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Sunday, 28 September 2025

ईमानदारी – जीवन का स्थायी धन - Sakshi Pal

ईमानदारी केवल एक गुण नहीं, बल्कि जीवन जीने का सही मार्ग है। इस अध्याय ने मुझे यह गहराई से समझाया कि इंसान की असली पहचान उसके रूप-रंग, धन-दौलत या बाहरी उपलब्धियों से नहीं होती, बल्कि उसके सच्चे स्वभाव और ईमानदार आचरण से होती है।

अध्याय पढ़ते समय मैंने महसूस किया कि ईमानदारी हमें कभी आसान रास्ता नहीं देती, लेकिन यह हमेशा सही मंज़िल तक पहुँचाती है। कई बार झूठ बोलना या बेईमानी करना तुरंत लाभ देता है, पर उसका परिणाम अंततः दुखदायी होता है। इसके विपरीत, ईमानदार व्यक्ति कठिनाइयाँ झेल सकता है, लेकिन समाज में उसकी प्रतिष्ठा और आत्मसम्मान हमेशा ऊँचा रहता है।

यह अध्याय पढ़कर मेरे मन में यह विचार आया कि ईमानदारी केवल बड़े-बड़े कार्यों में ही नहीं, बल्कि हमारे छोटे-छोटे कामों में भी दिखाई देनी चाहिए। चाहे वह परीक्षा में नकल न करना हो, घर के कामों में सच्चाई से मदद करना हो, या दूसरों से व्यवहार करते समय पारदर्शिता रखना हो – हर जगह ईमानदारी हमारी सबसे बड़ी पूंजी है।

मेरे लिए सबसे प्रभावशाली बात यह रही कि ईमानदारी इंसान के भीतर आत्मविश्वास और सच्ची शांति लाती है। झूठ और छल से भले ही थोड़े समय के लिए सफलता मिल जाए, लेकिन मन का बोझ और डर हमें चैन से जीने नहीं देते। वहीं, ईमानदारी से भरा जीवन हमें न केवल समाज का विश्वास दिलाता है, बल्कि हमें अपने ही अंदर गर्व और संतोष का अनुभव कराता है।

इस संदर्भ में महात्मा गाँधी जी का जीवन और विचार हमारे लिए मार्गदर्शन हैं – उन्होंने सत्य और अहिंसा को जीवन का मूल सिद्धांत माना और बताया कि सत्य के लिए लगातार खड़ा होना ही सच्ची महानता है। इसी तरह अब्राहम लिंकन का प्रसिद्ध विचार “I am not bound to win, but I am bound to be true” हमें याद दिलाता है कि जीत से ज्यादा ज़रूरी है सच्चाई के साथ बने रहना।

यह अध्याय हमें सिखाता है कि एक ईमानदार व्यक्ति समाज में प्रेरणा का स्रोत बनता है। जैसे दीपक अंधकार को दूर करता है, वैसे ही ईमानदारी दूसरों के लिए मार्गदर्शन का कार्य करती है। यदि हर व्यक्ति अपने जीवन में ईमानदारी को अपनाए, तो समाज से अन्याय, भ्रष्टाचार और भेदभाव स्वतः ही कम हो जाएँगे।

अंत में, मैं यह कहना चाहूँगी कि ईमानदारी केवल पढ़ाई का विषय नहीं, बल्कि जीने की कला है। इस अध्याय और महापुरुषों के विचारों ने मेरे भीतर यह दृढ़ निश्चय पैदा किया है कि मैं हर परिस्थिति में ईमानदार बने रहने की कोशिश करूँगी, क्योंकि यही गुण इंसान को सच्चा और महान बनाता है।

"सत्य और ईमानदारी जीवन का स्थायी धन है; इन्हें अपनाकर ही हम खुद भी महान बनते हैं और समाज को बेहतर बनाते हैं।"

– Sakshi Pal
Arthur Foot Academy

ईमानदारी – जीवन का पहला अध्याय - Swati

"ज्ञान की पुस्तक में ईमानदारी पहला अध्याय है।" मुझे लगता है कि जीवन में ईमानदार होना केवल एक गुण नहीं, बल्कि हमारी पहचान है। यह हमें दूसरों के लिए प्रेरणा बनाता है और हमारे चरित्र की मजबूती दर्शाता है। इसलिए मैं ईमानदारी को अपने जीवन का आधार मानकर जीना चाहती हूँ।

