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Sunday, 27 July 2025

एक ओंकार की गूंज: गुरु नानक देव जी की आत्मिक यात्रा - साक्षी पाल

"नाम जपो, सेवा करो, मानवता की राह पर चलो"

Episode 19 को देखकर मुझे यह महसूस हुआ कि गुरु नानक देव जी सिर्फ एक धार्मिक गुरु नहीं थे, बल्कि वे मानवता, एकता और सच्चाई के प्रतीक थे। उन्होंने अपनी यात्राओं के माध्यम से न सिर्फ़ लोगों को ईश्वर के बारे में बताया, बल्कि समाज में फैले भेदभाव, अंधविश्वास और झूठे रिवाजों को भी चुनौती दी। इस एपिसोड में दिखाए गए ऐतिहासिक स्थल, जो आज पाकिस्तान में स्थित हैं, यह दर्शाते हैं कि भले ही समय बदल गया है, पर गुरु जी का संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है

"ना कोई हिन्दू, ना कोई मुस्लिम" — इस विचार के द्वारा उन्होंने धर्मों के बीच की दीवारें तोड़ी और इंसानियत को सबसे ऊपर रखा।

यह एपिसोड हमें यह याद दिलाता है कि सच्चा धर्म वही है, जो प्रेम, सेवा और सच्चाई पर आधारित हो। गुरु जी ने सिखाया कि "ईश्वर मंदिर या मस्जिद में नहीं, बल्कि हर जीव में है।" आज की दुनिया में, जहाँ धर्म के नाम पर मतभेद और संघर्ष देखने को मिलते हैं, वहाँ गुरु नानक देव जी का Universal संदेश एक प्रकाशपुंज की तरह है।यह एपिसोड केवल इतिहास नहीं दिखाता, बल्कि आत्मा को भी छूता है। यह मात्र एक दृश्य यात्रा नहीं, बल्कि आत्मा की यात्रा थी।

"वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरु जी की फतेह!"
"जहां एक ओंकार की गूंज हो, वहां नफ़रत की कोई जगह नहीं होती!"

– साक्षी पाल





विनम्रता की छाप: गुरु नानक जी की शिक्षाओं से जीवन का मार्ग - साक्षी खन्ना

 

"अच्छा प्रभाव", अर्थात विनम्रता की छाप, एक ऐसा विषय है जो सीधे हमारे हृदय और व्यवहार से जुड़ा है। इस एपिसोड को सुनकर यह स्पष्ट हो गया कि गुरु नानक देव जी की यात्राएँ केवल शारीरिक नहीं थीं, बल्कि वे आत्मा की यात्रा और मानवता के मार्गदर्शन का प्रतीक थीं। गुरु नानक देव जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्चा बल दिखावे में नहीं, बल्कि विनम्रता में होता है। जब इंसान अपने ज्ञान, पद या सफलता के कारण अहंकार में डूब जाता है, तब वह दूसरों से दूर हो जाता है। लेकिन जो व्यक्ति विनम्र होता है, वह सभी के दिलों में स्थान बना लेता है।

अमरदीप सिंह जी ने जब गुरु नानक जी के व्यवहार और उनके सच्चे प्रेम को साझा किया, तब मुझे यह समझ आया कि आज के समय में भी विनम्रता कितनी आवश्यक है। विनम्रता कोई कमजोरी नहीं, बल्कि यह एक ऐसा गुण है जो व्यक्ति को भीतर से मजबूत बनाता है। यह हमें सुनना सिखाती है, समझना सिखाती है और दूसरों की भावनाओं का सम्मान करना सिखाती है।

मेरे मन के विचार:

इस एपिसोड ने मुझे स्वयं के विचारों पर सोचने के लिए प्रेरित किया।
क्या मैं भी इतनी विनम्र हूं कि हर किसी को आदरपूर्वक सुन सकूं?
क्या मैं अपने शब्दों और कर्मों से दूसरों को सम्मान दे पाती हूं?
यह सत्र मेरे लिए एक आईने की तरह था, जिसमें मैंने खुद को देखा — और यह जाना कि मुझे स्वयं को और बेहतर बनाने की आवश्यकता है।

गुरु नानक देव जी की शिक्षाएँ समय की सीमाओं से परे हैं।
आज भी यदि हम उनके बताए मार्ग — सेवा, विनम्रता और सच्चाई — पर चलें, तो हमारा जीवन न केवल सुंदर और शांतिपूर्ण, बल्कि सार्थक भी बन सकता है।

निष्कर्ष:

विनम्र प्रभाव केवल एक विचार नहीं, बल्कि एक जीवन शैली है। इसे अपनाकर हम समाज में प्रेम, सहिष्णुता और शांति का संचार कर सकते हैं। इस एपिसोड ने मेरे मन पर गहरी छाप छोड़ी — जो मुझे सदा याद दिलाएगी कि सच्चा इंसान वही है जिसमें विनम्रता हो।

