Sunday, 19 October 2025

गुरु नानक देव जी के जीवन का संदेश – Lalita Pal

एपिसोड २२ ने मेरे मन को गहराई से छू लिया। हर दृश्य ऐसा प्रतीत हुआ जैसे गुरु नानक देव जी स्वयं हमारे सामने खड़े होकर सच्चाई, प्रेम और समानता का संदेश दे रहे हों। उनके शब्दों में सादगी और शक्ति का अद्भुत समन्वय था, जिसने मेरे हृदय में श्रद्धा की भावना जागृत की।

इस एपिसोड में सबसे अधिक प्रभावशाली बात गुरु नानक जी का धैर्य, विनम्रता और ईश्वर पर अटूट विश्वास था। जब लोग उनके विचारों को नहीं समझ पाते या विरोध करते, तब भी उनका मन शांत रहता और चेहरे पर हमेशा मुस्कान रहती। यह दर्शाता है कि सच्चाई की राह पर चलने वाला व्यक्ति कभी अकेला नहीं होता, उसके साथ स्वयं ईश्वर होते हैं।

गुरु नानक जी का संदेश "सब मनुष्य एक ही ईश्वर की संतान हैं" मेरे दिल को गहराई से छू गया। उन्होंने धर्म, जाति और ऊँच-नीच के भेदभाव को मिटाने की शिक्षा दी। आज जब समाज में लोग छोटी-छोटी बातों में भेदभाव कर लेते हैं, तब उनका यह संदेश और भी प्रासंगिक हो जाता है।

उनकी शिक्षा यह सिखाती है कि सच्ची पूजा मंदिरों या मस्जिदों में नहीं, बल्कि हमारे कर्मों और प्रेम में छिपी है। सेवा, सिमरन और संत जीवन का वास्तविक मार्ग हैं। मानवता का सही अर्थ तब है जब हम सभी एक-दूसरे से प्रेम करें।

गुरु नानक देव जी ने सिखाया कि प्रेम और सच्चाई की आवाज़ को ऊँचा बोलने की आवश्यकता नहीं होती; यह खुद ही सबके दिलों तक पहुँच जाती है। अगर हम उनके बताए मार्ग पर चलें, किसी की मदद करें, सच्चाई बोले और भेदभाव न करें, तो हमारा जीवन सुन्दर और अर्थपूर्ण बन जाएगा।

ललिता पाल, आर्थर फुट अकादमी

गुरु नानक देव जी: सत्य, समानता और करुणा की गाथा — Simran Kaur

गुरु नानक देव जी का जीवन सत्य, समानता और करुणा की अमर गाथा है। उन्होंने हमें सिखाया कि सच्चा धर्म इंसानियत में है—जब हम दूसरों की सेवा करते हैं, सभी के साथ प्रेम और आदर का व्यवहार करते हैं, तभी हम ईश्वर के निकट पहुँचते हैं। उनका संदेश केवल धार्मिक नहीं, बल्कि मानव जीवन का आदर्श मार्ग है।

उन्होंने कहा—
"ना कोई हिन्दू, ना मुसलमान—सब मनुष्य एक ही प्रभु की संतान हैं।"

यह विचार हमें याद दिलाता है कि हर व्यक्ति में वही ज्योति है जो ईश्वर में है। जब हम किसी के प्रति भेदभाव करते हैं, तो हम उस दिव्यता को ठुकराते हैं। आज के युग में, जब समाज में विभाजन, ईर्ष्या और प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है, गुरु नानक देव जी का यह संदेश पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है।

अगर हम उनके बताए मार्ग पर चलें—सच बोले, मेहनत करें, और ईमानदारी से बाँटकर खाएं (कीरत करो, नाम जपो, वंड छको), तो निश्चित ही जीवन में शांति, संतोष और सुख की प्राप्ति होती है। उनकी शिक्षाएँ हमें यह सिखाती हैं कि शिक्षा केवल ज्ञान प्राप्त करने का माध्यम नहीं, बल्कि अच्छे इंसान बनने का साधन है।

गुरु नानक देव जी का प्रकाश हम सबके हृदय में उजाला फैलाए, और हमें प्रेरित करे कि हम अपने जीवन से दूसरों के जीवन में भी उजाला बाँटें।

"जहाँ करुणा है, वहीं ईश्वर है।
जहाँ प्रेम है, सच्ची उपासना है।"

