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Sunday, 19 October 2025

गुरु नानक देव जी: सत्य, समानता और करुणा की गाथा — Simran Kaur

गुरु नानक देव जी का जीवन सत्य, समानता और करुणा की अमर गाथा है। उन्होंने हमें सिखाया कि सच्चा धर्म इंसानियत में है—जब हम दूसरों की सेवा करते हैं, सभी के साथ प्रेम और आदर का व्यवहार करते हैं, तभी हम ईश्वर के निकट पहुँचते हैं। उनका संदेश केवल धार्मिक नहीं, बल्कि मानव जीवन का आदर्श मार्ग है।

उन्होंने कहा—
"ना कोई हिन्दू, ना मुसलमान—सब मनुष्य एक ही प्रभु की संतान हैं।"

यह विचार हमें याद दिलाता है कि हर व्यक्ति में वही ज्योति है जो ईश्वर में है। जब हम किसी के प्रति भेदभाव करते हैं, तो हम उस दिव्यता को ठुकराते हैं। आज के युग में, जब समाज में विभाजन, ईर्ष्या और प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है, गुरु नानक देव जी का यह संदेश पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है।

अगर हम उनके बताए मार्ग पर चलें—सच बोले, मेहनत करें, और ईमानदारी से बाँटकर खाएं (कीरत करो, नाम जपो, वंड छको), तो निश्चित ही जीवन में शांति, संतोष और सुख की प्राप्ति होती है। उनकी शिक्षाएँ हमें यह सिखाती हैं कि शिक्षा केवल ज्ञान प्राप्त करने का माध्यम नहीं, बल्कि अच्छे इंसान बनने का साधन है।

गुरु नानक देव जी का प्रकाश हम सबके हृदय में उजाला फैलाए, और हमें प्रेरित करे कि हम अपने जीवन से दूसरों के जीवन में भी उजाला बाँटें।

"जहाँ करुणा है, वहीं ईश्वर है।
जहाँ प्रेम है, सच्ची उपासना है।"

— Simran Kaur, Arthur Foot Academy

लिहाज़-ए-इंसानियत (मानवता का सम्मान) — साक्षी पाल

 गुरु नानक देव जी का जीवन और उनकी यात्राएँ मानवता के सर्वोच्च आदर्शों का प्रतीक हैं। यह एपिसोड "लिहाज़-ए-इंसानियत (मानवता का सम्मान)" हमें यह सिखाता है कि ईश्वर की सच्ची उपासना मंदिरों या गुरुद्वारों में नहीं, बल्कि इंसान के हृदय में बसती है।

गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन से यह उदाहरण दिया कि सभी मनुष्य समान हैं। किसी की जाति, धर्म, भाषा या वेशभूषा से नहीं, बल्कि उसके कर्म और भावना से उसकी पहचान होती है। उन्होंने समाज में फैली ऊँच-नीच और भेदभाव की दीवारों को तोड़ते हुए सबको प्रेम, एकता और करुणा का संदेश दिया। इस एपिसोड में अमरदीप सिंह जी द्वारा की गई प्रस्तुति अत्यंत प्रेरणादायक है। उनके शब्दों और दृश्यों के माध्यम से हमें एहसास होता है कि गुरु नानक देव जी के उपदेश केवल इतिहास नहीं, बल्कि आज के युग की भी आवश्यकताएँ हैं।

आज जब दुनिया विभाजन, असहिष्णुता और स्वार्थ से घिरी है, तब यह संदेश पहले से भी अधिक प्रासंगिक हो जाता है। गुरु नानक जी ने कहा था—"ना कोई हिंदू, ना कोई मुसलमान, सब इंसान हैं।" यही वाक्य हमें सिखाता है कि मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है।

एपिसोड के दौरान दिखाई गई जगहों, गुरुद्वारों की शांति और श्रद्धा से भरे लोगों के चेहरे यह दर्शाते हैं कि प्रेम और सद्भाव का प्रकाश कभी मंद नहीं होता। यह श्रृंखला हमें आत्मचिंतन करने का अवसर देती है—क्या हम अपने जीवन में उस प्रकाश को आगे बढ़ा पा रहे हैं?

मैंने सीखा कि मानवता ही सच्चा धर्म है। जब हम दूसरों के सुख-दुख को महसूस करते हैं और मदद करते हैं, तब हम ईश्वर के करीब आते हैं। सम्मान देना ही इंसानियत की पहचान है। किसी की स्थिति या मतभेद देखकर नहीं, बल्कि एक इंसान के रूप में उसका आदर करना आवश्यक है। सम्मान और करुणा से ही समाज में शांति स्थापित होती है।

आध्यात्मिकता का अर्थ केवल पूजा नहीं, बल्कि दूसरों के लिए भलाई करना है। यह एपिसोड हमें यह समझने में मदद करता है कि शिक्षा का उद्देश्य केवल बुद्धि का विकास नहीं, बल्कि चरित्र का निर्माण भी है। जब हम एक-दूसरे के साथ प्रेम, सहानुभूति और सम्मान से पेश आते हैं, तो हम न केवल बेहतर विद्यार्थी या शिक्षक बनते हैं, बल्कि बेहतर इंसान भी बनते हैं।

हमारे स्कूल समुदाय में जब बच्चे इस तरह की कहानियाँ सुनते हैं, तो उनमें नैतिकता, सहानुभूति और समाज के प्रति जिम्मेदारी की भावना विकसित होती है। यही Joy of Learning और Joy of Giving है।

साक्षी पाल, आर्थर फुट अकादमी

इंसानियत सबसे बड़ा धर्म - साक्षी खन्ना

गुरु नानक देव जी का जीवन हमें सिखाता है कि इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है। उन्होंने अपने जीवन के हर कार्य में प्रेम, समानता और करुणा का संदेश दिया।

इस एपिसोड "लिहाज़-ए-इंसानियत" का अर्थ है दूसरों का आदर करना, उनकी भावनाओं की कदर करना और हर इंसान को बराबर मानना। गुरु नानक जी ने बताया है कि ईश्वर किसी एक धर्म, जाति या वर्ग में नहीं बसता, बल्कि हर जीव में मौजूद है। इसलिए जब हम किसी व्यक्ति का सम्मान करते हैं, उसकी मदद करते हैं या उसके प्रति दया दिखाते हैं, तो यह किसी पूजा से कम नहीं होता। सच्ची भक्ति वहीं है जो मानवता में दिखाई दे।

