कृतज्ञता का अर्थ इन सबकी महत्ता को समझना और उनके प्रति धन्यवाद का भाव प्रकट करना है। जब हम आभार व्यक्त करते हैं, तो हमारे भीतर विनम्रता, सहानुभूति और प्रेम का विकास होता है। यह गुण हमें न केवल एक अच्छा इंसान बनाता है, बल्कि समाज में सकारात्मकता और सहयोग की भावना भी फैलाता है।
कृतज्ञता हमें यह भी सिखाती है कि हमें छोटी-छोटी चीज़ों की भी कद्र करनी चाहिए। जीवन में हर अनुभव, हर अवसर और हर मदद हमें आगे बढ़ने का मार्ग दिखाती है। आभारी व्यक्ति कभी दुःखी नहीं होता, क्योंकि वह हर परिस्थिति में ईश्वर और जीवन का धन्यवाद करना जानता है। आज के भौतिकवादी युग में लोग केवल पाने की सोचते हैं, लेकिन कृतज्ञता हमें यह याद दिलाती है कि "देने वाले का सम्मान और धन्यवाद करना ही सबसे बड़ा संस्कार है।"
कृतज्ञता का भाव केवल रिश्तों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज और राष्ट्र के प्रति भी होना चाहिए। हमें उन किसानों का आभार मानना चाहिए जो हमारे लिए अन्न उगाते हैं, उन सैनिकों का धन्यवाद करना चाहिए जो हमारी रक्षा करते हैं, और उन डॉक्टरों का सम्मान करना चाहिए जो हमारे स्वास्थ्य का ध्यान रखते हैं। यदि हम इन सभी के योगदान को समझें और उनके प्रति आभारी रहें, तो हमारा जीवन अधिक जिम्मेदार और संवेदनशील बन जाएगा।
कृतज्ञता हमें अहंकार से दूर ले जाकर विनम्रता की ओर ले जाती है। यह हमें सिखाती है कि जीवन में चाहे कितनी भी बड़ी उपलब्धि क्यों न मिले, उसके पीछे कई अनदेखे हाथों का योगदान होता है। इसलिए आभारी होना ही सच्ची इंसानियत है।
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