— Simran Kaur, Arthur Foot Academy

लिहाज-ए-इंसानियत: दूसरों के साथ सम्मान और प्यार — Reena Devi

इंसानियत का मतलब है दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करना, उनके दुःख और सुख को समझना और मदद का हाथ बढ़ाना। वहीं "लिहाज-ए-इंसानियत" मिलता है। इसका अर्थ है हर इंसान के साथ इज्जत और प्यार के साथ पेश आना।

आज की दुनिया में लोग अपने स्वार्थ और लालच में इतने व्यस्त हो गए हैं कि वे दूसरों की भावनाओं का ख्याल नहीं रखते। लेकिन अगर हम अपनी जिंदगी में इंसानियत और लिहाज को अपनाएँ, तो समाज में प्यार और सहयोग बढ़ता है। उदाहरण के लिए, अगर कोई गरीब या परेशान व्यक्ति हमारे पास मदद के लिए आता है और हम मदद करते हैं, तो यही हमारी इंसानियत और लिहाज दिखाता है।

लिहाज-ए-इंसानियत केवल दूसरों की मदद करना नहीं है, बल्कि उनकी गरिमा बनाए रखना भी है। हमें किसी की जाति, धर्म, रंग या स्थिति देखकर उसे कम नहीं समझना चाहिए। हर इंसान के साथ समान व्यवहार करना, उसके साथ धैर्य और समझदारी रखना—यही सबसे बड़ी इंसानियत है।

अगर हम समाज में यह भावना फैलाएँ कि हर व्यक्ति की इज्जत महत्वपूर्ण है और हर किसी के प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए, तब न केवल समाज बेहतर बनता है, बल्कि हमारी आत्मा भी शांति और संतोष महसूस करती है। लिहाज-ए-इंसानियत न केवल शब्द है, बल्कि यह हमें जीने का तरीका भी समझाता है। यह हमें दूसरों के साथ प्यार, सम्मान और समझदारी से पेश आने का मार्ग भी सिखाता है।

— Reena Devi, Arthur Foot Academy

गुरु नानक देव जी: समाज सुधारक और आध्यात्मिक मार्गदर्शक — Sunil Kumar

गुरु नानक देव जी केवल एक धर्म के संस्थापक नहीं थे; वे एक ऐसे युग के महान सामाजिक सुधारक और आध्यात्मिक क्रांतिकारी थे, जिनकी शिक्षाएँ आज भी हमें जीवन जीने का सही मार्ग दिखाती हैं।

जिस संसार में आज भी धर्म और पहचान के नाम पर हिंसा और विभाजन है, वहाँ ‘इक ओंकार’ हमें यह याद दिलाता है कि हमारे बीच की सभी बाहरी भ्रम हैं। यदि ईश्वर एक है, तो मानवता भी एक है। यह हमें सिखाता है कि आध्यात्मिकता का सार बाह्य कर्मकांडों में नहीं, बल्कि सत्य (सतनाम) में निहित है, जैसा कि उन्होंने मूल मंत्र में बताया है।

गुरु नानक देव जी ने समाज को सुधारने के लिए केवल उपदेश नहीं दिए; उन्होंने सामुदायिक संस्थाओं की नींव रखी, जो उनकी शिक्षाओं को मूर्त रूप देती हैं। जैसे लंगर में सभी बिना किसी भेदभाव के एक साथ भोजन करते हैं। यह मेरे लिए समानता का सबसे शक्तिशाली और व्यावहारिक प्रतीक है, और संगत में यहाँ सभी लोग आध्यात्मिक ज्ञान और भजन-कीर्तन के लिए एक साथ बैठते हैं।

यह हमें सिखाता है कि धर्म को जीवन से अलग नहीं किया जा सकता। सच्चा धर्म लोगों के बीच विभाजन पैदा करने के बजाय साझा करने, सेवा करने और एकजुट होने का आह्वान करता है। आज के उपभोक्तावादी और व्यक्तिवादी समाज में, ‘वंड छकना’ (साझा करना) का सिद्धांत हमें अपने भौतिक और भावनात्मक संसाधनों को जरूरतमंदों के साथ बाँटने की याद दिलाता है।

यह शिक्षा मुझे अत्यंत व्यावहारिक लगती है। उन्होंने कर्म को आध्यात्मिक जीवन से जोड़ा—यह संदेश दिया कि आप संसार को त्यागकर नहीं, बल्कि ईमानदारी और नैतिकता के साथ अपना कर्तव्य निभाते हुए मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं। यह सिद्ध करता है कि जीवन का मैदान ही हमारी सबसे बड़ी साधना स्थली है।

