Showing posts with label सेवा. Show all posts
Showing posts with label सेवा. Show all posts

Sunday, 19 October 2025

गुरु नानक देव जी: सत्य, समानता और करुणा की गाथा — Simran Kaur

गुरु नानक देव जी का जीवन सत्य, समानता और करुणा की अमर गाथा है। उन्होंने हमें सिखाया कि सच्चा धर्म इंसानियत में है—जब हम दूसरों की सेवा करते हैं, सभी के साथ प्रेम और आदर का व्यवहार करते हैं, तभी हम ईश्वर के निकट पहुँचते हैं। उनका संदेश केवल धार्मिक नहीं, बल्कि मानव जीवन का आदर्श मार्ग है।

उन्होंने कहा—
"ना कोई हिन्दू, ना मुसलमान—सब मनुष्य एक ही प्रभु की संतान हैं।"

यह विचार हमें याद दिलाता है कि हर व्यक्ति में वही ज्योति है जो ईश्वर में है। जब हम किसी के प्रति भेदभाव करते हैं, तो हम उस दिव्यता को ठुकराते हैं। आज के युग में, जब समाज में विभाजन, ईर्ष्या और प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है, गुरु नानक देव जी का यह संदेश पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है।

अगर हम उनके बताए मार्ग पर चलें—सच बोले, मेहनत करें, और ईमानदारी से बाँटकर खाएं (कीरत करो, नाम जपो, वंड छको), तो निश्चित ही जीवन में शांति, संतोष और सुख की प्राप्ति होती है। उनकी शिक्षाएँ हमें यह सिखाती हैं कि शिक्षा केवल ज्ञान प्राप्त करने का माध्यम नहीं, बल्कि अच्छे इंसान बनने का साधन है।

गुरु नानक देव जी का प्रकाश हम सबके हृदय में उजाला फैलाए, और हमें प्रेरित करे कि हम अपने जीवन से दूसरों के जीवन में भी उजाला बाँटें।

"जहाँ करुणा है, वहीं ईश्वर है।
जहाँ प्रेम है, सच्ची उपासना है।"

— Simran Kaur, Arthur Foot Academy

गुरु नानक देव जी: समाज सुधारक और आध्यात्मिक मार्गदर्शक — Sunil Kumar

गुरु नानक देव जी केवल एक धर्म के संस्थापक नहीं थे; वे एक ऐसे युग के महान सामाजिक सुधारक और आध्यात्मिक क्रांतिकारी थे, जिनकी शिक्षाएँ आज भी हमें जीवन जीने का सही मार्ग दिखाती हैं।

जिस संसार में आज भी धर्म और पहचान के नाम पर हिंसा और विभाजन है, वहाँ ‘इक ओंकार’ हमें यह याद दिलाता है कि हमारे बीच की सभी बाहरी भ्रम हैं। यदि ईश्वर एक है, तो मानवता भी एक है। यह हमें सिखाता है कि आध्यात्मिकता का सार बाह्य कर्मकांडों में नहीं, बल्कि सत्य (सतनाम) में निहित है, जैसा कि उन्होंने मूल मंत्र में बताया है।

गुरु नानक देव जी ने समाज को सुधारने के लिए केवल उपदेश नहीं दिए; उन्होंने सामुदायिक संस्थाओं की नींव रखी, जो उनकी शिक्षाओं को मूर्त रूप देती हैं। जैसे लंगर में सभी बिना किसी भेदभाव के एक साथ भोजन करते हैं। यह मेरे लिए समानता का सबसे शक्तिशाली और व्यावहारिक प्रतीक है, और संगत में यहाँ सभी लोग आध्यात्मिक ज्ञान और भजन-कीर्तन के लिए एक साथ बैठते हैं।

यह हमें सिखाता है कि धर्म को जीवन से अलग नहीं किया जा सकता। सच्चा धर्म लोगों के बीच विभाजन पैदा करने के बजाय साझा करने, सेवा करने और एकजुट होने का आह्वान करता है। आज के उपभोक्तावादी और व्यक्तिवादी समाज में, ‘वंड छकना’ (साझा करना) का सिद्धांत हमें अपने भौतिक और भावनात्मक संसाधनों को जरूरतमंदों के साथ बाँटने की याद दिलाता है।

यह शिक्षा मुझे अत्यंत व्यावहारिक लगती है। उन्होंने कर्म को आध्यात्मिक जीवन से जोड़ा—यह संदेश दिया कि आप संसार को त्यागकर नहीं, बल्कि ईमानदारी और नैतिकता के साथ अपना कर्तव्य निभाते हुए मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं। यह सिद्ध करता है कि जीवन का मैदान ही हमारी सबसे बड़ी साधना स्थली है।

