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Friday, 22 August 2025

कृतज्ञता: जीवन और संबंधों को मजबूत बनाने की सकारात्मक भावना - Manjula Sagar


कृतज्ञता एक सकारात्मक भावना है, जिसमें व्यक्ति अपने जीवन में प्राप्त सहयोग, उपकार, अवसर या आशीर्वाद के लिए आभार व्यक्त करता है। यह हमें संतोषी, विनम्र और दयालु बनाती है। कृतज्ञ व्यक्ति दूसरों के योगदान को स्वीकार करता है और छोटी-छोटी चीज़ों की भी कदर करता है। यह न केवल मानसिक शांति और खुशी देती है, बल्कि रिश्तों को मजबूत और जीवन को अर्थपूर्ण बनाती है।

1 . रोजर फेडरर अपने कोच, परिवार और प्रशंसकों के सहयोग के लिए हमेशा आभार जताते रहे। जीत हो या हार विनम्र बने रहे और विरोधियों का सम्मान किया। अपने देश स्विट्ज़रलैंड और बच्चों की शिक्षा के लिए चैरिटी कार्यों में कृतज्ञ भाव से योगदान दिया।

2-. नेलसन मंडेला 27 साल जेल में रहने के बाद भी बदले की बजाय क्षमा और आभार का मार्ग चुना। स्वतंत्रता और लोकतंत्र मिलने पर अपने साथियों और जनता का धन्यवाद किया। जीवनभर जाति, शांति और समानता के लिए संघर्ष करते हुए दूसरों के योगदान को सराहा। स्वतंत्रता संग्राम में साथ देने वाले साथियों और जनता के प्रति कृतज्ञ रहे। राष्ट्रपति बनने पर विरोधियों और समर्थकों – दोनों के योगदान को स्वीकार किया।

निष्कर्ष - हमें एक दूसरे के प्रति कृतज्ञता का भाव रखना चाहिए और अपने कक्षा मे भी बच्चों को भी एक दूसरे के लिए कृतज्ञता एवं आभार व्यक्त करने के लिए सिखाना चाहिए।

Manjula Sagar
Sunbeam Gramin School

कृतज्ञता: जीवन को सुंदर और समाज को सशक्त बनाने का अमूल्य गुण- साक्षी पाल


पाठ "कृतज्ञता" हमें यह सिखाता है कि जीवन केवल अधिकार लेने का नाम नहीं है, बल्कि दूसरों के प्रति आभार व्यक्त करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। हम अकेले कुछ नहीं कर सकते। हमारे माता-पिता हमें जीवन और संस्कार देते हैं, हमारे शिक्षक हमें ज्ञान का प्रकाश देते हैं, मित्र कठिन समय में हमारा साथ देते हैं, और प्रकृति हमें भोजन, जल, वायु तथा हर आवश्यक संसाधन प्रदान करती है।

कृतज्ञता का अर्थ इन सबकी महत्ता को समझना और उनके प्रति धन्यवाद का भाव प्रकट करना है। जब हम आभार व्यक्त करते हैं, तो हमारे भीतर विनम्रता, सहानुभूति और प्रेम का विकास होता है। यह गुण हमें न केवल एक अच्छा इंसान बनाता है, बल्कि समाज में सकारात्मकता और सहयोग की भावना भी फैलाता है।

कृतज्ञता हमें यह भी सिखाती है कि हमें छोटी-छोटी चीज़ों की भी कद्र करनी चाहिए। जीवन में हर अनुभव, हर अवसर और हर मदद हमें आगे बढ़ने का मार्ग दिखाती है। आभारी व्यक्ति कभी दुःखी नहीं होता, क्योंकि वह हर परिस्थिति में ईश्वर और जीवन का धन्यवाद करना जानता है। आज के भौतिकवादी युग में लोग केवल पाने की सोचते हैं, लेकिन कृतज्ञता हमें यह याद दिलाती है कि "देने वाले का सम्मान और धन्यवाद करना ही सबसे बड़ा संस्कार है।"

