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Wednesday 6 September 2023

भूल मत, प्यारे - रेवीदा भट्ट

Picture Courtesy: https://greatergood.berkeley.edu/article/item/how_gratitude_changes_you_and_your_brain
  
भूल मत, प्यारे - 
A poem about Gratitude & it’s importance.

यूँ चलता है आज सिर उठाकर,
पीछे भी देखा कर कितनों ने हाथ बटाया है 
देखता है आज इस ज़मीं के ऊपर 
भूल मत किसी ने तुझे खड़ा होना भी सिखाया है। 

चलता बना घर से,
अब समय था विद्यालय जाने का,
वही बस्ता लिए जिसमें डब्बा माँ ने भिजवाया था,
तीन-चार घंटे के लिए ही,
झुण्ड से बिछड़े हए परिंदे जैसे रहना-
वह भी एक ज़माना था। 

धीरे-धीरे बनाये दोस्त जिनका साथ मिलना ही 
समय का खज़ाना था। 
भूल मत, ए परिंदे, वह भी एक ज़माना था 
जब घर से बाहर रहना भी 
लगता घर के प्यार में समाना था,
भूल मत उन्हें जिन्होंने तुझे घर से दूर तेरा एक और घर बनाया था। 

अक्षरों का ज्ञान नहीं,
कलम के इस्तेमाल से अनजान,
भूल मत ज्ञानी, किसी ने तुझे कलम पकड़ना क्या,
कलाम के बारे में भी पढ़ाया था,
तभी जीवन में आया ज्ञान का अभिमान था। 

कभी दोस्तों से लड़कर, घर आकर 
प्यार तो तूने उन्हीं बाहों में पाया था,
जिनमें तूने अपना जीवन सजाया था,
माँ की ममतामयी नज़रों और पिता के रक्षात्मक स्वभाव 
में ही पाया था। 

कभी झगड़ा सुलझाया तो कभी सही दोस्त चुनना सिखाया। 
बढ़ता गया तू आगे, लेकर अपना परिवार जब अपनेपन का आभास तूने 
कुछ लोगों में ही पाया था। 
आज पीछे छोड़ गया तू उन्हीं को जिन्होंने वर्षा में अपनी छतरी के अंदर 
खींचकर तुझे भीगने से बचाया था। 

यही तो इंसान की प्रवृत्ति है,
भूल जाता है कितनों ने उसे खिलाया है,
बस चलता जाता है उस राह पर,
यह भूलकर कि कितनों ने उससे हुई भूल को भुलाया है,
कितनों ने उस पर रौशनी बरसाई और 
कितनों ने उसे रास्ता दिखाया है,
जीने की चाह का उसमें बीज उगाया है। 

भूल मत, तुझे कामयाब होता देख
कितनों का दिल गर्व की लहरों से झूमेगा 
जब तेरा अपना, तुझ बीज को 
कभी एक हरे-भरे वृक्ष के रूप में देखेगा। 

यूँ चलता है आज सिर उठाकर,
भूल मत प्यारे,  कितनों ने तुझे जीना भी सिखाया है। 

Reveda Bhatt
Grade X || The Aryan School

Friday 23 September 2022

सुन्दर पृथ्वी को कैसे बचाएँ? - Oshi Singh

 सुन्दर पृथ्वी को कैसे बचाएँ? 

Image courtesy www.bbc.com,used by Oshi Singh for representation only

पृथ्वी हमारी नहीं हम पृथ्वी के हैं | इसलिए मैंने ये पंक्तियां लिखीं, आशा है कि आप पसंद करेंगे और हमारे ग्रह पृथ्वी को बचाने की कोशिश करेंगे | कृपया इसके बारे में सोचें और जितना हो सके पानी, पौधों और जानवरों को बचाने की कोशिश करें|

स्वच्छ जीवन, साफ मन सुन्दर पृथ्वी , घने वन |

• वृक्ष धरा के साधन है , इनको सदा बचाओ पानी सींचो , भोजन परसों , जीवन सुखी बनाओ |

• सीमित साधन , जल संसाधन , जीवनदायी पानी | भूल गए जो बच्चों इसको, याद आएगी नानी |

पानी तेरे रूप अनेक बारिश, नदिया , सागर देख |

• पृथ्वी सभी मनुष्यों की ज़रुरत पूरी करने के लिए पर्याप्त संसाधन प्रदान करती है , लेकिन लालच पूरा करने के लिए नहीं |

 • जल बचाऐं , वन बचाऐं और बचाएँ जंतु ,मानव जीवन इन पर निर्भर ,    
 ना कोई किंतु परन्तु |

 • धरती बचेगी तो जीवन बचेगा ,और नादान इंसान नहीं तू बचेगा ,अभी वक़्त हैं,अभी भी संभल जा ,नहीं तू बचा तो फिर क्या बचेगा |

धन्यवाद!

Oshi Singh
VIII D
Gyanshree School 
Reference: 
https://www.bbc.com/mundo/noticias-46686535