Showing posts with label महानता. Show all posts
Showing posts with label महानता. Show all posts

Monday, 6 October 2025

क्षमा का महत्व और जीवन में उसका अमूल्य स्थान - साक्षी खन्ना

क्षमा इंसान के जीवन का सबसे सुंदर आभूषण है। यह हमें नफ़रत से दूर ले जाकर प्रेम और करुणा से जोड़ती है। जब हम किसी की गलती को माफ़ कर देते हैं, तो हम केवल उसका अपराध ही नहीं मिटाते, बल्कि अपने दिल की कड़वाहट भी समाप्त कर देते हैं।

क्षमा करने से रिश्ते टूटने के बजाय और मज़बूत हो जाते हैं। यह हमें सिखाती है कि इंसान गलती कर सकता है और हर गलती को सुधार सकता है। अगर हम दूसरों को क्षमा करेंगे, तभी हमें भी अपने जीवन में क्षमा पाने का अधिकार होगा।

क्षमा का भाव आत्मा को निर्मल करता है। यह मनुष्य को विनम्र, सहनशील और उदार बनाता है। वास्तव में क्षमा ही वह गुण है, जो मनुष्य को मानवता के उच्चतम स्तर तक ले जाता है।

जीवन में सभी से गलतियाँ होती हैं—कभी हमसे, तो कभी दूसरों से। यदि हर गलती को पकड़कर हम अपने मन में बोझ रखें, तो रिश्ते टूटने लगते हैं और मन अशांत हो जाता है। लेकिन जब हम क्षमा करना सीखते हैं, तब हमारे रिश्तों में मिठास और विश्वास बढ़ता है। क्षमा दुर्बलता की निशानी नहीं, बल्कि यह तो साहस और आत्मबल का प्रतीक है। यह वह गुण है, जो इंसान को महान बनाता है। क्षमा से हम अतीत की कड़वाहट से निकलकर वर्तमान में खुश रहना सीखते हैं।

इसलिए हमें जीवन में क्षमा को अपनाना चाहिए, ताकि हम न केवल दूसरों को बल्कि स्वयं को भी हल्का और शांत बना सकें।

साक्षी खन्ना, आर्थर फ़ुट अकैडमी

क्षमा का अमूल्य महत्व - स्वाति

मनुष्य जीवन में सबसे कठिन लेकिन सबसे सुंदर गुण क्षमा है। जब कोई हमें चोट पहुँचाता है, चाहे शब्दों से, कर्मों से या व्यवहार से, हमारा दिल टूट जाता है और गुस्सा मन को जकड़ लेता है। परंतु यदि हम हमेशा बदले की भावना में जीते रहें, तो मन में शांति कभी नहीं आ सकती। लेकिन जब हम किसी इंसान को क्षमा कर देते हैं, तो सबसे पहले हमें खुद ही अपने मन में हल्का महसूस होता है। जैसे कोई बड़ा बोझ हमारे मन से उतर गया हो और एक अलग ही सुकून मिल गया हो।

क्षमा का मतलब यह नहीं कि हम भूल जाएँ कि किसने हमें दुःख दिया, बल्कि इसका अर्थ यह है कि हम अपने हृदय में उस पीड़ा और उस व्यक्ति के प्रति नफरत को जगह नहीं देते। क्षमा करने वाला इंसान सच में बड़ा और महान होता है, क्योंकि वह अपने गुस्से को अपने मन से निकाल देता है।

मुझे लगता है कि क्षमा केवल दूसरों के लिए ही नहीं बल्कि अपने लिए भी जरूरी है। जब हम गलती करें, तो हमें खुद को भी क्षमा करना आना चाहिए। बार-बार अपने ही दोषों में फँसकर पछताने से बेहतर है कि उन्हें स्वीकार करें, उनसे सीख लें और स्वयं को क्षमा कर आगे बढ़ें।

क्षमा हमें दया, करुणा और प्रेम की ओर ले जाती है। यह रिश्तों को जोड़ती है, टूटे हुए दिलों को संवारती है और इंसान को मन से महान बनाती है। बिना किसी को क्षमा किए कोई भी रिश्ता ज्यादा समय तक नहीं टिक सकता। इसलिए मेरे लिए क्षमा जीवन का एक अमूल्य रत्न है, जिसे हर इंसान को अपनाना चाहिए। क्षमा करने से हम न केवल दूसरों के लिए बड़े बनते हैं, बल्कि खुद के लिए भी सच्ची शांति और आनंद पाते हैं।

स्वाति, आर्थर फ़ुट अकैडमी

Reflections Since 2021