Sunil Kumar, Arthur Foot Academy

गुरु नानक देव जी के मुख्य सिद्धांत - रहिमा

इस पाठ से मैंने यह सीखा है कि गुरु नानक देव जी, सिख धर्म के प्रथम गुरु और संस्थापक, केवल एक धार्मिक गुरु ही नहीं थे, बल्कि वे समाज सुधारक, दार्शनिक और मानवता के मार्गदर्शक भी थे। उनका जीवन और उपदेश आज भी करोड़ों लोगों को प्रेरणा देते हैं। जब हम उनके जीवन पर चिंतन करते हैं, तो समझ में आता है कि उनका संदेश किसी एक धर्म या जाति तक सीमित नहीं था, बल्कि पूरी मानव जाति के लिए था।

गुरु नानक देव जी ने एक परमात्मा की एकता का संदेश दिया। उन्होंने बताया कि ईश्वर एक है और वह जाति, धर्म, या किसी भी भेदभाव से परे है। वे हमेशा कहते थे "इक ओंकार" — अर्थात् ईश्वर एक है और उसका वास हर जगह है। यह विचार हमें यह सिखाता है कि हम सब उसके ही अंश हैं और हमें एक-दूसरे के साथ प्रेम और भाईचारे से रहना चाहिए।

उस समय समाज जाति-पांति और ऊँच-नीच में बँटा हुआ था। गुरु नानक देव जी ने इसके खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने लंगर की परंपरा शुरू की, जहाँ हर कोई एक साथ बैठकर भोजन करता था, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का हो। इससे उन्होंने यह सिखाया कि ईश्वर की नज़र में सब समान हैं। यह समानता का संदेश आज भी पूरी दुनिया को प्रेरित करता है।

गुरु नानक देव जी ने तीन मुख्य सिद्धांत दिए—

  1. नाम जपना (Naam Japna): ईश्वर को हर पल याद करना।

  2. कीरत करनी (Kirat Karo): ईमानदारी से मेहनत करके जीवनयापन करना।

  3. वंड छकना (Vand Chhako): अपनी कमाई और खुशियाँ दूसरों के साथ बाँटना।

ये तीनों सिद्धांत आज भी हमारे जीवन को सरल, शांतिपूर्ण और सार्थक बना सकते हैं।

गुरु नानक देव जी करुणा और सेवा की मूर्ति थे। उन्होंने दूर-दूर तक यात्राएँ कीं, न कि नाम या दौलत के लिए, बल्कि सच्चाई और प्रेम का संदेश फैलाने के लिए। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि महानता पद या शक्ति में नहीं, बल्कि विनम्रता और सेवा में है।

आज की दुनिया, जहाँ लोग धर्म, जाति और भौतिक इच्छाओं में बँटे हुए हैं, वहाँ गुरु नानक देव जी की शिक्षा आशा की किरण है। उनका संदेश है कि हम इंसानियत को एक परिवार की तरह देखें, नफ़रत की जगह प्रेम फैलाएँ, स्वार्थ की जगह सेवा करें और अहंकार की जगह विनम्रता अपनाएँ।

गुरु नानक देव जी पर चिंतन करना वास्तव में मानवता पर चिंतन करना है। उनका संदेश समय से परे है। अगर हम उनके विचारों को अपने जीवन में अपनाएँ, तो न सिर्फ़ अपनी ज़िंदगी को बेहतर बना सकते हैं, बल्कि समाज और दुनिया में शांति और सद्भाव भी ला सकते हैं।

-रहिमा, आर्थर फुट अकादमी

Saturday, 11 October 2025

गुरु नानक देव जी की जीवन यात्रा से प्रेरणा - गुलाबी


गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन में चार प्रमुख यात्राएँ कीं, जिन्हें उदासियाँ कहा जाता है। इन यात्राओं का उद्देश्य विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों और समाजों में जाकर ईश्वर का संदेश फैलाना था।

  • पहली उदासी: उत्तर और पूर्वी भारत में हुई, जिसमें उन्होंने हरिद्वार, बनारस, पटना, गया जी और जगन्नाथ पुरी जैसे महत्वपूर्ण स्थानों का दौरा किया।

  • दूसरी उदासी: दक्षिण भारत और श्रीलंका में हुई, जिसमें उन्होंने आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और श्रीलंका के विभिन्न हिस्सों में भ्रमण किया।

  • तीसरी उदासी: अफगानिस्तान और फारस (वर्तमान ईरान) की यात्रा की, जिसमें उन्होंने मुस्लिम धार्मिक विद्वानों और सूफी संतों से संवाद किया।

  • चौथी उदासी: इस यात्रा के दौरान उन्होंने तिब्बत, चीन और अन्य क्षेत्रों का भ्रमण किया।

