Friday, 22 August 2025

कृतज्ञ मन सबसे धनी मन होता है - Reena Devi

कृतज्ञता का पहला पाठ स्वीकार करना है। जीवन में सुख-दुख दोनों आते हैं, पर हर अनुभव कोई न कोई सीख लेकर आता है। सफलता हमें दिशा देती है और असफलता गहराई। जब हम अपने कठिन दिनों में भी उनसे कोई सीख ढूंढ लेते हैं, तब शिकायत की जगह विनम्रता आती है। विनम्रता आने पर अहंकार ढीला होता है, और जब अहंकार कम होता है, तब प्रेम बढ़ता है।

रिश्तों में कृतज्ञता चमत्कार करती है। हम अक्सर अपने करीब के लोगों के योगदान को "स्वाभाविक" मान लेते हैं—जैसे हमारे माता-पिता, शिक्षकों का मार्गदर्शन आदि। यह सब हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अगर हम दिल से इनका धन्यवाद करें, तो सभी का दिन बदल सकता है। बार-बार किया गया सम्मान रिश्तों को मजबूत करता है, और जिन रिश्तों में कृतज्ञता खुलकर बोली जाती है, उन रिश्तों में शिकायत जन्म लेने से पहले ही छोटी पड़ जाती है।

कृतज्ञता मानसिक स्वास्थ्य की औषधि है। यह हमारे ध्यान को कमी से उपलब्धि की ओर जोड़ती है। यही बदलाव चिंता को घटाता है और आशा को बढ़ाता है। जब हम रोज़ के छोटे-छोटे उपहार नोटिस करते हैं—सुबह की हवा, हल्की सी मुस्कान—तो हमारे मन को शांति मिलती है।

"कृतज्ञता हृदय की वह कुंजी है, जो सुख और शांति के द्वार खोलती है।"

रीना देवी, Arthur Foot Academy 

No comments:

Post a Comment

Reflections Since 2021