Monday, 14 July 2025

एक सपना, एक सोच – जो बने सबकी कोशिश - Arthur Foot Academy

 

How will we move ahead and make our school from good to great

The staff team at AFA shows the way by stating a clear vision and mission for the school. We ensure that every stakeholder is involved in the process, and we grow together.

मेरी कल्पना की आर्थर फुट एकेडमी

जब मैं अपनी आँखें बंद करती हूँ और कल्पना करती हूँ, तो मुझे भविष्य की आर्थर फुट एकेडमी एक ऐसे स्थान के रूप में दिखती है जहाँ हर बच्चा मुस्कान के साथ सीखने आता है। स्कूल का वातावरण शांत, सुरक्षित और प्रेरणादायक है। बच्चे आत्मविश्वास के साथ खुलकर बोलते हैं, सहयोग करते हैं और अपनी जिम्मेदारी समझते हैं। यहाँ शिक्षा के साथ-साथ संस्कार, नैतिकता और व्यावहारिक ज्ञान भी दिया जाता है। स्कूल में तकनीक और परंपरा का सुंदर मेल है — बच्चे स्मार्ट क्लास से भी सीखते हैं और पेड़ के नीचे बैठकर प्रकृति से भी।

समाज में आर्थर फुट एकेडमी की पहचान एक ऐसे स्कूल के रूप में होती है जहाँ से शिक्षा प्राप्त कर बच्चा न सिर्फ पढ़ा-लिखा होता है, बल्कि एक अच्छा इंसान भी बनता है। लोग कहते हैं – इस स्कूल में न सिर्फ रटा-रटाया ज्ञान, बल्कि जीवन जीने की कला सिखाई जाती है।

Vision

प्रश्न: हम अपने स्कूल के बच्चों का भविष्य कैसा बनाना चाहते हैं?
उत्तर: हम चाहते हैं कि आर्थर फुट एकेडमी के बच्चे आत्मनिर्भर, संवेदनशील और समाज के लिए उपयोगी नागरिक बनें। वे न केवल पढ़ाई में अच्छे हों, बल्कि नैतिक मूल्यों को भी समझें और अपनाएं।

Mission

प्रश्न: हम बच्चों को एक बेहतर समाज के लिए कैसे तैयार कर रहे हैं?
उत्तर: हम बच्चों को समूह कार्य, सामाजिक सेवा, नैतिक शिक्षा और संवाद कौशल सिखाकर उन्हें एक जिम्मेदार नागरिक बनने की दिशा में ले जा रहे हैं।

- साक्षी पाल 

हम अपने बच्चों के लिए कैसा भविष्य चाहते हैं?

हम अपने बच्चों के लिए एक सुरक्षित, सुखद और उज्ज्वल भविष्य चाहते हैं। हम चाहते हैं कि वे स्वतंत्र रूप से सोच सकें, अपने सपनों को पूरा कर सकें और अच्छे इंसान बनें।

हम चाहते हैं कि उन्हें अच्छी और नैतिक शिक्षा मिले जिससे उन्हें जीवन में सफलता मिले। न सिर्फ किताबी ज्ञान, बल्कि व्यावहारिक ज्ञान और जीवन मूल्यों की भी समझ हो।

स्वतंत्र सोच और आत्मनिर्भरता

हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे आत्मनिर्भर बनें, जो अपने भविष्य के फैसले स्वयं ले सकें और जीवन की समस्याओं का सामना खुद करें। वे संवेदनशील, दयालु और मददगार हों। हम उन्हें सच्चाई और ईमानदारी से जीवन जीना सिखाते हैं।
वे सभी के साथ मिल-जुलकर प्रेम से रहें और सभी का आदर करें।

हम चाहते हैं कि हमारे स्कूल के बच्चे खुशहाल, आत्मनिर्भर और समाज के लिए उपयोगी बनें।वे कल के नेता, वैज्ञानिक, शिक्षक, कलाकार और अच्छे इंसान बनकर देश-दुनिया में नाम रोशन करें।

हम बच्चों को एक बेहतर समाज के लिए कैसे तैयार कर रहे हैं?

हम जानते हैं कि हमारे देश और समाज का भविष्य हमारे बच्चों पर निर्भर करता है। इसलिए हम उन्हें सोच-समझकर और पूरी मेहनत से तैयार कर रहे हैं। हम उन्हें सिखा रहे हैं:

  • Honesty (ईमानदारी)

  • Respect (सम्मान)

  • Kindness (दयालुता)

  • Helping Nature (मदद करने की भावना)

हम सिर्फ किताबों की पढ़ाई ही नहीं कराते, बल्कि उन्हें नैतिक शिक्षा भी देते हैं ताकि वे सही और गलत में फर्क समझ सकें।
आज के डिजिटल युग में हम उन्हें सिखाते हैं कि वे मोबाइल, इंटरनेट और गैजेट्स का इस्तेमाल सिर्फ पढ़ाई और अच्छी चीजों के लिए करें, न कि गलत चीजों में उलझें।