कृतज्ञता का भाव केवल रिश्तों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज और राष्ट्र के प्रति भी होना चाहिए। हमें उन किसानों का आभार मानना चाहिए जो हमारे लिए अन्न उगाते हैं, उन सैनिकों का धन्यवाद करना चाहिए जो हमारी रक्षा करते हैं, और उन डॉक्टरों का सम्मान करना चाहिए जो हमारे स्वास्थ्य का ध्यान रखते हैं। यदि हम इन सभी के योगदान को समझें और उनके प्रति आभारी रहें, तो हमारा जीवन अधिक जिम्मेदार और संवेदनशील बन जाएगा।

कृतज्ञता हमें अहंकार से दूर ले जाकर विनम्रता की ओर ले जाती है। यह हमें सिखाती है कि जीवन में चाहे कितनी भी बड़ी उपलब्धि क्यों न मिले, उसके पीछे कई अनदेखे हाथों का योगदान होता है। इसलिए आभारी होना ही सच्ची इंसानियत है।

"आभार वह दीपक है, जो अंधकार में भी जीवन को रोशन कर देता है।"

— साक्षी पाल, Arthur Foot Academy

कृतज्ञता: जीवन का अनमोल गुण - सिमरन कौर


कृतज्ञता पाठ से मैंने सीखा है कि कृतज्ञता वह गुण है जो हर व्यक्ति में होना चाहिए। कृतज्ञता जीवन की एक ऐसी शैली है जो जीवन के सारे प्रतिबंध खोल देती है। कृतज्ञता से हमारे जीवन में अनेक प्रकार के बदलाव आते हैं। अगर हम किसी इंसान की मदद करते हैं और वह व्यक्ति हमें “Thank you” बोलता है, तब हमें कितना अच्छा महसूस होता है। हमारा दिल खुश हो जाता है और हम उस व्यक्ति को सम्मान की नजरों से देखने लगते हैं। उसके प्रति हमारे मन में प्रेम और सम्मान की भावना बढ़ती है।

जब ऐसा करने पर हमें खुद को खुशी मिलती है, तो क्यों न हम दूसरों की खुशी के लिए आभार व्यक्त करें। ऐसा करने से एकता और समानता, प्रेम बढ़ता है।

कृतज्ञता वह पूंजी है जो हर व्यक्ति में होती है। परंतु कभी-कभी इंसान अपने अहंकार (ego) के कारण सामने वाले व्यक्ति को उसकी मदद के लिए आभार व्यक्त नहीं करता। यह गलत है। जैसे हमें खुशी मिलती है, वैसे ही हमें दूसरों के लिए भी और अपनों को खुश रखने के लिए कृतज्ञता का पालन करना चाहिए।

- सिमरन कौर, Arthur Foot Academy

Saturday, 9 August 2025

विविधता में एकता का संदेश - Sakshi Khanna

 

🌸🌼 जब हम "रंगीन गुलदस्ता" की बात करते हैं तो यह केवल रंग-बिरंगे 🌼🌸 फूलों का एक गुच्छा नहीं है।

यह गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं, अनुभवों और यात्राओं के दौरान मिले विविध संस्कृतियों, भाषाओं और आस्थाओं के अद्भुत संगम का प्रतीक है। अमरदीप सिंह द्वारा प्रस्तुत Allegory: The Tapestry of Guru Nanak’s Travels के 20वें एपिसोड में यह स्पष्ट होता है कि गुरु नानक देव जी की यात्रा केवल एक धर्मगुरु की यात्रा नहीं थी, बल्कि वह एक ऐसी चेतना की यात्रा थी जिसने विश्व को जोड़ा, तोड़ा नहीं।

