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Thursday, 16 October 2025

हम चार पंखुड़ियां - शुभम पटेल

एक बार चार दोस्त थे। उन्होंने अपने समूह का नाम रखा था हम चार पंखुड़ियां। एक रविवार दोपहर को उनमें से एक दोस्त स्कूल के नीचे वाली पहाड़ी पर घूम रहा था। तभी उसने झाड़ियों में एक नवजात शिशु को देखा, जो फटे हुए चादर में लिपटा हुआ वहाँ रखा था। उसने अपने सभी दोस्तों को आवाज देकर बुलाया।

सभी सोचने लगे कि अब क्या करें। उनमें से एक ने कहा, “हम इसे यहीं छोड़ देते हैं, कोई व्यक्ति यहाँ से गुजरते हुए इसे अपने पास रख लेगा।” तो दूसरे ने कहा, “नहीं, यहाँ इंसान की जगह तेंदुआ भी आ सकता है। हमें इसे अपने साथ ले जाना चाहिए।”

एक दोस्त को यह ठीक नहीं लग रहा था, लेकिन अंत में सभी ने निश्चय किया कि वे इसे स्कूल ले जाकर श्रीमती फिशर को देंगे। वे जल्दी से स्कूल पहुँचे और सारी बात श्रीमती फिशर को बताई। यह सुनकर श्रीमती फिशर परेशान हो गईं। उन्होंने कहा कि हमें यह बात पुलिस को बतानी चाहिए। तभी स्कूल के बाहर गाँव के कई लोग आकर शोर मचाने लगे। उनमें से एक महिला चिल्लाकर बोली, “यह मेरा बच्चा है!”

वह औरत बताने लगी, “मैं इसे नीचे पाँच मिनट के लिए रखकर ऊपर आलूबुखारे के पत्ते तोड़ने चली गई थी। तभी इसकी रोने की आवाज सुनाई दी। मैंने गाँव के तीन-चार आदमियों को बुलाया और नीचे देखने आई, तो बच्चा वहाँ नहीं था। तब हम यहाँ आ गए।”

प्रधानाचार्य ने सबको शांत करते हुए नाराज़ स्वर में कहा, “वह पेड़ भी हमारे स्कूल की संपत्ति है! तभी मैं सोच रहा था कि हमारे पेड़ इतनी जल्दी खत्म कैसे हो रहे हैं।”
यह सुनकर सभी लोग शांत हो गए।

निष्कर्ष:
बिना सोचे-समझे हमें कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए।

नाम – शुभम पटेल
कक्षा – 8 


चार पंखुड़ियां - अशोक कुमार मौर्य

आज की कहानी में बच्चों को यह शिक्षा दी जाती है कि बिना कुछ सोचे समझे कोई कदम नहीं उठाना चाहिए। कोई कार्य करने से पहले बड़े लोगों से बातचीत करना चाहिए । बच्चों की सुरक्षा और उनका विकास समाज के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, छोटे बच्चों को समाज में कई तरह की सावधानियां बरतनी चाहिए ताकि वे सुरक्षित और स्वस्थ रहें। अभिभावकों और समाज की जिम्मेदारी है कि वह बच्चों को इन सावधानियों के बारे में सीखाए और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करें। अक्सर यह देखते हैं कि सड़क पर या सार्वजनिक स्थानों पर गिरा हुआ सामान मिलता है, और कई बार बच्चे उसे उठा लेते हैं कभी-कभी गिरा हुआ सामान खतरनाक भी हो सकता है, बच्चों को समझाएं कि सामान को उठाने से पहले उसके मालिक को ढूंढने की कोशिश करनी चाहिए । इस तरह हम न केवल अपने बच्चों को अच्छे मूल्य सीखा सकते हैं , बल्कि समाज में भी एक सकारात्मक योगदान दे सकते हैं।क्योंकि इस कहानी में दिखाया गया कि चार बच्चे जो पहाड़ियों पर एक नवजात शिशु को अकेला देखा, उसको किसी के द्वारा फेंका हुआ समझकर उठा लाए ,लेकिन खुद ही बच्चा चोर कहलाये। इससे बच्चों को यह सीख दी जाती है कि बिना सोचे समझे कोई वस्तु नहीं उठाना चाहिए।

अशोक कुमार मौर्य, सनबीम ग्रामीण स्कूल

Sunday, 21 September 2025

अच्छाई और बुराई - मनोज कुमार

 पशुओं में पाए जाने वाले निःस्वार्थ प्रेम, अपनी प्रजाति के प्रति सहिष्णुता और अपने बच्चों की सुरक्षा की प्रवृत्ति उनकी अच्छाई में शामिल होती है। जैसे, कई जानवर अपने झुंड में एक नैतिक आचार-संहिता का पालन करते हैं और बिना किसी पूर्वाग्रह के प्यार व आत्म-समर्पण प्रदर्शित करते हैं।

दूसरी ओर, शिकारियों से बचाव के लिए अपनी प्रवृत्ति का पालन करना, भोजन की तलाश करना और अपनी जरूरतों के लिए दूसरे जानवरों के साथ प्रतिस्पर्धा करना बुराई में शामिल हो सकता है।

निष्कर्ष – जंतुओं का आंतरिक जीवन उनकी शारीरिक और प्राकृतिक प्रवृत्तियों के इर्द-गिर्द घूमता है, जो हमें बुराई लग सकता है। जैसे शिकार करना या प्रतिस्पर्धा करना उनके अस्तित्व के लिए आवश्यक हो सकता है। दूसरी ओर, उनका निःस्वार्थ प्रेम और अपने बच्चों की रक्षा करना उनकी अच्छाई को दर्शाता है। यह समझना महत्वपूर्ण है कि उनके आंतरिक जीवन को मानवीय नैतिकता (सही या गलत) के मापदंडों पर नहीं मापा जा सकता।

धन्यवाद।
मनोज कुमार
सनबीम ग्रामीण स्कूल

Sunday, 27 July 2025

जानवरों का आंतरिक जीवन - Sunbeam Gramin School

अध्याय – आराम

जानवरों के लिए आराम का मतलब है कि वे अपने प्राकृतिक व्यवहार को स्वतंत्र रूप से व्यक्त कर सकें और अपने वातावरण में सहज महसूस करें। इसमें पर्याप्त भोजन और पानी, उपयुक्त तापमान, सुरक्षित आश्रय, बीमारियों या चोटों से मुक्ति, सामाजिक संपर्क, सुरक्षा की भावना और तनाव या डर से मुक्ति शामिल है।

एक ऐसा वातावरण, जहाँ वे स्वतंत्र रूप से घूम सकें, खेल सकें और अपनी प्राकृतिक आदतों को पूरा कर सकें, वास्तव में उनके लिए आरामदायक होता है।

धन्यवाद।
सीमा

जानवरों के आराम या सुख का अर्थ है उनकी ज़रूरतों को पूरा करना। इसके लिए उन्हें एक ऐसा प्राकृतिक वातावरण मिलना चाहिए, जिसमें भोजन, पानी और सुरक्षित स्थान उपलब्ध हों।
हमें पेड़ों की कटाई कम करनी चाहिए, चिड़ियाघर और अभयारण्य जैसे स्थान बनाकर उन्हें संरक्षण देना चाहिए। ऐसे कार्य नहीं करने चाहिए जो उनके लिए हानिकारक हों या उन्हें कष्ट या चोट पहुँचाएँ।
इससे वे सुरक्षित और आराम से जीवन जी सकेंगे।

धन्यवाद।
सूरज पटेल

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