आज के समय में, जब लोग एक-दूसरे से दूर हो रहे हैं और समाज में भेदभाव बढ़ रहा है, तब गुरु नानक जी की यह सीख और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। यह एपिसोड हमें सिखाता है कि कोई भी बड़ा या छोटा नहीं होता; हर इंसान ईश्वर की रचना है। जब हम दूसरों के विचारों और भावनाओं का आदर करते हैं, तो हम दुनिया में शांति और भाइचारे का वातावरण बनाते हैं।

मानव जीवन की सबसे बड़ी खूबसूरती उसकी इंसानियत में छिपी होती है। गुरु नानक जी ने सिखाया कि इंसान को उसके धर्म, जाति, रूप या रंग से नहीं, बल्कि उसके स्वभाव और व्यवहार से जाना जाता है। और जब गुरु नानक जी अपनी यात्राओं पर निकले, तो उन्होंने हर देश और हर धर्म के व्यक्ति को एक ही बात कही—सबका मालिक एक है। उन्होंने बताया कि जब हम दूसरों की तकलीफ समझते हैं, उनकी मदद करते हैं और सबके साथ बराबरी का व्यवहार करते हैं, तभी सच्ची इबादत होती है।

साक्षी खन्ना, आर्थर फुट अकादमी

गुरु नानक देव जी के मुख्य सिद्धांत - रहिमा

इस पाठ से मैंने यह सीखा है कि गुरु नानक देव जी, सिख धर्म के प्रथम गुरु और संस्थापक, केवल एक धार्मिक गुरु ही नहीं थे, बल्कि वे समाज सुधारक, दार्शनिक और मानवता के मार्गदर्शक भी थे। उनका जीवन और उपदेश आज भी करोड़ों लोगों को प्रेरणा देते हैं। जब हम उनके जीवन पर चिंतन करते हैं, तो समझ में आता है कि उनका संदेश किसी एक धर्म या जाति तक सीमित नहीं था, बल्कि पूरी मानव जाति के लिए था।

गुरु नानक देव जी ने एक परमात्मा की एकता का संदेश दिया। उन्होंने बताया कि ईश्वर एक है और वह जाति, धर्म, या किसी भी भेदभाव से परे है। वे हमेशा कहते थे "इक ओंकार" — अर्थात् ईश्वर एक है और उसका वास हर जगह है। यह विचार हमें यह सिखाता है कि हम सब उसके ही अंश हैं और हमें एक-दूसरे के साथ प्रेम और भाईचारे से रहना चाहिए।

उस समय समाज जाति-पांति और ऊँच-नीच में बँटा हुआ था। गुरु नानक देव जी ने इसके खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने लंगर की परंपरा शुरू की, जहाँ हर कोई एक साथ बैठकर भोजन करता था, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का हो। इससे उन्होंने यह सिखाया कि ईश्वर की नज़र में सब समान हैं। यह समानता का संदेश आज भी पूरी दुनिया को प्रेरित करता है।

गुरु नानक देव जी ने तीन मुख्य सिद्धांत दिए—

  1. नाम जपना (Naam Japna): ईश्वर को हर पल याद करना।

  2. कीरत करनी (Kirat Karo): ईमानदारी से मेहनत करके जीवनयापन करना।

  3. वंड छकना (Vand Chhako): अपनी कमाई और खुशियाँ दूसरों के साथ बाँटना।

ये तीनों सिद्धांत आज भी हमारे जीवन को सरल, शांतिपूर्ण और सार्थक बना सकते हैं।

गुरु नानक देव जी करुणा और सेवा की मूर्ति थे। उन्होंने दूर-दूर तक यात्राएँ कीं, न कि नाम या दौलत के लिए, बल्कि सच्चाई और प्रेम का संदेश फैलाने के लिए। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि महानता पद या शक्ति में नहीं, बल्कि विनम्रता और सेवा में है।

आज की दुनिया, जहाँ लोग धर्म, जाति और भौतिक इच्छाओं में बँटे हुए हैं, वहाँ गुरु नानक देव जी की शिक्षा आशा की किरण है। उनका संदेश है कि हम इंसानियत को एक परिवार की तरह देखें, नफ़रत की जगह प्रेम फैलाएँ, स्वार्थ की जगह सेवा करें और अहंकार की जगह विनम्रता अपनाएँ।

गुरु नानक देव जी पर चिंतन करना वास्तव में मानवता पर चिंतन करना है। उनका संदेश समय से परे है। अगर हम उनके विचारों को अपने जीवन में अपनाएँ, तो न सिर्फ़ अपनी ज़िंदगी को बेहतर बना सकते हैं, बल्कि समाज और दुनिया में शांति और सद्भाव भी ला सकते हैं।

-रहिमा, आर्थर फुट अकादमी

Saturday, 11 October 2025

गुरु नानक देव जी की जीवन यात्रा से प्रेरणा - गुलाबी


गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन में चार प्रमुख यात्राएँ कीं, जिन्हें उदासियाँ कहा जाता है। इन यात्राओं का उद्देश्य विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों और समाजों में जाकर ईश्वर का संदेश फैलाना था।

  • पहली उदासी: उत्तर और पूर्वी भारत में हुई, जिसमें उन्होंने हरिद्वार, बनारस, पटना, गया जी और जगन्नाथ पुरी जैसे महत्वपूर्ण स्थानों का दौरा किया।

  • दूसरी उदासी: दक्षिण भारत और श्रीलंका में हुई, जिसमें उन्होंने आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और श्रीलंका के विभिन्न हिस्सों में भ्रमण किया।

  • तीसरी उदासी: अफगानिस्तान और फारस (वर्तमान ईरान) की यात्रा की, जिसमें उन्होंने मुस्लिम धार्मिक विद्वानों और सूफी संतों से संवाद किया।

