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Sunday, 5 October 2025

क्षमा - साक्षी पाल

"क्षमा" अध्याय पढ़ने के बाद मुझे यह गहराई से समझ में आया कि क्षमा जीवन का सबसे ऊँचा गुण है। क्षमा केवल एक शब्द नहीं है, बल्कि यह मनुष्य की सबसे बड़ी शक्ति और सच्ची पहचान है। जब कोई हमें दुःख पहुँचाता है और हम बदला लेने के बजाय उसे माफ़ कर देते हैं, तो वही क्षमा कहलाती है। क्षमा मन को हल्का करती है। जब हम दूसरों से क्रोध या बदले की भावना रखते हैं, तो हमारा मन भारी और अशांत हो जाता है। लेकिन क्षमा करने से हमारे अंदर का बोझ कम हो जाता है और शांति का अनुभव होता है। यही कारण है कि संत-महात्मा और महापुरुष हमेशा क्षमा-धर्म का पालन करने की सीख देते हैं।

इतिहास में कई उदाहरण मिलते हैं जहाँ क्षमा ने बड़े-बड़े संघर्षों को समाप्त किया। महात्मा गांधी ने अहिंसा और क्षमा के बल पर आज़ादी की लड़ाई लड़ी। उन्होंने यह दिखाया कि हिंसा या क्रोध से नहीं, बल्कि क्षमा और सहनशीलता से बड़े परिवर्तन संभव होते हैं। भगवान राम ने भी अपने शत्रुओं तक को क्षमा किया। यह हमें बताता है कि क्षमा वास्तव में वीरता है, कायरता नहीं।

अगर समाज में क्षमा का भाव न हो तो लोग एक-दूसरे से केवल बदला लेने में लगे रहेंगे और भाईचारा कभी स्थापित नहीं हो पाएगा। क्षमा वह सेतु है जो रिश्तों को जोड़ता है और समाज को शांति व स्थिरता प्रदान करता है।

इस अध्याय को पढ़कर मैंने सीखा कि क्षमा का भाव इंसान को महान बनाता है। क्षमा करने वाला व्यक्ति वास्तव में दिल से बड़ा होता है। वह दूसरों की गलती को भूलकर आगे बढ़ता है और नफ़रत के बजाय प्रेम फैलाता है। मैंने यह भी समझा कि क्षमा करना आसान नहीं है, लेकिन अगर हम इसे अपनाएँ तो जीवन में ख़ुशी, शांति और संतोष मिलता है।

क्षमा करना कमजोरी नहीं, बल्कि सबसे बड़ी ताक़त है। क्षमा से मन को शांति और आत्मिक सुख मिलता है। क्षमा से रिश्ते मज़बूत होते हैं और समाज शांतिपूर्ण बनता है। क्रोध और द्वेष नाश करते हैं, जबकि क्षमा निर्माण करती है। क्षमा मनुष्य को सच्चा, महान और पूजनीय बनाती है।

साक्षी पाल
आर्थर फुट अकैडमी

Thursday, 25 September 2025

ईमानदारी और सच्चाई – चरित्र की सच्ची पहचान - Sunbeam Gramin School

ईमानदारी का तात्पर्य सत्यनिष्ठा, निष्ठा, सम्मान और सच्चाई से होता है, जो किसी भी तरह से झूठ, चोरी या धोखे से इनकार करने का भाव है, जबकि सच्चाई से तात्पर्य किसी वस्तुनिष्ठ तथ्य या वास्तविकता के अनुरूप होना है, जो सटीक और सत्यापित हो। संक्षेप में, ईमानदारी एक चरित्र का गुण है, जो सच कहने और नैतिक मूल्यों का पालन करने से व्यक्त होता है, जबकि सच्चाई वह वस्तुनिष्ठ वास्तविकता है, जो सही है और जिसकी पुष्टि की जा सकती है।

ईमानदारी - ईमानदारी का अर्थ है सच बोलने वाला होना, किसी भी तरह से झूठ, चोरी या धोखे से इनकार करना।

