Showing posts with label इंसानियत. Show all posts
Showing posts with label इंसानियत. Show all posts

Sunday, 19 October 2025

लिहाज-ए-इंसानियत: दूसरों के साथ सम्मान और प्यार — Reena Devi

इंसानियत का मतलब है दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करना, उनके दुःख और सुख को समझना और मदद का हाथ बढ़ाना। वहीं "लिहाज-ए-इंसानियत" मिलता है। इसका अर्थ है हर इंसान के साथ इज्जत और प्यार के साथ पेश आना।

आज की दुनिया में लोग अपने स्वार्थ और लालच में इतने व्यस्त हो गए हैं कि वे दूसरों की भावनाओं का ख्याल नहीं रखते। लेकिन अगर हम अपनी जिंदगी में इंसानियत और लिहाज को अपनाएँ, तो समाज में प्यार और सहयोग बढ़ता है। उदाहरण के लिए, अगर कोई गरीब या परेशान व्यक्ति हमारे पास मदद के लिए आता है और हम मदद करते हैं, तो यही हमारी इंसानियत और लिहाज दिखाता है।

लिहाज-ए-इंसानियत केवल दूसरों की मदद करना नहीं है, बल्कि उनकी गरिमा बनाए रखना भी है। हमें किसी की जाति, धर्म, रंग या स्थिति देखकर उसे कम नहीं समझना चाहिए। हर इंसान के साथ समान व्यवहार करना, उसके साथ धैर्य और समझदारी रखना—यही सबसे बड़ी इंसानियत है।

अगर हम समाज में यह भावना फैलाएँ कि हर व्यक्ति की इज्जत महत्वपूर्ण है और हर किसी के प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए, तब न केवल समाज बेहतर बनता है, बल्कि हमारी आत्मा भी शांति और संतोष महसूस करती है। लिहाज-ए-इंसानियत न केवल शब्द है, बल्कि यह हमें जीने का तरीका भी समझाता है। यह हमें दूसरों के साथ प्यार, सम्मान और समझदारी से पेश आने का मार्ग भी सिखाता है।

— Reena Devi, Arthur Foot Academy

इंसानियत सबसे बड़ा धर्म - साक्षी खन्ना

गुरु नानक देव जी का जीवन हमें सिखाता है कि इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है। उन्होंने अपने जीवन के हर कार्य में प्रेम, समानता और करुणा का संदेश दिया।

इस एपिसोड "लिहाज़-ए-इंसानियत" का अर्थ है दूसरों का आदर करना, उनकी भावनाओं की कदर करना और हर इंसान को बराबर मानना। गुरु नानक जी ने बताया है कि ईश्वर किसी एक धर्म, जाति या वर्ग में नहीं बसता, बल्कि हर जीव में मौजूद है। इसलिए जब हम किसी व्यक्ति का सम्मान करते हैं, उसकी मदद करते हैं या उसके प्रति दया दिखाते हैं, तो यह किसी पूजा से कम नहीं होता। सच्ची भक्ति वहीं है जो मानवता में दिखाई दे।

आज के समय में, जब लोग एक-दूसरे से दूर हो रहे हैं और समाज में भेदभाव बढ़ रहा है, तब गुरु नानक जी की यह सीख और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। यह एपिसोड हमें सिखाता है कि कोई भी बड़ा या छोटा नहीं होता; हर इंसान ईश्वर की रचना है। जब हम दूसरों के विचारों और भावनाओं का आदर करते हैं, तो हम दुनिया में शांति और भाइचारे का वातावरण बनाते हैं।

मानव जीवन की सबसे बड़ी खूबसूरती उसकी इंसानियत में छिपी होती है। गुरु नानक जी ने सिखाया कि इंसान को उसके धर्म, जाति, रूप या रंग से नहीं, बल्कि उसके स्वभाव और व्यवहार से जाना जाता है। और जब गुरु नानक जी अपनी यात्राओं पर निकले, तो उन्होंने हर देश और हर धर्म के व्यक्ति को एक ही बात कही—सबका मालिक एक है। उन्होंने बताया कि जब हम दूसरों की तकलीफ समझते हैं, उनकी मदद करते हैं और सबके साथ बराबरी का व्यवहार करते हैं, तभी सच्ची इबादत होती है।