गुरु नानक देव जी की शिक्षाएँ और जीवन यात्रा आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं, और उनकी विरासत सिख धर्म के रूप में जीवित है। गुरु नानक देव जी की जीवन यात्रा और उनके उपदेशों का आधुनिक जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। उनकी शिक्षाएँ हमें अखंडता, समानता और मानवता के महत्व को समझने में मदद करती हैं।

गुरु नानक देव जी के जीवन से हमें निम्नलिखित महत्वपूर्ण सबक मिलते हैं:

  • समानता और भाईचारा: गुरु नानक देव जी ने जाति, धर्म और लिंग के आधार पर भेदभाव को समाप्त करने का संदेश दिया। उन्होंने लंगर की परंपरा शुरू की, जिसमें सभी लोग बिना किसी भेदभाव के एक साथ बैठकर भोजन करते हैं।

  • मानवता की सेवा: गुरु नानक देव जी ने मानवता की सेवा को बहुत महत्व दिया। उन्होंने लोगों को दूसरों की मदद करने और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रेरित किया।

  • विनम्रता और सहिष्णुता: गुरु नानक देव जी ने विनम्रता और सहिष्णुता के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने लोगों को दूसरों के साथ प्रेम और सम्मान से पेश आने की शिक्षा दी।

  • आध्यात्मिक ज्ञान: गुरु नानक देव जी ने आध्यात्मिक ज्ञान के महत्व पर बल दिया। उन्होंने लोगों को ईश्वर के नाम का जप करने और कीर्तन करने के लिए प्रेरित किया।

  • सामाजिक सुधार: गुरु नानक देव जी ने समाज में व्याप्त कुरीतियों और पाखंडों का विरोध किया। उन्होंने महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज उठाई और जाति प्रथा का विरोध किया।

इन शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाकर, हम एक बेहतर और अधिक समरस समाज का निर्माण कर सकते हैं। गुरु नानक देव जी की जीवन यात्रा और उनके उपदेश हमें प्रेरित करते हैं कि हम अपने समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए कार्य करें और एक-दूसरे के साथ प्रेम और सम्मान से पेश आएँ।

गुलाबी, सनबीम ग्रामीण स्कूल  

Wednesday, 17 September 2025

गुरु नानक देव जी की यात्राएँ – सत्य, सेवा और मानवता का मार्ग - Sakshi Pal

इस एपिसोड से मुझे अनुभव हुआ कि गुरु नानक देव जी की यात्राएँ केवल धार्मिक यात्राएँ नहीं थीं, बल्कि वे मानवता को जोड़ने का एक महान प्रयास थीं। उन्होंने अलग-अलग स्थानों पर जाकर लोगों को सत्य, प्रेम, समानता और सेवा का संदेश दिया। "Allegory – The Tapestry of Guru Nanak Travels" हमें सिखाता है कि गुरु नानक देव जी का जीवन केवल सिख धर्म तक सीमित नहीं है, बल्कि यह संपूर्ण मानवता के लिए प्रेरणा है।

एपिसोड 21 के माध्यम से हमें यह समझने का अवसर मिलता है कि गुरु नानक जी ने हर जगह अपनी शिक्षाओं से समाज में नई सोच पैदा की। उनकी यात्राएँ हमें सिखाती हैं कि इंसान को जाति, धर्म और भाषा के भेदभाव से ऊपर उठकर जीवन जीना चाहिए।

मुझे लगता है कि इस प्रकार के कार्यक्रम हमें न केवल इतिहास और धर्म के बारे में ज्ञान देते हैं, बल्कि यह भी बताते हैं कि आज के समय में हम गुरु नानक जी की शिक्षाओं को अपने जीवन में कैसे अपनाएँ। उनकी शिक्षाएँ हमें सत्य बोलना, दूसरों की सेवा करना और ईश्वर पर विश्वास रखना सिखाती हैं।

इस कार्यक्रम को देखकर मेरे मन में यह भाव आया है कि हमें भी अपने जीवन में सरलता, सत्य और सेवा को महत्व देना चाहिए। अगर हम गुरु नानक देव जी के बताए हुए मार्ग पर चलें, तो समाज में शांति, प्रेम और भाईचारे का वातावरण बन सकता है।

Sakshi Pal
Arthur Foot Academy

गुरु नानक देव जी की यात्राएँ – सत्य, समानता और मानवता का संदेश- Lalita Pal

इस एपिसोड से यह समझ में आता है कि गुरु नानक जी ने कभी भी जाति या धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया। उन्होंने हमेशा लोगों को अच्छे कर्म करने और सभी के साथ प्रेम व भाईचारे से रहने की शिक्षा दी। उनकी यात्राएँ केवल साधारण यात्राएँ नहीं थीं, बल्कि वे लोगों तक ज्ञान और सत्य का प्रकाश पहुँचाने का एक माध्यम थीं।