नैंसी गिरी
कक्षा - 8

सच्चाई और ईमानदार व्यक्ति का चरित्र को मजबूत बनाता है। जब व्यक्ति सच बोलता है तो समाज में विश्वास और एकता का निर्माण होता है। ईमानदार लोग दूसरों के लिए प्रेरणा देते हैं। ईमानदारी एक नैतिक अवधारणा है। सामान्य रूप से इसका तात्पर्य सत्य से होता है, किन्तु विस्तृत रूप से ईमानदारी में मन, वचन तथा कर्म से प्रेम, अहिंसा, विश्वास जैसे गुणों के पालन पर बल देती है।

ईमानदारी एक ऐसा गुण है, जो लालच और बेईमानी से बचाती है। ईमानदारी हर एक मनुष्य में होना चाहिए। ईमानदारी से जो कार्य किए जाते हैं, वे अवश्य पूरे होते हैं। अनुशासन में रहना, सच बोलना और दूसरों की ईमानदारी से मदद करना चाहिए।

विशाखा यादव
कक्षा - 8

Sunday, 31 August 2025

फलता का असली सूत्र - Swati Tripathi

"Having a goal and understanding the situation are not enough"

“लक्ष्य होना और स्थिति को समझना”— ये दोनों चीज़ें ज़रूरी तो हैं, लेकिन अकेले पर्याप्त नहीं हैं। मान लीजिए आपके पास एक लक्ष्य है और आप परिस्थिति को अच्छे से समझ भी रहे हैं, फिर भी अगर: योजना (planning) नहीं है,लगातार प्रयास (consistent action) नहीं है, अनुशासन और धैर्य (discipline & patience) नहीं है, तो केवल लक्ष्य और समझ आपको मंज़िल तक नहीं पहुँचाएँगे।

उदाहरण: क्रिकेट खिलाड़ी को पता है कि मैच जीतना है (goal) और पिच की हालत भी समझ में आ गई (situation), लेकिन अगर उसने प्रैक्टिस नहीं की, सही रणनीति नहीं बनाई और मेहनत नहीं की, तो जीतना मुश्किल हो जाएगा।

यानी असली सफलता के लिए लक्ष्य + स्थिति की समझ + योजना + मेहनत + निरंतरता। इसके अलावा कई ऐसी बाते है जो हमे होने लक्ष्यों को प्राप्त करने मव मदद करती है जैसे-

Action plan + Self assessment + flexibility + efforts  इन सब बातो से हम प्रभावी ढंग से कार्य कर सकते है।

Swati Tripathi 
Sunbeam Gramin School

लक्ष्य: जीवन की दिशा और सफलता की कुंजी - साक्षी खन्ना

जीवन में लक्ष्य होना बहुत आवश्यक है, क्योंकि बिना लक्ष्य का जीवन अधूरा और दिशाहीन हो जाता है। लक्ष्य वह दीपक है, जो अंधेरे रास्ते में भी हमें सही दिशा दिखाता है। यदि इंसान के पास लक्ष्य न हो तो उसकी मेहनत और प्रतिभा बेकार हो सकती है, क्योंकि उसे पता ही नहीं होगा कि उसे किस ओर बढ़ना है। लक्ष्य हमें मेहनती, अनुशासित और आत्मविश्वासी बनाता है। जब हम एक निश्चित उद्देश्य तय करते हैं, तो हमारी पूरी ऊर्जा उसी दिशा में लगती है। रास्ते में चाहे कितनी भी कठिनाइयां आएं, लक्ष्य की प्रेरणा हमें हार मानने से रोकती है।

जीवन का लक्ष्य केवल अपने लिए सफलता या धन कमाना ही नहीं होना चाहिए, बल्कि ऐसा होना चाहिए जिससे समाज, परिवार और देश का भी भला हो। सही लक्ष्य वही है जो हमें संतोष और दूसरों को खुशी दे। हर व्यक्ति के जीवन में लक्ष्य होना चाहिए, क्योंकि यही लक्ष्य हमारी मेहनत को सार्थक बनाता है और जीवन को अर्थपूर्ण दिशा देता है। लक्ष्य हमें यह एहसास दिलाता है कि हम कौन हैं और हमें क्या बनना है। यह हमारी क्षमताओं को पहचानने और उन्हें सही दिशा देने का साधन है। बिना लक्ष्य के हम चाहे कितनी ही ऊर्जा लगाएं, परिणाम अधूरे और बिखरे हुए ही मिलेंगे। जैसे कोई तीर बिना निशाने के छोड़ा जाए, वह कभी लक्ष्य पर नहीं लगेगा।

लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए संघर्ष अनिवार्य है। यदि सब सरल हो तो उसकी प्राप्ति का महत्व भी कम हो जाता है। संघर्ष ही हमें मेहनती, धैर्यवान और आत्मविश्वासी बनाता है। ठोकर हमें गिराने के लिए नहीं, बल्कि संभालना सिखाने के लिए होती है। हर असफलता यह बताती है कि हमने कहां कमी की और अगली बार कैसे और बेहतर किया जा सकता है।

लक्ष्य केवल सपनों से पूरे नहीं होते। उन्हें पाने के लिए कड़ी मेहनत और निरंतर अभ्यास की आवश्यकता होती है। अनुशासन वह कुंजी है, जो हर बंद दरवाजे को खोल सकती है। यदि हम समय का सम्मान करेंगे और निरंतरता बनाए रखेंगे, तो बड़ी से बड़ी मंज़िल भी सुलभ हो जाएगी।

साक्षी खन्ना, Arthur Foot Academy

लक्ष्यहीन जीवन अंधेरी राह जैसा है, और लक्ष्ययुक्त जीवन उजाले की तरह - Sakshi Pal

हमारे जीवन में लक्ष्य (Aim) का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। बिना लक्ष्य का जीवन ऐसे है जैसे नाव बिना पतवार के – न कोई दिशा होती है और न कोई गंतव्य। इस पाठ से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में हमेशा एक निश्चित लक्ष्य तय करना चाहिए और उसके प्रति पूरी निष्ठा, परिश्रम और धैर्य के साथ आगे बढ़ना चाहिए।

लक्ष्य हमें प्रेरणा देता है, कठिनाइयों से लड़ने की शक्ति देता है और हमें सही दिशा में आगे बढ़ने का साहस प्रदान करता है। छोटे-छोटे लक्ष्य बनाकर उन्हें प्राप्त करना हमें आत्मविश्वास देता है और हमें बड़े सपनों की ओर ले जाता है। लक्ष्य हमें अनुशासनप्रिय बनाता है। जब हम जानते हैं कि हमें कहां पहुंचना है, तब हमारी ऊर्जा, हमारी सोच और हमारा हर प्रयास उसी दिशा में लगने लगता है। इस प्रक्रिया में कई बार कठिनाइयां आती हैं, लेकिन वही कठिनाइयां हमें मज़बूत और अनुभवी बनाती हैं।

इतिहास गवाह है कि जिन्होंने अपने जीवन में महान लक्ष्य तय किए, उन्होंने ही समाज और राष्ट्र को नई दिशा दी। महात्मा गांधी, स्वामी विवेकानंद, डॉ० ए. पी. जे. अब्दुल कलाम जैसे व्यक्तित्व हमें बताते हैं कि बड़ा लक्ष्य केवल सपना नहीं होता, बल्कि वह कठोर मेहनत और निरंतर प्रयास से वास्तविकता में बदला जा सकता है।

इस पाठ से मैंने सीखा कि लक्ष्य निर्धारित करना ही पर्याप्त नहीं, बल्कि उसके लिए कठोर मेहनत, अनुशासन और आत्मविश्वास भी ज़रूरी है। बाधाएं आएंगी, असफलताएं मिलेंगी, परंतु यदि मन में दृढ़ संकल्प हो तो कोई भी मंज़िल असंभव नहीं।

आज के समय में हर छात्र को चाहिए कि वह अपने जीवन का उद्देश्य तय करे और उस पर पूरी लगन से काम करे। चाहे डॉक्टर, शिक्षक, वैज्ञानिक, लेखक या कोई भी क्षेत्र क्यों न हो, यदि हम लक्ष्य स्पष्ट रखेंगे तो सफलता निश्चित रूप से हमारे कदम चूमेगी।

जब मैंने इस पाठ को पढ़ा तो मुझे भी महसूस हुआ कि अब मुझे अपने जीवन का लक्ष्य स्पष्ट रखना चाहिए और हर दिन उसी दिशा में आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। यह पाठ मेरे लिए प्रेरणा बन गया है कि मेहनत, धैर्य और दृढ़ इच्छाशक्ति से हम कोई भी सपना पूरा कर सकते हैं।

"सपने वो नहीं जो सोते समय आते हैं, सपने वो हैं जो हमें सोने नहीं देते!"