Sunil Kumar, Arthur Foot Academy

लिहाज़-ए-इंसानियत (मानवता का सम्मान) — साक्षी पाल

 गुरु नानक देव जी का जीवन और उनकी यात्राएँ मानवता के सर्वोच्च आदर्शों का प्रतीक हैं। यह एपिसोड "लिहाज़-ए-इंसानियत (मानवता का सम्मान)" हमें यह सिखाता है कि ईश्वर की सच्ची उपासना मंदिरों या गुरुद्वारों में नहीं, बल्कि इंसान के हृदय में बसती है।

गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन से यह उदाहरण दिया कि सभी मनुष्य समान हैं। किसी की जाति, धर्म, भाषा या वेशभूषा से नहीं, बल्कि उसके कर्म और भावना से उसकी पहचान होती है। उन्होंने समाज में फैली ऊँच-नीच और भेदभाव की दीवारों को तोड़ते हुए सबको प्रेम, एकता और करुणा का संदेश दिया। इस एपिसोड में अमरदीप सिंह जी द्वारा की गई प्रस्तुति अत्यंत प्रेरणादायक है। उनके शब्दों और दृश्यों के माध्यम से हमें एहसास होता है कि गुरु नानक देव जी के उपदेश केवल इतिहास नहीं, बल्कि आज के युग की भी आवश्यकताएँ हैं।

आज जब दुनिया विभाजन, असहिष्णुता और स्वार्थ से घिरी है, तब यह संदेश पहले से भी अधिक प्रासंगिक हो जाता है। गुरु नानक जी ने कहा था—"ना कोई हिंदू, ना कोई मुसलमान, सब इंसान हैं।" यही वाक्य हमें सिखाता है कि मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है।

एपिसोड के दौरान दिखाई गई जगहों, गुरुद्वारों की शांति और श्रद्धा से भरे लोगों के चेहरे यह दर्शाते हैं कि प्रेम और सद्भाव का प्रकाश कभी मंद नहीं होता। यह श्रृंखला हमें आत्मचिंतन करने का अवसर देती है—क्या हम अपने जीवन में उस प्रकाश को आगे बढ़ा पा रहे हैं?

मैंने सीखा कि मानवता ही सच्चा धर्म है। जब हम दूसरों के सुख-दुख को महसूस करते हैं और मदद करते हैं, तब हम ईश्वर के करीब आते हैं। सम्मान देना ही इंसानियत की पहचान है। किसी की स्थिति या मतभेद देखकर नहीं, बल्कि एक इंसान के रूप में उसका आदर करना आवश्यक है। सम्मान और करुणा से ही समाज में शांति स्थापित होती है।

आध्यात्मिकता का अर्थ केवल पूजा नहीं, बल्कि दूसरों के लिए भलाई करना है। यह एपिसोड हमें यह समझने में मदद करता है कि शिक्षा का उद्देश्य केवल बुद्धि का विकास नहीं, बल्कि चरित्र का निर्माण भी है। जब हम एक-दूसरे के साथ प्रेम, सहानुभूति और सम्मान से पेश आते हैं, तो हम न केवल बेहतर विद्यार्थी या शिक्षक बनते हैं, बल्कि बेहतर इंसान भी बनते हैं।

हमारे स्कूल समुदाय में जब बच्चे इस तरह की कहानियाँ सुनते हैं, तो उनमें नैतिकता, सहानुभूति और समाज के प्रति जिम्मेदारी की भावना विकसित होती है। यही Joy of Learning और Joy of Giving है।

साक्षी पाल, आर्थर फुट अकादमी

इंसानियत सबसे बड़ा धर्म - साक्षी खन्ना

गुरु नानक देव जी का जीवन हमें सिखाता है कि इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है। उन्होंने अपने जीवन के हर कार्य में प्रेम, समानता और करुणा का संदेश दिया।

इस एपिसोड "लिहाज़-ए-इंसानियत" का अर्थ है दूसरों का आदर करना, उनकी भावनाओं की कदर करना और हर इंसान को बराबर मानना। गुरु नानक जी ने बताया है कि ईश्वर किसी एक धर्म, जाति या वर्ग में नहीं बसता, बल्कि हर जीव में मौजूद है। इसलिए जब हम किसी व्यक्ति का सम्मान करते हैं, उसकी मदद करते हैं या उसके प्रति दया दिखाते हैं, तो यह किसी पूजा से कम नहीं होता। सच्ची भक्ति वहीं है जो मानवता में दिखाई दे।