"ईश्वर के सामने सब समान हैं — कोई ऊँचा-नीचा नहीं।"
इंसान को अपने अहंकार को त्यागकर विनम्र होना चाहिए।

"सेवा भाव से जीना — दूसरों की सेवा करना बिना किसी घमंड के — यही सच्ची भक्ति है।"

गुरु नानक देव जी ने बार-बार कहा कि —

ईश्वर के निकट वही पहुँच सकता है, जो अपने अहंकार को त्याग देता है।

— साक्षी खन्ना



Tuesday, 22 July 2025

देने का जज़्बा – एक छोटी मदद, एक बड़ा असर - सिमरन कौर

मैंने इस पाठ से यह सीखा है कि अगर कोई व्यक्ति किसी काम को करने में असमर्थ हो और उसे मदद की ज़रूरत हो, तो हमें उसकी मदद ज़रूर करनी चाहिए। दूसरों की सहायता करने से न केवल सामने वाले को राहत मिल ती है, बल्कि हमारे अपने मन को भी संतुष्टि और सच्ची खुशी मिलती है।मान लीजिए हमारे पास बहुत सारा पैसा है, और एक व्यक्ति हमारे पास आकर कहता है कि उसे अपने बच्चे के स्कूल में दाखिले के लिए पैसों की ज़रूरत है। ऐसे समय पर हमारे अंदर उसकी सहायता करने का साहस और जज़्बा होना चाहिए। अगर हमने उसे मदद कर दी, तो न सिर्फ वह बच्चा स्कूल जा सकेगा, बल्कि उसके माता-पिता को भी अपार खुशी मिलेगी।

हमारी एक छोटी सी सहायता एक बच्चे को शिक्षा पाने का अवसर दिला सकती है। वह बच्चा जब पढ़-लिखकर एक अच्छा इंसान बनता है, तो वह खुद, उसके माता-पिता और पूरा समाज उससे प्रेरित हो सकता है। कई बार किसी गरीब पिता को बेटे की फीस भरने के लिए उधार लेना पड़ता है। ऐसे में यदि कोई उसे मदद कर दे, तो वह बच्चा स्कूल में पढ़ सकता है। और यही बच्चा आगे चलकर जब सफल होता है, तो उसके माता-पिता को भी गर्व होता है।

इसलिए, हमें कभी भी दूसरों की मदद करने से पीछे नहीं हटना चाहिए। क्या पता हमारी एक छोटी-सी मदद किसी की जिंदगी बदल दे। दूसरों की मदद करना एक महान जज़्बा होता है। यह किसी बड़े दान या संपत्ति से नहीं, बल्कि दिल की भावना से जुड़ा होता है। किसी की छोटी-छोटी समस्याओं का समाधान करना या उनकी मदद करना एक सच्चे, अच्छे इंसान की पहचान है। इसलिए जब भी किसी को आपकी ज़रूरत हो, तो उसकी मदद ज़रूर करें। हमारी की हुई छोटी-सी सहायता किसी की जिंदगी को खुशनुमा बना सकती है।

 सिमरन कौर, Arthur Foot Academy

Thursday, 17 July 2025

😊 देने का ज़ज्बा 😊 — Swati

 

इस पाठ को पढ़कर मेरे मन में अनेक विचार जागे। हम अक्सर जीवन में सफलता, पैसा और आराम पाने की दौड़ में लगे रहते हैं, लेकिन इस पाठ से यह सीख मिलती है कि सच्ची सफलता तब है जब हम दूसरों को कुछ दे सकें। जब ईश्वर हमें मुकाम और समृद्धि प्रदान करते हैं, तो केवल अपनी ज़रूरतों को बढ़ाना और पूरा करना ही पर्याप्त नहीं होता; हमें दूसरों की ज़रूरतों को भी समझकर उन्हें पूरा करने का प्रयास करना चाहिए। साथ ही, देने की क्षमता को भी बढ़ाना चाहिए।

समाज में बहुत कम लोग हैं जो बिल गेट्स जी की तरह निस्वार्थ भाव से दूसरों की मदद करते हैं। उनका उदाहरण यह स्पष्ट करता है कि सच्ची अमीरी केवल पैसों से नहीं होती, बल्कि उस धन को ज़रूरतमंदों की सहायता में लगाने से होती है। उन्होंने न केवल दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति होने का सम्मान प्राप्त किया, बल्कि अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा दान में देकर यह सिखाया कि सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है।

देने का ज़ज्बा एक ऐसा भाव है जो इंसान को वास्तव में "बड़ा" बनाता है। मदद केवल पैसों से नहीं होती —
कभी-कभी किसी की बात को ध्यान से सुनना, उसे समझना और साथ देना भी बहुत बड़ी मदद होती है।

आज के समय में, यदि हम किसी को थोड़ा-सा समय भी दे दें और उससे उन्हें थोड़ी-सी भी खुशी मिले, तो वह भी एक अनमोल उपहार है।

मुझे लगता है कि देने के लिए अमीर होना जरूरी नहीं है, बल्कि देने के लिए बस एक ऐसा दिल चाहिए जो दूसरों का दर्द समझ सके।