  • चौथी उदासी: इस यात्रा के दौरान उन्होंने तिब्बत, चीन और अन्य क्षेत्रों का भ्रमण किया।

गुरु नानक देव जी की शिक्षाएँ और जीवन यात्रा आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं, और उनकी विरासत सिख धर्म के रूप में जीवित है। गुरु नानक देव जी की जीवन यात्रा और उनके उपदेशों का आधुनिक जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। उनकी शिक्षाएँ हमें अखंडता, समानता और मानवता के महत्व को समझने में मदद करती हैं।

गुरु नानक देव जी के जीवन से हमें निम्नलिखित महत्वपूर्ण सबक मिलते हैं:

  • समानता और भाईचारा: गुरु नानक देव जी ने जाति, धर्म और लिंग के आधार पर भेदभाव को समाप्त करने का संदेश दिया। उन्होंने लंगर की परंपरा शुरू की, जिसमें सभी लोग बिना किसी भेदभाव के एक साथ बैठकर भोजन करते हैं।

  • मानवता की सेवा: गुरु नानक देव जी ने मानवता की सेवा को बहुत महत्व दिया। उन्होंने लोगों को दूसरों की मदद करने और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रेरित किया।

  • विनम्रता और सहिष्णुता: गुरु नानक देव जी ने विनम्रता और सहिष्णुता के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने लोगों को दूसरों के साथ प्रेम और सम्मान से पेश आने की शिक्षा दी।

  • आध्यात्मिक ज्ञान: गुरु नानक देव जी ने आध्यात्मिक ज्ञान के महत्व पर बल दिया। उन्होंने लोगों को ईश्वर के नाम का जप करने और कीर्तन करने के लिए प्रेरित किया।

  • सामाजिक सुधार: गुरु नानक देव जी ने समाज में व्याप्त कुरीतियों और पाखंडों का विरोध किया। उन्होंने महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज उठाई और जाति प्रथा का विरोध किया।

इन शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाकर, हम एक बेहतर और अधिक समरस समाज का निर्माण कर सकते हैं। गुरु नानक देव जी की जीवन यात्रा और उनके उपदेश हमें प्रेरित करते हैं कि हम अपने समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए कार्य करें और एक-दूसरे के साथ प्रेम और सम्मान से पेश आएँ।

गुलाबी, सनबीम ग्रामीण स्कूल  

Monday, 6 October 2025

क्षमा का महत्व और जीवन में उसका अमूल्य स्थान - साक्षी खन्ना

क्षमा इंसान के जीवन का सबसे सुंदर आभूषण है। यह हमें नफ़रत से दूर ले जाकर प्रेम और करुणा से जोड़ती है। जब हम किसी की गलती को माफ़ कर देते हैं, तो हम केवल उसका अपराध ही नहीं मिटाते, बल्कि अपने दिल की कड़वाहट भी समाप्त कर देते हैं।

क्षमा करने से रिश्ते टूटने के बजाय और मज़बूत हो जाते हैं। यह हमें सिखाती है कि इंसान गलती कर सकता है और हर गलती को सुधार सकता है। अगर हम दूसरों को क्षमा करेंगे, तभी हमें भी अपने जीवन में क्षमा पाने का अधिकार होगा।

क्षमा का भाव आत्मा को निर्मल करता है। यह मनुष्य को विनम्र, सहनशील और उदार बनाता है। वास्तव में क्षमा ही वह गुण है, जो मनुष्य को मानवता के उच्चतम स्तर तक ले जाता है।

जीवन में सभी से गलतियाँ होती हैं—कभी हमसे, तो कभी दूसरों से। यदि हर गलती को पकड़कर हम अपने मन में बोझ रखें, तो रिश्ते टूटने लगते हैं और मन अशांत हो जाता है। लेकिन जब हम क्षमा करना सीखते हैं, तब हमारे रिश्तों में मिठास और विश्वास बढ़ता है। क्षमा दुर्बलता की निशानी नहीं, बल्कि यह तो साहस और आत्मबल का प्रतीक है। यह वह गुण है, जो इंसान को महान बनाता है। क्षमा से हम अतीत की कड़वाहट से निकलकर वर्तमान में खुश रहना सीखते हैं।

इसलिए हमें जीवन में क्षमा को अपनाना चाहिए, ताकि हम न केवल दूसरों को बल्कि स्वयं को भी हल्का और शांत बना सकें।

साक्षी खन्ना, आर्थर फ़ुट अकैडमी

क्षमा : सच्ची शक्ति और जीवन का अमूल्य गुण - ललिता पाल

 

"क्षमा" अध्याय हमें यह सिखाता है कि सच्ची शक्ति किसी को दंड देने में नहीं, बल्कि उसे क्षमा करने में होती है। क्षमा ऐसा गुण है जो मनुष्य को देवताओं के स्तर तक पहुँचा देता है। यह केवल दूसरों को माफ़ करना ही नहीं, बल्कि अपने भीतर के क्रोध, द्वेष और नफ़रत को मिटाकर आत्मिक शांति प्रदान करता है।

इस अध्याय में बताया गया है कि जो व्यक्ति दूसरों की गलती को समझकर उन्हें क्षमा करता है, वह वास्तव में महान होता है, क्योंकि क्षमा करना आसान नहीं होता। इसके लिए हृदय की विशालता, धैर्य और समझदारी चाहिए। जब हम किसी को माफ़ करते हैं, तब न केवल सामने वाला हल्का महसूस करता है, बल्कि हमारा मन भी शांत और निर्मल हो जाता है।

क्षमा का अर्थ यह नहीं कि हम अन्याय या गलतियों को स्वीकार कर लें, बल्कि इसका मतलब यह है कि हम द्वेष और प्रतिशोध की भावना से ऊपर उठें। महात्मा गांधी ने भी कहा था—
"कमज़ोर कभी क्षमा नहीं कर सकते, क्षमा करना तो मज़बूत का गुण है।"

