Sunday, 19 October 2025

गुरु नानक देव जी: समाज सुधारक और आध्यात्मिक मार्गदर्शक — Sunil Kumar

गुरु नानक देव जी केवल एक धर्म के संस्थापक नहीं थे; वे एक ऐसे युग के महान सामाजिक सुधारक और आध्यात्मिक क्रांतिकारी थे, जिनकी शिक्षाएँ आज भी हमें जीवन जीने का सही मार्ग दिखाती हैं।

जिस संसार में आज भी धर्म और पहचान के नाम पर हिंसा और विभाजन है, वहाँ ‘इक ओंकार’ हमें यह याद दिलाता है कि हमारे बीच की सभी बाहरी भ्रम हैं। यदि ईश्वर एक है, तो मानवता भी एक है। यह हमें सिखाता है कि आध्यात्मिकता का सार बाह्य कर्मकांडों में नहीं, बल्कि सत्य (सतनाम) में निहित है, जैसा कि उन्होंने मूल मंत्र में बताया है।

गुरु नानक देव जी ने समाज को सुधारने के लिए केवल उपदेश नहीं दिए; उन्होंने सामुदायिक संस्थाओं की नींव रखी, जो उनकी शिक्षाओं को मूर्त रूप देती हैं। जैसे लंगर में सभी बिना किसी भेदभाव के एक साथ भोजन करते हैं। यह मेरे लिए समानता का सबसे शक्तिशाली और व्यावहारिक प्रतीक है, और संगत में यहाँ सभी लोग आध्यात्मिक ज्ञान और भजन-कीर्तन के लिए एक साथ बैठते हैं।

यह हमें सिखाता है कि धर्म को जीवन से अलग नहीं किया जा सकता। सच्चा धर्म लोगों के बीच विभाजन पैदा करने के बजाय साझा करने, सेवा करने और एकजुट होने का आह्वान करता है। आज के उपभोक्तावादी और व्यक्तिवादी समाज में, ‘वंड छकना’ (साझा करना) का सिद्धांत हमें अपने भौतिक और भावनात्मक संसाधनों को जरूरतमंदों के साथ बाँटने की याद दिलाता है।

यह शिक्षा मुझे अत्यंत व्यावहारिक लगती है। उन्होंने कर्म को आध्यात्मिक जीवन से जोड़ा—यह संदेश दिया कि आप संसार को त्यागकर नहीं, बल्कि ईमानदारी और नैतिकता के साथ अपना कर्तव्य निभाते हुए मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं। यह सिद्ध करता है कि जीवन का मैदान ही हमारी सबसे बड़ी साधना स्थली है।

Sunil Kumar, Arthur Foot Academy

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