Sakshi Pal, Arthur Foot Academy

 

लक्ष्य: प्रेरणा, साहस और आत्मविश्वास का दीपक - Swati

"लक्ष्य तक पहुंचने का रास्ता कठिन हो सकता है, लेकिन वही रास्ता हमें मजबूत बनाता है।"

मैं अपने मन से लक्ष्य पर विचार करूं तो लक्ष्य मेरे लिए सिर्फ कोई मंज़िल नहीं है, बल्कि जीवन को दिशा देने वाला दीपक है। लक्ष्य वह शक्ति है जो हमें हर कठिनाई के बावजूद आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। जब मन थकने लगता है, हिम्मत डगमगाने लगती है, तब हमें लक्ष्य रास्ता दिखाता है कि हमने यह रास्ता क्यों चुना है। लक्ष्य का मतलब ऊँचाइयां छूना ही नहीं है, बल्कि सफ़र को अर्थ देना है।

"बिना लक्ष्य के जीवन ऐसा है, जैसे बिना दिशा की नाव – जो लहरों के भरोसे कहीं भी बह जाती है।"

मेरी नज़र में लक्ष्य हमें अनुशासन, धैर्य और आत्मविश्वास सिखाता है। यह हमारी क्षमताओं को परखता है और हमें खुद को बेहतर बनाने का अवसर देता है। लक्ष्य तभी सच होते हैं जब वे हमारे अंदर की सच्ची चाहत से जुड़े हों, न कि किसी और की उम्मीदों या दिखावे से। जब लक्ष्य हमारे मन से आता है, तब मुश्किलें भी सिर्फ़ रास्ते की परीक्षा लगती हैं और हम हर परीक्षा में और बेहतर बनते जाते हैं।

लक्ष्य तय करना एक साहसी कदम है, क्योंकि यह हमें आलस और कमजोरियों के सामने झुकने नहीं देता। यह हमें अपनी कमजोरियों को पहचानने का मौका देता है। कभी-कभी लक्ष्य बड़ा होने पर डर भी लगता है, पर उस समय याद रखना चाहिए कि लक्ष्य छोटे-छोटे कदमों का समूह होता है, जो हमें मंज़िल की ओर ले जाता है।

"लक्ष्य वह नहीं जो हमें दूर खड़ा दिखे, लक्ष्य वह है जो हमें हर रोज़ सुबह काम करने का बहाना दे।"

- Swati, Arthur Foot Academy

कोशिश और मेहनत: लक्ष्य प्राप्ति का मंत्र - सिमरन कौर

मैंने इस पाठ से यह सीखा है कि लक्ष्य एक जादू है, जो किसी भी व्यक्ति को वहाँ तक ले जा सकता है जहाँ कोई न गया हो। अगर मैंने अपने मन में अभी यह ठान रखा है कि मैं बी.एससी कर लूँगी, तो मेरा लक्ष्य केवल बी.एससी तक ही नहीं बल्कि इससे भी आगे एम.एससी करने का भी है। यह बात बिल्कुल सच है कि "उठो, जागो और तब तक न रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए।" इसलिए अपने लक्ष्य के लिए जीवन में मेहनत करनी ही पड़ती है। कठिनाई का मतलब असंभव नहीं होता, बल्कि इसका सीधा अर्थ है कि आपको कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। अगर इंसान अपने लक्ष्य को पाने के लिए हर तरीके से मेहनत करता है, तो लक्ष्य भी जल्दी ही प्राप्त हो जाता है। लेकिन अपने लक्ष्य के लिए व्यक्ति को मेहनत करते रहना चाहिए।

जैसे एक कविता है: "कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।"
इस कविता में एक छोटी चींटी होती है, जिसका लक्ष्य केवल दीवार पर चढ़ना होता है। अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए चींटी बहुत मेहनत करती है। इसलिए एक और पंक्ति है:
"नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ते हुए दीवार पर सौ बार फिसलती है।
आख़िर उसकी मेहनत हर बार बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।"