यह विचार हमें प्रेरित करता है कि जीवन में कितनी भी कठिन परिस्थितियाँ आएँ, हमें अपने हृदय में दया, करुणा और क्षमा की भावना बनाए रखनी चाहिए। क्षमा का गुण हमारे संबंधों को मज़बूत बनाता है और समाज में प्रेम व शांति फैलाता है। यदि हर व्यक्ति अपने भीतर क्षमा का भाव जाग्रत कर ले, तो दुनिया में नफ़रत, हिंसा और झगड़ों की जगह प्रेम और सौहार्द का वातावरण बन सकता है।

क्षमा वह दीपक है, जो अंधकार मिटाकर जीवन को प्रकाशमय बना देता है। जो व्यक्ति क्षमा करना सीख लेता है, वह वास्तव में जीवन का सबसे बड़ा विजेता बन जाता है।

ललिता पाल, आर्थर फ़ुट अकैडमी

क्षमा का अमूल्य महत्व - स्वाति

मनुष्य जीवन में सबसे कठिन लेकिन सबसे सुंदर गुण क्षमा है। जब कोई हमें चोट पहुँचाता है, चाहे शब्दों से, कर्मों से या व्यवहार से, हमारा दिल टूट जाता है और गुस्सा मन को जकड़ लेता है। परंतु यदि हम हमेशा बदले की भावना में जीते रहें, तो मन में शांति कभी नहीं आ सकती। लेकिन जब हम किसी इंसान को क्षमा कर देते हैं, तो सबसे पहले हमें खुद ही अपने मन में हल्का महसूस होता है। जैसे कोई बड़ा बोझ हमारे मन से उतर गया हो और एक अलग ही सुकून मिल गया हो।

क्षमा का मतलब यह नहीं कि हम भूल जाएँ कि किसने हमें दुःख दिया, बल्कि इसका अर्थ यह है कि हम अपने हृदय में उस पीड़ा और उस व्यक्ति के प्रति नफरत को जगह नहीं देते। क्षमा करने वाला इंसान सच में बड़ा और महान होता है, क्योंकि वह अपने गुस्से को अपने मन से निकाल देता है।

मुझे लगता है कि क्षमा केवल दूसरों के लिए ही नहीं बल्कि अपने लिए भी जरूरी है। जब हम गलती करें, तो हमें खुद को भी क्षमा करना आना चाहिए। बार-बार अपने ही दोषों में फँसकर पछताने से बेहतर है कि उन्हें स्वीकार करें, उनसे सीख लें और स्वयं को क्षमा कर आगे बढ़ें।

क्षमा हमें दया, करुणा और प्रेम की ओर ले जाती है। यह रिश्तों को जोड़ती है, टूटे हुए दिलों को संवारती है और इंसान को मन से महान बनाती है। बिना किसी को क्षमा किए कोई भी रिश्ता ज्यादा समय तक नहीं टिक सकता। इसलिए मेरे लिए क्षमा जीवन का एक अमूल्य रत्न है, जिसे हर इंसान को अपनाना चाहिए। क्षमा करने से हम न केवल दूसरों के लिए बड़े बनते हैं, बल्कि खुद के लिए भी सच्ची शांति और आनंद पाते हैं।

स्वाति, आर्थर फ़ुट अकैडमी

Wednesday, 17 September 2025

गुरु नानक देव जी की यात्राओं से जीवन के मूल्यों की सीख- Swati

"Allegory - The Tapestry of Guru Nanak Travels" को देखकर मेरे मन में यह विचार आता है कि यह केवल एक ऐतिहासिक कार्यक्रम नहीं है, बल्कि इसमें जीवन जीने का तरीका और सोचने का दृष्टिकोण छिपा है। गुरु नानक देव जी की यात्राएँ हमें सिखाती हैं कि इंसान को केवल अपनी सीमाओं में बंधकर नहीं रहना चाहिए, बल्कि पूरे समाज को अपने परिवार की तरह देखना चाहिए।

मुझे सबसे ज़्यादा यह बात प्रभावित करती है कि जहाँ भी गुरु नानक देव जी गए, उन्होंने हर धर्म, जाति और भाषा के लोगों से बातचीत की। वह यह दिखाना चाहते थे कि ईश्वर तक पहुँचने वाला रास्ता सबके लिए समान है। इसमें कोई ऊँच-नीच नहीं है। आज जब दुनिया में भेदभाव, घृणा और विभाजन की घटनाएँ देखने को मिलती हैं, तो गुरु नानक देव जी का संदेश और भी ज़्यादा प्रेरित करता है।

गुरु नानक देव जी की यात्राओं से मैंने यह महसूस किया है, इस एपिसोड के माध्यम से, कि असली यात्रा बाहर की नहीं, बल्कि अपने मन के भीतर की होती है। बाहर की यात्रा हमें सिर्फ़ दुनिया दिखाती है, लेकिन भीतर की यात्रा हमें अपने मन और आत्मा से जोड़ती है। गुरु नानक देव जी की यात्राएँ हमें सोचने पर मजबूर करती हैं और सिखाती हैं कि हम अपने जीवन में कितनी सादगी, प्रेम और करुणा ला पाते हैं।

गुरु नानक देव जी की यात्राओं को जानकर मैंने यह समझा है कि जीवन का असली उद्देश्य केवल सफलता और पैसे कमाना नहीं है, बल्कि असली उद्देश्य है—एक अच्छा और सच्चा इंसान बनना, दूसरों की सेवा करना और ईश्वर को हर जगह देखना।

Swati
Arthur Foot Academy

Wednesday, 10 September 2025

गुरु नानक देव जी : एकता और समानता के प्रतीक - सनबीम ग्रामीण स्कूल

 

गुरु नानक देव जी और उनके बचपन के दोस्त भाई मरदाना जी। भाई मरदाना, जो गुरु नानक के बचपन के मित्र और पहले शिष्यों में से एक थे। भाई मरदाना सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी के पहले अनुयायी और जीवनभर के साथी थे। वे जन्म से मुस्लिम थे और संगीत के बहुत अच्छे जानकार थे। गुरु नानक देव जी के साथ उनकी लंबी यात्राओं में वे रबाब बजाकर गुरबानी (पवित्र भजन) गाते थे, जिससे उनके आध्यात्मिक संदेशों का प्रसार होता था। उन्हें रबाबी परंपरा का संस्थापक भी माना जाता है।

