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Sunday, 28 September 2025

ईमानदारी – जीवन की सबसे बड़ी विरासत - Simran


मैंने इस बात से सीखा है कि ईमानदारी इस संसार में एक ऐसी राह है, जो किसी भी व्यक्ति को वहाँ तक पहुँचा सकती है जहाँ कोई बेईमान मनुष्य नहीं पहुँच सकता। इसलिए, हर मनुष्य को ईमानदारी की राह पर चलना चाहिए।

ईमानदारी का एक उदाहरण मैंने अपने घर में देखा है। मेरे पिताजी हलवाई का काम करते हैं। एक बार हमारी दुकान पर एक बूढ़ा व्यक्ति मिठाई लेने आया। उसने ₹480 की मिठाई खरीदी और ₹1000 का नोट दिया। मेरे पिताजी ने उसे मिठाई देकर कहा कि अभी मेरे पास केवल ₹20 हैं, बाकी ₹500 आप शाम को आकर ले लेना। उस बूढ़े व्यक्ति ने कहा कि ठीक है, मैं शाम को आकर पैसे ले लूँगा।

मैं उस समय 16 वर्ष की थी और पिताजी की मदद करती थी। अगले दिन पिताजी ने मुझसे पूछा कि क्या वह बूढ़ा व्यक्ति ₹500 ले गया था? मैंने कहा – नहीं। तब पिताजी ने मुझसे ₹500 दिए और कहा कि मैं उसे उसके घर जाकर पैसे लौटा आऊँगा। मैंने पिताजी से पूछा कि वह व्यक्ति खुद आकर ले लेता, तो पिताजी ने कहा – "कोई बात नहीं, वह भूल गया होगा। किसी के पैसे रखने से हम राजा नहीं बन जाते।"

उस दिन के बाद से मैंने भी सीखा कि यदि कोई हमारी दुकान पर अपना सामान या पैसे भूल जाता था तो मैं भी तुरंत लौटा देती थी।

एक और उदाहरण मुझे याद आता है। साक्षी खन्ना अंकल हमारी दुकान से सामान लेते थे और महीने भर का हिसाब रखते थे। जब उनकी तनख्वाह मिलती, तो रात 10-11 बजे भी यदि पिताजी सो गए होते, तो वे उन्हें उठाकर कहते – "लाल जी, सामान का हिसाब जोड़ लो।" पिताजी हिसाब जोड़कर राशि बताते और वे तुरंत पैसे चुका देते।

इसी तरह मेरे दादाजी और उनके भाई भी दुकान चलाते थे। उस समय कई लोग अनाज या चावल देकर सामान खरीदते थे। एक बार चूहों ने दुकान की बोरी काटकर अनाज अपने बिल में जमा करना शुरू कर दिया। बोरी हल्की हो गई तो दादाजी के भाई को लगा कि दादाजी ने चोरी-छिपे अनाज बेच दिया है। उन्होंने गुस्से में दादाजी को मारा-पीटा, लेकिन दादाजी चुप रहे। बाद में, जब बोरी हटाकर देखा गया तो पता चला कि नीचे चूहों का बिल है और सारा अनाज वहीं जमा है। यह देखकर दादाजी का भाई शर्मिंदा हो गया और समझ गया कि उसका भाई कितना ईमानदार है।

इन सभी घटनाओं से मुझे यह सीख मिली कि ईमानदारी कभी छिपती नहीं। जैसे बेईमानी सामने आ जाती है, वैसे ही ईमानदारी भी अपने आप प्रकट हो जाती है। इसलिए जीवन में हमेशा ईमानदारी की राह पर चलना चाहिए, चाहे समय अच्छा हो या बुरा।

ईमानदारी सबसे बड़ी विरासत है। यह न केवल स्वयं के जीवन को आधार देती है, बल्कि दूसरों को भी सही राह दिखाती है। अच्छे कार्य अपने आप अभिव्यक्ति करते हैं, इसलिए हर इंसान को अच्छे काम करने चाहिए और ईमानदारी की राह पर ही चलना चाहिए।

Simran
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Thursday, 14 August 2025

स्वयं बदलाव बनो – सिमरन कौर

 

इस पाठ से मैंने यह सीखा कि यदि जीवन में कुछ बदलना है, तो शुरुआत स्वयं से करनी होगी। बदलाव के लिए मेहनत, लगन और धैर्य जरूरी है। जब इंसान यह ठान ले कि मुझे अपने अंदर सुधार लाना है, तो वह बदलाव संभव हो जाता है। जैसे मैं चाहती हूँ कि मैं अंग्रेज़ी अच्छी तरह बोल सकूँ। इसके लिए मैं खुद सीख रही हूँ, ताकि जब मुझमें यह बदलाव आए, तो मैं अपने विद्यार्थियों को भी बेहतर अंग्रेज़ी सिखा सकूँ। मैं चाहती हूँ कि मेरे स्कूल के बच्चे आत्मविश्वास के साथ अंग्रेज़ी बोलें और पढ़ें।

बदलाव केवल अपने लिए नहीं, बल्कि घर-परिवार और समाज के लिए भी जरूरी है। जब मैं खुद में बदलाव लाती हूँ, तो मेरे छोटे भाई-बहन भी उसे देखकर प्रेरित होते हैं और खुद को सुधारने की कोशिश करते हैं। यह देखकर मुझे बहुत खुशी मिलती है।

मेरी एक छोटी बहन थी, जो 11वीं कक्षा में दाखिला लेने से मना कर रही थी क्योंकि उसकी कुछ सहेलियाँ पढ़ाई छोड़ चुकी थीं। मैंने उसे समझाया कि अगर मेरी भी कई सहेलियाँ पढ़ाई छोड़ देती हैं, तो क्या मैं भी छोड़ दूँगी? हमें दूसरों से अलग होकर, सकारात्मक बदलाव लाना चाहिए। मेरी बातें सुनकर उसने मन बदल लिया और अब वह रोज़ स्कूल जाती है और मन लगाकर पढ़ती है। यह अनुभव मुझे यह सिखाता है कि एक अच्छा विचार किसी का पूरा जीवन बदल सकता है। इसलिए हमें अपने भीतर और दूसरों के लिए हमेशा सकारात्मक सोच और अच्छे विचार रखने चाहिए।

सिमरन कौर

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