आज के समय में, जब लोग एक-दूसरे से दूर हो रहे हैं और समाज में भेदभाव बढ़ रहा है, तब गुरु नानक जी की यह सीख और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। यह एपिसोड हमें सिखाता है कि कोई भी बड़ा या छोटा नहीं होता; हर इंसान ईश्वर की रचना है। जब हम दूसरों के विचारों और भावनाओं का आदर करते हैं, तो हम दुनिया में शांति और भाइचारे का वातावरण बनाते हैं।

मानव जीवन की सबसे बड़ी खूबसूरती उसकी इंसानियत में छिपी होती है। गुरु नानक जी ने सिखाया कि इंसान को उसके धर्म, जाति, रूप या रंग से नहीं, बल्कि उसके स्वभाव और व्यवहार से जाना जाता है। और जब गुरु नानक जी अपनी यात्राओं पर निकले, तो उन्होंने हर देश और हर धर्म के व्यक्ति को एक ही बात कही—सबका मालिक एक है। उन्होंने बताया कि जब हम दूसरों की तकलीफ समझते हैं, उनकी मदद करते हैं और सबके साथ बराबरी का व्यवहार करते हैं, तभी सच्ची इबादत होती है।

साक्षी खन्ना, आर्थर फुट अकादमी

धर्म और जाति से ऊपर उठकर प्रेम - Swati

लिहाज-ए-इंसानियत (मानवता का सम्मान) हमें गुरु नानक देव जी के जीवन और उनकी शिक्षाओं से जुड़ी एक गहरी प्रेरणा देता है। गुरु नानक जी ने हमेशा यह सिखाया कि इंसानियत सबसे बड़ी पहचान है। धर्म, जाति, भाषा या रंग से ऊपर उठकर उन्होंने प्रेम, सम्मान और आदर का संदेश दिया। "लिहाज-ए-इंसानियत" अर्थ ही है—हर इंसान का सम्मान करना, चाहे वह कोई भी हो।

आज की दुनिया में, जहाँ लोग अपने स्वार्थ और भेदभाव में उलझे हुए हैं, वहाँ गुरु नानक जी की यह शिक्षा हमें याद दिलाती है कि सच्चा धर्म वही है जो दूसरों के लिए करुणा और आदर सिखाए। जब हम दूसरों की भावनाओं का सम्मान करते हैं, तभी समाज में शांति और भाईचारा पनपता है।

इस एपिसोड से यह सीख मिलती है कि हमें अपनी सोच को सीमाओं से बाहर निकालकर पूरे मानव समाज को एक परिवार की तरह देखना चाहिए। अगर हर व्यक्ति "मानवता का सम्मान" अपने जीवन का कर्तव्य बना ले, तो नफरत, भेदभाव और हिंसा अपने आप खत्म हो जाएगी।

गुरु नानक देव जी ने अपनी यात्राओं के माध्यम से हमें सिखाया कि इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है। उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि जब हम हर व्यक्ति को समान की दृष्टि से देखते हैं, तो समाज में प्रेम और शांति अपने आप जन्म लेते हैं। अगर हम हर किसी के साथ प्यार, दया और बराबरी से पेश आएं, तो यह संसार सुन्दर बगिया बन सकता है, जहाँ हर फूल एक सा महकता है।

"लिहाज-ए-इंसानियत" हमें यह सिखाता है कि—
• हर इंसान की भावनाओं की क़दर करो।
• धर्म और जाति से ऊपर उठकर प्रेम फैलाओ।
• दूसरों की मदद करना ही सच्ची सेवा है।

अगर हम इन बातों को अपने जीवन का हिस्सा बना लें, तो यह दुनिया एक सुन्दर परिवार बन सकती है, जहाँ न कोई ऊँच-नीच है, न भेदभाव, सिर्फ प्यार, सम्मान और एकता।

"इंसान बनना ही सबसे बड़ी इबादत है, और लिहाज-ए-इंसानियत ही जीवन का असली अर्थ है।"