Equality and Respect

हम उन्हें यह सिखाते हैं कि सभी इंसान बराबर हैं – चाहे वे किसी भी धर्म, जाति या आर्थिक स्थिति से हों। सभी का सम्मान करना चाहिए। उन्हें Unity in Diversity और Gender Equality की भी सीख दी जाती है।

Social Work and Community Service

हम बच्चों को दूसरों की मदद के लिए प्रोत्साहित करते हैं – जैसे बुजुर्गों की सहायता करना, गरीब बच्चों को पढ़ाना या समाज के लिए कुछ उपयोगी करना। इससे उनमें जिम्मेदारी की भावना आती है। हम बच्चों को केवल पढ़ा नहीं रहे, बल्कि उन्हें responsible citizen, good human being और socially aware व्यक्ति बना रहे हैं ताकि वे आने वाले समय में एक मजबूत, शांतिपूर्ण और बेहतर समाज बना सकें।

- स्वाति
मेरे सपनों का Arthur Foot Academy

हमारा Arthur Foot Academy ऐसा होना चाहिए जहाँ ईमानदारी और नैतिकता हर बच्चे में हो। स्कूल का माहौल ऐसा हो कि बच्चे दबाव में न होकर, उत्साह के साथ कहें – "कब सुबह हो और कब हम स्कूल जाएँ!"

पढ़ाई के साथ-साथ बच्चे खेल, गायन, नृत्य जैसे गतिविधियों में भी सबसे आगे हों। और जब वे स्कूल से बाहर निकलें तो लोग पूछें – "कहाँ से पढ़कर आए हो?"

हमारे बच्चे न केवल अपने स्कूल, बल्कि अपने गाँव और समाज का भी नाम रोशन करें।

Vision

प्रश्न: आपके सपनों का Arthur Foot Academy कैसा हो?
उत्तर: मैं चाहती हूँ कि Arthur Foot Academy ऐसा हो जहाँ बच्चे सिर्फ पढ़ाई ही नहीं, बल्कि अपने सपनों को साकार करने का स्थान समझें — एक ऐसा मंदिर या घर, जहाँ वे शिक्षा और संस्कारों के साथ अपने सपनों की उड़ान भर सकें।

Mission

प्रश्न: हमारे स्कूल में ऐसी कौन सी बातें हों जिन्हें हम सब मिलकर सिखाएँ?
उत्तर: मैं चाहती हूँ कि हम बच्चों को सिखाएँ:

  • सच बोलना

  • बड़ों का सम्मान करना

  • आत्मनिर्भर बनना

  • अपनी गलती स्वीकार करना

  • दूसरों की मदद करना

- ललिता पाल

आपको क्या लगता है कि पढ़ाई से बच्चों को सबसे बड़ा क्या लाभ मिलता है?

पढ़ाई से बच्चों को विषयों की गहरी समझ मिलती है, जिससे वे दुनिया को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं। अच्छी शिक्षा मिलने पर बच्चे समस्याओं का समाधान निकालना और निर्णय लेना सीखते हैं। जब बच्चे कुछ नया और अच्छा सीखते हैं, तो उनका आत्मविश्वास भी बढ़ता है। हमारे स्कूल में हर बच्चे को उसकी क्षमताओं के अनुसार सीखने और आगे बढ़ने का अवसर मिलता है।

हम अपने स्कूल के बच्चों का भविष्य कैसा बनाना चाहते हैं?

हम अपने स्कूल के बच्चों का भविष्य केवल उज्ज्वल ही नहीं, बल्कि मजबूत और उद्देश्यपूर्ण बनाना चाहते हैं।
हमारा लक्ष्य सिर्फ परीक्षा में अच्छे अंक दिलाना नहीं, बल्कि उन्हें अच्छा इंसान बनाना है। हम ऐसा भविष्य चाहते हैं जहाँ बच्चे आत्मनिर्भर हों, सोचने की क्षमता रखते हों, सवाल पूछ सकें और दूसरों के सवालों के उत्तर सोच-समझकर दे सकें।
शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं होनी चाहिए – हम चाहते हैं कि हमारे Arthur Foot Academy के बच्चे कला, खेल, विज्ञान और सामाजिक विषयों में भी अपनी रुचियाँ पहचानें और उन्हें निखारें। वे चुनौतियों से डरें नहीं, उनका साहसपूर्वक सामना करें। हमारा प्रयास रहेगा कि हम उन्हें ऐसा वातावरण दें, जहाँ वे सुरक्षित महसूस करें, अपनी बात खुलकर कह सकें और हर दिन कुछ नया सीखें। हमारा स्कूल उन्हें वो पंख देना चाहता है जिससे वे खुले आकाश में उड़ सकें।

साक्षी खन्ना

हम अपने स्कूल के बच्चों का भविष्य कैसा बनाना चाहते हैं?

