Sunday, 5 October 2025

क्षमा - साक्षी पाल

"क्षमा" अध्याय पढ़ने के बाद मुझे यह गहराई से समझ में आया कि क्षमा जीवन का सबसे ऊँचा गुण है। क्षमा केवल एक शब्द नहीं है, बल्कि यह मनुष्य की सबसे बड़ी शक्ति और सच्ची पहचान है। जब कोई हमें दुःख पहुँचाता है और हम बदला लेने के बजाय उसे माफ़ कर देते हैं, तो वही क्षमा कहलाती है। क्षमा मन को हल्का करती है। जब हम दूसरों से क्रोध या बदले की भावना रखते हैं, तो हमारा मन भारी और अशांत हो जाता है। लेकिन क्षमा करने से हमारे अंदर का बोझ कम हो जाता है और शांति का अनुभव होता है। यही कारण है कि संत-महात्मा और महापुरुष हमेशा क्षमा-धर्म का पालन करने की सीख देते हैं।

इतिहास में कई उदाहरण मिलते हैं जहाँ क्षमा ने बड़े-बड़े संघर्षों को समाप्त किया। महात्मा गांधी ने अहिंसा और क्षमा के बल पर आज़ादी की लड़ाई लड़ी। उन्होंने यह दिखाया कि हिंसा या क्रोध से नहीं, बल्कि क्षमा और सहनशीलता से बड़े परिवर्तन संभव होते हैं। भगवान राम ने भी अपने शत्रुओं तक को क्षमा किया। यह हमें बताता है कि क्षमा वास्तव में वीरता है, कायरता नहीं।

अगर समाज में क्षमा का भाव न हो तो लोग एक-दूसरे से केवल बदला लेने में लगे रहेंगे और भाईचारा कभी स्थापित नहीं हो पाएगा। क्षमा वह सेतु है जो रिश्तों को जोड़ता है और समाज को शांति व स्थिरता प्रदान करता है।

इस अध्याय को पढ़कर मैंने सीखा कि क्षमा का भाव इंसान को महान बनाता है। क्षमा करने वाला व्यक्ति वास्तव में दिल से बड़ा होता है। वह दूसरों की गलती को भूलकर आगे बढ़ता है और नफ़रत के बजाय प्रेम फैलाता है। मैंने यह भी समझा कि क्षमा करना आसान नहीं है, लेकिन अगर हम इसे अपनाएँ तो जीवन में ख़ुशी, शांति और संतोष मिलता है।

क्षमा करना कमजोरी नहीं, बल्कि सबसे बड़ी ताक़त है। क्षमा से मन को शांति और आत्मिक सुख मिलता है। क्षमा से रिश्ते मज़बूत होते हैं और समाज शांतिपूर्ण बनता है। क्रोध और द्वेष नाश करते हैं, जबकि क्षमा निर्माण करती है। क्षमा मनुष्य को सच्चा, महान और पूजनीय बनाती है।

साक्षी पाल
आर्थर फुट अकैडमी

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