आज के समय में, जब लोग छोटे फायदे के लिए झूठ या छल का सहारा लेते हैं, तब ईमानदारी का महत्व और भी बढ़ जाता है। ईमानदारी न केवल व्यक्तिगत जीवन में सफलता दिलाती है, बल्कि समाज में एक अच्छा और सकारात्मक वातावरण भी बनाती है।

ईमानदारी का अर्थ केवल सच बोलना नहीं है, बल्कि अपने कर्मों में भी सच्चाई बनाए रखना है। जब हम ईमानदारी के मार्ग पर चलते हैं, तो चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हों, हमें न डर लगता है न अपराधबोध।

ईमानदारी हमारे जीवन का एक अनमोल गुण है। यह वह नैतिक ताकत है जो हमें सच्चाई के रास्ते पर चलने की प्रेरणा देती है। ईमानदार व्यक्ति न केवल दूसरों का विश्वास जीतता है, बल्कि अपने आत्मसम्मान को भी बनाए रखता है।

ईमानदारी इंसान की सबसे बड़ी पूंजी है। यह हमें सिखाती है कि सही काम करने वाला इंसान कभी हारता नहीं, और ईमानदार व्यक्ति का सम्मान हर जगह होता है।

– Swati, Arthur Foot Academy

ईमानदारी – जीवन की असली पूंजी – Lalita Pal

ईमानदारी इंसान की सबसे बड़ी पूंजी होती है। अगर हमारा मन साफ है, तो हमें अपनी गलती स्वीकार करने में कोई परेशानी नहीं होती। ईमानदार व्यक्ति हमेशा सम्मान के पात्र होते हैं।

ईमानदारी का गुण हमें केवल सम्मान ही नहीं दिलाता, बल्कि हमें अंदर से सच्चा और निडर भी बनाता है। मैंने सीखा है कि ईमानदार व्यक्ति हर परिस्थिति में विश्वास का पात्र होता है। अस्थायी लाभ के लिए झूठ बोलना आसान लगता है, लेकिन उसका प्रभाव थोड़े समय तक ही रहता है। जबकि ईमानदारी से जीता हुआ विश्वास जीवन भर साथ देता है।

इस पाठ से मुझे समझ आया कि हमें हमेशा सच का साथ देना चाहिए और ईमानदारी से दुनिया को बदलने की कोशिश करनी चाहिए। जीवन में सबसे बड़ी पूंजी पैसा या पद नहीं, बल्कि सच्चाई और विश्वास हैं।

ईमानदारी वह आधार है जिस पर व्यक्ति और समाज का भविष्य खड़ा होता है। जब कोई व्यक्ति ईमानदार होता है, तो वह न केवल अपने लिए, बल्कि अपने परिवार, समाज और राष्ट्र के लिए भी प्रेरणा बन जाता है।

इस पाठ ने मुझे यह सोचने पर मजबूर किया कि ईमानदारी केवल सच बोलने तक सीमित नहीं है। यह हमारे हर व्यवहार और निर्णय में झलकती है। परीक्षा में नकल न करना, दूसरों के साथ न्याय करना, अपने विचारों को शुद्ध रखना और गलत कार्यों से बचना – ये सब ईमानदारी के छोटे-छोटे रूप हैं। यही छोटे कार्य मिलकर व्यक्ति को महान बनाते हैं।

मैंने महसूस किया कि ईमानदारी केवल दूसरों के प्रति कर्तव्य नहीं है, बल्कि यह हमारे भीतर आत्मविश्वास और आत्मसंतोष भी उत्पन्न करती है। झूठ बोलने वाला व्यक्ति हमेशा डर और संकोच में जीता है, जबकि ईमानदार व्यक्ति निडर और शांति पूर्ण जीवन जीता है।

इस पाठ ने मुझे यह भी सिखाया कि ईमानदारी केवल व्यक्तिगत गुण नहीं है, बल्कि यह सामाजिक परिवर्तन का माध्यम भी है। यदि हर व्यक्ति अपने जीवन में ईमानदारी को अपनाए तो समाज में अन्याय, भ्रष्टाचार और असमानता की जड़ें अपने आप कमजोर हो जाएँगी।

