Sunday, 19 October 2025

गुरु नानक देव जी के जीवन का संदेश – Lalita Pal

एपिसोड २२ ने मेरे मन को गहराई से छू लिया। हर दृश्य ऐसा प्रतीत हुआ जैसे गुरु नानक देव जी स्वयं हमारे सामने खड़े होकर सच्चाई, प्रेम और समानता का संदेश दे रहे हों। उनके शब्दों में सादगी और शक्ति का अद्भुत समन्वय था, जिसने मेरे हृदय में श्रद्धा की भावना जागृत की।

इस एपिसोड में सबसे अधिक प्रभावशाली बात गुरु नानक जी का धैर्य, विनम्रता और ईश्वर पर अटूट विश्वास था। जब लोग उनके विचारों को नहीं समझ पाते या विरोध करते, तब भी उनका मन शांत रहता और चेहरे पर हमेशा मुस्कान रहती। यह दर्शाता है कि सच्चाई की राह पर चलने वाला व्यक्ति कभी अकेला नहीं होता, उसके साथ स्वयं ईश्वर होते हैं।

गुरु नानक जी का संदेश "सब मनुष्य एक ही ईश्वर की संतान हैं" मेरे दिल को गहराई से छू गया। उन्होंने धर्म, जाति और ऊँच-नीच के भेदभाव को मिटाने की शिक्षा दी। आज जब समाज में लोग छोटी-छोटी बातों में भेदभाव कर लेते हैं, तब उनका यह संदेश और भी प्रासंगिक हो जाता है।

उनकी शिक्षा यह सिखाती है कि सच्ची पूजा मंदिरों या मस्जिदों में नहीं, बल्कि हमारे कर्मों और प्रेम में छिपी है। सेवा, सिमरन और संत जीवन का वास्तविक मार्ग हैं। मानवता का सही अर्थ तब है जब हम सभी एक-दूसरे से प्रेम करें।

गुरु नानक देव जी ने सिखाया कि प्रेम और सच्चाई की आवाज़ को ऊँचा बोलने की आवश्यकता नहीं होती; यह खुद ही सबके दिलों तक पहुँच जाती है। अगर हम उनके बताए मार्ग पर चलें, किसी की मदद करें, सच्चाई बोले और भेदभाव न करें, तो हमारा जीवन सुन्दर और अर्थपूर्ण बन जाएगा।

ललिता पाल, आर्थर फुट अकादमी

गुरु नानक देव जी: सत्य, समानता और करुणा की गाथा — Simran Kaur

गुरु नानक देव जी का जीवन सत्य, समानता और करुणा की अमर गाथा है। उन्होंने हमें सिखाया कि सच्चा धर्म इंसानियत में है—जब हम दूसरों की सेवा करते हैं, सभी के साथ प्रेम और आदर का व्यवहार करते हैं, तभी हम ईश्वर के निकट पहुँचते हैं। उनका संदेश केवल धार्मिक नहीं, बल्कि मानव जीवन का आदर्श मार्ग है।

उन्होंने कहा—
"ना कोई हिन्दू, ना मुसलमान—सब मनुष्य एक ही प्रभु की संतान हैं।"

यह विचार हमें याद दिलाता है कि हर व्यक्ति में वही ज्योति है जो ईश्वर में है। जब हम किसी के प्रति भेदभाव करते हैं, तो हम उस दिव्यता को ठुकराते हैं। आज के युग में, जब समाज में विभाजन, ईर्ष्या और प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है, गुरु नानक देव जी का यह संदेश पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है।

अगर हम उनके बताए मार्ग पर चलें—सच बोले, मेहनत करें, और ईमानदारी से बाँटकर खाएं (कीरत करो, नाम जपो, वंड छको), तो निश्चित ही जीवन में शांति, संतोष और सुख की प्राप्ति होती है। उनकी शिक्षाएँ हमें यह सिखाती हैं कि शिक्षा केवल ज्ञान प्राप्त करने का माध्यम नहीं, बल्कि अच्छे इंसान बनने का साधन है।

गुरु नानक देव जी का प्रकाश हम सबके हृदय में उजाला फैलाए, और हमें प्रेरित करे कि हम अपने जीवन से दूसरों के जीवन में भी उजाला बाँटें।

"जहाँ करुणा है, वहीं ईश्वर है।
जहाँ प्रेम है, सच्ची उपासना है।"

— Simran Kaur, Arthur Foot Academy

लिहाज-ए-इंसानियत: दूसरों के साथ सम्मान और प्यार — Reena Devi

इंसानियत का मतलब है दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करना, उनके दुःख और सुख को समझना और मदद का हाथ बढ़ाना। वहीं "लिहाज-ए-इंसानियत" मिलता है। इसका अर्थ है हर इंसान के साथ इज्जत और प्यार के साथ पेश आना।

आज की दुनिया में लोग अपने स्वार्थ और लालच में इतने व्यस्त हो गए हैं कि वे दूसरों की भावनाओं का ख्याल नहीं रखते। लेकिन अगर हम अपनी जिंदगी में इंसानियत और लिहाज को अपनाएँ, तो समाज में प्यार और सहयोग बढ़ता है। उदाहरण के लिए, अगर कोई गरीब या परेशान व्यक्ति हमारे पास मदद के लिए आता है और हम मदद करते हैं, तो यही हमारी इंसानियत और लिहाज दिखाता है।

लिहाज-ए-इंसानियत केवल दूसरों की मदद करना नहीं है, बल्कि उनकी गरिमा बनाए रखना भी है। हमें किसी की जाति, धर्म, रंग या स्थिति देखकर उसे कम नहीं समझना चाहिए। हर इंसान के साथ समान व्यवहार करना, उसके साथ धैर्य और समझदारी रखना—यही सबसे बड़ी इंसानियत है।

अगर हम समाज में यह भावना फैलाएँ कि हर व्यक्ति की इज्जत महत्वपूर्ण है और हर किसी के प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए, तब न केवल समाज बेहतर बनता है, बल्कि हमारी आत्मा भी शांति और संतोष महसूस करती है। लिहाज-ए-इंसानियत न केवल शब्द है, बल्कि यह हमें जीने का तरीका भी समझाता है। यह हमें दूसरों के साथ प्यार, सम्मान और समझदारी से पेश आने का मार्ग भी सिखाता है।

— Reena Devi, Arthur Foot Academy

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