चींटी सौ बार चढ़ती है लेकिन सौ बार ही फिसल जाती है, फिर भी उसकी मेहनत हर बार बेकार नहीं होती। चींटी हार नहीं मानती और अंततः अपना लक्ष्य प्राप्त कर लेती है। ऐसे ही जीवन में भी इंसान को मेहनत करते रहना चाहिए। इस छोटी-सी चींटी से हमें यह सीख मिलती है कि अगर मनुष्य अपने मन में ठान ले, तो वह अपना लक्ष्य अवश्य प्राप्त कर सकता है। जीवन में मनुष्य असंभव को संभव में बदल सकता है। इस दुनिया में ऐसा कोई कार्य नहीं है जो मनुष्य नहीं कर सकता।

यह सोचना गलत है कि "हम यह कार्य नहीं कर सकते।" जब मनुष्य अपना लक्ष्य प्राप्त कर सकता है तो वह सब कुछ कर सकता है। इसलिए मनुष्य को जीवन में मेहनत करते रहना चाहिए। इंसान वह सब कुछ पा सकता है जो उसने अपने मन में ठान रखा है। इस संसार में कोई कार्य कठिन नहीं है—बस मेहनत करते रहना चाहिए, सफलता अवश्य मिलेगी।

सिमरन कौर, Arthur Foot Academy

लक्ष्य: आत्मविश्वास और सफलता का मार्ग - Reena Devi

लक्ष्य हमारे जीवन की दिशा तय करते हैं। यह हमारे सपनों को वास्तविक रूप में बदलते हैं।
बिना लक्ष्य का जीवन वैसा ही है जैसे बिना पतवार की नाव, जिसे लहरें कभी इधर तो कभी उधर ले जाती हैं।

लक्ष्य हमें विश्वास दिलाते हैं कि हम अपने जीवन के उद्देश्यों को पूरा कर सकते हैं। जब हम लक्ष्य बनाते हैं, तो हमें अपने समय, ऊर्जा और प्रयास को सही दिशा देने का अवसर मिलता है। यही हमारी क्षमताओं को पहचानने और निखारने का साधन है। लक्ष्य पाने का मार्ग आसान नहीं होता। इसमें कठिनाइयाँ और असफलताएँ आती हैं, और यही रुकावटें हमें मज़बूत और धैर्यवान बनाती हैं। अगर लक्ष्य बड़ा है, तो मेहनत भी उतनी ही बड़ी करनी पड़ती है।

सच्चा चिंतन यह है कि लक्ष्य केवल बाहरी सफलता पाने का साधन नहीं, बल्कि आत्मविश्वास का मार्ग भी है। लक्ष्य हमें अनुशासन और धैर्य सिखाते हैं। जब हम अपने छोटे-छोटे लक्ष्यों को पूरा करते हैं, तो हमारे भीतर संतोष का भाव जागता है और यही हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। लक्ष्य वह नक्शा है जो हमें हर रोज़ छोटे कदम उठाने की वजह देता है और हर छोटा कदम हमें बड़ी मंज़िल तक लेकर जाता है।

"लक्ष्य सिर्फ़ मंज़िल नहीं, आत्मसम्मान का रास्ता है।"

- Reena Devi, Arthur Foot Academy

Saturday, 12 July 2025

संकल्प का असली अर्थ: शुरुआत से निभाने तक की यात्रा – Lalita Pal

"This life is one, and time is also limited, so live for yourself rather than waste it on others." 😊

हर नया संकल्प एक बीज की तरह होता है, जिसे यदि सही वातावरण, नियमित देखभाल और समय मिले, तो वह वटवृक्ष बन सकता है। लेकिन क्या हम उस बीज को समय पर पानी देते हैं?
क्या हम उसे सूरज की रोशनी में ले जाते हैं? या हम सिर्फ संकल्प करके उसे भूल जाते हैं?

"Everything is easy when you are busy, but nothing is easy when you are lazy." 😊

संकल्प लेना आसान है—"मैं रोज ध्यान करूंगी"—पर क्या हमने कभी पीछे मुड़कर देखा कि हमने कितनी बार अपने ही संकल्पों से मुंह मोड़ा? संकल्प लेना आसान था—कुछ शब्द, एक भावना और मन में एक तस्वीर।
लेकिन उसे निभाना कठिन था। वो सुबह जल्दी उठना, बार-बार मन को समझाना, पुरानी आदतों से लड़ना—यही असली तप था। अब जब पीछे मुड़कर देखती हूं, तो सोचती हूं: क्या मेरा संकल्प सिर्फ एक प्रेरणा थी, या वो सच में मेरी आत्मा की पुकार थी? शुरुआत में जो जोश था, वो धीरे-धीरे थम गया—शायद इसलिए क्योंकि मैंने संकल्प लिया था, पर उसकी जिम्मेदारी को पूरी तरह अपनाया नहीं था। या शायद इसलिए कि मैं बैठी थी ये सोचने कि मैं सच में क्यों बदलना चाहती हूं?