कार्यक्रम देखने के बाद यह अनुभव हुआ कि हमें भी अपने जीवन में गुरु नानक जी की शिक्षाओं को अपनाना चाहिए, जैसे—

  • हमेशा सच बोलना

  • सबके साथ बराबरी का व्यवहार करना

  • ज़रूरतमंद की मदद करना

  • अपने मन को स्वच्छ और शांत रखना

गुरु नानक जी का संदेश आज भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना उस समय था। यह कार्यक्रम न सिर्फ़ जीवन के बारे में जानकारी देता है, बल्कि हमें यह भी सिखाता है कि हम किस तरह अपने जीवन को सरल, सच्चा और दूसरों के लिए उपयोगी बना सकते हैं।

कुल मिलाकर, यह एपिसोड मन को छू लेने वाला रहा। इससे हमें प्रेरणा मिलती है कि हम भी अपने जीवन को मानवता, समानता और सेवा की राह पर चलकर सार्थक बना सकें।

 Lalita Pal
Arthur Foot Academy

गुरु नानक देव जी की यात्राएँ – मानवता और आध्यात्मिकता का संदेश- Sakshi Khanna

गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन में बहुत सारी यात्राएँ कीं, जिनका उद्देश्य केवल भ्रमण करना नहीं था, बल्कि लोगों तक सच्चाई, ईमानदारी और समानता का संदेश पहुँचाना था। उनकी शिक्षाएँ समय और स्थान से परे हैं।

इस एपिसोड से मैंने सीखा है कि जीवन का असली मतलब दूसरों की सेवा करना, सादगी से जीना और ईश्वर से जुड़ना है। इस एपिसोड से यह भी पता चलता है कि गुरु नानक जी हर धर्म और जाति के लोगों से मिले और उनसे बातें कीं। उनका संदेश था कि इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है।

आज के समय में, जब हमें समाज में विभाजन और भेदभाव देखने को मिलता है, तब ऐसे में गुरु नानक जी की यात्राएँ हमें सिखाती हैं कि सच्ची राहें केवल प्रेम, शांति और एकता की हैं। इस एपिसोड का अनुभव यह सिखाता है कि गुरु नानक जी की यात्राएँ केवल बाहरी नहीं थीं, बल्कि वे आंतरिक आध्यात्मिक यात्राएँ भी थीं। यह हमें प्रेरणा देता है कि हम भी अपने मन में झाँकें और अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जाएँ।

कुल मिलाकर, यह एपिसोड हमें गुरु नानक देव जी के जीवन को करीब से दिखाता है और हमारे जीवन को मार्गदर्शन व प्रेरणा भी देता है। यह हमें याद दिलाता है कि अगर हम गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं को अपने जीवन में उतार लें, तो समाज में शांति, समानता और प्रेम अपने आप फैल जाएँगे।

Sakshi Khanna
Arthur Foot Academy 

Saturday, 9 August 2025

रंगीन गुलदस्ता: गुरु नानक देव जी और भाई मरदाना की एकता की मिसाल - Reena Devi

 

"एकता तब नहीं आती जब सब एक जैसे हों, एकता तब आती है जब हम भिन्न होकर भी एक साथ खड़े हों।"

"रंगीन गुलदस्ता" में गुरु नानक देव जी की जीवन यात्रा और उनके साथी भाई मरदाना की उपस्थिति केवल एक ऐतिहासिक घटना नहीं, बल्कि एक गहरा आध्यात्मिक और सामाजिक संदेश है। गुरु नानक देव जी की विचारधारा प्रेम, समानता और सेवा पर आधारित थी। उन्होंने समाज में व्याप्त अंधविश्वास, जातिवाद और धार्मिक भेदभाव का डटकर विरोध किया और लोगों को ऐसे मार्ग की ओर प्रेरित किया, जहां हर व्यक्ति को समान सम्मान मिले।

गुरु नानक देव जी का मानना था कि ईश्वर एक है और वह सबमें है। उन्होंने कभी यह नहीं कहा कि कोई धर्म श्रेष्ठ है या कोई निम्न। उनके अनुसार, इंसान का धर्म उसका आचरण है — वह कैसे जीता है, कैसे सोचता है और दूसरों के साथ कैसा व्यवहार करता है। गुरु नानक जी के जीवन में भाई मरदाना जी का विशेष स्थान था। मरदाना एक मुस्लिम कव्वाल थे, जो गुरु नानक के बचपन के मित्र थे और पूरी उम्र उनके साथ रहे। उन्होंने रबाब बजाकर गुरु नानक के शबद-कीर्तन को स्वर दिए।

उन्होंने एक ऐसे समाज की कल्पना की, जहां सब लोग एक-दूसरे के प्रति समान दृष्टि रखते हैं और जात-पात, धर्म या अमीरी-गरीबी का भेदभाव न हो।