ईमानदारी हमें एक बेहतर नागरिक और एक बेहतर इंसान बनाती है। अंततः मैं यही कह सकती हूँ कि यह पाठ मेरे लिए केवल पढ़ाई का विषय नहीं रहा, बल्कि जीवन की दिशा दिखाने वाला दर्पण बना है। इसने मुझे प्रेरित किया है कि मैं हर परिस्थिति में सत्य और ईमानदारी का साथ दूँ। चाहे रास्ता कितना भी कठिन क्यों न हो, अंततः यही गुण हमें सच्चा सम्मान, आत्मसंतोष और वास्तविक सफलता दिलाते हैं।

– Lalita Pal
Arthur Foot Academy

ईमानदारी – जीवन की सबसे बड़ी विरासत - Simran


मैंने इस बात से सीखा है कि ईमानदारी इस संसार में एक ऐसी राह है, जो किसी भी व्यक्ति को वहाँ तक पहुँचा सकती है जहाँ कोई बेईमान मनुष्य नहीं पहुँच सकता। इसलिए, हर मनुष्य को ईमानदारी की राह पर चलना चाहिए।

ईमानदारी का एक उदाहरण मैंने अपने घर में देखा है। मेरे पिताजी हलवाई का काम करते हैं। एक बार हमारी दुकान पर एक बूढ़ा व्यक्ति मिठाई लेने आया। उसने ₹480 की मिठाई खरीदी और ₹1000 का नोट दिया। मेरे पिताजी ने उसे मिठाई देकर कहा कि अभी मेरे पास केवल ₹20 हैं, बाकी ₹500 आप शाम को आकर ले लेना। उस बूढ़े व्यक्ति ने कहा कि ठीक है, मैं शाम को आकर पैसे ले लूँगा।

मैं उस समय 16 वर्ष की थी और पिताजी की मदद करती थी। अगले दिन पिताजी ने मुझसे पूछा कि क्या वह बूढ़ा व्यक्ति ₹500 ले गया था? मैंने कहा – नहीं। तब पिताजी ने मुझसे ₹500 दिए और कहा कि मैं उसे उसके घर जाकर पैसे लौटा आऊँगा। मैंने पिताजी से पूछा कि वह व्यक्ति खुद आकर ले लेता, तो पिताजी ने कहा – "कोई बात नहीं, वह भूल गया होगा। किसी के पैसे रखने से हम राजा नहीं बन जाते।"

उस दिन के बाद से मैंने भी सीखा कि यदि कोई हमारी दुकान पर अपना सामान या पैसे भूल जाता था तो मैं भी तुरंत लौटा देती थी।

एक और उदाहरण मुझे याद आता है। साक्षी खन्ना अंकल हमारी दुकान से सामान लेते थे और महीने भर का हिसाब रखते थे। जब उनकी तनख्वाह मिलती, तो रात 10-11 बजे भी यदि पिताजी सो गए होते, तो वे उन्हें उठाकर कहते – "लाल जी, सामान का हिसाब जोड़ लो।" पिताजी हिसाब जोड़कर राशि बताते और वे तुरंत पैसे चुका देते।

इसी तरह मेरे दादाजी और उनके भाई भी दुकान चलाते थे। उस समय कई लोग अनाज या चावल देकर सामान खरीदते थे। एक बार चूहों ने दुकान की बोरी काटकर अनाज अपने बिल में जमा करना शुरू कर दिया। बोरी हल्की हो गई तो दादाजी के भाई को लगा कि दादाजी ने चोरी-छिपे अनाज बेच दिया है। उन्होंने गुस्से में दादाजी को मारा-पीटा, लेकिन दादाजी चुप रहे। बाद में, जब बोरी हटाकर देखा गया तो पता चला कि नीचे चूहों का बिल है और सारा अनाज वहीं जमा है। यह देखकर दादाजी का भाई शर्मिंदा हो गया और समझ गया कि उसका भाई कितना ईमानदार है।

इन सभी घटनाओं से मुझे यह सीख मिली कि ईमानदारी कभी छिपती नहीं। जैसे बेईमानी सामने आ जाती है, वैसे ही ईमानदारी भी अपने आप प्रकट हो जाती है। इसलिए जीवन में हमेशा ईमानदारी की राह पर चलना चाहिए, चाहे समय अच्छा हो या बुरा।

