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Monday, 30 June 2025

असफलता से निराश नहीं होना चाहिए - रुबल कौर

 

हमारे जीवन में कितनी भी मुश्किलें हों, लेकिन हमें हमेशा एक नई शुरुआत करनी चाहिए। इसलिए कभी भी निराश नहीं होना चाहिए।
निराश नहीं होने का अर्थ है कि यह हमें यह बताता है कि हमें मुश्किल समय में भी हिम्मत रखनी चाहिए और कभी भी निराश नहीं होना चाहिए। यह हमें यह सिखाता है कि हमें जीवन की चुनौतियों का सामना करना चाहिए।

असफलता से निराश नहीं होना चाहिए:
सफलता और असफलता जीवन का हिस्सा हैं। असफलता हमें अपनी कमजोरियों को समझने और उन्हें सुधारने का अवसर देती है, ताकि हम भविष्य में सफल हो सकें। जब हमें जीवन में असफलता मिलती है, तो हमें निराश नहीं होना चाहिए। बल्कि, उस कार्य को फिर से करने की कोशिश करनी चाहिए। अगर हम बार-बार प्रयास करेंगे, तो हमें सफलता भी प्राप्त हो जाएगी। हमें अपने आप पर विश्वास रखना चाहिए कि चीजें बेहतर हो सकती हैं। अगर हम अपने आप पर विश्वास रखेंगे, तो हमें सफलता भी मिल जाएगी। हमें सफलता प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत और तपस्या करनी पड़ती है, और हमे कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। हमें अपने जीवन में निरंतर प्रयास करने चाहिए और कभी भी हार नहीं माननी चाहिए, भले ही रास्ते में कितनी भी कठिनाइयाँ आएं। हमें ईमानदारी और सच्चाई से अपना कार्य करना चाहिए।
We should not be disappointed; we must not lose hope.

रुबल कौर

जीवन में निराशा नहीं - सिमरन कौर

 

मैंने इस पाठ से यह सीखा है कि जीवन में कभी भी निराश नहीं होना चाहिए। चाहे जीवन में कैसी भी परिस्थिति क्यों न आ जाए। जीवन एक ऐसी प्रक्रिया है, जो निरंतर चलती रहती है, तो आशा और निराशा भी कहां से जीवन में प्रवेश करेंगी। मनुष्य का जीवन है, तो सब कुछ है, क्योंकि आशा और निराशा भी जीवन से ही जुड़ी हैं। जैसे अपना काम कुछ भी हो, हमें खुद से आशा और उम्मीद है कि हम इस काम को कर सकते हैं। लेकिन आशा या उम्मीद ही रखने से कुछ नहीं होता, किसी काम को करने का जज्बा भी होना चाहिए। अगर वह काम नहीं हुआ, जिसे हम करना चाहते हैं, तो हमारा मन उदास हो जाता है। हम यह सोचते हैं कि हमने इस काम से उम्मीद और आशा रखी थी कि हम इस काम को करने की पूरी कोशिश करेंगे। अगर वह काम कोशिश करने के बाद भी न हो, तो ऐसा महसूस होता है कि हमने अपने जीवन में इतनी कोशिश करने के बाद भी कुछ पाया नहीं है। और ऐसा महसूस होता है जैसे हम असफल हो गए हैं। ऐसा सोचकर मन उदास हो जाता है। लेकिन जीवन में धैर्य रखना चाहिए कि जब अपना काम करने में हमने कोई कोशिश छोड़ी नहीं है, तो फिर मन उदास नहीं करना चाहिए। यह सोचना चाहिए कि जब हमने किसी काम को करने में पूरी कोशिश की है, तो उस काम से हमें असफलता भी जरूर मिलेगी। अगर मन उदास हो, तो अपने आप से यह उम्मीद रखनी चाहिए कि अगर आज हमने किसी काम को करने में मेहनत की है, तो हमें अपनी मेहनत का फल जरूर मिलेगा। अपने अंदर हिम्मत रखनी चाहिए और अपने मन को उदास नहीं करना चाहिए। निराश नहीं होना चाहिए।
सिमरन कौर

Friday, 23 September 2022

सुन्दर पृथ्वी को कैसे बचाएँ? - Oshi Singh

 सुन्दर पृथ्वी को कैसे बचाएँ? 

Image courtesy www.bbc.com,used by Oshi Singh for representation only

पृथ्वी हमारी नहीं हम पृथ्वी के हैं | इसलिए मैंने ये पंक्तियां लिखीं, आशा है कि आप पसंद करेंगे और हमारे ग्रह पृथ्वी को बचाने की कोशिश करेंगे | कृपया इसके बारे में सोचें और जितना हो सके पानी, पौधों और जानवरों को बचाने की कोशिश करें|

स्वच्छ जीवन, साफ मन सुन्दर पृथ्वी , घने वन |

• वृक्ष धरा के साधन है , इनको सदा बचाओ पानी सींचो , भोजन परसों , जीवन सुखी बनाओ |

• सीमित साधन , जल संसाधन , जीवनदायी पानी | भूल गए जो बच्चों इसको, याद आएगी नानी |

पानी तेरे रूप अनेक बारिश, नदिया , सागर देख |

• पृथ्वी सभी मनुष्यों की ज़रुरत पूरी करने के लिए पर्याप्त संसाधन प्रदान करती है , लेकिन लालच पूरा करने के लिए नहीं |

 • जल बचाऐं , वन बचाऐं और बचाएँ जंतु ,मानव जीवन इन पर निर्भर ,    
 ना कोई किंतु परन्तु |

 • धरती बचेगी तो जीवन बचेगा ,और नादान इंसान नहीं तू बचेगा ,अभी वक़्त हैं,अभी भी संभल जा ,नहीं तू बचा तो फिर क्या बचेगा |

धन्यवाद!

Oshi Singh
VIII D
Gyanshree School 
Reference: 
https://www.bbc.com/mundo/noticias-46686535

Saturday, 30 July 2022

प्रकृति हमारी सबसे बड़ी गुरु - अनुशा जैन

 प्रकृति हमारी सबसे बड़ी गुरु है और हमें जीवन जीना का सलीका सिखाती है।

ये है बंजर ज़िन्दगी तुम्हारी, जो है ज्ञान से खाली।
ये पेड़ पौधे हैं मोती ज्ञान के, जो लाते जीवन में हरियाली।
इस ज्ञान का उपयोग करो और परिश्रम करते जाओ 
पर्वत जैसा ऊँचा बने जीवन, ऐसे कर्म तुम कर दिखाओ।
अनुशा जैन
कक्षा दसवीं
एलकॉन पब्लिक स्कूल 

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