भाई मरदाना और गुरु नानक देव जी ने मक्का, मदीना, बगदाद, कराची, तिब्बत, कश्मीर, बंगाल, मणिपुर, श्रीलंका और दक्षिण भारत सहित कई देशों और उपमहाद्वीपों की आध्यात्मिक यात्राएँ कीं, जिन्हें 'उदासियाँ' कहा जाता है। इन यात्राओं में भाई मरदाना रबाब बजाते थे और गुरु नानक देव जी के साथ रहते थे।
नाम – शुभम पटेल

गुरु नानक देव जी को अखण्डता का प्रतीक माना जाता है क्योंकि उन्होंने अपने उपदेशों के माध्यम से समाज में एकता और समानता का संदेश फैलाया। आइए उनके कुछ प्रमुख योगदानों पर नज़र डालें:
एक ओंकार का संदेश: गुरु नानक देव जी ने "एक ओंकार" के माध्यम से यह संदेश दिया कि परमात्मा एक है और सभी मनुष्य उसके अंश हैं। इससे धार्मिक और सामाजिक भेदभाव से ऊपर उठकर लोगों में भाईचारा बढ़ा।
जाति-पाति और पाखंड का विरोध: गुरु नानक देव जी ने जाति-पाति और पाखंड का विरोध किया और सभी मनुष्यों की समानता पर जोर दिया।
लंगर के माध्यम से एकता: लंगर के माध्यम से गुरु नानक देव जी ने सभी को एक साथ भोजन करने के लिए प्रेरित किया, जिससे सामाजिक एकता को बढ़ावा मिला।
निस्वार्थ सेवा और करुणा: गुरु नानक देव जी ने निस्वार्थ सेवा और करुणा का उपदेश दिया, जिससे समाज में एकता और सौहार्द बढ़ा।

उनके इन उपदेशों से समाज को बेहतर बनाने की प्रेरणा मिली।
Name – Seema
Class – 8

Tuesday, 2 September 2025

दयालुता और सहानुभूति: जीवन की असली शक्ति - सनबीम ग्रामीण स्कूल

दयालुता का अर्थ है दूसरों के प्रति मित्रवत, उदार और विचारशील होने का गुण या भाव, जबकि सहानुभूति का अर्थ है दूसरों की भावनाओं को समझना और उन्हें साझा करने की क्षमता। सीधे शब्दों में कहे तो दयालुता एक बाहरी व्यवहार है जबकि सहानुभूति एक आंतरिक भावना और समझ है जो दयालुता को जन्म देती है। 
दयालुता:- यह एक ऐसा गुण है जो दूसरों के साथ व्यवहार करते समय गर्म जोशी, उदारता और विचारशीलता दर्शाता है।  आप दूसरों की भावनाओं या परिस्थितियों की समझ के बिना भी दयालु हो सकते हैं। 
नाम - नैंसी मौर्या 
कक्षा - 8

 "दया और सहानुभूति ही असली महाशक्ति है" एक विचार है जो मानता है कि दूसरों के प्रति दयालु होना और उनके अनुभवों से जुड़ना एक शक्तिशाली गुण है। यह गुण लोगों को गहराई से समझना, मजबूत रिश्ते बनाने और विश्वास व सहयोग को बढ़ावा देने में मदद करता है। सहानुभूति से प्रेरित व्यवहार एक सकारात्मक वातावरण बनता है जिससे व्यक्ति और समाज दोनों के लिए अधिक समय तक सफलता मिलती है। दयालुता और सहानुभूति वास्तव में शक्तिशाली भावनाएं हैं जो मनुष्य के भीतर से उत्पन्न होती हैं जो व्यक्तियों को सशक्त बनाती हैं ,और अधिक करुणामय और जुड़ा हुआ समाज बनती हैं। 
नाम -सीमा 
कक्षा -8

Friday, 15 August 2025

स्वयं बदलाव बनो - साक्षी खन्ना

"स्वयं बदलाव बनो" सिर्फ एक प्रेरणादायक वाक्य नहीं, बल्कि जीवन जीने का एक गहरा सिद्धांत है।

अक्सर हम समाज, माहौल और परिस्थितियों को बदलने की बातें करते हैं, लेकिन बदलाव की शुरुआत हमेशा हमारे भीतर से होती है। अगर हम चाहते हैं कि दुनिया में ईमानदारी, करुणा और न्याय हो, तो हमें पहले खुद में ये गुण लाने होंगे। यह सोच हमें जिम्मेदार बनाती है, क्योंकि जब हम अपने व्यवहार, सोच और दृष्टिकोण को बेहतर बनाते हैं, तो हमारे आसपास के लोग भी उससे प्रेरित होते हैं।

यह ठीक वैसा है जैसे एक दीपक जलाकर अंधेरे में रोशनी फैलाना—रोशनी की शुरुआत खुद से होती है और फिर धीरे-धीरे पूरे वातावरण को उजाला देती है। कभी-कभी यह रास्ता कठिन होता है, क्योंकि बदलाव का मतलब है अपनी पुरानी आदतों, सोच और डर को छोड़ना। लेकिन हर कदम—चाहे वह ईमानदारी से बोलना हो, दूसरों की मदद करना हो या गलत के खिलाफ खड़े होना—समाज में बड़ा असर डाल सकता है।

"स्वयं बदलाव बनो" एक आह्वान है अपने भीतर झांकने का और यह सोचने का कि हम किस तरह के समाज का सपना देखते हैं। अगर हम बदलाव चाहते हैं, तो हमें इंतजार करना छोड़कर खुद वह बदलाव बनना होगा—यही असली क्रांति है।

बदलाव आसान नहीं होता। अपनी पुरानी आदतें छोड़कर, डर का सामना कर, और सही के लिए खड़ा होने में साहस चाहिए। कभी-कभी लोग आपके बदलाव को नज़रअंदाज़ करेंगे, लेकिन याद रखिए—इतिहास में हर बड़ा बदलाव ऐसे ही व्यक्तियों से शुरू हुआ है, जिन्होंने कठिनाइयों के बावजूद अपनी राह चुनी।

