Tuesday, 22 July 2025

प्रयास का महत्व और सफलता का मार्ग - सनबीम ग्रामीण स्कूल



देने का जज़्बा का अर्थ है — किसी को कुछ देने या सहायता प्रदान करने की भावना या इच्छा। यह एक सकारात्मक और सहायक दृष्टिकोण को दर्शाता है, जहाँ व्यक्ति दूसरों की मदद करने या उन्हें कुछ देने के लिए तत्पर रहता है। इस जज़्बे में सेवा, सहयोग और उदारता की भावना शामिल होती है, जो समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने में मदद करती है। "The joy of giving, The willingness to give"

यदि आपके मन में किसी को कुछ देने का जज़्बा है, तो आप बिना किसी वित्तीय साधन के भी किसी की सहायता कर सकते हैं। जैसे – किसी की विकट स्थिति में उसके साथ समय बिताकर, उसे सहारा देकर, या अपनी सेवा से मदद कर सकते हैं। किसी रोते हुए को हँसाना या किसी दुखी व्यक्ति से बात करके उसके मन का बोझ हल्का करना भी एक प्रकार की मदद है, जिसे हम उदार हृदय से कर सकते हैं। इसके लिए सबसे ज़रूरी यह है कि हमारे मन में दूसरों की मदद करने की सच्ची इच्छा हो।
नैन्सी मौर्या

देने का जज़्बा रखने वालों का हृदय उदार होना चाहिए।
उदार होना एक ऐसा गुण है जो किसी भी व्यक्ति में हो सकता है — फिर चाहे वह अमीर हो या गरीब। यह मायने नहीं रखता कि हमारे पास कितना धन है, बल्कि यह ज़रूरी है कि हमारे मन में दूसरों की किसी भी प्रकार से मदद करने की सच्ची इच्छा हो। अगर हमारे भीतर सहायता करने की लगन है, तो हम बिना अमीर हुए भी किसी की सहायता कर सकते हैं। उदार हृदय एक ऐसी भावना है, जो किसी की मदद करने की सच्ची इच्छा से उत्पन्न होती है। यह इस बात से तय नहीं होती कि किसी के पास कितना पैसा है।

देने का जज़्बा रखने वाले लोग अपनी सेवा भावना से भी लोगों की सहायता कर सकते हैं। किसी की कठिन परिस्थिति में उसके साथ खड़े रहना, उसका मनोबल बढ़ाना — यह सब किसी व्यक्ति के दयालुता भरे स्वभाव को दर्शाते हैं। कहने का आशय यह है कि उदारता एक ऐसा गुण है, जो किसी में भी हो सकता है। क्योंकि देने का जज़्बा उसी व्यक्ति में होता है, जिसका हृदय करुण और संवेदनशील होता है।
शिखा

 विद्यार्थी पंचलक्षणम्
विद्यार्थी के पाँच लक्षण होते हैं —
काक चेष्टा – विद्यार्थी को पढ़ाई करने में कौए की तरह लगातार प्रयास करते रहना चाहिए।
वको ध्यानम् – पढ़ाई में बगुले की तरह एकाग्र और स्थिर ध्यान लगाना चाहिए।
गृहत्यागी – विद्यार्थी को अध्ययन के लिए संयम से रहना चाहिए, और यदि आवश्यक हो, तो घर का आराम छोड़कर तप करने का भाव रखना चाहिए।
स्वान निद्रा – विद्यार्थी को कम सोना चाहिए और अधिक समय पढ़ाई में लगाना चाहिए।
अल्पाहारी – विद्यार्थी को अधिक भोजन नहीं करना चाहिए, क्योंकि ज़्यादा भोजन से आलस्य और नींद आती है, जिससे पढ़ाई में बाधा आती है।
विशाखा

"सफलता कभी अंतिम नहीं होती, असफलता कभी घातक नहीं होती।"
सफलता स्थायी नहीं होती और असफलता भी हमेशा नहीं रहती। जीवन में सबसे महत्वपूर्ण है — निरंतर प्रयास।

विद्यार्थी पंचलक्षणम् का यही संदेश है कि विद्यार्थी को हमेशा मेहनती, एकाग्र, संयमी और निरंतर प्रयासशील होना चाहिए। हमें अपने जीवन में हर कार्य को पूरा मन लगाकर, निरंतर प्रयास करते हुए करना चाहिए। यही मार्ग हमें सच्ची सफलता की ओर ले जाता है।
सीमा