साक्षी खन्ना, आर्थर फुट अकादमी

धर्म और जाति से ऊपर उठकर प्रेम - Swati

लिहाज-ए-इंसानियत (मानवता का सम्मान) हमें गुरु नानक देव जी के जीवन और उनकी शिक्षाओं से जुड़ी एक गहरी प्रेरणा देता है। गुरु नानक जी ने हमेशा यह सिखाया कि इंसानियत सबसे बड़ी पहचान है। धर्म, जाति, भाषा या रंग से ऊपर उठकर उन्होंने प्रेम, सम्मान और आदर का संदेश दिया। "लिहाज-ए-इंसानियत" अर्थ ही है—हर इंसान का सम्मान करना, चाहे वह कोई भी हो।

आज की दुनिया में, जहाँ लोग अपने स्वार्थ और भेदभाव में उलझे हुए हैं, वहाँ गुरु नानक जी की यह शिक्षा हमें याद दिलाती है कि सच्चा धर्म वही है जो दूसरों के लिए करुणा और आदर सिखाए। जब हम दूसरों की भावनाओं का सम्मान करते हैं, तभी समाज में शांति और भाईचारा पनपता है।

इस एपिसोड से यह सीख मिलती है कि हमें अपनी सोच को सीमाओं से बाहर निकालकर पूरे मानव समाज को एक परिवार की तरह देखना चाहिए। अगर हर व्यक्ति "मानवता का सम्मान" अपने जीवन का कर्तव्य बना ले, तो नफरत, भेदभाव और हिंसा अपने आप खत्म हो जाएगी।

गुरु नानक देव जी ने अपनी यात्राओं के माध्यम से हमें सिखाया कि इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है। उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि जब हम हर व्यक्ति को समान की दृष्टि से देखते हैं, तो समाज में प्रेम और शांति अपने आप जन्म लेते हैं। अगर हम हर किसी के साथ प्यार, दया और बराबरी से पेश आएं, तो यह संसार सुन्दर बगिया बन सकता है, जहाँ हर फूल एक सा महकता है।

"लिहाज-ए-इंसानियत" हमें यह सिखाता है कि—
• हर इंसान की भावनाओं की क़दर करो।
• धर्म और जाति से ऊपर उठकर प्रेम फैलाओ।
• दूसरों की मदद करना ही सच्ची सेवा है।

अगर हम इन बातों को अपने जीवन का हिस्सा बना लें, तो यह दुनिया एक सुन्दर परिवार बन सकती है, जहाँ न कोई ऊँच-नीच है, न भेदभाव, सिर्फ प्यार, सम्मान और एकता।

"इंसान बनना ही सबसे बड़ी इबादत है, और लिहाज-ए-इंसानियत ही जीवन का असली अर्थ है।"

— Swati, Arthur Foot Academy

गुरु नानक देव जी के मुख्य सिद्धांत - रहिमा

इस पाठ से मैंने यह सीखा है कि गुरु नानक देव जी, सिख धर्म के प्रथम गुरु और संस्थापक, केवल एक धार्मिक गुरु ही नहीं थे, बल्कि वे समाज सुधारक, दार्शनिक और मानवता के मार्गदर्शक भी थे। उनका जीवन और उपदेश आज भी करोड़ों लोगों को प्रेरणा देते हैं। जब हम उनके जीवन पर चिंतन करते हैं, तो समझ में आता है कि उनका संदेश किसी एक धर्म या जाति तक सीमित नहीं था, बल्कि पूरी मानव जाति के लिए था।

गुरु नानक देव जी ने एक परमात्मा की एकता का संदेश दिया। उन्होंने बताया कि ईश्वर एक है और वह जाति, धर्म, या किसी भी भेदभाव से परे है। वे हमेशा कहते थे "इक ओंकार" — अर्थात् ईश्वर एक है और उसका वास हर जगह है। यह विचार हमें यह सिखाता है कि हम सब उसके ही अंश हैं और हमें एक-दूसरे के साथ प्रेम और भाईचारे से रहना चाहिए।

उस समय समाज जाति-पांति और ऊँच-नीच में बँटा हुआ था। गुरु नानक देव जी ने इसके खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने लंगर की परंपरा शुरू की, जहाँ हर कोई एक साथ बैठकर भोजन करता था, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का हो। इससे उन्होंने यह सिखाया कि ईश्वर की नज़र में सब समान हैं। यह समानता का संदेश आज भी पूरी दुनिया को प्रेरित करता है।

गुरु नानक देव जी ने तीन मुख्य सिद्धांत दिए—

  1. नाम जपना (Naam Japna): ईश्वर को हर पल याद करना।

  2. कीरत करनी (Kirat Karo): ईमानदारी से मेहनत करके जीवनयापन करना।

  3. वंड छकना (Vand Chhako): अपनी कमाई और खुशियाँ दूसरों के साथ बाँटना।

ये तीनों सिद्धांत आज भी हमारे जीवन को सरल, शांतिपूर्ण और सार्थक बना सकते हैं।

गुरु नानक देव जी करुणा और सेवा की मूर्ति थे। उन्होंने दूर-दूर तक यात्राएँ कीं, न कि नाम या दौलत के लिए, बल्कि सच्चाई और प्रेम का संदेश फैलाने के लिए। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि महानता पद या शक्ति में नहीं, बल्कि विनम्रता और सेवा में है।