रंग-बिरंगे फूलों का गुच्छा इस बात का प्रतीक है कि संसार में जितनी विविधताएं हैं — भाषा, संस्कृति, धर्म, जाति, रंग — वे सब मिलकर एक सुंदर गुलदस्ता बनाते हैं। गुरु नानक देव जी ने जिस तरह हिंदू, मुस्लिम, सिख, साधु, फकीर और आम जनता से संवाद किया, वह उनके व्यापक दृष्टिकोण और गहन करुणा का उदाहरण है।

यह एपिसोड हमें यह सिखाता है कि हमें विविधता से डरना नहीं चाहिए, बल्कि उसे अपनाना चाहिए। एक बगीचे की सुंदरता तभी होती है जब उसमें रंग-बिरंगे अनेक फूल हों। गुरु नानक देव जी की यात्राओं में केवल चलना नहीं था — वह एक आत्मिक तपस्या थी। वे लोगों से मिलते थे, सवाल पूछते थे, जवाब देते थे और फिर आगे बढ़ जाते थे।

जैसे कोई माली हर बगीचे से एक फूल चुनकर एक अनुभव, एक सीख, एक रंग अपने अंदर समेटता है, वैसे ही उनकी यात्राएं थीं। यह एपिसोड दर्शकों को यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम भी अपने जीवन की यात्रा में ऐसे ही अनुभव समेट रहे हैं, या केवल आगे बढ़ने की दौड़ में लगे हैं।

"गिन गुलदस्ता" न केवल गुरु नानक देव जी की यात्रा का एक सुंदर अध्याय है, बल्कि यह हर दर्शक के अंदर एक गहरा प्रश्न छोड़ जाता है

साक्षी खन्ना
Arthur Foot Academy

रंगीन गुलदस्ता: गुरु नानक देव जी और भाई मरदाना की एकता की मिसाल - Reena Devi

 

"एकता तब नहीं आती जब सब एक जैसे हों, एकता तब आती है जब हम भिन्न होकर भी एक साथ खड़े हों।"

"रंगीन गुलदस्ता" में गुरु नानक देव जी की जीवन यात्रा और उनके साथी भाई मरदाना की उपस्थिति केवल एक ऐतिहासिक घटना नहीं, बल्कि एक गहरा आध्यात्मिक और सामाजिक संदेश है। गुरु नानक देव जी की विचारधारा प्रेम, समानता और सेवा पर आधारित थी। उन्होंने समाज में व्याप्त अंधविश्वास, जातिवाद और धार्मिक भेदभाव का डटकर विरोध किया और लोगों को ऐसे मार्ग की ओर प्रेरित किया, जहां हर व्यक्ति को समान सम्मान मिले।

गुरु नानक देव जी का मानना था कि ईश्वर एक है और वह सबमें है। उन्होंने कभी यह नहीं कहा कि कोई धर्म श्रेष्ठ है या कोई निम्न। उनके अनुसार, इंसान का धर्म उसका आचरण है — वह कैसे जीता है, कैसे सोचता है और दूसरों के साथ कैसा व्यवहार करता है। गुरु नानक जी के जीवन में भाई मरदाना जी का विशेष स्थान था। मरदाना एक मुस्लिम कव्वाल थे, जो गुरु नानक के बचपन के मित्र थे और पूरी उम्र उनके साथ रहे। उन्होंने रबाब बजाकर गुरु नानक के शबद-कीर्तन को स्वर दिए।

उन्होंने एक ऐसे समाज की कल्पना की, जहां सब लोग एक-दूसरे के प्रति समान दृष्टि रखते हैं और जात-पात, धर्म या अमीरी-गरीबी का भेदभाव न हो।

गुरु नानक जी ने बचपन से ही ऐसे कार्य किए जो हमें यह सोचने पर मजबूर करते हैं कि असली धर्म क्या है। सच्चा सौदा जैसी घटना से यह स्पष्ट होता है कि उनके लिए असली व्यापार वही था जिसमें जरूरतमंद की मदद हो। उन्होंने यह भी सिखाया कि धर्म का मतलब केवल पूजा-पाठ नहीं, बल्कि ईमानदारी, सेवा और करुणा से भरा हुआ जीवन है।