गुरु नानक जी ने बचपन से ही ऐसे कार्य किए जो हमें यह सोचने पर मजबूर करते हैं कि असली धर्म क्या है। सच्चा सौदा जैसी घटना से यह स्पष्ट होता है कि उनके लिए असली व्यापार वही था जिसमें जरूरतमंद की मदद हो। उन्होंने यह भी सिखाया कि धर्म का मतलब केवल पूजा-पाठ नहीं, बल्कि ईमानदारी, सेवा और करुणा से भरा हुआ जीवन है।

"रंगीन गुलदस्ता" में पढ़ी गई गुरु नानक देव जी की कहानी केवल एक धार्मिक कथा नहीं, बल्कि उनकी शिक्षाएं हमें यह एहसास कराती हैं कि एक अच्छा इंसान बनने के लिए धर्म से पहले मानवता जरूरी है। अगर हम उनके बताए मार्ग पर चलें, तो एक सुंदर, शांतिपूर्ण और समानता से भरी दुनिया बनाई जा सकती है।

"भले ही हम सब अलग-अलग शाखाओं के फूल हैं, पर जब साथ खिलते हैं तो बगीचा भी मुस्कराता है।"

रीना देवी
Arthur Foot Academy

रंगीन गुलदस्ता: गुरु नानक देव जी का विविधता में एकता का संदेश - Sakshi Pal

 

गुरु नानक देव जी का जीवन और उनके यात्रा-वृत्तांत हमें विविधता में एकता का संदेश देते हैं।
"रंगीन गुलदस्ता" का अर्थ है रंग-बिरंगे फूलों का गुच्छा। यह शीर्षक बहुत सुंदर रूप से दर्शाता है कि दुनिया अनेक रंगों, संस्कृतियों, धर्मों और विचारों से बनी है, और हर रंग, हर फूल अपनी एक अलग खुशबू और महत्व रखता है।

गुरु नानक देव जी ने दुनिया के विभिन्न हिस्सों की यात्रा की और हर स्थान पर उन्होंने लोगों से संवाद किया, प्रेम बांटा और उन्हें एकता, सेवा और सच्चाई का संदेश दिया। जैसे एक गुलदस्ता कई फूलों से मिलकर बनता है, वैसे ही मानवता भी विभिन्न समुदायों, भाषाओं और संस्कृतियों से मिलकर बनती है।

गुरु नानक देव जी ने कभी भेदभाव नहीं किया, उन्होंने सबको एक ही नजर से देखा — चाहे वह किसी भी जाति, धर्म या वर्ग का हो। बलूचिस्तान जैसे दूरस्थ और कठोर इलाके में गुरु नानक देव जी की उपस्थिति यह दर्शाती है कि प्यार, शांति और एकता का संदेश किसी सीमा में नहीं बंधा होता। बलूचिस्तान उस गुलदस्ते का हिस्सा बना, जिसमें हर क्षेत्र, हर धर्म और हर भाषा का फूल शामिल था।

जैसे गुलदस्ते में हर फूल ज़रूरी होता है, वैसे ही मानवता की सुंदरता विविधता में छिपी है। बलूचिस्तान में गुरु जी की यात्रा हमें सिखाती है कि सच्चे आध्यात्मिक शिक्षक हर स्थान पर जाते हैं — चाहे वह कितना भी दूर या भिन्न क्यों न हो — ताकि हर व्यक्ति तक सच्चाई और प्रेम पहुंच सके।

यह एपिसोड हमें सिखाता है कि हमें भी अपने जीवन में दूसरों को अपनाने की भावना रखनी चाहिए और हर इंसान को उसके गुणों के लिए स्वीकार करना चाहिए। हम जितनी अधिक विविधता को समझते और सम्मान देते हैं, उतना ही सुंदर हमारा समाज बनता है — ठीक वैसे ही जैसे एक रंग-बिरंगा गुलदस्ता।

"रंग-बिरंगी मानवता का संगम"

Sakshi Pal
Arthur Foot Academy

Sunday, 27 July 2025

एक ओंकार की गूंज: गुरु नानक देव जी की आत्मिक यात्रा - साक्षी पाल

"नाम जपो, सेवा करो, मानवता की राह पर चलो"

Episode 19 को देखकर मुझे यह महसूस हुआ कि गुरु नानक देव जी सिर्फ एक धार्मिक गुरु नहीं थे, बल्कि वे मानवता, एकता और सच्चाई के प्रतीक थे। उन्होंने अपनी यात्राओं के माध्यम से न सिर्फ़ लोगों को ईश्वर के बारे में बताया, बल्कि समाज में फैले भेदभाव, अंधविश्वास और झूठे रिवाजों को भी चुनौती दी। इस एपिसोड में दिखाए गए ऐतिहासिक स्थल, जो आज पाकिस्तान में स्थित हैं, यह दर्शाते हैं कि भले ही समय बदल गया है, पर गुरु जी का संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है

