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Sunday, 21 September 2025

जंतुओं का आंतरिक जीवन - सनबीम ग्रामीण स्कूल

 जंतुओं के आंतरिक जीवन का अच्छे-बुरे के संदर्भ में अर्थ यह है कि जानवर वे व्यवहार करते हैं, जिन्हें अगर मनुष्य करें तो नैतिक रूप से गलत या बुरा माना जाएगा, जैसे प्रतिस्पर्धा या भोजन के लिए हत्या। लेकिन यह व्यवहार उनके लिए स्वाभाविक और विकासवादी रूप से अनुकूल होता है और उन्हें बुरा या गलत नहीं माना जाता। यह शब्द जंतुओं में नैतिकता की मानवीय अवधारणा को लागू करने की कोशिश करता है, जो उनके लिए प्राकृतिक और आवश्यक व्यवहारों पर लागू नहीं होता है।

नैन्सी मौर्या
कक्षा – 8

जंतुओं का आंतरिक जीवन उनकी भावनाओं (खुशी, दुःख, डर) और व्यवहार (शर्म, पश्चाताप, अनुशासन) से भरा होता है, जो उनके जीवित रहने और सामाजिक संबंधों को प्रभावित करता है। हालांकि उनमें मानवीय नैतिकता (सही–गलत) नहीं होती है, लेकिन वे अपने अनुभवों के आधार पर अच्छे या बुरे व्यवहार को सीखते और अपनाते हैं, जो उनके कल्याण पर निर्भर करता है।

धन्यवाद।
सीमा
कक्षा – 8

अच्छाई और बुराई - मनोज कुमार

 पशुओं में पाए जाने वाले निःस्वार्थ प्रेम, अपनी प्रजाति के प्रति सहिष्णुता और अपने बच्चों की सुरक्षा की प्रवृत्ति उनकी अच्छाई में शामिल होती है। जैसे, कई जानवर अपने झुंड में एक नैतिक आचार-संहिता का पालन करते हैं और बिना किसी पूर्वाग्रह के प्यार व आत्म-समर्पण प्रदर्शित करते हैं।

दूसरी ओर, शिकारियों से बचाव के लिए अपनी प्रवृत्ति का पालन करना, भोजन की तलाश करना और अपनी जरूरतों के लिए दूसरे जानवरों के साथ प्रतिस्पर्धा करना बुराई में शामिल हो सकता है।

निष्कर्ष – जंतुओं का आंतरिक जीवन उनकी शारीरिक और प्राकृतिक प्रवृत्तियों के इर्द-गिर्द घूमता है, जो हमें बुराई लग सकता है। जैसे शिकार करना या प्रतिस्पर्धा करना उनके अस्तित्व के लिए आवश्यक हो सकता है। दूसरी ओर, उनका निःस्वार्थ प्रेम और अपने बच्चों की रक्षा करना उनकी अच्छाई को दर्शाता है। यह समझना महत्वपूर्ण है कि उनके आंतरिक जीवन को मानवीय नैतिकता (सही या गलत) के मापदंडों पर नहीं मापा जा सकता।

धन्यवाद।
मनोज कुमार
सनबीम ग्रामीण स्कूल

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