चाहिए जैसे जैसा हम खुद के लिए नहीं चाहते हैं जैसे उस बच्चे को जो घर के बाहर कर दिया गया था उसे ठंड लग सकती थी या कोई जानवर उठा कर ले जा सकता था या किडनैप भी हो सकता था तो हमें यह समझना चाहिए कि हम अपने फायदे के लिए किसी के साथ ऐसा व्यवहार ना करें जिससे कि किसी को कष्ट हो। हमें दूसरों के साथ ऐसा व्यवहार करना चाहिए जो हम स्वयं अपने साथ दूसरों से अपेक्षा करते हैं। नैतिक सिद्धांत है जो सहानुभूति और दूसरों के प्रति सम्मान पर जोर देता है किसी के साथ ऐसा व्यवहार ना करें जिससे उसे दुख या परेशानी हो। कभी-कभी हम छोटी समस्या का समाधान करने के लिए बड़े से बड़ा कदम उठा लेते हैं जो कि गलत है जिसमें केवल हमारा ही फायदा होता है लेकिन दूसरों का नुकसान होता है। इसलिए कुछ भी करने से पहले सोच समझ कर कोई कदम उठाए ताकि किसी को हमारी वजह से दुख न पहुंचे।

नाम - आदित्य मौर्य
कक्षा- 8

Thursday, 17 July 2025

😊 देने का ज़ज्बा 😊 — Swati

 

इस पाठ को पढ़कर मेरे मन में अनेक विचार जागे। हम अक्सर जीवन में सफलता, पैसा और आराम पाने की दौड़ में लगे रहते हैं, लेकिन इस पाठ से यह सीख मिलती है कि सच्ची सफलता तब है जब हम दूसरों को कुछ दे सकें। जब ईश्वर हमें मुकाम और समृद्धि प्रदान करते हैं, तो केवल अपनी ज़रूरतों को बढ़ाना और पूरा करना ही पर्याप्त नहीं होता; हमें दूसरों की ज़रूरतों को भी समझकर उन्हें पूरा करने का प्रयास करना चाहिए। साथ ही, देने की क्षमता को भी बढ़ाना चाहिए।

समाज में बहुत कम लोग हैं जो बिल गेट्स जी की तरह निस्वार्थ भाव से दूसरों की मदद करते हैं। उनका उदाहरण यह स्पष्ट करता है कि सच्ची अमीरी केवल पैसों से नहीं होती, बल्कि उस धन को ज़रूरतमंदों की सहायता में लगाने से होती है। उन्होंने न केवल दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति होने का सम्मान प्राप्त किया, बल्कि अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा दान में देकर यह सिखाया कि सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है।

देने का ज़ज्बा एक ऐसा भाव है जो इंसान को वास्तव में "बड़ा" बनाता है। मदद केवल पैसों से नहीं होती —
कभी-कभी किसी की बात को ध्यान से सुनना, उसे समझना और साथ देना भी बहुत बड़ी मदद होती है।

आज के समय में, यदि हम किसी को थोड़ा-सा समय भी दे दें और उससे उन्हें थोड़ी-सी भी खुशी मिले, तो वह भी एक अनमोल उपहार है।

मुझे लगता है कि देने के लिए अमीर होना जरूरी नहीं है, बल्कि देने के लिए बस एक ऐसा दिल चाहिए जो दूसरों का दर्द समझ सके।

जब हम बिना किसी स्वार्थ के किसी की मदद करते हैं, तो उस देने में एक अलग ही सुकून होता है — जैसे कोई दीपक, जो दूसरों को रोशनी देता है और खुद जलता रहता है।

मुझे याद है, जब मैंने किसी ज़रूरतमंद की मदद की थी — वह खुशी मेरे भीतर गहराई तक उतर गई थी। उस एक पल ने मुझे सिखाया कि देने से कुछ घटता नहीं, बल्कि हमारा मन एक गहरी आत्मिक संतुष्टि से भर जाता है।

देने का ज़ज्बा मतलब:

  • अपने स्वार्थ से ऊपर उठना,

  • किसी अनजान के लिए रुक जाना,

  • और अपनी सीमाओं को पार करके किसी और को उम्मीद देना।

And that is enough.

To give is enough.
To care is enough...
Swati



Subscribe

Reflections Since 2021