"ना कोई हिन्दू, ना कोई मुस्लिम" — इस विचार के द्वारा उन्होंने धर्मों के बीच की दीवारें तोड़ी और इंसानियत को सबसे ऊपर रखा।

यह एपिसोड हमें यह याद दिलाता है कि सच्चा धर्म वही है, जो प्रेम, सेवा और सच्चाई पर आधारित हो। गुरु जी ने सिखाया कि "ईश्वर मंदिर या मस्जिद में नहीं, बल्कि हर जीव में है।" आज की दुनिया में, जहाँ धर्म के नाम पर मतभेद और संघर्ष देखने को मिलते हैं, वहाँ गुरु नानक देव जी का Universal संदेश एक प्रकाशपुंज की तरह है।यह एपिसोड केवल इतिहास नहीं दिखाता, बल्कि आत्मा को भी छूता है। यह मात्र एक दृश्य यात्रा नहीं, बल्कि आत्मा की यात्रा थी।

"वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरु जी की फतेह!"
"जहां एक ओंकार की गूंज हो, वहां नफ़रत की कोई जगह नहीं होती!"

– साक्षी पाल





विनम्रता की छाप: गुरु नानक जी की शिक्षाओं से जीवन का मार्ग - साक्षी खन्ना

 

"अच्छा प्रभाव", अर्थात विनम्रता की छाप, एक ऐसा विषय है जो सीधे हमारे हृदय और व्यवहार से जुड़ा है। इस एपिसोड को सुनकर यह स्पष्ट हो गया कि गुरु नानक देव जी की यात्राएँ केवल शारीरिक नहीं थीं, बल्कि वे आत्मा की यात्रा और मानवता के मार्गदर्शन का प्रतीक थीं। गुरु नानक देव जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्चा बल दिखावे में नहीं, बल्कि विनम्रता में होता है। जब इंसान अपने ज्ञान, पद या सफलता के कारण अहंकार में डूब जाता है, तब वह दूसरों से दूर हो जाता है। लेकिन जो व्यक्ति विनम्र होता है, वह सभी के दिलों में स्थान बना लेता है।

अमरदीप सिंह जी ने जब गुरु नानक जी के व्यवहार और उनके सच्चे प्रेम को साझा किया, तब मुझे यह समझ आया कि आज के समय में भी विनम्रता कितनी आवश्यक है। विनम्रता कोई कमजोरी नहीं, बल्कि यह एक ऐसा गुण है जो व्यक्ति को भीतर से मजबूत बनाता है। यह हमें सुनना सिखाती है, समझना सिखाती है और दूसरों की भावनाओं का सम्मान करना सिखाती है।

मेरे मन के विचार:

इस एपिसोड ने मुझे स्वयं के विचारों पर सोचने के लिए प्रेरित किया।
क्या मैं भी इतनी विनम्र हूं कि हर किसी को आदरपूर्वक सुन सकूं?
क्या मैं अपने शब्दों और कर्मों से दूसरों को सम्मान दे पाती हूं?
यह सत्र मेरे लिए एक आईने की तरह था, जिसमें मैंने खुद को देखा — और यह जाना कि मुझे स्वयं को और बेहतर बनाने की आवश्यकता है।

गुरु नानक देव जी की शिक्षाएँ समय की सीमाओं से परे हैं।
आज भी यदि हम उनके बताए मार्ग — सेवा, विनम्रता और सच्चाई — पर चलें, तो हमारा जीवन न केवल सुंदर और शांतिपूर्ण, बल्कि सार्थक भी बन सकता है।

निष्कर्ष:

विनम्र प्रभाव केवल एक विचार नहीं, बल्कि एक जीवन शैली है। इसे अपनाकर हम समाज में प्रेम, सहिष्णुता और शांति का संचार कर सकते हैं। इस एपिसोड ने मेरे मन पर गहरी छाप छोड़ी — जो मुझे सदा याद दिलाएगी कि सच्चा इंसान वही है जिसमें विनम्रता हो।

"ईश्वर के सामने सब समान हैं — कोई ऊँचा-नीचा नहीं।"
इंसान को अपने अहंकार को त्यागकर विनम्र होना चाहिए।

"सेवा भाव से जीना — दूसरों की सेवा करना बिना किसी घमंड के — यही सच्ची भक्ति है।"