"रंगीन गुलदस्ता" में पढ़ी गई गुरु नानक देव जी की कहानी केवल एक धार्मिक कथा नहीं, बल्कि उनकी शिक्षाएं हमें यह एहसास कराती हैं कि एक अच्छा इंसान बनने के लिए धर्म से पहले मानवता जरूरी है। अगर हम उनके बताए मार्ग पर चलें, तो एक सुंदर, शांतिपूर्ण और समानता से भरी दुनिया बनाई जा सकती है।

"भले ही हम सब अलग-अलग शाखाओं के फूल हैं, पर जब साथ खिलते हैं तो बगीचा भी मुस्कराता है।"

रीना देवी
Arthur Foot Academy

रंगीन गुलदस्ता: गुरु नानक देव जी का विविधता में एकता का संदेश - Sakshi Pal

 

गुरु नानक देव जी का जीवन और उनके यात्रा-वृत्तांत हमें विविधता में एकता का संदेश देते हैं।
"रंगीन गुलदस्ता" का अर्थ है रंग-बिरंगे फूलों का गुच्छा। यह शीर्षक बहुत सुंदर रूप से दर्शाता है कि दुनिया अनेक रंगों, संस्कृतियों, धर्मों और विचारों से बनी है, और हर रंग, हर फूल अपनी एक अलग खुशबू और महत्व रखता है।

गुरु नानक देव जी ने दुनिया के विभिन्न हिस्सों की यात्रा की और हर स्थान पर उन्होंने लोगों से संवाद किया, प्रेम बांटा और उन्हें एकता, सेवा और सच्चाई का संदेश दिया। जैसे एक गुलदस्ता कई फूलों से मिलकर बनता है, वैसे ही मानवता भी विभिन्न समुदायों, भाषाओं और संस्कृतियों से मिलकर बनती है।

गुरु नानक देव जी ने कभी भेदभाव नहीं किया, उन्होंने सबको एक ही नजर से देखा — चाहे वह किसी भी जाति, धर्म या वर्ग का हो। बलूचिस्तान जैसे दूरस्थ और कठोर इलाके में गुरु नानक देव जी की उपस्थिति यह दर्शाती है कि प्यार, शांति और एकता का संदेश किसी सीमा में नहीं बंधा होता। बलूचिस्तान उस गुलदस्ते का हिस्सा बना, जिसमें हर क्षेत्र, हर धर्म और हर भाषा का फूल शामिल था।

जैसे गुलदस्ते में हर फूल ज़रूरी होता है, वैसे ही मानवता की सुंदरता विविधता में छिपी है। बलूचिस्तान में गुरु जी की यात्रा हमें सिखाती है कि सच्चे आध्यात्मिक शिक्षक हर स्थान पर जाते हैं — चाहे वह कितना भी दूर या भिन्न क्यों न हो — ताकि हर व्यक्ति तक सच्चाई और प्रेम पहुंच सके।

यह एपिसोड हमें सिखाता है कि हमें भी अपने जीवन में दूसरों को अपनाने की भावना रखनी चाहिए और हर इंसान को उसके गुणों के लिए स्वीकार करना चाहिए। हम जितनी अधिक विविधता को समझते और सम्मान देते हैं, उतना ही सुंदर हमारा समाज बनता है — ठीक वैसे ही जैसे एक रंग-बिरंगा गुलदस्ता।

"रंग-बिरंगी मानवता का संगम"

Sakshi Pal
Arthur Foot Academy

जीवन का गुलदस्ता: विविधता में एकता - Lalita pal

 
"Each flower has colour, a tale of its own — together they make life beautifully grown."🪷💐