हमें अपने विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा देनी चाहिए, ताकि वे अपने माता-पिता और स्कूल का नाम रोशन कर सकें।हम अपने स्कूल को उत्कृष्ट बनाने के लिए कई प्रयास कर सकते हैं — जैसे बेहतर पढ़ाई के लिए सुरक्षित और सहायक वातावरण तैयार करना, जहाँ बच्चे आत्मविश्वास के साथ सीखें और अपने सपनों को पूरा कर सकें। हम उन्हें इतना सक्षम बनाना चाहते हैं कि वे कोई भी परीक्षा सफलता से पास कर सकें। हमें बच्चों को अधिक से अधिक ज्ञान देना चाहिए ताकि उनका भविष्य सुरक्षित हो सके। हमें अपने विद्यार्थियों को अपनी राय खुलकर व्यक्त करने का अवसर देना चाहिए। उनका mind sharp बनाना चाहिए, ताकि जो कुछ भी वे पढ़ें, वह उन्हें समझ आए और याद रहे। हमें बच्चों को सिर्फ रटाना नहीं, समझना सिखाना चाहिए।

Education – शिक्षा क्या है?

शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं होती — यह जीवन को दिशा देने वाली शक्ति है। शिक्षा वह दीपक है जो न केवल व्यक्ति के भविष्य को उजाला देता है, बल्कि पूरे समाज को भी एक नई दिशा देता है।जहाँ शिक्षा नहीं है, वहाँ समाज में जागरूकता भी नहीं होगी। इसलिए शिक्षा को सर्वोपरि मानना चाहिए।

रूबल कौर

हम अपने स्कूल के बच्चों को कैसा भविष्य देना चाहते हैं?
हम बच्चों को ऐसा भविष्य देना चाहते हैं जो सुरक्षित हो और संभावनाओं से भरा हो। हम चाहते हैं कि वे न केवल पढ़ाई में, बल्कि खेल-कूद, कला और सोचने-समझने की क्षमता में भी आगे रहें। हम ऐसा वातावरण देना चाहते हैं जहाँ बच्चे अपने सपनों को पहचानें, खुलकर सोचें, सवाल करें और अपने रास्ते खुद खोजें। बिना किसी डर या दबाव के वे अपनी समस्याओं को हमारे साथ साझा करें, खुलकर जीवन जीएँ, और अपने स्कूल, समाज व देश का नाम रोशन करें। वे अपने देश के प्रति वफादार नागरिक बनें।

मेरे सपनों का Arthur Foot Academy

एक ऐसा स्थान जहाँ बच्चे खुशी-खुशी सीखने आएँ, डर नहीं बल्कि प्रेम और सहयोग का वातावरण हो।स्कूल की इमारत रंग-बिरंगी हो, पेड़-पौधों और सुंदर फूलों से सजी हो, खेल-कूद के लिए खुला मैदान हो और हर कोने में कुछ नया सीखने का अवसर हो। बच्चों को सिर्फ किताबों से नहीं, बल्कि खेल, कहानियाँ, कला, संगीत और प्रयोगों से भी सीखने का अवसर मिले।

सबसे ज़रूरी बात – बच्चों के प्रति सम्मान। 

हर बच्चे का सम्मान करें, और यह समझें कि उन्होंने हमें यह अवसर दिया है कि हम उनके भविष्य को गढ़ सकें — पूरी ईमानदारी और समर्पण के साथ।

- रीना देवी

आपके सपनों का Arthur Foot Academy कैसा होना चाहिए?

मैं चाहती हूँ कि मेरा सपना Arthur Foot Academy सबसे अच्छा स्कूल बने — ऐसा कि आस-पास के लोग कहें, “यह सचमुच एक बेहतरीन स्कूल है!”

हमारे स्कूल में ऐसी कौन-सी बातें हों जिन्हें हम मिलकर सिखा सकते हैं?

हम बच्चों को पढ़ना, लिखना और खेलना — सब कुछ मिलकर सिखाएँ, ताकि वे जल्दी आगे बढ़ सकें। हमें बच्चों को उनके समझने योग्य तरीके से पढ़ाना चाहिए — अलग-अलग तरीकों से सिखाना चाहिए, ताकि वे रुचि के साथ सीखें।हर बच्चे को पढ़ाई, लेखन और खेल के अलग-अलग तरीके आने चाहिए, जिससे वे पूर्ण रूप से विकसित हो सकें और अपने माता-पिता, स्कूल और शिक्षकों का नाम रोशन कर सकें।

- सिमरन कौर

Sunday, 13 July 2025

My Good School, first-ever Webinar

📚 Session Summary – Book Reading Webinar

Date: 13th July 2025
Platform: We moved from Zoom Meetings to Webinars
Occasion: Weekly Reading Session

Special Mention: Ms. Manisha Khanna has completed one year with My Good School. Congratulations on this achievement!

🎯 Meeting Purpose
  • Promote emotional literacy, giving mindset, and expression through reading and reflection.

  • Provide upcoming creative platforms to nurture student writing and publishing skills.

📘 Books Discussed

  1. The Inner Life of Animals
    Chapter: Something Special in the Air

    • Highlighted animals' emotional sensitivity and how they use droplets like perfume to express themselves.

  2. क्या आपका बच्चा दुनिया का सामना करने के लिए तैयार है?
    Chapter: देने का जज़्बा

    • Focused on the joy of giving—not only financially, but through acts of time, care, and compassion.