— Swati, Arthur Foot Academy

गुरु नानक देव जी के मुख्य सिद्धांत - रहिमा

इस पाठ से मैंने यह सीखा है कि गुरु नानक देव जी, सिख धर्म के प्रथम गुरु और संस्थापक, केवल एक धार्मिक गुरु ही नहीं थे, बल्कि वे समाज सुधारक, दार्शनिक और मानवता के मार्गदर्शक भी थे। उनका जीवन और उपदेश आज भी करोड़ों लोगों को प्रेरणा देते हैं। जब हम उनके जीवन पर चिंतन करते हैं, तो समझ में आता है कि उनका संदेश किसी एक धर्म या जाति तक सीमित नहीं था, बल्कि पूरी मानव जाति के लिए था।

गुरु नानक देव जी ने एक परमात्मा की एकता का संदेश दिया। उन्होंने बताया कि ईश्वर एक है और वह जाति, धर्म, या किसी भी भेदभाव से परे है। वे हमेशा कहते थे "इक ओंकार" — अर्थात् ईश्वर एक है और उसका वास हर जगह है। यह विचार हमें यह सिखाता है कि हम सब उसके ही अंश हैं और हमें एक-दूसरे के साथ प्रेम और भाईचारे से रहना चाहिए।

उस समय समाज जाति-पांति और ऊँच-नीच में बँटा हुआ था। गुरु नानक देव जी ने इसके खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने लंगर की परंपरा शुरू की, जहाँ हर कोई एक साथ बैठकर भोजन करता था, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का हो। इससे उन्होंने यह सिखाया कि ईश्वर की नज़र में सब समान हैं। यह समानता का संदेश आज भी पूरी दुनिया को प्रेरित करता है।

गुरु नानक देव जी ने तीन मुख्य सिद्धांत दिए—

  1. नाम जपना (Naam Japna): ईश्वर को हर पल याद करना।

  2. कीरत करनी (Kirat Karo): ईमानदारी से मेहनत करके जीवनयापन करना।

  3. वंड छकना (Vand Chhako): अपनी कमाई और खुशियाँ दूसरों के साथ बाँटना।

ये तीनों सिद्धांत आज भी हमारे जीवन को सरल, शांतिपूर्ण और सार्थक बना सकते हैं।

गुरु नानक देव जी करुणा और सेवा की मूर्ति थे। उन्होंने दूर-दूर तक यात्राएँ कीं, न कि नाम या दौलत के लिए, बल्कि सच्चाई और प्रेम का संदेश फैलाने के लिए। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि महानता पद या शक्ति में नहीं, बल्कि विनम्रता और सेवा में है।

आज की दुनिया, जहाँ लोग धर्म, जाति और भौतिक इच्छाओं में बँटे हुए हैं, वहाँ गुरु नानक देव जी की शिक्षा आशा की किरण है। उनका संदेश है कि हम इंसानियत को एक परिवार की तरह देखें, नफ़रत की जगह प्रेम फैलाएँ, स्वार्थ की जगह सेवा करें और अहंकार की जगह विनम्रता अपनाएँ।

गुरु नानक देव जी पर चिंतन करना वास्तव में मानवता पर चिंतन करना है। उनका संदेश समय से परे है। अगर हम उनके विचारों को अपने जीवन में अपनाएँ, तो न सिर्फ़ अपनी ज़िंदगी को बेहतर बना सकते हैं, बल्कि समाज और दुनिया में शांति और सद्भाव भी ला सकते हैं।

-रहिमा, आर्थर फुट अकादमी

Learning Through Stories - Lotus Petal Foundation

 

Reflection My Good School.docx.pdf 

Students from Lotus Petal Foundation participated in an inspiring My Good School session. This session featured two lively book-reading activities that sparked curiosity, creativity, and meaningful reflections. Students discussed the lessons they learned and how reading together fostered open conversation, empathy, and joy in learning.

Opening New Doors Through Reading - Sunbeam School Ballia

The Good School session was truly inspiring. Mr Jugjiv Sir read and explained the story, The Door-to-Door Bookstore. He also told us the meanings of the hard words. We also learned how to pronounce the difficult words. The way Sir teaches was very nice. At the end, I would say that this session was very interesting.