जीवन एक गुलदस्ते की तरह है जिसमें हर अनुभव, हर व्यक्ति, हर स्थान एक अलग रंग और खुशबू लिए हुए होता है। जैसे गुलदस्ते में अनेक प्रकार के फूल जुड़ने के बाद एक सुंदर सा गुलदस्ता तैयार हो जाता है, उसी प्रकार जीवन में विविधता के बिना भी जीवन फीका लगता है। गुरु नानक जी की यात्राएं भी उसी गुलदस्ते का प्रतीक हैं, जहां उन्होंने विभिन्न संस्कृतियों, विचारों और स्थानों से जुड़कर एक सुंदर संदेश फैलाया — एकता, प्रेम और सच्चाई का प्रतीक।

भले ही हर व्यक्ति का अनुभव अलग हो, लेकिन जब-जब साथ आते हैं, अनुपम सौंदर्य बनता है। गुरु नानक जी के विचारों से हमें सीखने को मिलता है कि धर्म वह है जो इंसान को इंसान से जोड़े, न कि तोड़े। गुरु नानक जी ने यही जीवन दर्शन हर स्थान पर फैलाया — एकता, सत्य और प्रेम का संदेश। बड़े काम करने के लिए उम्र नहीं, सोच बड़ी होनी चाहिए। उनका जीवन एक आदर्श है, जो दिखाता है कि सच्ची सेवा और भक्ति से जीवन को महान बनाया जा सकता है।

हर फूल अलग होता है — उसकी खुशबू, उसकी बनावट, उसका रंग — फिर भी जब सब मिलकर एक गुलदस्ता बनाते हैं तो वे अपनी विभिन्नता में भी एक सुंदर संगीत गढ़ते हैं। इसी तरह, जीवन में हर रिश्ता, हर अनुभव हमें कुछ नया सिखाता है, और सारी बातों को मिलाकर बनता है हमारा जीवन। गुलदस्ते में हर फूल की अहमियत होती है; कोई भी यह नहीं कहता कि वह बड़ा है या फीका है — सब एक साथ मिलकर सुंदरता लाते हैं। हमें भी यही सीखना है कि हर व्यक्ति, हर भावना, हर परिस्थिति अपनी जगह पर अपना एक अलग ही मूल्य रखती है।

"The bouquet shows strength in unity — every flower adds grace and purity."💐🪷

Lalita Pal
Arthur Foot Academy

रंगीन गुलदस्ता: प्रेम और एकता का संदेश - Swati

 
"प्रेम, एकता और सहयोग से मिलकर ही बनता है इंसानियत का गुलदस्ता।"

"रंगीन गुलदस्ता" सिर्फ रंग-बिरंगे फूलों का नाम नहीं है, बल्कि एक सोच है जो हमें एक-दूसरे के साथ जोड़ती है और इंसानियत की खुशबू चारों ओर बिखेरती है। अगर हर इंसान इस सोच को अपनाए, तो यह दुनिया एक रंगीन गुलदस्ता बन जाएगी।

हर फूल की तरह इंसान की भावना और आत्मा खास होती है। जैसे हम सब बाहर से अलग दिखाई देते हैं, लेकिन अंदर से हम सभी में प्रेम, करुणा और सच्चाई समान होती है। गुरु नानक देव जी ने कहा है —
"ना कोई हिन्दू, ना कोई मुसलमान, सब इंसान एक समान।"

गुलदस्ते में कांटे नहीं होते, सिर्फ फूल होते हैं। इसी तरह हमारे समाज में भी भेदभाव, ईर्ष्या, जलन जैसे कांटों की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। हमें सभी को मिलकर रहना चाहिए, जैसे फूल मिलकर गुलदस्ते में खुशबू बिखेरते हैं।

गुरु नानक देव जी ने पूरी दुनिया में प्रेम और एकता का संदेश फैलाया। उन्होंने कभी ऊँच-नीच में विश्वास नहीं किया। "रंगीन गुलदस्ता" उनके द्वारा सिखाए गए उन्हीं मूल्यों का प्रतीक है, जिसमें हर इंसान एक फूल की तरह है और सब मिलकर ईश्वर की सुंदर रचना बनाते हैं।