🗝️ Key Takeaways

  • Emotional Communication in Nature: Understanding that animals also feel and communicate in invisible but powerful ways.

  • Giving with Heart: Students related to the broader meaning of generosity and contribution.

  • Reflections Shared: Students participated by reading and discussing their blogs, despite initial technical challenges.

  • Gratitude and Confidence: The webinar format initially posed challenges, but students appreciated the opportunity to speak and be heard.

ℹ️ Information Shared with Students

  • The session was converted into a webinar due to attendance exceeding 100, as Zoom meetings have a participant limit.

  • Students were informed in advance to prepare accordingly.

✍️ Upcoming Opportunities 

  1. Story Writing Competition

  2. Publishing Course

    • Start Date: 9th August

    • Duration: 10 weeks

    • Schedule: Every Saturday, 11:00 AM – 12:30 PM

    • Mode: Zoom (link shared after registration)

    • If unable to register online, centre coordinators can share school-wise lists with names and ages of interested students.

⚠️ Things to Work On

  • Equip students for smooth webinar interaction.

  • Introduce more speaking opportunities in large groups.

  • Streamline future communication about technical and platform changes.

DRIVE: The Force Behind Success - Manisha Khanna


“From First Steps to Full Circle: A Journey Rooted in DRIVE”

It began with a question: What truly makes a school good?

I didn’t have the answer then, but I had curiosity. And sometimes, that’s enough to begin.

Neetu Koranga, my mentor, didn’t hand me the answer—she offered scaffolding. Gentle nudges, reflective pauses, and space to explore helped me see that a good school isn’t defined by buildings or rankings, but by its soul—its people, its purpose, and its practices. She let me climb at my own pace, not rushing the learning, just guiding it. That’s where I found my first ‘D’—Direction.

Then came the voice behind the movement— Sandeep Dutt. A mentor, not in instruction but in inspiration. He didn’t just show the way; he walked with me. From helping shape my first student post to allowing me the space to correct, create, and eventually lead, he helped me tap into my second ‘D’—Dream.

The rest followed like ingredients into a simmering pot:

From designing graphics, writing reflections, to conducting a session in Hindi for students on a Sunday—it wasn't just learning, it was living the learning. Each effort, every retry, every Sunday spent refining my thoughts taught me the value of Dedication.

And when I stumbled, as learners often do, it was the fire within—the silent push to continue—that revealed my own Determination.

Together, these four pillars became my foundation. And like any good recipe, it wasn’t just one spice but the perfect blend that brought flavour to my journey.

“When You Dare to Dream, Direction Finds You—And Drive Takes You Further.”

To everyone who walked beside me in this journey, thank you for the patience, the belief, and the freedom to grow without limits. My Good School didn’t just change how I see education—it changed how I see myself.

Chasing questions, catching sparks — Manisha Khanna

Beyond Marks: Raising World Ready Children - Sunbeam School, Lahartara

 

Confident Kids, Strong Futures - MY GOOD SCHOOL .pptx by students of Sunbeam School, Lahartara and posted on their behalf by Manisha Khanna, our GSA Principal.

In today's fast-paced and competitive world, every parent must ask themselves an important question: Are we only preparing our children for exams, or are we also preparing them for life? Good marks may open doors, but confidence, emotional strength, decision-making skills, effective communication, and strong moral values help children thrive. These qualities empower them to handle challenges, build meaningful relationships, and navigate the complexities of adulthood independently. A balanced upbringing means teaching children not just how to study, but also how to live with purpose, empathy, and resilience. Let's move beyond textbooks and help our children become well-rounded individuals ready to face the world with strength and wisdom.

Saturday, 12 July 2025

संकल्प का असली अर्थ: शुरुआत से निभाने तक की यात्रा – Lalita Pal

"This life is one, and time is also limited, so live for yourself rather than waste it on others." 😊

हर नया संकल्प एक बीज की तरह होता है, जिसे यदि सही वातावरण, नियमित देखभाल और समय मिले, तो वह वटवृक्ष बन सकता है। लेकिन क्या हम उस बीज को समय पर पानी देते हैं?
क्या हम उसे सूरज की रोशनी में ले जाते हैं? या हम सिर्फ संकल्प करके उसे भूल जाते हैं?

"Everything is easy when you are busy, but nothing is easy when you are lazy." 😊

संकल्प लेना आसान है—"मैं रोज ध्यान करूंगी"—पर क्या हमने कभी पीछे मुड़कर देखा कि हमने कितनी बार अपने ही संकल्पों से मुंह मोड़ा? संकल्प लेना आसान था—कुछ शब्द, एक भावना और मन में एक तस्वीर।
लेकिन उसे निभाना कठिन था। वो सुबह जल्दी उठना, बार-बार मन को समझाना, पुरानी आदतों से लड़ना—यही असली तप था। अब जब पीछे मुड़कर देखती हूं, तो सोचती हूं: क्या मेरा संकल्प सिर्फ एक प्रेरणा थी, या वो सच में मेरी आत्मा की पुकार थी? शुरुआत में जो जोश था, वो धीरे-धीरे थम गया—शायद इसलिए क्योंकि मैंने संकल्प लिया था, पर उसकी जिम्मेदारी को पूरी तरह अपनाया नहीं था। या शायद इसलिए कि मैं बैठी थी ये सोचने कि मैं सच में क्यों बदलना चाहती हूं?