देने का जज़्बा – एक छोटी मदद, एक बड़ा असर - सिमरन कौर

मैंने इस पाठ से यह सीखा है कि अगर कोई व्यक्ति किसी काम को करने में असमर्थ हो और उसे मदद की ज़रूरत हो, तो हमें उसकी मदद ज़रूर करनी चाहिए। दूसरों की सहायता करने से न केवल सामने वाले को राहत मिल ती है, बल्कि हमारे अपने मन को भी संतुष्टि और सच्ची खुशी मिलती है।मान लीजिए हमारे पास बहुत सारा पैसा है, और एक व्यक्ति हमारे पास आकर कहता है कि उसे अपने बच्चे के स्कूल में दाखिले के लिए पैसों की ज़रूरत है। ऐसे समय पर हमारे अंदर उसकी सहायता करने का साहस और जज़्बा होना चाहिए। अगर हमने उसे मदद कर दी, तो न सिर्फ वह बच्चा स्कूल जा सकेगा, बल्कि उसके माता-पिता को भी अपार खुशी मिलेगी।

हमारी एक छोटी सी सहायता एक बच्चे को शिक्षा पाने का अवसर दिला सकती है। वह बच्चा जब पढ़-लिखकर एक अच्छा इंसान बनता है, तो वह खुद, उसके माता-पिता और पूरा समाज उससे प्रेरित हो सकता है। कई बार किसी गरीब पिता को बेटे की फीस भरने के लिए उधार लेना पड़ता है। ऐसे में यदि कोई उसे मदद कर दे, तो वह बच्चा स्कूल में पढ़ सकता है। और यही बच्चा आगे चलकर जब सफल होता है, तो उसके माता-पिता को भी गर्व होता है।

इसलिए, हमें कभी भी दूसरों की मदद करने से पीछे नहीं हटना चाहिए। क्या पता हमारी एक छोटी-सी मदद किसी की जिंदगी बदल दे। दूसरों की मदद करना एक महान जज़्बा होता है। यह किसी बड़े दान या संपत्ति से नहीं, बल्कि दिल की भावना से जुड़ा होता है। किसी की छोटी-छोटी समस्याओं का समाधान करना या उनकी मदद करना एक सच्चे, अच्छे इंसान की पहचान है। इसलिए जब भी किसी को आपकी ज़रूरत हो, तो उसकी मदद ज़रूर करें। हमारी की हुई छोटी-सी सहायता किसी की जिंदगी को खुशनुमा बना सकती है।

 सिमरन कौर, Arthur Foot Academy

देने का जज़्बा - Sakshi Pal

"देने का जज़्बा" एक ऐसा अध्याय है, जो हमारे हृदय को छू जाता है। यह हमें याद दिलाता है कि जीवन का असली सौंदर्य तभी है, जब हम दूसरों के लिए कुछ करते हैं। इस पाठ से यह स्पष्ट होता है कि जिंदगी का सबसे खूबसूरत पहलू दूसरों के चेहरों पर मुस्कान लाना है। हम अक्सर सोचते हैं कि हमारे पास बहुत काम है, लेकिन जब हम अपने छोटे से हिस्से से भी किसी की मदद करते हैं, तो उसका असर बहुत बड़ा होता है।

True giving doesn't depend on wealth, it depends on will.

यह अध्याय बताता है कि देने की कोई सीमा नहीं होती। हम चाहें तो अपने शब्दों, अपने समय और अपने स्नेह से भी किसी की सहायता कर सकते हैं। आज की दुनिया में, जहां हर कोई सिर्फ अपने बारे में सोचता है, वहां देने की भावना और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। जब कोई व्यक्ति नि:स्वार्थ होकर देता है, तो वह समाज के लिए एक उदाहरण बन जाता है। Selfless giving is rare, but powerful.

इस अध्याय में हमें यह सिखाया गया है कि "देने" का मतलब सिर्फ धन देना नहीं है — एक सहानुभूतिपूर्ण बात, मदद का हाथ, समय देना — ये सब भी देने की श्रेणी में आते हैं।
Even giving time and attention is a beautiful act of kindness.

मुझे इस पाठ से यह समझ आया कि हमें बच्चों को शुरू से ही देने की आदत सिखानी चाहिए, ताकि वे बड़े होकर संवेदनशील और दयालु इंसान बन सकें।
Good values must be taught early.

यदि हम सब मिलकर थोड़ा-थोड़ा भी योगदान दें, तो समाज में बड़ा बदलाव आ सकता है। हम अपने आस-पास के लोगों की छोटी-छोटी ज़रूरतें देखकर भी मदद कर सकते हैं — किसी ग़रीब बच्चे को किताब देना, किसी बीमार को समय पर दवाई दिला देना, किसी अकेले बुज़ुर्ग से बात कर लेना — ये सब देने के ही रूप हैं। इस अध्याय ने मुझे भीतर तक झकझोर दिया। अब मैं हर दिन सोचती हूं — “आज मैंने किसी के लिए क्या किया?”

What did I give today? अगर हम सब यह सवाल खुद से रोज़ पूछने लगें, तो दुनिया एक बेहतर जगह बन सकती है। "देने का जज़्बा" सिर्फ एक कहानी नहीं है, यह एक संदेश है, एक प्रेरणा है, एक मिशन है — जिसे हर इंसान को अपने जीवन में अपनाना चाहिए।

Sakshi Pal, Arthur Foot Academy

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