यह एपिसोड हमें प्रेरित करता है कि हमें अपने जीवन में ऐसे ही रंग भरने चाहिए और दूसरों के जीवन में भी रंग भरने की कोशिश करनी चाहिए। जब हम अपने जीवन में सच्चाई, सेवा, प्रेम आदि की भावना जगाते हैं, तो हम खुद भी एक "गुलदस्ता" बन जाते हैं, जो दूसरों को खुशबू देता है।

अगर हम एक फूल को गुलदस्ते से अलग कर दें, तो वह कुछ ही देर में मुरझा जाता है। लेकिन जब वह फूल अन्य फूलों के साथ गुलदस्ते में होता है, तो वह खिलकर खुशबू बिखेरता है। ऐसे ही इंसान भी तभी मजबूत होता है जब वह अपने परिवार और समाज से जुड़ा होता है।

यह एपिसोड हमें प्रेरणा देता है कि हमें अपने जीवन में दूसरों को स्वीकार करना चाहिए, उनकी विशेषताओं की सराहना करनी चाहिए और उनके साथ मिलकर समाज को एक सुंदर गुलदस्ता बनाना चाहिए।

"एकता का दूसरा नाम है रंगीन गुलदस्ता, जहाँ सभी फूल मिलकर खुशबू बिखेरते हैं।"
Swati
Arthur Foot Academy

Sunday, 27 July 2025

विनम्रता की छाप: गुरु नानक जी की शिक्षाओं से जीवन का मार्ग - साक्षी खन्ना

 

"अच्छा प्रभाव", अर्थात विनम्रता की छाप, एक ऐसा विषय है जो सीधे हमारे हृदय और व्यवहार से जुड़ा है। इस एपिसोड को सुनकर यह स्पष्ट हो गया कि गुरु नानक देव जी की यात्राएँ केवल शारीरिक नहीं थीं, बल्कि वे आत्मा की यात्रा और मानवता के मार्गदर्शन का प्रतीक थीं। गुरु नानक देव जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्चा बल दिखावे में नहीं, बल्कि विनम्रता में होता है। जब इंसान अपने ज्ञान, पद या सफलता के कारण अहंकार में डूब जाता है, तब वह दूसरों से दूर हो जाता है। लेकिन जो व्यक्ति विनम्र होता है, वह सभी के दिलों में स्थान बना लेता है।

अमरदीप सिंह जी ने जब गुरु नानक जी के व्यवहार और उनके सच्चे प्रेम को साझा किया, तब मुझे यह समझ आया कि आज के समय में भी विनम्रता कितनी आवश्यक है। विनम्रता कोई कमजोरी नहीं, बल्कि यह एक ऐसा गुण है जो व्यक्ति को भीतर से मजबूत बनाता है। यह हमें सुनना सिखाती है, समझना सिखाती है और दूसरों की भावनाओं का सम्मान करना सिखाती है।

मेरे मन के विचार:

इस एपिसोड ने मुझे स्वयं के विचारों पर सोचने के लिए प्रेरित किया।
क्या मैं भी इतनी विनम्र हूं कि हर किसी को आदरपूर्वक सुन सकूं?
क्या मैं अपने शब्दों और कर्मों से दूसरों को सम्मान दे पाती हूं?
यह सत्र मेरे लिए एक आईने की तरह था, जिसमें मैंने खुद को देखा — और यह जाना कि मुझे स्वयं को और बेहतर बनाने की आवश्यकता है।

गुरु नानक देव जी की शिक्षाएँ समय की सीमाओं से परे हैं।
आज भी यदि हम उनके बताए मार्ग — सेवा, विनम्रता और सच्चाई — पर चलें, तो हमारा जीवन न केवल सुंदर और शांतिपूर्ण, बल्कि सार्थक भी बन सकता है।