कभी-कभी लगता है कि संकल्प लेना तो आसान है—बस कुछ अच्छा सोचो, कुछ प्रेरक लाइनें पढ़ो और खुद से वादा कर लो। पर असली चुनौती है हर दिन उस वादे को निभाना। जब मन कहता है, "छोड़ न, कल से फिर कर लेंगे," तब खुद को पकड़ कर खड़ा करना ही असली संकल्प है। मैंने कई बार संकल्प लिए—कभी उत्साह में, कभी भावनाओं में बहकर, कभी दूसरों को देखकर और कभी खुद को सच्चे मन से बदलने की चाह में।

"Remember, nothing is impossible for you.
You can do what you never thought." 🙂

– Lalita Pal

Friday, 11 July 2025

संकल्प' पाठ पर आत्मचिंतन - Sakshi Pal

 

‘संकल्प’ पाठ मेरे लिए एक बहुत ही प्रेरणादायक और सीखों से भरा हुआ अनुभव रहा। यह पाठ न केवल हमें अपने जीवन में उद्देश्य निर्धारित करने की प्रेरणा देता है, बल्कि यह भी सिखाता है कि कड़ी मेहनत, आत्मविश्वास और ईमानदारी से किया गया संकल्प हमें किसी भी मंज़िल तक पहुँचा सकता है।

जब मैंने यह पाठ सुना, तो मुझे महसूस हुआ कि हर व्यक्ति के जीवन में एक ऐसा मोड़ आता है जब उसे यह तय करना होता है कि वह किस दिशा में जाना चाहता है।

इस पाठ ने मुझे अपने लक्ष्यों के बारे में गहराई से सोचने पर मजबूर किया।
मैंने महसूस किया कि केवल सपना देखना ही काफ़ी नहीं होता, बल्कि उसे पूरा करने का संकल्प उतना ही आवश्यक होता है।

इस पाठ में जिस प्रकार पात्रों ने अपने जीवन को एक ठोस संकल्प के साथ आगे बढ़ाया, वह मेरे लिए अत्यंत प्रेरणादायक रहा।
इस कहानी ने मुझे यह सिखाया कि सफलता कोई संयोग नहीं है, बल्कि यह संकल्प और निरंतर प्रयास का परिणाम होती है।

हमें अपने जीवन में किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले यह ठान लेना चाहिए कि चाहे कैसी भी कठिनाई आए, हम पीछे नहीं हटेंगे। इस पाठ ने मुझे आत्म-निरीक्षण करने का अवसर भी दिया।
मैंने खुद से पूछा —
क्या मैं भी अपने लक्ष्यों को लेकर उतनी ही गंभीर हूँ?
क्या मैं भी ऐसा कोई संकल्प ले सकती हूँ, जिसे मैं अपने जीवन की दिशा बना सकूँ?

यह केवल एक कहानी नहीं थी—बल्कि एक दर्पण था, जो मुझे यह दिखा रहा था कि मैं कहाँ खड़ी हूँ और कहाँ तक जा सकती हूँ।
मैंने यह भी सीखा कि जीवन में कई बार रुकावटें आएँगी, लोग आलोचना करेंगे, लेकिन अगर हमारा संकल्प सच्चा है, तो हम निश्चित रूप से अपने लक्ष्य तक पहुँच सकते हैं।
हमें असफलता से डरना नहीं चाहिए, बल्कि उससे सीख लेकर आगे बढ़ना चाहिए।

संकल्प हमें न केवल लक्ष्य की ओर ले जाता है, बल्कि हमें भीतर से भी मजबूत बनाता है। यह हमें सिखाता है कि जब पूरी दुनिया हमारे खिलाफ हो, तब भी अगर हम अपने आत्मबल पर विश्वास रखें, तो हर असंभव कार्य भी संभव हो सकता है।
यह हमारे चरित्र का निर्माण करता है और हमें बार-बार गिरकर फिर उठने की ताक़त देता है।

मैंने यह भी अनुभव किया कि संकल्प एक ऐसी शक्ति है, जो हमें आलस्य, भय और असमर्थता से निकालकर कर्म, साहस और सफलता की ओर ले जाती है। यह पाठ न केवल ज्ञान का स्रोत है, बल्कि जीवन में जागरूकता और प्रेरणा का माध्यम भी बना।

अब मैं यह ठान चुकी हूँ कि चाहे पढ़ाई हो या जीवन का कोई भी क्षेत्र, मैं पूरे मन से प्रयास करूँगी और अपने हर छोटे-बड़े लक्ष्य के लिए एक दृढ़ संकल्प लूँगी।

**अंत में मैं कहना चाहूँगी—
‘संकल्प’ केवल एक पाठ नहीं, बल्कि जीवन जीने का एक मार्गदर्शन है।
यह हमें सिखाता है कि यदि हमारी नीयत और मेहनत सच्ची हो, तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रह सकता।
"With firm resolve and pure intentions, success is just a matter of time."

