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Thursday, 16 October 2025

चार पंखुड़ियां - अशोक कुमार मौर्य

आज की कहानी में बच्चों को यह शिक्षा दी जाती है कि बिना कुछ सोचे समझे कोई कदम नहीं उठाना चाहिए। कोई कार्य करने से पहले बड़े लोगों से बातचीत करना चाहिए । बच्चों की सुरक्षा और उनका विकास समाज के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, छोटे बच्चों को समाज में कई तरह की सावधानियां बरतनी चाहिए ताकि वे सुरक्षित और स्वस्थ रहें। अभिभावकों और समाज की जिम्मेदारी है कि वह बच्चों को इन सावधानियों के बारे में सीखाए और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करें। अक्सर यह देखते हैं कि सड़क पर या सार्वजनिक स्थानों पर गिरा हुआ सामान मिलता है, और कई बार बच्चे उसे उठा लेते हैं कभी-कभी गिरा हुआ सामान खतरनाक भी हो सकता है, बच्चों को समझाएं कि सामान को उठाने से पहले उसके मालिक को ढूंढने की कोशिश करनी चाहिए । इस तरह हम न केवल अपने बच्चों को अच्छे मूल्य सीखा सकते हैं , बल्कि समाज में भी एक सकारात्मक योगदान दे सकते हैं।क्योंकि इस कहानी में दिखाया गया कि चार बच्चे जो पहाड़ियों पर एक नवजात शिशु को अकेला देखा, उसको किसी के द्वारा फेंका हुआ समझकर उठा लाए ,लेकिन खुद ही बच्चा चोर कहलाये। इससे बच्चों को यह सीख दी जाती है कि बिना सोचे समझे कोई वस्तु नहीं उठाना चाहिए।

अशोक कुमार मौर्य, सनबीम ग्रामीण स्कूल

Friday, 15 August 2025

स्वयं में बदलाव ही दुनिया को बदलने का पहला कदम है - स्वाति

मैंने देखा है कि हम सब अक्सर दूसरों में बदलाव की उम्मीद करते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि बदलाव की असली शुरुआत स्वयं से होती है। जब हम अपने सोचने का तरीका, अपनी आदतें और अपना नज़रिया बदलते हैं, तब दुनिया हमें नए रंग में दिखाई देने लगती है। बदलाव का मतलब अपनी पहचान खोना नहीं, बल्कि खुद को एक नए रूप में ढालना है।

"जब मैं बदलती हूँ, तब मेरी दुनिया बदलने लगती है।"

स्वयं में बदलाव लाना आसान नहीं होता, क्योंकि इसके लिए आत्मनिरीक्षण, धैर्य और निरंतर प्रयास की आवश्यकता होती है। बदलाव के लिए कई बार हमें अपनी गलतियों को स्वीकार करना पड़ता है, और यह सबसे कठिन कदम होता है। लेकिन जब हम अपने भीतर सुधार लाते हैं, तो हमारे आस-पास के रिश्ते और माहौल सकारात्मक रूप में बदलने लगते हैं। मेरे मन में यह विचार गहराई से बैठा है कि अगर मैं रोज़ थोड़ा-थोड़ा बेहतर बनने की कोशिश करूँ—चाहे वह मेरे व्यवहार में हो, मेरी पढ़ाई में, या फिर मेरी सोच और आदतों में—तो यह छोटे-छोटे बदलाव समय के साथ बहुत बड़ा असर डाल सकते हैं। जीवन में ठहराव से बचने के लिए बदलाव ज़रूरी है, और यह बदलाव सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण "स्वयं" से शुरू होना चाहिए।

"बदलाव की शुरुआत हमेशा खुद से होती है। आज मैं कल से बेहतर बनूँगा।"

जब यह बदलाव भीतर से आता है, तो इसका प्रभाव बाहर की दुनिया पर भी पड़ता है। ऐसे में न केवल हमारा जीवन सुंदर बनता है, बल्कि हम दूसरों के जीवन में भी सकारात्मक ऊर्जा भरते हैं। स्वयं में बदलाव केवल हमारी व्यक्तिगत उन्नति का साधन नहीं, बल्कि यह समाज को प्रगति की ओर ले जाने वाला बीज है।

"भीतर का बदलाव, बाहर की दुनिया का रूप बदल देता है।"

स्वाति

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