निष्कर्ष:

विनम्र प्रभाव केवल एक विचार नहीं, बल्कि एक जीवन शैली है। इसे अपनाकर हम समाज में प्रेम, सहिष्णुता और शांति का संचार कर सकते हैं। इस एपिसोड ने मेरे मन पर गहरी छाप छोड़ी — जो मुझे सदा याद दिलाएगी कि सच्चा इंसान वही है जिसमें विनम्रता हो।

"ईश्वर के सामने सब समान हैं — कोई ऊँचा-नीचा नहीं।"
इंसान को अपने अहंकार को त्यागकर विनम्र होना चाहिए।

"सेवा भाव से जीना — दूसरों की सेवा करना बिना किसी घमंड के — यही सच्ची भक्ति है।"

गुरु नानक देव जी ने बार-बार कहा कि —

ईश्वर के निकट वही पहुँच सकता है, जो अपने अहंकार को त्याग देता है।

— साक्षी खन्ना



संपूर्ण मानवता के गुरु: नानक की वाणी, नानक का प्रेम - Lalita pal

 

"He lit the flame of truth and grace, Guru Nanak showed the divine in every face."

यह एपिसोड गुरु नानक देव जी की यात्राओं के दौरान एक गहरे और प्रतीकात्मक अनुभव को दर्शाता है। यह न केवल ऐतिहासिक स्थलों को दिखाता है, बल्कि उन स्थलों में छिपे हुए आध्यात्मिक संदेशों को भी उजागर करता है।

गुरु नानक देव जी अपने उपदेशों में सदैव विनम्रता को प्राथमिकता देते थे। इस एपिसोड में दिखाया गया है कि कैसे उन्होंने कठोर और घमंडी लोगों को भी प्रेम और शांति के माध्यम से बदल दिया।

गुरु नानक जी ने संसार को यह बताया कि ईश्वर एक है और वह हर जीव में समाया हुआ है। उनके इस विचार ने धार्मिक भेदभाव को मिटाने का मार्ग दिखाया। उन्होंने अमीर–गरीब, ऊँच–नीच, स्त्री–पुरुष — सभी को समान माना। जब दुनिया जात-पात में उलझी हुई थी, तब गुरु नानक देव जी ने सबको एक ही प्रभु की संतान बताया।

इस एपिसोड को देखने के बाद मुझे यह महसूस हुआ कि गुरु नानक देव जी का जीवन और उनके संदेश आज की दुनिया में और भी अधिक प्रासंगिक हैं, जहाँ धर्म, भाषा और जाति के नाम पर भेदभाव बढ़ता जा रहा है।

गुरु नानक जी की विचारधारा हमें जोड़ने और प्रेम फैलाने की प्रेरणा देती है।

"नाम जपो, सच्चा पथ अपनाओ,
गुरु नानक जी की राह चलो, मोक्ष को पाओ।"

– ललिता पाल

Friday, 18 July 2025

देने का जज़्बा: मानवता की सच्ची पहचान -- Lalita Pal

 

"The real richness is not in having much but in giving more."

"सच्चा धन अधिक पाने में नहीं, अधिक देने में है।"

देने का जज़्बा हर इंसान के भीतर होना चाहिए। यह न केवल मनुष्य को बड़ा बनाता है, बल्कि उसे महान भी बनाता है। बिना किसी स्वार्थ के किसी की मदद करना — चाहे समय देना हो, प्रेम हो या दान — यह एक सकारात्मक और प्रेरणादायक भावना है। देना केवल धन या वस्तुएं देना नहीं है; मुस्कान, सहानुभूति और सहयोग भी देना होता है। एक शिक्षक का ज्ञान देना, एक मां का स्नेह देना, एक दोस्त का दुख में साथ देना — सब देने के रूप हैं।