आज की दुनिया, जहाँ लोग धर्म, जाति और भौतिक इच्छाओं में बँटे हुए हैं, वहाँ गुरु नानक देव जी की शिक्षा आशा की किरण है। उनका संदेश है कि हम इंसानियत को एक परिवार की तरह देखें, नफ़रत की जगह प्रेम फैलाएँ, स्वार्थ की जगह सेवा करें और अहंकार की जगह विनम्रता अपनाएँ।

गुरु नानक देव जी पर चिंतन करना वास्तव में मानवता पर चिंतन करना है। उनका संदेश समय से परे है। अगर हम उनके विचारों को अपने जीवन में अपनाएँ, तो न सिर्फ़ अपनी ज़िंदगी को बेहतर बना सकते हैं, बल्कि समाज और दुनिया में शांति और सद्भाव भी ला सकते हैं।

-रहिमा, आर्थर फुट अकादमी

Saturday, 9 August 2025

रंगीन गुलदस्ता: प्रेम और एकता का संदेश - Swati

 
"प्रेम, एकता और सहयोग से मिलकर ही बनता है इंसानियत का गुलदस्ता।"

"रंगीन गुलदस्ता" सिर्फ रंग-बिरंगे फूलों का नाम नहीं है, बल्कि एक सोच है जो हमें एक-दूसरे के साथ जोड़ती है और इंसानियत की खुशबू चारों ओर बिखेरती है। अगर हर इंसान इस सोच को अपनाए, तो यह दुनिया एक रंगीन गुलदस्ता बन जाएगी।

हर फूल की तरह इंसान की भावना और आत्मा खास होती है। जैसे हम सब बाहर से अलग दिखाई देते हैं, लेकिन अंदर से हम सभी में प्रेम, करुणा और सच्चाई समान होती है। गुरु नानक देव जी ने कहा है —
"ना कोई हिन्दू, ना कोई मुसलमान, सब इंसान एक समान।"

गुलदस्ते में कांटे नहीं होते, सिर्फ फूल होते हैं। इसी तरह हमारे समाज में भी भेदभाव, ईर्ष्या, जलन जैसे कांटों की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। हमें सभी को मिलकर रहना चाहिए, जैसे फूल मिलकर गुलदस्ते में खुशबू बिखेरते हैं।

गुरु नानक देव जी ने पूरी दुनिया में प्रेम और एकता का संदेश फैलाया। उन्होंने कभी ऊँच-नीच में विश्वास नहीं किया। "रंगीन गुलदस्ता" उनके द्वारा सिखाए गए उन्हीं मूल्यों का प्रतीक है, जिसमें हर इंसान एक फूल की तरह है और सब मिलकर ईश्वर की सुंदर रचना बनाते हैं।

यह एपिसोड हमें प्रेरित करता है कि हमें अपने जीवन में ऐसे ही रंग भरने चाहिए और दूसरों के जीवन में भी रंग भरने की कोशिश करनी चाहिए। जब हम अपने जीवन में सच्चाई, सेवा, प्रेम आदि की भावना जगाते हैं, तो हम खुद भी एक "गुलदस्ता" बन जाते हैं, जो दूसरों को खुशबू देता है।

अगर हम एक फूल को गुलदस्ते से अलग कर दें, तो वह कुछ ही देर में मुरझा जाता है। लेकिन जब वह फूल अन्य फूलों के साथ गुलदस्ते में होता है, तो वह खिलकर खुशबू बिखेरता है। ऐसे ही इंसान भी तभी मजबूत होता है जब वह अपने परिवार और समाज से जुड़ा होता है।

यह एपिसोड हमें प्रेरणा देता है कि हमें अपने जीवन में दूसरों को स्वीकार करना चाहिए, उनकी विशेषताओं की सराहना करनी चाहिए और उनके साथ मिलकर समाज को एक सुंदर गुलदस्ता बनाना चाहिए।

"एकता का दूसरा नाम है रंगीन गुलदस्ता, जहाँ सभी फूल मिलकर खुशबू बिखेरते हैं।"
Swati
Arthur Foot Academy

Sunday, 20 July 2025

देने का जज़्बा: इंसानियत की असली पहचान – Reena Devi

 

The more you give, the richer your soul becomes.