गुरु नानक देव जी ने बार-बार कहा कि —

ईश्वर के निकट वही पहुँच सकता है, जो अपने अहंकार को त्याग देता है।

— साक्षी खन्ना



Tuesday, 22 July 2025

देने का जज़्बा – एक छोटी मदद, एक बड़ा असर - सिमरन कौर

मैंने इस पाठ से यह सीखा है कि अगर कोई व्यक्ति किसी काम को करने में असमर्थ हो और उसे मदद की ज़रूरत हो, तो हमें उसकी मदद ज़रूर करनी चाहिए। दूसरों की सहायता करने से न केवल सामने वाले को राहत मिल ती है, बल्कि हमारे अपने मन को भी संतुष्टि और सच्ची खुशी मिलती है।मान लीजिए हमारे पास बहुत सारा पैसा है, और एक व्यक्ति हमारे पास आकर कहता है कि उसे अपने बच्चे के स्कूल में दाखिले के लिए पैसों की ज़रूरत है। ऐसे समय पर हमारे अंदर उसकी सहायता करने का साहस और जज़्बा होना चाहिए। अगर हमने उसे मदद कर दी, तो न सिर्फ वह बच्चा स्कूल जा सकेगा, बल्कि उसके माता-पिता को भी अपार खुशी मिलेगी।

हमारी एक छोटी सी सहायता एक बच्चे को शिक्षा पाने का अवसर दिला सकती है। वह बच्चा जब पढ़-लिखकर एक अच्छा इंसान बनता है, तो वह खुद, उसके माता-पिता और पूरा समाज उससे प्रेरित हो सकता है। कई बार किसी गरीब पिता को बेटे की फीस भरने के लिए उधार लेना पड़ता है। ऐसे में यदि कोई उसे मदद कर दे, तो वह बच्चा स्कूल में पढ़ सकता है। और यही बच्चा आगे चलकर जब सफल होता है, तो उसके माता-पिता को भी गर्व होता है।

इसलिए, हमें कभी भी दूसरों की मदद करने से पीछे नहीं हटना चाहिए। क्या पता हमारी एक छोटी-सी मदद किसी की जिंदगी बदल दे। दूसरों की मदद करना एक महान जज़्बा होता है। यह किसी बड़े दान या संपत्ति से नहीं, बल्कि दिल की भावना से जुड़ा होता है। किसी की छोटी-छोटी समस्याओं का समाधान करना या उनकी मदद करना एक सच्चे, अच्छे इंसान की पहचान है। इसलिए जब भी किसी को आपकी ज़रूरत हो, तो उसकी मदद ज़रूर करें। हमारी की हुई छोटी-सी सहायता किसी की जिंदगी को खुशनुमा बना सकती है।

 सिमरन कौर, Arthur Foot Academy

Thursday, 17 July 2025

😊 देने का ज़ज्बा 😊 — Swati

 

इस पाठ को पढ़कर मेरे मन में अनेक विचार जागे। हम अक्सर जीवन में सफलता, पैसा और आराम पाने की दौड़ में लगे रहते हैं, लेकिन इस पाठ से यह सीख मिलती है कि सच्ची सफलता तब है जब हम दूसरों को कुछ दे सकें। जब ईश्वर हमें मुकाम और समृद्धि प्रदान करते हैं, तो केवल अपनी ज़रूरतों को बढ़ाना और पूरा करना ही पर्याप्त नहीं होता; हमें दूसरों की ज़रूरतों को भी समझकर उन्हें पूरा करने का प्रयास करना चाहिए। साथ ही, देने की क्षमता को भी बढ़ाना चाहिए।

समाज में बहुत कम लोग हैं जो बिल गेट्स जी की तरह निस्वार्थ भाव से दूसरों की मदद करते हैं। उनका उदाहरण यह स्पष्ट करता है कि सच्ची अमीरी केवल पैसों से नहीं होती, बल्कि उस धन को ज़रूरतमंदों की सहायता में लगाने से होती है। उन्होंने न केवल दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति होने का सम्मान प्राप्त किया, बल्कि अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा दान में देकर यह सिखाया कि सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है।

देने का ज़ज्बा एक ऐसा भाव है जो इंसान को वास्तव में "बड़ा" बनाता है। मदद केवल पैसों से नहीं होती —
कभी-कभी किसी की बात को ध्यान से सुनना, उसे समझना और साथ देना भी बहुत बड़ी मदद होती है।

आज के समय में, यदि हम किसी को थोड़ा-सा समय भी दे दें और उससे उन्हें थोड़ी-सी भी खुशी मिले, तो वह भी एक अनमोल उपहार है।

मुझे लगता है कि देने के लिए अमीर होना जरूरी नहीं है, बल्कि देने के लिए बस एक ऐसा दिल चाहिए जो दूसरों का दर्द समझ सके।

जब हम बिना किसी स्वार्थ के किसी की मदद करते हैं, तो उस देने में एक अलग ही सुकून होता है — जैसे कोई दीपक, जो दूसरों को रोशनी देता है और खुद जलता रहता है।

मुझे याद है, जब मैंने किसी ज़रूरतमंद की मदद की थी — वह खुशी मेरे भीतर गहराई तक उतर गई थी। उस एक पल ने मुझे सिखाया कि देने से कुछ घटता नहीं, बल्कि हमारा मन एक गहरी आत्मिक संतुष्टि से भर जाता है।

देने का ज़ज्बा मतलब:

  • अपने स्वार्थ से ऊपर उठना,

  • किसी अनजान के लिए रुक जाना,

  • और अपनी सीमाओं को पार करके किसी और को उम्मीद देना।

And that is enough.