- Sakshi Pal

संकल्प - Swati

 

जब हम अपने मन से कोई ठोस संकल्प लेते हैं, तो वह केवल एक विचार नहीं होता—वह एक दिशा बन जाता है। यह एक लक्ष्य की ओर बढ़ने का पहला मजबूत कदम होता है। मेरे लिए संकल्प सिर्फ एक शब्द नहीं है, बल्कि यह आत्मबल और आत्मविश्वास की यात्रा की शुरुआत है। बचपन से ही हमने सीखा है कि "जहाँ चाह, वहाँ राह"। जब हम मन से किसी लक्ष्य की ओर बढ़ने लगते हैं, तो रास्ते भी खुद-ब-खुद बनते चले जाते हैं। मेरे जीवन में जब भी कोई परेशानी आई, मैंने महसूस किया कि मेरा संकल्प ही था जिसने मुझे आगे बढ़ने का हौसला दिया।

Sankalp is not just a promise to the world – it is a deep commitment to your own soul.

मैंने अनुभव किया है कि जब संकल्प दिल से लिया जाए, तो पूरी कायनात उसे पूरा करने में मदद करती है। फिर चाहे वह पढ़ाई का लक्ष्य हो, किसी की मदद करने का इरादा हो, या खुद को और बेहतर बनाने की चाह—दिल से लिया गया संकल्प कभी व्यर्थ नहीं जाता। संकल्प हमें अनुशासन सिखाता है। यह हमारे विचारों को दिशा देता है और हमारे कर्मों को अर्थ। यह हमें भीतर से मजबूत बनाता है, ताकि हम जीवन की हर चुनौती का डटकर सामना करें, न कि उससे डरें।

It is the foundation of every achievement. Great journeys begin with small decisions – and Sankalp is that first step.

आज के इस डिजिटल युग में, जहाँ ध्यान भटकाना आसान है, वहीं संकल्प हमें अपनी दिशा याद दिलाता है। यह हमारी सोच को स्पष्ट करता है और हमारे उद्देश्य को जीवन का हिस्सा बना देता है।

अंत में मैं यही कहूँगी:

"संकल्प कोई दिखावे की चीज़ नहीं, बल्कि आत्मा की आवाज़ है, जो हमें खुद से मिलाती है।"

Take your Sankalp seriously – because your future is waiting to be shaped by it.

संकल्प का मतलब है खुद से किया गया वादा। यह वादा हमें तब मजबूती देता है, जब दुनिया हमें कमजोर समझती है।

Every day counts. Small steps matter.
मैंने सीखा है कि संकल्प लेने के बाद हर दिन मेहनत ज़रूरी होती है। हर छोटी कोशिश एक बड़े लक्ष्य की ओर बढ़ता कदम होती है।

Never stop. Never quit.
संकल्प केवल हमें मंज़िल की ओर नहीं ले जाता, बल्कि हमें खुद को समझने और जानने का रास्ता भी देता है। यह हमारे मन के भीतर छुपे विचारों को बाहर लाता है और हमारी आंतरिक क्षमताओं को पहचानने का अवसर देता है।

मैंने अपने जीवन में महसूस किया है कि—

"जब रास्ते कठिन होते हैं, तो हर कोई साथ छोड़ देता है; केवल संकल्प ही होता है जो हमारे साथ रहकर जीवन में दिशा दिखाता है।"

Don't give up. Walk alone if needed.

"संकल्प लो, फिर खुद को भूल जाओ – बस अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते जाओ।"
Small start. Big dream. Strong will. That's Sankalp.

"वक़्त चाहे जितना भी लगे, पर अगर संकल्प सच्चा है, तो मंज़िल ज़रूर मिलेगी।"

स्वाति


संकल्प: आत्मनिर्माण की दिशा में एक प्रतिबद्ध कदम - रीना देवी

 

“One who believes in their determination has already conquered half the journey.”

संकल्प’ पाठ से हमें यह शिक्षा मिलती है कि जब हम कोई संकल्प लेते हैं, तो वह हमारी सोचने की शक्ति को बढ़ाता है। सोच से लिए गए संकल्प न केवल हमें आगे बढ़ाते हैं, बल्कि कठिनाइयों में भी हमें मजबूती से खड़े रहने और उनका सामना करने की ताक़त देते हैं।

संकल्प लेने से पहले यह ज़रूरी है कि हम स्वयं को समझें—हमारी इच्छाओं को, हमारे लक्ष्यों को। तभी हम उन्हें सही राह दिखा सकते हैं।
संकल्प एक बार लिया जाता है, लेकिन उसकी परीक्षा हर दिन होती है।
जब आलस्य आए, जब निराशा घेर ले, तब हमारी सोच ही हमें याद दिलाती है कि हमने क्या चुना था, और क्यों चुना था।

जब सोच स्पष्ट होती है, तो संकल्प में शक्ति होती है; और जब संकल्प मजबूत होता है, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता।

संकल्प केवल एक लक्ष्य को प्राप्त करने की प्रक्रिया नहीं है—यह आत्म-निर्माण का मार्ग है।
एक सच्चा संकल्प न केवल व्यक्ति को ऊँचाइयों तक ले जाता है, बल्कि उसे सही दिशा भी देता है।

इतिहास गवाह है कि जिन्होंने सच्चे संकल्प किए, उन्होंने असंभव को भी संभव बना दिया।
महात्मा गांधी का स्वतंत्रता के प्रति संकल्प हमें यह सिखाता है कि एक विचार, एक निश्चय—कैसे सम्पूर्ण राष्ट्र की दिशा बदल सकता है।

“When determination is strong, the path creates itself.”