यही तो इंसानियत की असली पहचान है। इस दुनिया में सबसे कीमती चीज़ वही होती है जो बिना किसी स्वार्थ, बदले या उम्मीद के दी जाती है। जब हम किसी को कुछ देने का निर्णय लेते हैं—चाहे वह समय हो, प्रेम हो या मदद—तो उसके चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान उभरती है। और उस मुस्कान को देखकर जो सुकून हमें मिलता है, वह सुकून पैसे से कभी नहीं खरीदा जा सकता। देना सिर्फ पैसे तक सीमित नहीं होता, बल्कि किसी की समस्या का समाधान ढूंढ़ना या उसे सहारा देना भी एक बड़ा "देना" होता है।

Giving is not always about material things.

अगर हम किसी को उसकी तकलीफ़ के समय यह एहसास दिला दें कि "मैं तुम्हारे साथ हूं," तो उसकी आधी समस्या वहीं खत्म हो जाती है। जब कोई टूट रहा हो और हम उसका हाथ थाम लें, या जब किसी अनजान को एक अच्छा शब्द कह दें—तो ये सभी छोटे-छोटे कार्य भी बहुत बड़े दान बन जाते हैं। जो हमें अपना समय देता है, वही हमारे लिए सबसे मूल्यवान होता है। देने वाला कभी छोटा नहीं होता; उसका दिल बड़ा होता है। क्योंकि जो व्यक्ति देना जानता है, वही एक सच्चा इंसान होता है। इस भीड़ भरी दुनिया में, जहां कोई किसी के काम नहीं आता, वहाँ निष्काम सहायता ही सच्ची मानवता है।

स्कूल के लंच टाइम में अगर किसी के पास लंच नहीं है, तो हम उसे अपना लंच दे सकते हैं। अगर हमारे पास अतिरिक्त स्टेशनरी है, तो हम उसे ज़रूरतमंद साथी को दे सकते हैं। मदद के लिए सिर्फ पैसे की नहीं, बल्कि सोच और भावना की ज़रूरत होती है। अगर हम चाहें, तो किताब, पेन या सिर्फ साथ देकर भी किसी की मदद कर सकते हैं। हमें अपने अंदर देने का जज़्बा बनाए रखना चाहिए और अपने आसपास के बच्चों को भी यह सिखाना चाहिए कि सच्चा इंसान वही है जो बिना उम्मीद, बिना शर्त के कुछ दे सके।

When we give, we heal. When we give, we grow.

यही देने की भावना, यही जज़्बा, इस मतलबी दुनिया में हमें बेहतर और बड़ा इंसान बनाता है।जो व्यक्ति बिना मांगे देता है, वही भगवान का रूप होता है। किसी की मदद करने या कुछ देने के लिए अमीर होना ज़रूरी नहीं होता।जैसे एक माँ अपने बच्चों के लिए बिना थके दिन-रात काम करती है, या जैसे एक दोस्त मुश्किल समय में बिना कहे मदद के लिए आ जाता है—ये सभी निस्वार्थ देने के उदाहरण हैं।बिल गेट्स ने भी एक बार कहा था, "एक हद के बाद पैसा मेरे किसी काम का नहीं। मैं उसे एक संस्था को देकर दुनिया को बेहतर बनाना चाहता हूँ।"

देने का जज़्बा बदलाव की पहली सीढ़ी है।

सच्चा दाता वही होता है जो बिना अपेक्षा के, दिल से देता है।

यज्ञ, दान और तप—ये तीनों कर्म कभी नहीं छोड़ने चाहिए।
दान एक पूर्ण कर्म है, लेकिन सबसे सुंदर वही दान है जो बिना अहंकार और बिना अपेक्षा के दिया जाए। मेरे अपने जीवन में भी देने का बहुत गहरा जज़्बा है। मैंने अपने स्कूल टाइम में अपने विद्यार्थियों की बिना बोले मदद की—कभी स्टेशनरी देकर, तो कभी किताबें। जब मैंने उन्हें चुपचाप वह चीजें दीं, तो उनके चेहरे की मुस्कान मुझे एक अनकहा सुकून दे गई। किसी की मदद करनी है तो बिना बताए करनी चाहिए, और सबसे बड़ी बात—उसे कभी यह एहसास नहीं होना चाहिए कि मैंने उसकी मदद की।

Those who give freely, live fully.