To give is enough.
To care is enough...
Swati



Friday, 13 June 2025

मुस्कान बाँटने का सुख: खुशियाँ देना ही सच्ची खुशी है - Swati

 

दूसरों को खुशियाँ देना एक बहुत ही beautiful feeling होती है। जब हम किसी और को smile देते हैं, मदद करते हैं, या उनके दुःख में साथ देते हैं — उन्हें ही खुशी नहीं होती, बल्कि हम खुद भी अंदर से happy महसूस करते हैं।

हमारी छोटी-छोटी बातें, जैसे किसी की तारीफ़ करना, किसी का सहारा बनना, या सिर्फ़ किसी की बातों को ध्यान से सुनना — ऐसा करने से भी दूसरे इंसान को खुशी मिलती है। ऐसा करने से हम किसी का दिन bright बना सकते हैं। ऐसे society में positive energy फैलती है और हम सब का जीवन और बेहतर बनता है। दूसरों को खुश करने के लिए बहुत बड़ी चीज़ों की ज़रूरत नहीं होती। एक thank you, एक प्यारी सी smile या एक helping hand भी मायने रखता है। इस पाठ से सीख मिलती है कि —

  • सच्ची खुशी बाँटने में है। जो हम दूसरों को देंगे, वही हमें वापस मिलेगा। और इस दुनिया को अच्छा बनाने का सबसे आसान तरीका है — किसी के face पर एक छोटी सी smile ले आना।

जब हम दूसरों को खुश करते हैं, तो असल में हम अपने मन को भी peaceful और joyful बनाते हैं। इसलिए हमें हमेशा कोशिश करनी चाहिए कि हम दूसरों की मदद करें, प्यार दें, और positive सोच फैलाएँ। यही एक अच्छा समाज और अच्छा इंसान बनाता है।

"The biggest service is bringing a smile to someone's face." 😊

Swati

Monday, 21 June 2021

कोरोना काल में सेवा - भावेश चौधरी

कोरोना काल में सेवा
मेरा नाम भावेश चौधरी है। 21 मार्च 2020 सम्पूर्ण भारत में लॉकडाउन हो चुका था। धीरे - धीरे कोरोनावायरस देश दुनिया में अपने पैर पसार चुका था।स्काउट गाइड में होने के नाते मैंने अपने गांव में दो महीने ड्यूटी की। सब के घर घर जाकर पैसे इकट्ठे किए और उन पैसों से कपड़े के मास्क बनाए। फिर हमने 5500 मास्क बनाए और घर - घर जाकर मास्क वितरित किए। साथ ही सबको कहा कि जब भी आप घर से बाहर निकलेंगे तो मास्क पहनकर निकलेंगे। हमने कुत्तों के लिए बिस्किट और गायों के लिए चारा की व्यवस्था की। उसके बाद मैंने बैंक में भी ड्यूटी की थी। बैंक में 2 मीटर की दूरी बनवाना, एक-एक करके अंदर जाने देना आदि निर्देश देते थे। हम सुबह 7:00 बजे से लेकर शाम को 5:00 बजे तक ड्यूटी करते थे। मैंने लुणावा ग्राम पंचायत में भी ड्यूटी की और वहां पर भी हमने कोरोना के गाइडलाइन का पालन करवाया। हमने हमारे गांव में सैनिटाइजर का उपयोग करना बताया।

लुणावा में कांटेश्वर महादेव मंदिर के पास एक घर था, वहां पर एक व्यक्ति पॉजिटिव आया था। उनके घर वालों को हमने खाने का सामान, पानी का टैंकर आदि की व्यवस्था करवाई थी। उसके बाद हमने बाली में ' नो मास्क नो एंट्री' की रैली में भाग लिया और सब दुकानों पर कोरोना जागरूकता के पोस्टर लगाए जिससे लोग जागरूक हो सके। हमने आलू और पूरी भोजन की व्यवस्था करवाई और पैकेट बंद करके गरीबों तक पहुंचाया और इस तरह से हमने इस मुश्किल घड़ी में जरूरतमंदों की सेवा की।

Bhavesh Sirvi
Class - X
The Fabindia School

Reflections Since 2021