संकल्प एक छोटा-सा शब्द है, लेकिन इसका अर्थ अत्यंत गहरा है।
It means a strong will—a firm decision made with oneself.
यह एक विचार मात्र नहीं, बल्कि एक commitment है, जो हमें हमारे लक्ष्यों तक पहुँचाने में मदद करता है।

जब हम कोई संकल्प लेते हैं, तो हम अपने comfort zone से बाहर निकलने की कोशिश करते हैं। यह आसान नहीं होता, लेकिन वहीं से हमारी growth की शुरुआत होती है।

हम सभी ने कभी न कभी कोई न कोई संकल्प लिया होगा—चाहे पढ़ाई में अच्छा करने का, समय का सदुपयोग करने का, माता-पिता का सम्मान करने का, या समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का।

परंतु मैंने अपने अनुभव से यह सीखा है कि संकल्प केवल लेना पर्याप्त नहीं होता; उसे निभाने के लिए आत्मविश्वास, अनुशासन और निरंतर प्रयास आवश्यक होते हैं।

संकल्प लेना जितना आसान है, उसे निभाना उतना ही कठिन। लेकिन जब हम अपने संकल्प से सच्चा लगाव रखते हैं, तब हर कठिनाई छोटी लगने लगती है। आत्मविश्वास, समय का सदुपयोग, और निरंतर प्रयास—यही संकल्प की सच्ची पहचान हैं।

संकल्प का अर्थ है—अपने आप से किया गया एक वादा।
जब हम कोई लक्ष्य तय करते हैं और उसे पूरा करने का संकल्प लेते हैं, तो वह हमें अपने कर्तव्य की याद दिलाता है और distractions से दूर रखकर focus बनाए रखने की प्रेरणा देता है। एक छोटा-सा संकल्प भी जीवन में बड़ा परिवर्तन ला सकता है, बशर्ते हम उसे sincerely निभाएं।

मेरा स्वयं का संकल्प:
जिस विद्यालय की मैं प्रधानाचार्य हूँ—Arthur Foot Academy—वहाँ के बच्चे बहुत आगे जाएँ, आसमान की ऊँचाइयों को छुएँ, और यह विद्यालय पूरे समाज और देश में अपना नाम रोशन करे। मैं अपने कार्य को पूरी ईमानदारी और लगन से करूँ, यही मेरा संकल्प है।

जहाँ कहीं भी मुझे मेरे विद्यालय का नाम सुनाई दे, वहीं मेरा गर्व और उद्देश्य पूरा होता है।

मैं विशेष धन्यवाद देना चाहती हूँ Sandeep Sir को, जिनकी इस पुस्तक के माध्यम से मुझे अपने विचार साझा करने का सौभाग्य मिला।

रीना देवी, 
प्रधानाचार्य
Arthur Foot Academy

संकल्प: आत्मबल और विश्वास का आधार - सिमरन कौर

"अगर मन में विश्वास हो, तो रास्ते बन ही जाते हैं।"

संकल्प’ पाठ से मैंने यह सीखा है कि संकल्प एक ऐसा दृढ़ निश्चय है, जिसमें एक बार किसी कार्य को करने का निर्णय ले लिया जाए, तो फिर पीछे हटना नहीं चाहिए।
इसलिए किसी भी काम को शुरू करने से पहले यह ठान लेना ज़रूरी है कि — "मुझे यह कार्य करना है, और किसी भी परिस्थिति में इसे पूरा करके ही रहना है।"

जीवन में कैसी भी परिस्थिति क्यों न आ जाए — चाहे वह अनुकूल हो या प्रतिकूल — हमें अपने संकल्प पर टिके रहना चाहिए। जैसे मैं सिमरन, वर्तमान में बीएससी कर रही हूँ, तो मैंने यह ठान लिया है कि मैं यह कोर्स पूरा करके ही रहूँगी। चाहे जीवन में कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न आएँ, मैं पीछे नहीं हटूँगी।

जीवन में उतार-चढ़ाव तो आते रहते हैं, लेकिन मेरा संकल्प मुझे लगातार आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। मैं Arthur Foot Academy में बच्चों को विज्ञान पढ़ाती हूँ। कभी-कभी कोई विषय ऐसा होता है जो मुझे स्वयं भी ठीक से नहीं आता, लेकिन मैं उसे सीखने का पूरा प्रयास करती हूँ।