कभी-कभी लगता है कि संकल्प लेना तो आसान है—बस कुछ अच्छा सोचो, कुछ प्रेरक लाइनें पढ़ो और खुद से वादा कर लो। पर असली चुनौती है हर दिन उस वादे को निभाना। जब मन कहता है, "छोड़ न, कल से फिर कर लेंगे," तब खुद को पकड़ कर खड़ा करना ही असली संकल्प है। मैंने कई बार संकल्प लिए—कभी उत्साह में, कभी भावनाओं में बहकर, कभी दूसरों को देखकर और कभी खुद को सच्चे मन से बदलने की चाह में।

"Remember, nothing is impossible for you.
You can do what you never thought." 🙂

– Lalita Pal

Friday, 11 July 2025

संकल्प - Swati

 

जब हम अपने मन से कोई ठोस संकल्प लेते हैं, तो वह केवल एक विचार नहीं होता—वह एक दिशा बन जाता है। यह एक लक्ष्य की ओर बढ़ने का पहला मजबूत कदम होता है। मेरे लिए संकल्प सिर्फ एक शब्द नहीं है, बल्कि यह आत्मबल और आत्मविश्वास की यात्रा की शुरुआत है। बचपन से ही हमने सीखा है कि "जहाँ चाह, वहाँ राह"। जब हम मन से किसी लक्ष्य की ओर बढ़ने लगते हैं, तो रास्ते भी खुद-ब-खुद बनते चले जाते हैं। मेरे जीवन में जब भी कोई परेशानी आई, मैंने महसूस किया कि मेरा संकल्प ही था जिसने मुझे आगे बढ़ने का हौसला दिया।

Sankalp is not just a promise to the world – it is a deep commitment to your own soul.

मैंने अनुभव किया है कि जब संकल्प दिल से लिया जाए, तो पूरी कायनात उसे पूरा करने में मदद करती है। फिर चाहे वह पढ़ाई का लक्ष्य हो, किसी की मदद करने का इरादा हो, या खुद को और बेहतर बनाने की चाह—दिल से लिया गया संकल्प कभी व्यर्थ नहीं जाता। संकल्प हमें अनुशासन सिखाता है। यह हमारे विचारों को दिशा देता है और हमारे कर्मों को अर्थ। यह हमें भीतर से मजबूत बनाता है, ताकि हम जीवन की हर चुनौती का डटकर सामना करें, न कि उससे डरें।

It is the foundation of every achievement. Great journeys begin with small decisions – and Sankalp is that first step.

आज के इस डिजिटल युग में, जहाँ ध्यान भटकाना आसान है, वहीं संकल्प हमें अपनी दिशा याद दिलाता है। यह हमारी सोच को स्पष्ट करता है और हमारे उद्देश्य को जीवन का हिस्सा बना देता है।

अंत में मैं यही कहूँगी:

"संकल्प कोई दिखावे की चीज़ नहीं, बल्कि आत्मा की आवाज़ है, जो हमें खुद से मिलाती है।"

Take your Sankalp seriously – because your future is waiting to be shaped by it.

संकल्प का मतलब है खुद से किया गया वादा। यह वादा हमें तब मजबूती देता है, जब दुनिया हमें कमजोर समझती है।

Every day counts. Small steps matter.
मैंने सीखा है कि संकल्प लेने के बाद हर दिन मेहनत ज़रूरी होती है। हर छोटी कोशिश एक बड़े लक्ष्य की ओर बढ़ता कदम होती है।

Never stop. Never quit.
संकल्प केवल हमें मंज़िल की ओर नहीं ले जाता, बल्कि हमें खुद को समझने और जानने का रास्ता भी देता है। यह हमारे मन के भीतर छुपे विचारों को बाहर लाता है और हमारी आंतरिक क्षमताओं को पहचानने का अवसर देता है।

मैंने अपने जीवन में महसूस किया है कि—

"जब रास्ते कठिन होते हैं, तो हर कोई साथ छोड़ देता है; केवल संकल्प ही होता है जो हमारे साथ रहकर जीवन में दिशा दिखाता है।"

Don't give up. Walk alone if needed.