– Bhumi Gupta, 5B

In this Good School session, I learned how to pronounce words correctly and how to spell new words that were difficult for me before. I also learned how to use commas and question marks properly in sentences. During the session, Jugjiv Sir read a story to us, and we listened carefully. He asked us questions about the story and encouraged us to share our experiences and thoughts. This activity helped me understand the story better and improved my speaking skills. In the end, I would like to say that this session was very useful for me.
– Riddhi Gupta, 5B

The session on The Door-to-Door Bookstore was honestly super interesting and fun! We didn’t just read the story; we really got into it, exploring the characters, their struggles, and how small actions can make a big difference. I especially loved how we discussed random but cool things, like the heels-for-men fact and the legend of Santa Claus—stuff you wouldn’t normally think about, but it made the session so lively. It was more than just a story; it was about human connections, persistence, and noticing the little things in life that actually matter. I also enjoyed how everyone could share their thoughts—it wasn’t just one-way; it felt interactive and made me think differently about storytelling and how messages are delivered. Overall, it was a session that was both fun and meaningful. I left feeling inspired and more aware of the small details and lessons stories can teach us. Definitely one of those sessions that stick with you!
– Janvi Singh, IX F, Sunbeam School Ballia

In today’s Good School session, firstly, Jugjiv Sir read a story to us, and we understood it carefully. We learned how to pronounce some difficult words and their meanings. The story’s name was The Door-to-Door Bookstore. After that, there was a short quiz on Ruskin Bond taken by Manisha Khanna Ma’am. This was conducted because the next story was by Ruskin Bond, and that book was also amazing. Ma’am also asked some questions that related to us. At the end of my reflection, I want to say that this session was amazing and interesting.
– Arohi Jaiswal, 5B

So, I am Shaksham Gupta of class 6E, going to tell you about the session named My Good School. It happens every Sunday to improve our skills in reading. This platform enables children to improve their reading as well as their thinking power. Today’s story name was The Door-to-Door Bookstore. Jugjiv Singh Sir explained the story and asked questions about the chapter. I would also recommend you join the classes every Sunday. It will definitely help you to improve your reading skills. Thank you, Jai Hind!
– Shaksham Gupta, 6E

The Good School session was truly inspiring. Mr Jugjiv Sir read and explained the story, The Door-to-Door Bookstore. He also told us the meaning of the hard words. We also learned how to pronounce the difficult words. The way Sir teaches was very nice. At the end, I would say that this session was very interesting.
– Mayank Pandey, 6E, Sunbeam School Ballia

My reflection on today’s Good School Alliance session: Today’s meeting about the Good School Alliance session by Jugjiv Sir and Manisha Ma’am was very inspiring and interesting. They also read a story. We listened to it very carefully. Then they asked some questions about it, and that encouraged us to share our thoughts and ideas. This helped me understand the story better. We learned how to pronounce words properly, and when they were reading the story, I was very focused on each and every word. That helped me pronounce properly and read fluently. I also learned how regular reading improves our reading skills and vocabulary. The session motivated me to make reading a daily habit. In the end, I would like to say that it was a very informative and enjoyable meeting, and I am excited to be a part of this learning journey.
– Aadhya Gupta, 5B

Thursday, 16 October 2025

Learning Beyond Words: A Day of Inspiration and Growth - Sunbeam School Ballia

Jai Hind, dear readers 

Today’s Good School Alliance session, conducted by Jugjiv Sir and Manisha Ma’am, was truly enlightening and inspiring. Jugjiv Sir read and explained the story “The Door-to-Door Bookstore” in a very expressive and engaging manner. The story beautifully conveyed the power of reading and how books can shape our imagination and personality.

The story revolves around Carl Konrad Koreander, a passionate bookstore owner, whose shop is filled with rare and magical books. One day, a young boy named Bastian visits his store and discovers that books are not just pages with words, but gateways to imagination, wisdom, and self-discovery. Through their interaction, the story highlights how reading can open our minds, deepen our understanding, and make us see the world differently.

Throughout the session, Sir guided us in learning the correct pronunciation and meanings of several difficult words. This helped improve our reading fluency and vocabulary. The interactive discussion and thoughtful questions encouraged us to think critically and share our interpretations, which made the session both educational and enjoyable.

From this experience, I understood that regular reading not only enhances our language skills but also strengthens our concentration, creativity, and empathy. Books truly are our best companions, helping us learn, grow, and dream beyond boundaries.

In conclusion, today’s session was deeply motivating, informative, and memorable. It has inspired me to make reading a daily habit and to explore more meaningful stories that enrich both mind and heart.

Aayush Kumar Singh
Class 10

Reflection on today's session✨

Today's session was very inspiring and knowledgeable for everyone. In the first session, Jugiv Singh sir had read a book named "The Book To Book Store" in which we have learnt a lot of new words, and also this improved my vocabulary and some English.