जब हम स्वयं बदलाव बनते हैं, तो हमारा प्रभाव सिर्फ हमारे जीवन तक सीमित नहीं रहता; यह हमारे परिवार, दोस्तों और समुदाय में भी एक चिंगारी जला देता है।

साक्षी खन्ना

Saturday, 9 August 2025

विविधता में एकता का संदेश - Sakshi Khanna

 

🌸🌼 जब हम "रंगीन गुलदस्ता" की बात करते हैं तो यह केवल रंग-बिरंगे 🌼🌸 फूलों का एक गुच्छा नहीं है।

यह गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं, अनुभवों और यात्राओं के दौरान मिले विविध संस्कृतियों, भाषाओं और आस्थाओं के अद्भुत संगम का प्रतीक है। अमरदीप सिंह द्वारा प्रस्तुत Allegory: The Tapestry of Guru Nanak’s Travels के 20वें एपिसोड में यह स्पष्ट होता है कि गुरु नानक देव जी की यात्रा केवल एक धर्मगुरु की यात्रा नहीं थी, बल्कि वह एक ऐसी चेतना की यात्रा थी जिसने विश्व को जोड़ा, तोड़ा नहीं।

रंग-बिरंगे फूलों का गुच्छा इस बात का प्रतीक है कि संसार में जितनी विविधताएं हैं — भाषा, संस्कृति, धर्म, जाति, रंग — वे सब मिलकर एक सुंदर गुलदस्ता बनाते हैं। गुरु नानक देव जी ने जिस तरह हिंदू, मुस्लिम, सिख, साधु, फकीर और आम जनता से संवाद किया, वह उनके व्यापक दृष्टिकोण और गहन करुणा का उदाहरण है।

यह एपिसोड हमें यह सिखाता है कि हमें विविधता से डरना नहीं चाहिए, बल्कि उसे अपनाना चाहिए। एक बगीचे की सुंदरता तभी होती है जब उसमें रंग-बिरंगे अनेक फूल हों। गुरु नानक देव जी की यात्राओं में केवल चलना नहीं था — वह एक आत्मिक तपस्या थी। वे लोगों से मिलते थे, सवाल पूछते थे, जवाब देते थे और फिर आगे बढ़ जाते थे।

जैसे कोई माली हर बगीचे से एक फूल चुनकर एक अनुभव, एक सीख, एक रंग अपने अंदर समेटता है, वैसे ही उनकी यात्राएं थीं। यह एपिसोड दर्शकों को यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम भी अपने जीवन की यात्रा में ऐसे ही अनुभव समेट रहे हैं, या केवल आगे बढ़ने की दौड़ में लगे हैं।

"गिन गुलदस्ता" न केवल गुरु नानक देव जी की यात्रा का एक सुंदर अध्याय है, बल्कि यह हर दर्शक के अंदर एक गहरा प्रश्न छोड़ जाता है

साक्षी खन्ना
Arthur Foot Academy

Tuesday, 22 July 2025

देने का जज़्बा – एक छोटी मदद, एक बड़ा असर - सिमरन कौर

मैंने इस पाठ से यह सीखा है कि अगर कोई व्यक्ति किसी काम को करने में असमर्थ हो और उसे मदद की ज़रूरत हो, तो हमें उसकी मदद ज़रूर करनी चाहिए। दूसरों की सहायता करने से न केवल सामने वाले को राहत मिल ती है, बल्कि हमारे अपने मन को भी संतुष्टि और सच्ची खुशी मिलती है।मान लीजिए हमारे पास बहुत सारा पैसा है, और एक व्यक्ति हमारे पास आकर कहता है कि उसे अपने बच्चे के स्कूल में दाखिले के लिए पैसों की ज़रूरत है। ऐसे समय पर हमारे अंदर उसकी सहायता करने का साहस और जज़्बा होना चाहिए। अगर हमने उसे मदद कर दी, तो न सिर्फ वह बच्चा स्कूल जा सकेगा, बल्कि उसके माता-पिता को भी अपार खुशी मिलेगी।

हमारी एक छोटी सी सहायता एक बच्चे को शिक्षा पाने का अवसर दिला सकती है। वह बच्चा जब पढ़-लिखकर एक अच्छा इंसान बनता है, तो वह खुद, उसके माता-पिता और पूरा समाज उससे प्रेरित हो सकता है। कई बार किसी गरीब पिता को बेटे की फीस भरने के लिए उधार लेना पड़ता है। ऐसे में यदि कोई उसे मदद कर दे, तो वह बच्चा स्कूल में पढ़ सकता है। और यही बच्चा आगे चलकर जब सफल होता है, तो उसके माता-पिता को भी गर्व होता है।

इसलिए, हमें कभी भी दूसरों की मदद करने से पीछे नहीं हटना चाहिए। क्या पता हमारी एक छोटी-सी मदद किसी की जिंदगी बदल दे। दूसरों की मदद करना एक महान जज़्बा होता है। यह किसी बड़े दान या संपत्ति से नहीं, बल्कि दिल की भावना से जुड़ा होता है। किसी की छोटी-छोटी समस्याओं का समाधान करना या उनकी मदद करना एक सच्चे, अच्छे इंसान की पहचान है। इसलिए जब भी किसी को आपकी ज़रूरत हो, तो उसकी मदद ज़रूर करें। हमारी की हुई छोटी-सी सहायता किसी की जिंदगी को खुशनुमा बना सकती है।

 सिमरन कौर, Arthur Foot Academy

देने का जज़्बा - Sakshi Pal

"देने का जज़्बा" एक ऐसा अध्याय है, जो हमारे हृदय को छू जाता है। यह हमें याद दिलाता है कि जीवन का असली सौंदर्य तभी है, जब हम दूसरों के लिए कुछ करते हैं। इस पाठ से यह स्पष्ट होता है कि जिंदगी का सबसे खूबसूरत पहलू दूसरों के चेहरों पर मुस्कान लाना है। हम अक्सर सोचते हैं कि हमारे पास बहुत काम है, लेकिन जब हम अपने छोटे से हिस्से से भी किसी की मदद करते हैं, तो उसका असर बहुत बड़ा होता है।

True giving doesn't depend on wealth, it depends on will.