"संकल्प लो, फिर खुद को भूल जाओ – बस अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते जाओ।"
Small start. Big dream. Strong will. That's Sankalp.

"वक़्त चाहे जितना भी लगे, पर अगर संकल्प सच्चा है, तो मंज़िल ज़रूर मिलेगी।"

स्वाति


संकल्प: आत्मनिर्माण की दिशा में एक प्रतिबद्ध कदम - रीना देवी

 

“One who believes in their determination has already conquered half the journey.”

संकल्प’ पाठ से हमें यह शिक्षा मिलती है कि जब हम कोई संकल्प लेते हैं, तो वह हमारी सोचने की शक्ति को बढ़ाता है। सोच से लिए गए संकल्प न केवल हमें आगे बढ़ाते हैं, बल्कि कठिनाइयों में भी हमें मजबूती से खड़े रहने और उनका सामना करने की ताक़त देते हैं।

संकल्प लेने से पहले यह ज़रूरी है कि हम स्वयं को समझें—हमारी इच्छाओं को, हमारे लक्ष्यों को। तभी हम उन्हें सही राह दिखा सकते हैं।
संकल्प एक बार लिया जाता है, लेकिन उसकी परीक्षा हर दिन होती है।
जब आलस्य आए, जब निराशा घेर ले, तब हमारी सोच ही हमें याद दिलाती है कि हमने क्या चुना था, और क्यों चुना था।

जब सोच स्पष्ट होती है, तो संकल्प में शक्ति होती है; और जब संकल्प मजबूत होता है, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता।

संकल्प केवल एक लक्ष्य को प्राप्त करने की प्रक्रिया नहीं है—यह आत्म-निर्माण का मार्ग है।
एक सच्चा संकल्प न केवल व्यक्ति को ऊँचाइयों तक ले जाता है, बल्कि उसे सही दिशा भी देता है।

इतिहास गवाह है कि जिन्होंने सच्चे संकल्प किए, उन्होंने असंभव को भी संभव बना दिया।
महात्मा गांधी का स्वतंत्रता के प्रति संकल्प हमें यह सिखाता है कि एक विचार, एक निश्चय—कैसे सम्पूर्ण राष्ट्र की दिशा बदल सकता है।

“When determination is strong, the path creates itself.”

संकल्प एक छोटा-सा शब्द है, लेकिन इसका अर्थ अत्यंत गहरा है।
It means a strong will—a firm decision made with oneself.
यह एक विचार मात्र नहीं, बल्कि एक commitment है, जो हमें हमारे लक्ष्यों तक पहुँचाने में मदद करता है।

जब हम कोई संकल्प लेते हैं, तो हम अपने comfort zone से बाहर निकलने की कोशिश करते हैं। यह आसान नहीं होता, लेकिन वहीं से हमारी growth की शुरुआत होती है।

हम सभी ने कभी न कभी कोई न कोई संकल्प लिया होगा—चाहे पढ़ाई में अच्छा करने का, समय का सदुपयोग करने का, माता-पिता का सम्मान करने का, या समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का।

परंतु मैंने अपने अनुभव से यह सीखा है कि संकल्प केवल लेना पर्याप्त नहीं होता; उसे निभाने के लिए आत्मविश्वास, अनुशासन और निरंतर प्रयास आवश्यक होते हैं।

संकल्प लेना जितना आसान है, उसे निभाना उतना ही कठिन। लेकिन जब हम अपने संकल्प से सच्चा लगाव रखते हैं, तब हर कठिनाई छोटी लगने लगती है। आत्मविश्वास, समय का सदुपयोग, और निरंतर प्रयास—यही संकल्प की सच्ची पहचान हैं।

संकल्प का अर्थ है—अपने आप से किया गया एक वादा।
जब हम कोई लक्ष्य तय करते हैं और उसे पूरा करने का संकल्प लेते हैं, तो वह हमें अपने कर्तव्य की याद दिलाता है और distractions से दूर रखकर focus बनाए रखने की प्रेरणा देता है। एक छोटा-सा संकल्प भी जीवन में बड़ा परिवर्तन ला सकता है, बशर्ते हम उसे sincerely निभाएं।