In the second session we were having Manisha Khanna ma'am who told us about the "Ruskin Bond" story and the story name was  "char pankhudiyan" and also at the beginning of the story we played a short quiz about Ruskin Bond in the quiz she asked us some unique things about Ruskin Bond life and asked the questions related to that and the story was about four friends. At last, Sandeep sir told us very nice and good things, and also motivated us to move forward in our lives. I am really thankful to have this opportunity to have such a great platform for learning new things, to have motivation from all the members of My Good School 🌺.

I thank Sandeep sir, Jugiv  sir and Manisha ma'am for taking today's great session 

Both sessions were truly amazing

Thank you 😊 

Talat Bano 5C
Sunbeam Ballia

Today’s Good School Session✨

Today's session was truly inspiring and informative. In the first session with Jugjiv Sir, we learned how to pronounce words correctly and use punctuation marks effectively through reading reflections and the book “The Door to Door Bookstore.” This activity significantly improved my vocabulary and communication skills.

The second session with Manisha Ma’am was equally enriching. She read us the story “चार पंखुड़ियां” (Four Petals) written by Ruskin Bond. The story revolved around four friends who were mistaken for kidnappers while trying to care for a small child. We also enjoyed an engaging quiz that deepened our understanding of Ruskin Bond’s works. The session was truly interactive and fun.

One key takeaway that resonated with me was the importance of avoiding impulsive decisions, especially when we are emotional. This valuable lesson has left a lasting impact, and I’m truly grateful for the opportunity to learn.🌸

Thank you, Manisha Ma’am and Jugjiv Sir, for such a thought-provoking session.💫

Ifra Wahid
Class IX F

Today’s Good School Alliance Session✨

Today's Good School Alliance session was truly phenomenal and left an indelible mark on my learning journey. I would like to extend my heartfelt gratitude to Jugjiv Sir for his engaging and thought-provoking presentation.

The story he shared was captivating, and the interactive discussion that followed was incredibly enriching. It not only enhanced my comprehension skills but also encouraged me to think critically and express my thoughts confidently.

What struck me most was the emphasis on the importance of regular reading in improving our reading skills and vocabulary. The session was a perfect blend of learning and fun, and I’m grateful for the opportunity to be part of it.

I’m excited to include reading in my daily routine and look forward to more such sessions that foster growth and development. Thank you to our facilitators for an unforgettable experience! 🌟

Iqra Meraj
Class IX F

Today’s Good School Alliance Session

Today’s Good School Alliance session, conducted by Jugjiv Sir and Manisha Ma’am, was truly inspiring and engaging. They read a beautiful story, and we listened attentively. Afterwards, they asked us some thought-provoking questions that encouraged everyone to share their ideas and perspectives.

This activity helped me understand the story more deeply. While listening, I paid close attention to their pronunciation, which helped me improve my own reading and speaking fluency. I also realized how regular reading can strengthen our vocabulary and overall language skills.

Thank you, Ma’am and Sir, for such a wonderful and enriching session! 🌸

Aarav
Class V A

हम चार पंखुड़ियां - शुभम पटेल

एक बार चार दोस्त थे। उन्होंने अपने समूह का नाम रखा था हम चार पंखुड़ियां। एक रविवार दोपहर को उनमें से एक दोस्त स्कूल के नीचे वाली पहाड़ी पर घूम रहा था। तभी उसने झाड़ियों में एक नवजात शिशु को देखा, जो फटे हुए चादर में लिपटा हुआ वहाँ रखा था। उसने अपने सभी दोस्तों को आवाज देकर बुलाया।

सभी सोचने लगे कि अब क्या करें। उनमें से एक ने कहा, “हम इसे यहीं छोड़ देते हैं, कोई व्यक्ति यहाँ से गुजरते हुए इसे अपने पास रख लेगा।” तो दूसरे ने कहा, “नहीं, यहाँ इंसान की जगह तेंदुआ भी आ सकता है। हमें इसे अपने साथ ले जाना चाहिए।”

एक दोस्त को यह ठीक नहीं लग रहा था, लेकिन अंत में सभी ने निश्चय किया कि वे इसे स्कूल ले जाकर श्रीमती फिशर को देंगे। वे जल्दी से स्कूल पहुँचे और सारी बात श्रीमती फिशर को बताई। यह सुनकर श्रीमती फिशर परेशान हो गईं। उन्होंने कहा कि हमें यह बात पुलिस को बतानी चाहिए। तभी स्कूल के बाहर गाँव के कई लोग आकर शोर मचाने लगे। उनमें से एक महिला चिल्लाकर बोली, “यह मेरा बच्चा है!”

