क्षमा करने का कार्य स्वयं एक सुगंधित और सकारात्मक क्रिया है , ठीक वैसे ही जैसे एक फूल पैरों से कुचले जाने के बावजूद अपनी सुगंध बिखेरता है ।
क्षमा करने से न केवल दूसरो का भला होता है बल्कि यह स्वयं क्षमा करने वाले को भी नकारात्मक भावनाओं से मुक्त करता है और सकारात्मक ऊर्जा से भरता है क्षमा करना केवल दूसरे व्यक्ति को माफ करना नहीं हैं , बल्कि क्रोध, कड़वाहट से खुद को मुक्त करना भी है।
सीमा, कक्षा - 8
सनबीम ग्रामीण स्कूल
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