ईमानदारी सबसे बड़ी विरासत है। यह न केवल स्वयं के जीवन को आधार देती है, बल्कि दूसरों को भी सही राह दिखाती है। अच्छे कार्य अपने आप अभिव्यक्ति करते हैं, इसलिए हर इंसान को अच्छे काम करने चाहिए और ईमानदारी की राह पर ही चलना चाहिए।

Simran
Arthur Foot Academy

Thursday, 25 September 2025

ईमानदारी और सच्चाई – चरित्र की सच्ची पहचान - Sunbeam Gramin School

ईमानदारी का तात्पर्य सत्यनिष्ठा, निष्ठा, सम्मान और सच्चाई से होता है, जो किसी भी तरह से झूठ, चोरी या धोखे से इनकार करने का भाव है, जबकि सच्चाई से तात्पर्य किसी वस्तुनिष्ठ तथ्य या वास्तविकता के अनुरूप होना है, जो सटीक और सत्यापित हो। संक्षेप में, ईमानदारी एक चरित्र का गुण है, जो सच कहने और नैतिक मूल्यों का पालन करने से व्यक्त होता है, जबकि सच्चाई वह वस्तुनिष्ठ वास्तविकता है, जो सही है और जिसकी पुष्टि की जा सकती है।

ईमानदारी - ईमानदारी का अर्थ है सच बोलने वाला होना, किसी भी तरह से झूठ, चोरी या धोखे से इनकार करना।

नैंसी गिरी
कक्षा - 8

सच्चाई और ईमानदार व्यक्ति का चरित्र को मजबूत बनाता है। जब व्यक्ति सच बोलता है तो समाज में विश्वास और एकता का निर्माण होता है। ईमानदार लोग दूसरों के लिए प्रेरणा देते हैं। ईमानदारी एक नैतिक अवधारणा है। सामान्य रूप से इसका तात्पर्य सत्य से होता है, किन्तु विस्तृत रूप से ईमानदारी में मन, वचन तथा कर्म से प्रेम, अहिंसा, विश्वास जैसे गुणों के पालन पर बल देती है।

ईमानदारी एक ऐसा गुण है, जो लालच और बेईमानी से बचाती है। ईमानदारी हर एक मनुष्य में होना चाहिए। ईमानदारी से जो कार्य किए जाते हैं, वे अवश्य पूरे होते हैं। अनुशासन में रहना, सच बोलना और दूसरों की ईमानदारी से मदद करना चाहिए।

विशाखा यादव
कक्षा - 8

सच बोलना और ईमानदारी - सुनीता त्रिपाठी

जब मैं "सच बोलना" और "ईमानदारी" पर सोचती हूं, तो मुझे लगता है कि दोनों एक जैसे लगते हैं, लेकिन वास्तव में इनमें अंतर है। सच बोलना केवल शब्दों में सत्य कहना है, जबकि ईमानदारी जीवन के हर पहलू में सच्चाई और निष्ठा रखने का नाम है।

कभी-कभी कोई व्यक्ति सच तो बोल देता है, लेकिन अपने कर्मों में ईमानदार नहीं होता। वहीं, ईमानदार व्यक्ति न केवल सच बोलता है, बल्कि अपने काम और व्यवहार में भी न्यायपूर्ण और सच्चा रहता है। मुझे लगता है कि सच बोलना आसान हो सकता है, लेकिन ईमानदारी निभाना कठिन है।

फिर भी, अगर हम ईमानदारी को अपने जीवन में अपनाते हैं, तो हमें विश्वास, सम्मान और आत्मिक शांति मिलती है। मेरे लिए ईमानदारी का मतलब है — अपने आप से और दूसरों से सच्चा रहना।

जीवन में कई बार ऐसे मौके आते हैं जब झूठ बोलकर फायदा उठाया जा सकता है, लेकिन वह लाभ स्थायी नहीं होता। ईमानदार रहना कभी-कभी कठिन लगता है, पर यही हमें भरोसेमंद बनाता है। मैं मानती हूं कि ईमानदारी हमें आत्मिक शांति देती है। जब हम सच और निष्ठा के साथ जीते हैं, तो हमें किसी डर या बोझ का सामना नहीं करना पड़ता। यही आंतरिक संतोष असली सफलता है।