जब हम बिना किसी स्वार्थ के किसी की मदद करते हैं, तो उस देने में एक अलग ही सुकून होता है — जैसे कोई दीपक, जो दूसरों को रोशनी देता है और खुद जलता रहता है।

मुझे याद है, जब मैंने किसी ज़रूरतमंद की मदद की थी — वह खुशी मेरे भीतर गहराई तक उतर गई थी। उस एक पल ने मुझे सिखाया कि देने से कुछ घटता नहीं, बल्कि हमारा मन एक गहरी आत्मिक संतुष्टि से भर जाता है।

देने का ज़ज्बा मतलब:

  • अपने स्वार्थ से ऊपर उठना,

  • किसी अनजान के लिए रुक जाना,

  • और अपनी सीमाओं को पार करके किसी और को उम्मीद देना।

And that is enough.

To give is enough.
To care is enough...
Swati



Friday, 13 June 2025

मुस्कान बाँटने का सुख: खुशियाँ देना ही सच्ची खुशी है - Swati

 

दूसरों को खुशियाँ देना एक बहुत ही beautiful feeling होती है। जब हम किसी और को smile देते हैं, मदद करते हैं, या उनके दुःख में साथ देते हैं — उन्हें ही खुशी नहीं होती, बल्कि हम खुद भी अंदर से happy महसूस करते हैं।

हमारी छोटी-छोटी बातें, जैसे किसी की तारीफ़ करना, किसी का सहारा बनना, या सिर्फ़ किसी की बातों को ध्यान से सुनना — ऐसा करने से भी दूसरे इंसान को खुशी मिलती है। ऐसा करने से हम किसी का दिन bright बना सकते हैं। ऐसे society में positive energy फैलती है और हम सब का जीवन और बेहतर बनता है। दूसरों को खुश करने के लिए बहुत बड़ी चीज़ों की ज़रूरत नहीं होती। एक thank you, एक प्यारी सी smile या एक helping hand भी मायने रखता है। इस पाठ से सीख मिलती है कि —

  • सच्ची खुशी बाँटने में है। जो हम दूसरों को देंगे, वही हमें वापस मिलेगा। और इस दुनिया को अच्छा बनाने का सबसे आसान तरीका है — किसी के face पर एक छोटी सी smile ले आना।

जब हम दूसरों को खुश करते हैं, तो असल में हम अपने मन को भी peaceful और joyful बनाते हैं। इसलिए हमें हमेशा कोशिश करनी चाहिए कि हम दूसरों की मदद करें, प्यार दें, और positive सोच फैलाएँ। यही एक अच्छा समाज और अच्छा इंसान बनाता है।

"The biggest service is bringing a smile to someone's face." 😊

Swati

Monday, 21 June 2021

कोरोना काल में सेवा - भावेश चौधरी

कोरोना काल में सेवा
मेरा नाम भावेश चौधरी है। 21 मार्च 2020 सम्पूर्ण भारत में लॉकडाउन हो चुका था। धीरे - धीरे कोरोनावायरस देश दुनिया में अपने पैर पसार चुका था।स्काउट गाइड में होने के नाते मैंने अपने गांव में दो महीने ड्यूटी की। सब के घर घर जाकर पैसे इकट्ठे किए और उन पैसों से कपड़े के मास्क बनाए। फिर हमने 5500 मास्क बनाए और घर - घर जाकर मास्क वितरित किए। साथ ही सबको कहा कि जब भी आप घर से बाहर निकलेंगे तो मास्क पहनकर निकलेंगे। हमने कुत्तों के लिए बिस्किट और गायों के लिए चारा की व्यवस्था की। उसके बाद मैंने बैंक में भी ड्यूटी की थी। बैंक में 2 मीटर की दूरी बनवाना, एक-एक करके अंदर जाने देना आदि निर्देश देते थे। हम सुबह 7:00 बजे से लेकर शाम को 5:00 बजे तक ड्यूटी करते थे। मैंने लुणावा ग्राम पंचायत में भी ड्यूटी की और वहां पर भी हमने कोरोना के गाइडलाइन का पालन करवाया। हमने हमारे गांव में सैनिटाइजर का उपयोग करना बताया।

लुणावा में कांटेश्वर महादेव मंदिर के पास एक घर था, वहां पर एक व्यक्ति पॉजिटिव आया था। उनके घर वालों को हमने खाने का सामान, पानी का टैंकर आदि की व्यवस्था करवाई थी। उसके बाद हमने बाली में ' नो मास्क नो एंट्री' की रैली में भाग लिया और सब दुकानों पर कोरोना जागरूकता के पोस्टर लगाए जिससे लोग जागरूक हो सके। हमने आलू और पूरी भोजन की व्यवस्था करवाई और पैकेट बंद करके गरीबों तक पहुंचाया और इस तरह से हमने इस मुश्किल घड़ी में जरूरतमंदों की सेवा की।

Bhavesh Sirvi
Class - X
The Fabindia School

Reflections Since 2021