यह अध्याय बताता है कि देने की कोई सीमा नहीं होती। हम चाहें तो अपने शब्दों, अपने समय और अपने स्नेह से भी किसी की सहायता कर सकते हैं। आज की दुनिया में, जहां हर कोई सिर्फ अपने बारे में सोचता है, वहां देने की भावना और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। जब कोई व्यक्ति नि:स्वार्थ होकर देता है, तो वह समाज के लिए एक उदाहरण बन जाता है। Selfless giving is rare, but powerful.

इस अध्याय में हमें यह सिखाया गया है कि "देने" का मतलब सिर्फ धन देना नहीं है — एक सहानुभूतिपूर्ण बात, मदद का हाथ, समय देना — ये सब भी देने की श्रेणी में आते हैं।
Even giving time and attention is a beautiful act of kindness.

मुझे इस पाठ से यह समझ आया कि हमें बच्चों को शुरू से ही देने की आदत सिखानी चाहिए, ताकि वे बड़े होकर संवेदनशील और दयालु इंसान बन सकें।
Good values must be taught early.

यदि हम सब मिलकर थोड़ा-थोड़ा भी योगदान दें, तो समाज में बड़ा बदलाव आ सकता है। हम अपने आस-पास के लोगों की छोटी-छोटी ज़रूरतें देखकर भी मदद कर सकते हैं — किसी ग़रीब बच्चे को किताब देना, किसी बीमार को समय पर दवाई दिला देना, किसी अकेले बुज़ुर्ग से बात कर लेना — ये सब देने के ही रूप हैं। इस अध्याय ने मुझे भीतर तक झकझोर दिया। अब मैं हर दिन सोचती हूं — “आज मैंने किसी के लिए क्या किया?”

What did I give today? अगर हम सब यह सवाल खुद से रोज़ पूछने लगें, तो दुनिया एक बेहतर जगह बन सकती है। "देने का जज़्बा" सिर्फ एक कहानी नहीं है, यह एक संदेश है, एक प्रेरणा है, एक मिशन है — जिसे हर इंसान को अपने जीवन में अपनाना चाहिए।

Sakshi Pal, Arthur Foot Academy

Thursday, 17 July 2025

😊 देने का ज़ज्बा 😊 — Swati

 

इस पाठ को पढ़कर मेरे मन में अनेक विचार जागे। हम अक्सर जीवन में सफलता, पैसा और आराम पाने की दौड़ में लगे रहते हैं, लेकिन इस पाठ से यह सीख मिलती है कि सच्ची सफलता तब है जब हम दूसरों को कुछ दे सकें। जब ईश्वर हमें मुकाम और समृद्धि प्रदान करते हैं, तो केवल अपनी ज़रूरतों को बढ़ाना और पूरा करना ही पर्याप्त नहीं होता; हमें दूसरों की ज़रूरतों को भी समझकर उन्हें पूरा करने का प्रयास करना चाहिए। साथ ही, देने की क्षमता को भी बढ़ाना चाहिए।

समाज में बहुत कम लोग हैं जो बिल गेट्स जी की तरह निस्वार्थ भाव से दूसरों की मदद करते हैं। उनका उदाहरण यह स्पष्ट करता है कि सच्ची अमीरी केवल पैसों से नहीं होती, बल्कि उस धन को ज़रूरतमंदों की सहायता में लगाने से होती है। उन्होंने न केवल दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति होने का सम्मान प्राप्त किया, बल्कि अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा दान में देकर यह सिखाया कि सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है।

देने का ज़ज्बा एक ऐसा भाव है जो इंसान को वास्तव में "बड़ा" बनाता है। मदद केवल पैसों से नहीं होती —
कभी-कभी किसी की बात को ध्यान से सुनना, उसे समझना और साथ देना भी बहुत बड़ी मदद होती है।

आज के समय में, यदि हम किसी को थोड़ा-सा समय भी दे दें और उससे उन्हें थोड़ी-सी भी खुशी मिले, तो वह भी एक अनमोल उपहार है।

मुझे लगता है कि देने के लिए अमीर होना जरूरी नहीं है, बल्कि देने के लिए बस एक ऐसा दिल चाहिए जो दूसरों का दर्द समझ सके।

जब हम बिना किसी स्वार्थ के किसी की मदद करते हैं, तो उस देने में एक अलग ही सुकून होता है — जैसे कोई दीपक, जो दूसरों को रोशनी देता है और खुद जलता रहता है।

मुझे याद है, जब मैंने किसी ज़रूरतमंद की मदद की थी — वह खुशी मेरे भीतर गहराई तक उतर गई थी। उस एक पल ने मुझे सिखाया कि देने से कुछ घटता नहीं, बल्कि हमारा मन एक गहरी आत्मिक संतुष्टि से भर जाता है।

देने का ज़ज्बा मतलब:

  • अपने स्वार्थ से ऊपर उठना,

  • किसी अनजान के लिए रुक जाना,

  • और अपनी सीमाओं को पार करके किसी और को उम्मीद देना।

And that is enough.

To give is enough.
To care is enough...
Swati



देने का जज़्बा - साक्षी खन्ना

 
A smile on someone's face is the real reward

देने का जज़्बा मानवता की सबसे सुंदर और शक्तिशाली भावनाओं में से एक है। यह वह भावना है, जो न केवल दूसरों के जीवन को संवारती है, बल्कि देने वाले के भीतर भी संतोष, करुणा और आंतरिक आनंद का संचार करती है। यह केवल वस्तुएँ देने की बात नहीं है, बल्कि समय, प्रेम, सहानुभूति और सहयोग देने की भावना है। जब हम किसी को बिना किसी अपेक्षा के कुछ देते हैं, तो न सिर्फ सामने वाला व्यक्ति खुश होता है, बल्कि हमारी आत्मा भी प्रसन्न होती है।

Giving never decreases, it multiplies.
A helping hand is never small.