सुनीता त्रिपाठी

Friday, 11 July 2025

संकल्प: आत्मबल और विश्वास का आधार - सिमरन कौर

"अगर मन में विश्वास हो, तो रास्ते बन ही जाते हैं।"

संकल्प’ पाठ से मैंने यह सीखा है कि संकल्प एक ऐसा दृढ़ निश्चय है, जिसमें एक बार किसी कार्य को करने का निर्णय ले लिया जाए, तो फिर पीछे हटना नहीं चाहिए।
इसलिए किसी भी काम को शुरू करने से पहले यह ठान लेना ज़रूरी है कि — "मुझे यह कार्य करना है, और किसी भी परिस्थिति में इसे पूरा करके ही रहना है।"

जीवन में कैसी भी परिस्थिति क्यों न आ जाए — चाहे वह अनुकूल हो या प्रतिकूल — हमें अपने संकल्प पर टिके रहना चाहिए। जैसे मैं सिमरन, वर्तमान में बीएससी कर रही हूँ, तो मैंने यह ठान लिया है कि मैं यह कोर्स पूरा करके ही रहूँगी। चाहे जीवन में कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न आएँ, मैं पीछे नहीं हटूँगी।

जीवन में उतार-चढ़ाव तो आते रहते हैं, लेकिन मेरा संकल्प मुझे लगातार आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। मैं Arthur Foot Academy में बच्चों को विज्ञान पढ़ाती हूँ। कभी-कभी कोई विषय ऐसा होता है जो मुझे स्वयं भी ठीक से नहीं आता, लेकिन मैं उसे सीखने का पूरा प्रयास करती हूँ।

मैंने अपने मन में यह ठान रखा है कि मैं जल्दी ही उसे सीख जाऊँगी। अगर सीखने की इच्छा हो, तो कोई भी व्यक्ति कुछ भी सीख सकता है, और फिर वही ज्ञान दूसरों को भी सिखा सकता है। परंतु सीखने और सिखाने के लिए खुद पर विश्वास होना बहुत ज़रूरी है। जब हम यह संकल्प लेते हैं कि "मुझे यह कार्य पूरा करना है," तो आत्मबल बढ़ता है और कार्य के प्रति समर्पण भी। कभी-कभी जीवन में ऐसा भी होता है कि हमने कोई कार्य पूरी मेहनत, लगन और सच्चाई से किया, लेकिन फिर भी सफलता नहीं मिलती। ऐसे समय में मनोबल टूट सकता है, लेकिन हमें अपने संकल्प को याद करना चाहिए।

हमें यह सोचना चाहिए कि —
"मैंने यह कार्य अपने मन से, अपनी इच्छा से चुना था, और मैंने खुद से वादा किया था कि मैं इसे पूरा करूँगी।"

‘संकल्प’ पाठ से मुझे यह सीख मिली कि

  • हार नहीं माननी चाहिए,

  • अपने ऊपर विश्वास रखना चाहिए,

  • और जीवन में आगे बढ़ते रहना चाहिए।

हमें कभी यह नहीं सोचना चाहिए कि "मैं यह काम नहीं कर सकती/सकता,"
बल्कि यह सोचना चाहिए — "मैं कर सकती हूँ और करूँगी।"

संकल्प ही वह शक्ति है जो हमें कठिन परिस्थितियों में भी डटे रहने और लक्ष्य को पाने के लिए प्रेरित करती है।

-सिमरन कौर

Monday, 30 June 2025

निराशा से सफलता तक: कभी हार न मानने की ताकत - रीना देवी

 

"The one who stops trying is the real loser."

