Saturday, 11 October 2025

अखंडता के प्रतीक गुरु नानक को समर्पित - सनबीम ग्रामीण विद्यालय

 गुरु नानक देव जी के अनुसार सुख-दुख जीवन के दो अनिवार्य पहलू हैं, और मनुष्य को दोनों में समान भाव से रहना चाहिए। न तो सुख में अहंकारी होना चाहिए और न ही दुख में हतोत्साहित। इसका अर्थ है कि सच्चा व्यक्ति वह है जो हर परिस्थिति में समभाव रखता है, सुख-दुख से प्रभावित हुए बिना और मोह-माया से परे होता है, जो उसे ईश्वर के अधिक निकट ले जाता है। दुख में घबराएं नहीं और सभी परिस्थितियों में ईश्वर की रज़ा में खुश रहें।

— नैन्सी मौर्या
कक्षा – 8

अखंडता के प्रतीक गुरु नानक को समर्पित
गुरु नानक देव जी ने अपनी शिक्षाओं और जीवन से ईश्वर की एकता और मानवता की अखंडता पर जोर दिया। गुरु नानक देव जी ने यह सिखाया कि सुख और दुख जीवन के स्वाभाविक नियम हैं और ये 'हुक्म' या ईश्वरीय आज्ञा के समान हैं, जो आते-जाते रहते हैं।
नाम – सीमा
कक्षा – 8

No comments:

Post a Comment

Reflections Since 2021