सच्चा दाता वही होता है जो बिना दिखावे और बिना अहंकार के देता है। आज के समय में ऐसे लोगों की अत्यंत आवश्यकता है, जो निस्वार्थ होकर दूसरों के लिए कुछ करें। यह भावना एक बेहतर समाज और एक बेहतर दुनिया की नींव रखती है।

Giving without expectation is true charity.

देने वाला व्यक्ति केवल दूसरों की ज़रूरतें पूरी नहीं करता, बल्कि समाज में भरोसे, प्रेम और करुणा का बीज भी बोता है।
एक छोटी सी मदद किसी के जीवन में बड़ा बदलाव ला सकती है — चाहे वह किसी भूखे को भोजन देना हो या किसी अनजान को राह दिखाना। यदि हर व्यक्ति देने की भावना को अपनाए, तो समाज में अकेलापन कम हो सकता है।

When we give, we grow.
Giving is not just sharing things — it's connecting from the heart.

जब हम कुछ देते हैं — चाहे वह समय हो, मदद हो या एक मुस्कान — हम दूसरों की ज़िंदगी में रोशनी लाते हैं।
देने से हम खुद भी एक बेहतर इंसान बनते हैं। यह हमें सिखाता है कि दुनिया सिर्फ लेने से नहीं, बल्कि बांटने से खूबसूरत बनती है।एक छोटा सा अच्छा काम, किसी के लिए बहुत बड़ी खुशी बन सकता है।

  1. जो बिना मांगे दे, वही सच्चा दाता है। देने से दिल बड़ा होता है और दुनिया सुंदर।

  2. जब हम बांटते हैं, तो सिर्फ चीज़ें नहीं, प्यार भी फैलता है। देने से बढ़ती है इंसानियत।

  3. एक छोटी-सी मदद किसी के लिए पूरी दुनिया बन सकती है।

-साक्षी खन्ना

Friday, 13 June 2025

दूसरों को खुशियां देना- Sakshi Khanna

 

The greatest joy comes from making someone else happy ☺️

दूसरों को खुशी देना एक ऐसा कार्य है जो न केवल सामने वाले व्यक्ति को आनंदित करता है, बल्कि देने वाले के दिल में भी एक विशेष प्रकार की संतुष्टि और सुकून उत्पन्न करता है।
यह कार्य किसी बड़े तोहफे या भारी मदद के लिए नहीं, बल्कि एक छोटी मुस्कान या मदद के लिए बढ़ाया गया हाथ है। जब हम किसी और की भलाई के लिए कुछ करते हैं और वह भी बिना किसी स्वार्थ के, तो वह करुणा और इंसानियत की भावना को बढ़ावा देता है। दूसरों को खुशी देना हमारे समाज को अधिक जुड़ा हुआ और दयालु बनाता है।

Kindness is spreading sunshine into other people's lives, regardless of the weather.

जब हमें यह महसूस होता है कि हम किसी की मदद करते हैं या उन्हें हंसते हुए देखते हैं, तो हमारे अंदर भी शांति और संतोष की भावना जगती है। यह प्रक्रिया हमें हमारे जीवन में अर्थ और उद्देश्य का एहसास कराती है। हमारी छोटी-छोटी क्रियाएं भी किसी के जीवन में बड़ा अंतर ला सकती हैं।

Sometimes your joy is the source of your smile, but sometimes your smile can be the source of someone else's.

साक्षी खन्ना

चलो खुशियां फैलाएं, दुनिया को जगमगाए! - Sakshi Pal

 

जब हम दूसरों को खुशियां देते हैं, तो असल में हम अपने जीवन में भी रोशनी भरते हैं। एक छोटी सी मुस्कान, मदद का हाथ या प्रोत्साहन का एक शब्द किसी के दिन को बेहतर बना सकता है। दूसरों को खुश देखना हमें आंतरिक संतोष और शांति प्रदान करता है। मैंने महसूस किया है कि जब मैं अपने दोस्तों, परिवार या जरूरतमंदों की मदद करती हूँ, तो मेरा मन हल्का और प्रसन्न हो जाता है। खुशियां बांटने से वे कम नहीं होतीं, बल्कि कई गुना बढ़ जाती हैं।

हमेशा यह याद रखना चाहिए कि दुनिया को बेहतर बनाने के लिए हमें खुद पहल करनी होती है। यदि हम सब एक-दूसरे की खुशी का कारण बनें, तो समाज और दुनिया में सच्ची सकारात्मकता फैल सकती है।

"दूसरों को खुशियां देना न केवल एक अच्छा कर्म है, बल्कि यह जीवन को सुंदर और सार्थक बनाता है।"

— साक्षी पाल

खुशियों की रिबन - Reena Devi

 "Happiness isn't something you seek, it's something you give. Fix broken dreams with the thread of your smile." 😊

जब मैं अपने स्कूल में जाती थी, तो मेरी एक दोस्त थी, उसका नाम हेमा था। एक दिन हम स्कूल से घर आ रहे थे। रास्ते में हमने देखा कि एक छोटी लड़की रो रही थी। हेमा उसके पास गई और बोली, "तुम क्यों रो रही हो?"
बच्ची बोली, "मेरी गुड़िया खो गई है।" हेमा ने तुरंत अपनी जेब से एक रंगीन रिबन निकाला और बच्ची को देते हुए कहा, "ये लो, अब ये तुम्हारी नई गुड़िया की रिबन है।" बच्ची मुस्कुराई और उसने हेमा को गले लगा लिया।

खुशी बांटने के लिए बड़ी चीजों की जरूरत नहीं होती, बस एक मुस्कान और थोड़ा सा प्यार ही काफी है। दूसरों को खुशियां देना इंसान की सबसे खूबसूरत और सच्ची अच्छाई है। जब हम किसी के चेहरे पर मुस्कान लाते हैं, तो असल में हम अपने दिन को भी सुकून देते हैं। हमारे पास भले ही बड़ी चीजें न हों, एक मुस्कान, एक मीठा बोल और थोड़ा सा साथ किसी का दिन रोशन कर सकता है। दूसरों को खुशियां देना सबसे बड़ा उपहार है।

"Learn to be a part of others' happiness, because true joy grows when you share it."

Reena Devi

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