Reena Devi, Principal Arthur Foot Academy

Thursday, 17 July 2025

😊 देने का ज़ज्बा 😊 — Swati

 

इस पाठ को पढ़कर मेरे मन में अनेक विचार जागे। हम अक्सर जीवन में सफलता, पैसा और आराम पाने की दौड़ में लगे रहते हैं, लेकिन इस पाठ से यह सीख मिलती है कि सच्ची सफलता तब है जब हम दूसरों को कुछ दे सकें। जब ईश्वर हमें मुकाम और समृद्धि प्रदान करते हैं, तो केवल अपनी ज़रूरतों को बढ़ाना और पूरा करना ही पर्याप्त नहीं होता; हमें दूसरों की ज़रूरतों को भी समझकर उन्हें पूरा करने का प्रयास करना चाहिए। साथ ही, देने की क्षमता को भी बढ़ाना चाहिए।

समाज में बहुत कम लोग हैं जो बिल गेट्स जी की तरह निस्वार्थ भाव से दूसरों की मदद करते हैं। उनका उदाहरण यह स्पष्ट करता है कि सच्ची अमीरी केवल पैसों से नहीं होती, बल्कि उस धन को ज़रूरतमंदों की सहायता में लगाने से होती है। उन्होंने न केवल दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति होने का सम्मान प्राप्त किया, बल्कि अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा दान में देकर यह सिखाया कि सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है।

देने का ज़ज्बा एक ऐसा भाव है जो इंसान को वास्तव में "बड़ा" बनाता है। मदद केवल पैसों से नहीं होती —
कभी-कभी किसी की बात को ध्यान से सुनना, उसे समझना और साथ देना भी बहुत बड़ी मदद होती है।

आज के समय में, यदि हम किसी को थोड़ा-सा समय भी दे दें और उससे उन्हें थोड़ी-सी भी खुशी मिले, तो वह भी एक अनमोल उपहार है।

मुझे लगता है कि देने के लिए अमीर होना जरूरी नहीं है, बल्कि देने के लिए बस एक ऐसा दिल चाहिए जो दूसरों का दर्द समझ सके।

जब हम बिना किसी स्वार्थ के किसी की मदद करते हैं, तो उस देने में एक अलग ही सुकून होता है — जैसे कोई दीपक, जो दूसरों को रोशनी देता है और खुद जलता रहता है।

मुझे याद है, जब मैंने किसी ज़रूरतमंद की मदद की थी — वह खुशी मेरे भीतर गहराई तक उतर गई थी। उस एक पल ने मुझे सिखाया कि देने से कुछ घटता नहीं, बल्कि हमारा मन एक गहरी आत्मिक संतुष्टि से भर जाता है।

देने का ज़ज्बा मतलब:

  • अपने स्वार्थ से ऊपर उठना,

  • किसी अनजान के लिए रुक जाना,

  • और अपनी सीमाओं को पार करके किसी और को उम्मीद देना।

And that is enough.

To give is enough.
To care is enough...
Swati



Friday, 13 June 2025

दूसरों को खुशियां देना- Sukhvinder Kaur

 जब हम अपनी खुशी दूसरों के साथ बांटते हैं, तो वो खुशी और भी बढ़ जाती है। किसी के चेहरे पर मुस्कान लाना, किसी का मन हल्का करना, उनके दिन को बेहतर बना देना — यही एक सच्ची खुशी है। खुशी बांटने का मतलब सिर्फ देना नहीं होता, बल्कि एक ऐसा रिश्ता बनाना होता है जहां दिलों का जुड़ाव हो और सबके जीवन में रौशनी फैले। असल में, जब हम किसी और को खुश करते हैं, तो अंदर से हम खुद भी खुश हो जाते हैं। इंसानियत की सबसे सुंदर भावनाओं में से एक है यह — जब हम अपनी छोटी-छोटी खुशियों को दूसरों के साथ बांटते हैं, जैसे किसी के काम की तारीफ करना, किसी उदास इंसान के चेहरे पर मुस्कान लाना — तो वो खुशी केवल एक पल की नहीं रहती, वो एक याद बन जाती है।

 खुशी बांटना मतलब है किसी को यह अहसास दिलाना कि वो अकेला नहीं है। जब हम किसी को गले लगाते हैं, उसका हालचाल पूछते हैं, या उसकी परेशानी में साथ खड़े होते हैं — तो हमारी छोटी सी कोशिश किसी के जीवन में बड़ा बदलाव ला सकती है। सच तो यह है कि खुशी वो चीज है जो बांटने से घटती नहीं, बल्कि बढ़ती है — जैसे "जब दीया दूसरों को रोशनी देता है, तो अंधकार खुद-ब-खुद दूर हो जाता है।"

– Sukhvinder Kaur

Reflections Since 2021