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Friday, 15 August 2025

बदलाव का बीज तुम्हारे भीतर है - साक्षी पाल

 
बदलाव की शुरुआत हमेशा भीतर से होती है। हम अक्सर चाहते हैं कि समाज, देश और दुनिया बेहतर हो जाए, लेकिन पहला कदम उठाने से डरते हैं। अगर हम सच में बदलाव देखना चाहते हैं, तो हमें अपने आचरण, सोच और कार्यों में सुधार लाना होगा।

महात्मा गांधी ने कहा था— "वह बदलाव बनो जो तुम दुनिया में देखना चाहते हो।" यह विचार हमें बताता है कि परिवर्तन का बीज हमारे भीतर है। अगर हम ईमानदारी, अनुशासन, दया, स्वच्छता और जिम्मेदारी को अपनाएँ, तो हमारा प्रभाव दूसरों पर भी पड़ेगा, और धीरे-धीरे समाज में सकारात्मक लहर दौड़ जाएगी।

इसका एक अद्भुत उदाहरण हैं जादव पायेंग—असम के एक साधारण किसान, जिन्होंने अकेले 40 साल तक पेड़ लगाकर 550 हेक्टेयर का घना जंगल तैयार कर दिया। यह सब उन्होंने तब शुरू किया, जब अपने गाँव के पास की बंजर ज़मीन और सूखती नदी देखकर उनका दिल पसीज गया। लोग कहते थे कि अकेले कोई कुछ नहीं कर सकता, लेकिन उन्होंने साबित कर दिया कि एक व्यक्ति भी पूरी धरती को हरियाली से ढक सकता है। आज वह जंगल असंख्य पशु-पक्षियों का घर है, और जादव पायेंग को "Forest Man of India" कहा जाता है।

उनकी कहानी यह सिखाती है कि अगर हम शिकायत करने के बजाय काम शुरू कर दें, तो बदलाव अपने आप रास्ता बना लेता है। चाहे कदम कितना भी छोटा हो, उसका असर समय के साथ बहुत बड़ा हो सकता है।

इसलिए, इंतज़ार मत करो कि कोई और आए और दुनिया को बदले—शुरुआत खुद करो, क्योंकि बदलाव का असली स्रोत हम खुद हैं।

"छोटे कदम से बड़े बदलाव की शुरुआत होती है।" 

साक्षी पाल

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