जीवन में निराशा आना स्वाभाविक है, लेकिन उसी निराशा में डूबे रहना सही नहीं है। जब भी हम किसी काम में असफल होते हैं या कोई उम्मीद टूटती है, तो मन निराश हो जाता है। उस समय हमें याद रखना चाहिए कि हर रात के बाद सुबह जरूर आती है। महान लोग भी अपने जीवन में कई बार असफल हुए हैं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। अगर वे निराश होकर बैठ जाते, तो आज दुनिया उन्हें याद नहीं करती। हमें अपनी गलतियों से सीखकर आगे बढ़ना चाहिए। हर असफलता हमें कुछ न कुछ सीखकर जाती है, इसलिए जीवन में कभी हार नहीं माननी चाहिए, क्योंकि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। ईश्वर ने हमें इतनी ताकत दी है कि हम हर मुश्किल का सामना कर सकें। अगर मन में विश्वास और धैर्य है, तो मंजिल दूर नहीं। इसलिए मैं यह सोचती हूं कि चाहे कितनी भी कठिनाई आए, निराश नहीं होना चाहिए, क्योंकि सच्ची जीत वहीं है जो कठिनाइयों को पार करने के बाद मिलती है।

"Little steps you take, big changes they make. The one who never quits, in golden pages sits."

रीना देवी


निराश नहीं होना - साक्षी खन्ना

जीवन में कठिनाइयाँ आती हैं, लेकिन हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए। हमें खुद पर विश्वास रखना चाहिए और आगे बढ़ते रहना चाहिए। जीवन एक यात्रा है जिसमें कभी सफलता मिलती है और कभी असफलता। लेकिन जब हम असफल होते हैं या हमारी मेहनत का तुरंत फल नहीं मिलता, तो हम निराश हो जाते हैं। यह निराशा हमें अंदर से कमजोर बना सकती है, लेकिन अगर हम चाहें, तो इसी निराशा को अपनी ताकत बना सकते हैं।

निराश नहीं होना का मतलब है हमें हर परिस्थिति में उम्मीद बनाए रखनी चाहिए। हालात जैसे भी हों, अगर हम धैर्य रखें और प्रयास करते रहें, तो सफलता जरूर मिलती है। हर असफलता हमें कुछ सिखाती है और हर ठोकर हमें मजबूत बनाती है।

Those who never give up are the ones who succeed in the end.

हम सभी के जीवन में ऐसे स्थान आते हैं जब चीजें हमारी उम्मीदों के अनुसार नहीं होतीं। हम पूरी मेहनत करते हैं, सपने देखते हैं, योजनाएँ बनाते हैं, लेकिन परिणाम हमारे पक्ष में नहीं आते। ऐसे समय में दिल टूटता है, मन उदास हो जाता है, और निराशा घेर लेती है।
परंतु यही वह समय होता है जब हमारी असली परीक्षा होती है।

Disappointment does not stop us; it inspires us to move ahead.

साक्षी खन्ना

असफलता से निराश नहीं होना चाहिए - रुबल कौर

 

हमारे जीवन में कितनी भी मुश्किलें हों, लेकिन हमें हमेशा एक नई शुरुआत करनी चाहिए। इसलिए कभी भी निराश नहीं होना चाहिए।
निराश नहीं होने का अर्थ है कि यह हमें यह बताता है कि हमें मुश्किल समय में भी हिम्मत रखनी चाहिए और कभी भी निराश नहीं होना चाहिए। यह हमें यह सिखाता है कि हमें जीवन की चुनौतियों का सामना करना चाहिए।

असफलता से निराश नहीं होना चाहिए:
सफलता और असफलता जीवन का हिस्सा हैं। असफलता हमें अपनी कमजोरियों को समझने और उन्हें सुधारने का अवसर देती है, ताकि हम भविष्य में सफल हो सकें। जब हमें जीवन में असफलता मिलती है, तो हमें निराश नहीं होना चाहिए। बल्कि, उस कार्य को फिर से करने की कोशिश करनी चाहिए। अगर हम बार-बार प्रयास करेंगे, तो हमें सफलता भी प्राप्त हो जाएगी। हमें अपने आप पर विश्वास रखना चाहिए कि चीजें बेहतर हो सकती हैं। अगर हम अपने आप पर विश्वास रखेंगे, तो हमें सफलता भी मिल जाएगी। हमें सफलता प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत और तपस्या करनी पड़ती है, और हमे कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। हमें अपने जीवन में निरंतर प्रयास करने चाहिए और कभी भी हार नहीं माननी चाहिए, भले ही रास्ते में कितनी भी कठिनाइयाँ आएं। हमें ईमानदारी और सच्चाई से अपना कार्य करना चाहिए।
We should not be disappointed; we must not lose hope.

रुबल कौर

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