मैंने अपने मन में यह ठान रखा है कि मैं जल्दी ही उसे सीख जाऊँगी। अगर सीखने की इच्छा हो, तो कोई भी व्यक्ति कुछ भी सीख सकता है, और फिर वही ज्ञान दूसरों को भी सिखा सकता है। परंतु सीखने और सिखाने के लिए खुद पर विश्वास होना बहुत ज़रूरी है। जब हम यह संकल्प लेते हैं कि "मुझे यह कार्य पूरा करना है," तो आत्मबल बढ़ता है और कार्य के प्रति समर्पण भी। कभी-कभी जीवन में ऐसा भी होता है कि हमने कोई कार्य पूरी मेहनत, लगन और सच्चाई से किया, लेकिन फिर भी सफलता नहीं मिलती। ऐसे समय में मनोबल टूट सकता है, लेकिन हमें अपने संकल्प को याद करना चाहिए।

हमें यह सोचना चाहिए कि —
"मैंने यह कार्य अपने मन से, अपनी इच्छा से चुना था, और मैंने खुद से वादा किया था कि मैं इसे पूरा करूँगी।"

‘संकल्प’ पाठ से मुझे यह सीख मिली कि

  • हार नहीं माननी चाहिए,

  • अपने ऊपर विश्वास रखना चाहिए,

  • और जीवन में आगे बढ़ते रहना चाहिए।

हमें कभी यह नहीं सोचना चाहिए कि "मैं यह काम नहीं कर सकती/सकता,"
बल्कि यह सोचना चाहिए — "मैं कर सकती हूँ और करूँगी।"

संकल्प ही वह शक्ति है जो हमें कठिन परिस्थितियों में भी डटे रहने और लक्ष्य को पाने के लिए प्रेरित करती है।

-सिमरन कौर

संकल्प: सफलता की ओर पहला कदम – रूबल कौर

 

"हमेशा ध्यान रखें कि हमारा सफल होने का संकल्प, किसी और संकल्प से ज़्यादा महत्वपूर्ण है।"

संकल्प का अर्थ है – कोई मजबूत और पक्का निर्णय लेना। जब हम किसी कार्य को करने की ठान लेते हैं, तो उसे पूरा करने के लिए लगातार और पूरी मेहनत से प्रयास करते हैं। जब तक उस कार्य में सफलता न मिल जाए, तब तक हम हार नहीं मानते — यही सच्चा संकल्प कहलाता है। अगर हमें जीवन में कुछ बड़ा करना है, तो संकल्प बहुत ज़रूरी है।

संकल्प हमें दिशा देता है, आत्मविश्वास बढ़ाता है और मेहनत करने की शक्ति देता है।

सच्चा संकल्प वही होता है जिसे हम दिल से लें और पूरे मन से निभाएँ —
चाहे रास्ते में कितनी भी मुश्किलें क्यों न आएँ, हमें रुकना नहीं है, पीछे नहीं हटना है।
हमें अपने कदमों को आगे की ओर ले जाना है और सफलता के मार्ग पर दृढ़ता से चलते रहना है। जब कोई व्यक्ति संकल्प लेता है, तो वह अपने उद्देश्य पर केंद्रित रहता है। वह कठिनाइयों से नहीं डरता और निरंतर प्रयास करता है। यही निरंतर प्रयास उसे सफलता की ओर ले जाता है।

संकल्प हमें यह सिखाता है कि –
अगर हम किसी भी काम को नियमित रूप से, ईमानदारी से और मेहनत के साथ करें, तो हम निश्चित ही सफल होंगे। ‘संकल्प’ एक प्रेरणादायक पाठ है, जो यह सिखाता है कि अगर हमारे अंदर कुछ कर दिखाने की सच्ची इच्छा हो, तो हम कोई भी बड़ा बदलाव ला सकते हैं। संकल्प एक ऐसी शक्ति है, जो हमें ठोस निर्णय लेने और उन्हें निभाने की प्रेरणा देती है। यह हमारे सपनों और इच्छाओं को स्पष्ट रूप से देखने, उन्हें समझने और उन्हें प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ने का साहस देता है।

संकल्प यह भी सिखाता है कि —
किसी काम में असफल होना बुरी बात नहीं है।
गलती यह होती है कि हम असफलता से डरकर दोबारा प्रयास ही न करें।
ऐसी स्थिति में हमें सकारात्मक सोच रखनी चाहिए और फिर से मजबूत संकल्प के साथ शुरुआत करनी चाहिए।
“Regular efforts make impossible things possible.”

इस पाठ से मुझे यह प्रेरणा भी मिली कि हमें अपने जीवन में अच्छे और सार्थक संकल्प लेने चाहिए –
जैसे:

  • हर साल एक पेड़ लगाना,

  • पौधों को नियमित रूप से पानी देना,

  • अपने आस-पास सफाई रखना,

  • और प्रकृति से मित्रता करना।

संकल्प न केवल एक विचार है, बल्कि वह आंतरिक शक्ति है जो हमारे चरित्र को आकार देती है और हमें सफलता के पथ पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।

- रूबल कौर

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