मेरा स्वयं का संकल्प:
जिस विद्यालय की मैं प्रधानाचार्य हूँ—Arthur Foot Academy—वहाँ के बच्चे बहुत आगे जाएँ, आसमान की ऊँचाइयों को छुएँ, और यह विद्यालय पूरे समाज और देश में अपना नाम रोशन करे। मैं अपने कार्य को पूरी ईमानदारी और लगन से करूँ, यही मेरा संकल्प है।

जहाँ कहीं भी मुझे मेरे विद्यालय का नाम सुनाई दे, वहीं मेरा गर्व और उद्देश्य पूरा होता है।

मैं विशेष धन्यवाद देना चाहती हूँ Sandeep Sir को, जिनकी इस पुस्तक के माध्यम से मुझे अपने विचार साझा करने का सौभाग्य मिला।

रीना देवी, 
प्रधानाचार्य
Arthur Foot Academy

संकल्प: आत्मबल और विश्वास का आधार - सिमरन कौर

"अगर मन में विश्वास हो, तो रास्ते बन ही जाते हैं।"

संकल्प’ पाठ से मैंने यह सीखा है कि संकल्प एक ऐसा दृढ़ निश्चय है, जिसमें एक बार किसी कार्य को करने का निर्णय ले लिया जाए, तो फिर पीछे हटना नहीं चाहिए।
इसलिए किसी भी काम को शुरू करने से पहले यह ठान लेना ज़रूरी है कि — "मुझे यह कार्य करना है, और किसी भी परिस्थिति में इसे पूरा करके ही रहना है।"

जीवन में कैसी भी परिस्थिति क्यों न आ जाए — चाहे वह अनुकूल हो या प्रतिकूल — हमें अपने संकल्प पर टिके रहना चाहिए। जैसे मैं सिमरन, वर्तमान में बीएससी कर रही हूँ, तो मैंने यह ठान लिया है कि मैं यह कोर्स पूरा करके ही रहूँगी। चाहे जीवन में कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न आएँ, मैं पीछे नहीं हटूँगी।

जीवन में उतार-चढ़ाव तो आते रहते हैं, लेकिन मेरा संकल्प मुझे लगातार आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। मैं Arthur Foot Academy में बच्चों को विज्ञान पढ़ाती हूँ। कभी-कभी कोई विषय ऐसा होता है जो मुझे स्वयं भी ठीक से नहीं आता, लेकिन मैं उसे सीखने का पूरा प्रयास करती हूँ।

मैंने अपने मन में यह ठान रखा है कि मैं जल्दी ही उसे सीख जाऊँगी। अगर सीखने की इच्छा हो, तो कोई भी व्यक्ति कुछ भी सीख सकता है, और फिर वही ज्ञान दूसरों को भी सिखा सकता है। परंतु सीखने और सिखाने के लिए खुद पर विश्वास होना बहुत ज़रूरी है। जब हम यह संकल्प लेते हैं कि "मुझे यह कार्य पूरा करना है," तो आत्मबल बढ़ता है और कार्य के प्रति समर्पण भी। कभी-कभी जीवन में ऐसा भी होता है कि हमने कोई कार्य पूरी मेहनत, लगन और सच्चाई से किया, लेकिन फिर भी सफलता नहीं मिलती। ऐसे समय में मनोबल टूट सकता है, लेकिन हमें अपने संकल्प को याद करना चाहिए।

हमें यह सोचना चाहिए कि —
"मैंने यह कार्य अपने मन से, अपनी इच्छा से चुना था, और मैंने खुद से वादा किया था कि मैं इसे पूरा करूँगी।"

‘संकल्प’ पाठ से मुझे यह सीख मिली कि

  • हार नहीं माननी चाहिए,

  • अपने ऊपर विश्वास रखना चाहिए,

  • और जीवन में आगे बढ़ते रहना चाहिए।

हमें कभी यह नहीं सोचना चाहिए कि "मैं यह काम नहीं कर सकती/सकता,"
बल्कि यह सोचना चाहिए — "मैं कर सकती हूँ और करूँगी।"

संकल्प ही वह शक्ति है जो हमें कठिन परिस्थितियों में भी डटे रहने और लक्ष्य को पाने के लिए प्रेरित करती है।

-सिमरन कौर

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