जंतुओं के आंतरिक जीवन का अच्छे-बुरे के संदर्भ में अर्थ यह है कि जानवर वे व्यवहार करते हैं, जिन्हें अगर मनुष्य करें तो नैतिक रूप से गलत या बुरा माना जाएगा, जैसे प्रतिस्पर्धा या भोजन के लिए हत्या। लेकिन यह व्यवहार उनके लिए स्वाभाविक और विकासवादी रूप से अनुकूल होता है और उन्हें बुरा या गलत नहीं माना जाता। यह शब्द जंतुओं में नैतिकता की मानवीय अवधारणा को लागू करने की कोशिश करता है, जो उनके लिए प्राकृतिक और आवश्यक व्यवहारों पर लागू नहीं होता है।
जंतुओं का आंतरिक जीवन उनकी भावनाओं (खुशी, दुःख, डर) और व्यवहार (शर्म, पश्चाताप, अनुशासन) से भरा होता है, जो उनके जीवित रहने और सामाजिक संबंधों को प्रभावित करता है। हालांकि उनमें मानवीय नैतिकता (सही–गलत) नहीं होती है, लेकिन वे अपने अनुभवों के आधार पर अच्छे या बुरे व्यवहार को सीखते और अपनाते हैं, जो उनके कल्याण पर निर्भर करता है।
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