Tuesday, 11 October 2022

The Story of A Spider - Diva Gupta

Greetings! Oh! I didn’t mean to scare you! I am a spider. I move from house to house, trying to build my web in a fixed location but these humans obliterate me. They wreck my home every time! 

I made a beautiful web once, attractive enough to win an a award. But then this human came and swiped it away with a broom like it was nothing! She almost killed me as I was sitting peacefully in my silk web. I swung on my silk thread to an open window and escaped. But not everyone is so destructive and mean. 

Most people are afraid of me. They think I am disgusting and throw me away like I’m some sort of trash. But no matter what they say, I’m living too! I have feelings, just like any other living being. I don’t know why they think my appearance is scary or why they run away when they see me in my comfortable silk web

Diva Gupta Grade VI Gyanshree School

दोस्ती और परिवार - रिशोना चोपड़ा

जब हम किसी से मिलते हैं तो अनजाने में हम लोगों को हमसे दूर धकेल देते हैं, भले ही हम उन्हें लंबे समय से जानते हों। मैंने इस तरह की परिस्थितियों का सामना किया है। हम सभी को एक ऐसा दोस्त चाहिए जो हमारे लिए संपूर्ण हो और किसी का दोस्त न हो। हम अक्सर उनके पीछे भागते हैं जो हमें नहीं चाहते लेकिन उन्हें भूल जाते हैं जो हमारे साथ रहना चाहते हैं। मेरा मतलब वह दोस्त है जो हमारा दोस्त बनना चाहता है; हमारे माता-पिता और भगवान हमेशा साथ हैं, और उनके पीछे भागने वाला कोई नहीं है।

इस दुनिया में हम अजनबियों और परिवार के बाहर के लोगों को ज्यादा मानने लगते हैं और परिवार में दोस्ती की उपेक्षा करने लगते हैं।

रिशोना चोपड़ा
कक्षा 6
ज्ञानश्री स्कूल

Monday, 10 October 2022

मित्रता - यशराज शर्मा


किसी ने सही कहा है कि सच्चे दोस्त वे होते हैं जो आपके साथ बुरी और अच्छी परिस्तिथियों में खड़े रहे और आपके जीवन के हर मोड़ हर कदम पर आपकी सहायता करते हैं l 

हमारे जीवन में हमारे कई मित्र होते है और आगे भी होंगे। कुछ बहुत सहायता करने वाले या कुछ जिनको ज्यादा करना अच्छा नहीं लगता। लेकिन हमारे जीवन में जब भी कोई एक अच्छा, विश्वसनीय मित्र मिले तो हमे उसका भी आदर करना चाहिए जिससे हम भी उससे कुछ सीख पाए और अच्छे संबंध रख पाएँ, यह सब बाते लिख कर मेरे मन में मुझे अपने एक बहुत पुराने दोस्त की याद आई उसका नाम है आयुतांश। आपको उसके बारे में थोड़ा कुछ बताता हूँ ।

 

जब मैं कक्षा ३ में था तब मैने ज्ञानश्री में दाखिला लिया था। मुझे याद है मेरी कक्षा थी '३ स'l  एक दिन मैं स्कूल के मैदान में फुटबॉल खेल रहा था जब मेरा पैर मुड़ गया और मैं ज़मीन पर गिर कर गुलाटी मार गया। तब वो मेरे पास आया और मुझे उठाने के लिए हाथ बढ़ाया , मैं उसकी सहायता से उठा और हम दोनों उस क्षण से बहुत अच्छे मित्र बन गए । तबसे हम हमेशा साथ में फुटबॉल खेलते थे और हमेशा एक ही टीम में होते,हम दोनों एक दूसरे की गृहकार्य में भी मदद किया करते थे, वे हमारे लिए बहुत मज़े से भरा समय हुआ करता था। 


लेकिन जब हम छट्टी कक्षा में पहुँचे , एक दिन उसने मुझे बताया कि उसके पिताजी का जम्मू में तबादला हो गया है और वह अब स्कूल छोड़ कर जम्मू जाएगा। वो दिन हम दोनों के लिए बिलकुल ख़ुशी का दिन नहीं था। उसके जाने के बाद भी हम बहुत समय तक संपर्क में रहे लेकिन अब हम दोनों कई महीनो से बात नहीं हुई है। मुझे कभी कभी उसकी बहुत याद भी आती है। 

काश वो समय वापस आ जाये…और हम फिर सी वही पल जी सकें। 


यशराज शर्मा 

कक्षा ८ - ड 

ज्ञानश्री विद्यालय 

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