देने की भावना से समाज में प्रेम, भाईचारा और सहयोग बढ़ता है। यह हमें निस्वार्थ बनाती है और दूसरों के लिए कुछ करने की प्रेरणा देती है। यही भावना हमें देशभक्तों, डॉक्टरों, सैनिकों और समाजसेवकों में देखने को मिलती है, जो बिना किसी स्वार्थ के समाज की सेवा करते हैं। प्रकृति से भी हम यह भावना सीख सकते हैं — सूरज हमें रोशनी देता है, पेड़ फल और हवा देते हैं, नदियाँ जल देती हैं — वह भी बिना कुछ माँगे।

हर इंसान कुछ पाने की चाह रखता है, लेकिन असली सुख पाने में नहीं, देने में है। देने का जज़्बा किसी की ज़िंदगी बदल सकता है और यही सच्चा सुख देता है। कुछ लोग बहुत कुछ होने के बावजूद भी अभिमान में रहते हैं और मदद नहीं करते। ऐसे में वह बड़ा होना व्यर्थ हो जाता है। अगर हमारे पास साधन हैं और फिर भी हम किसी की मदद नहीं करते, तो वह अवसर खो देना हमारे मानव होने के उद्देश्य से दूर जाना है।

- Lalita Pal

Thursday, 17 July 2025

देने का जज़्बा - साक्षी खन्ना

 
A smile on someone's face is the real reward

देने का जज़्बा मानवता की सबसे सुंदर और शक्तिशाली भावनाओं में से एक है। यह वह भावना है, जो न केवल दूसरों के जीवन को संवारती है, बल्कि देने वाले के भीतर भी संतोष, करुणा और आंतरिक आनंद का संचार करती है। यह केवल वस्तुएँ देने की बात नहीं है, बल्कि समय, प्रेम, सहानुभूति और सहयोग देने की भावना है। जब हम किसी को बिना किसी अपेक्षा के कुछ देते हैं, तो न सिर्फ सामने वाला व्यक्ति खुश होता है, बल्कि हमारी आत्मा भी प्रसन्न होती है।

Giving never decreases, it multiplies.
A helping hand is never small.

सच्चा दाता वही होता है जो बिना दिखावे और बिना अहंकार के देता है। आज के समय में ऐसे लोगों की अत्यंत आवश्यकता है, जो निस्वार्थ होकर दूसरों के लिए कुछ करें। यह भावना एक बेहतर समाज और एक बेहतर दुनिया की नींव रखती है।

Giving without expectation is true charity.

देने वाला व्यक्ति केवल दूसरों की ज़रूरतें पूरी नहीं करता, बल्कि समाज में भरोसे, प्रेम और करुणा का बीज भी बोता है।
एक छोटी सी मदद किसी के जीवन में बड़ा बदलाव ला सकती है — चाहे वह किसी भूखे को भोजन देना हो या किसी अनजान को राह दिखाना। यदि हर व्यक्ति देने की भावना को अपनाए, तो समाज में अकेलापन कम हो सकता है।

When we give, we grow.
Giving is not just sharing things — it's connecting from the heart.

जब हम कुछ देते हैं — चाहे वह समय हो, मदद हो या एक मुस्कान — हम दूसरों की ज़िंदगी में रोशनी लाते हैं।
देने से हम खुद भी एक बेहतर इंसान बनते हैं। यह हमें सिखाता है कि दुनिया सिर्फ लेने से नहीं, बल्कि बांटने से खूबसूरत बनती है।एक छोटा सा अच्छा काम, किसी के लिए बहुत बड़ी खुशी बन सकता है।

  1. जो बिना मांगे दे, वही सच्चा दाता है। देने से दिल बड़ा होता है और दुनिया सुंदर।

  2. जब हम बांटते हैं, तो सिर्फ चीज़ें नहीं, प्यार भी फैलता है। देने से बढ़ती है इंसानियत।

  3. एक छोटी-सी मदद किसी के लिए पूरी दुनिया बन सकती है।

-साक्षी खन्ना

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