Saturday, 11 October 2025

गुरु नानक देव जी की जीवन यात्रा से प्रेरणा - गुलाबी


गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन में चार प्रमुख यात्राएँ कीं, जिन्हें उदासियाँ कहा जाता है। इन यात्राओं का उद्देश्य विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों और समाजों में जाकर ईश्वर का संदेश फैलाना था।

  • पहली उदासी: उत्तर और पूर्वी भारत में हुई, जिसमें उन्होंने हरिद्वार, बनारस, पटना, गया जी और जगन्नाथ पुरी जैसे महत्वपूर्ण स्थानों का दौरा किया।

  • दूसरी उदासी: दक्षिण भारत और श्रीलंका में हुई, जिसमें उन्होंने आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और श्रीलंका के विभिन्न हिस्सों में भ्रमण किया।

  • तीसरी उदासी: अफगानिस्तान और फारस (वर्तमान ईरान) की यात्रा की, जिसमें उन्होंने मुस्लिम धार्मिक विद्वानों और सूफी संतों से संवाद किया।

  • चौथी उदासी: इस यात्रा के दौरान उन्होंने तिब्बत, चीन और अन्य क्षेत्रों का भ्रमण किया।

गुरु नानक देव जी की शिक्षाएँ और जीवन यात्रा आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं, और उनकी विरासत सिख धर्म के रूप में जीवित है। गुरु नानक देव जी की जीवन यात्रा और उनके उपदेशों का आधुनिक जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। उनकी शिक्षाएँ हमें अखंडता, समानता और मानवता के महत्व को समझने में मदद करती हैं।

गुरु नानक देव जी के जीवन से हमें निम्नलिखित महत्वपूर्ण सबक मिलते हैं:

  • समानता और भाईचारा: गुरु नानक देव जी ने जाति, धर्म और लिंग के आधार पर भेदभाव को समाप्त करने का संदेश दिया। उन्होंने लंगर की परंपरा शुरू की, जिसमें सभी लोग बिना किसी भेदभाव के एक साथ बैठकर भोजन करते हैं।

  • मानवता की सेवा: गुरु नानक देव जी ने मानवता की सेवा को बहुत महत्व दिया। उन्होंने लोगों को दूसरों की मदद करने और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रेरित किया।

  • विनम्रता और सहिष्णुता: गुरु नानक देव जी ने विनम्रता और सहिष्णुता के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने लोगों को दूसरों के साथ प्रेम और सम्मान से पेश आने की शिक्षा दी।

  • आध्यात्मिक ज्ञान: गुरु नानक देव जी ने आध्यात्मिक ज्ञान के महत्व पर बल दिया। उन्होंने लोगों को ईश्वर के नाम का जप करने और कीर्तन करने के लिए प्रेरित किया।

  • सामाजिक सुधार: गुरु नानक देव जी ने समाज में व्याप्त कुरीतियों और पाखंडों का विरोध किया। उन्होंने महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज उठाई और जाति प्रथा का विरोध किया।

इन शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाकर, हम एक बेहतर और अधिक समरस समाज का निर्माण कर सकते हैं। गुरु नानक देव जी की जीवन यात्रा और उनके उपदेश हमें प्रेरित करते हैं कि हम अपने समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए कार्य करें और एक-दूसरे के साथ प्रेम और सम्मान से पेश आएँ।

गुलाबी, सनबीम ग्रामीण स्कूल  

अखंडता के प्रतीक गुरु नानक को समर्पित - सनबीम ग्रामीण विद्यालय

 गुरु नानक देव जी के अनुसार सुख-दुख जीवन के दो अनिवार्य पहलू हैं, और मनुष्य को दोनों में समान भाव से रहना चाहिए। न तो सुख में अहंकारी होना चाहिए और न ही दुख में हतोत्साहित। इसका अर्थ है कि सच्चा व्यक्ति वह है जो हर परिस्थिति में समभाव रखता है, सुख-दुख से प्रभावित हुए बिना और मोह-माया से परे होता है, जो उसे ईश्वर के अधिक निकट ले जाता है। दुख में घबराएं नहीं और सभी परिस्थितियों में ईश्वर की रज़ा में खुश रहें।

— नैन्सी मौर्या
कक्षा – 8

अखंडता के प्रतीक गुरु नानक को समर्पित
गुरु नानक देव जी ने अपनी शिक्षाओं और जीवन से ईश्वर की एकता और मानवता की अखंडता पर जोर दिया। गुरु नानक देव जी ने यह सिखाया कि सुख और दुख जीवन के स्वाभाविक नियम हैं और ये 'हुक्म' या ईश्वरीय आज्ञा के समान हैं, जो आते-जाते रहते हैं।
नाम – सीमा
कक्षा – 8

Exploring the Divine Journey: Lessons from Guru Nanak’s Travels - Lotus Petal Foundation

 

Allegory- The Tapestry of Guru Nanak's Travels - Lotus petal -.pdf

Lotus Petal Foundation – Primary Wing (Grades 3 to 5)
Our young learners shared their reflections and understanding from Episode 22 – "Allegory: The Tapestry of Guru Nanak's Travels." Through this episode, students explored the inspiring journeys of Guru Nanak Dev Ji and discovered the deeper meanings behind his teachings of unity, compassion, and selfless service. Their insights beautifully capture how timeless wisdom continues to guide us even today.

Reflections Since 2021