वह औरत बताने लगी, “मैं इसे नीचे पाँच मिनट के लिए रखकर ऊपर आलूबुखारे के पत्ते तोड़ने चली गई थी। तभी इसकी रोने की आवाज सुनाई दी। मैंने गाँव के तीन-चार आदमियों को बुलाया और नीचे देखने आई, तो बच्चा वहाँ नहीं था। तब हम यहाँ आ गए।”

प्रधानाचार्य ने सबको शांत करते हुए नाराज़ स्वर में कहा, “वह पेड़ भी हमारे स्कूल की संपत्ति है! तभी मैं सोच रहा था कि हमारे पेड़ इतनी जल्दी खत्म कैसे हो रहे हैं।”
यह सुनकर सभी लोग शांत हो गए।

निष्कर्ष:
बिना सोचे-समझे हमें कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए।

नाम – शुभम पटेल
कक्षा – 8 


चार पंखुड़ियां - अशोक कुमार मौर्य

आज की कहानी में बच्चों को यह शिक्षा दी जाती है कि बिना कुछ सोचे समझे कोई कदम नहीं उठाना चाहिए। कोई कार्य करने से पहले बड़े लोगों से बातचीत करना चाहिए । बच्चों की सुरक्षा और उनका विकास समाज के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, छोटे बच्चों को समाज में कई तरह की सावधानियां बरतनी चाहिए ताकि वे सुरक्षित और स्वस्थ रहें। अभिभावकों और समाज की जिम्मेदारी है कि वह बच्चों को इन सावधानियों के बारे में सीखाए और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करें। अक्सर यह देखते हैं कि सड़क पर या सार्वजनिक स्थानों पर गिरा हुआ सामान मिलता है, और कई बार बच्चे उसे उठा लेते हैं कभी-कभी गिरा हुआ सामान खतरनाक भी हो सकता है, बच्चों को समझाएं कि सामान को उठाने से पहले उसके मालिक को ढूंढने की कोशिश करनी चाहिए । इस तरह हम न केवल अपने बच्चों को अच्छे मूल्य सीखा सकते हैं , बल्कि समाज में भी एक सकारात्मक योगदान दे सकते हैं।क्योंकि इस कहानी में दिखाया गया कि चार बच्चे जो पहाड़ियों पर एक नवजात शिशु को अकेला देखा, उसको किसी के द्वारा फेंका हुआ समझकर उठा लाए ,लेकिन खुद ही बच्चा चोर कहलाये। इससे बच्चों को यह सीख दी जाती है कि बिना सोचे समझे कोई वस्तु नहीं उठाना चाहिए।

अशोक कुमार मौर्य, सनबीम ग्रामीण स्कूल

Learning at its best - Tamanna Singh

During our reading session, we explored The Door-To-Door Bookstore and दी व्हिसलिंग स्कूलबाय और अन्य कहानियाँ. The former offered a heartwarming glimpse into the quiet power of books and human connection, while the latter brought rich Indian storytelling to life with relatable characters and emotions. Both stories sparked thoughtful discussion, encouraging us to reflect on the value of simple joys and everyday relationships. The session was both engaging and inspiring. 
Thank you all for giving us this big opportunity. 🙂

Tamanna Singh, PYDS Learning Academy

Saturday, 11 October 2025

गुरु नानक देव जी की जीवन यात्रा से प्रेरणा - गुलाबी


गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन में चार प्रमुख यात्राएँ कीं, जिन्हें उदासियाँ कहा जाता है। इन यात्राओं का उद्देश्य विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों और समाजों में जाकर ईश्वर का संदेश फैलाना था।

  • पहली उदासी: उत्तर और पूर्वी भारत में हुई, जिसमें उन्होंने हरिद्वार, बनारस, पटना, गया जी और जगन्नाथ पुरी जैसे महत्वपूर्ण स्थानों का दौरा किया।

  • दूसरी उदासी: दक्षिण भारत और श्रीलंका में हुई, जिसमें उन्होंने आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और श्रीलंका के विभिन्न हिस्सों में भ्रमण किया।

  • तीसरी उदासी: अफगानिस्तान और फारस (वर्तमान ईरान) की यात्रा की, जिसमें उन्होंने मुस्लिम धार्मिक विद्वानों और सूफी संतों से संवाद किया।

  • चौथी उदासी: इस यात्रा के दौरान उन्होंने तिब्बत, चीन और अन्य क्षेत्रों का भ्रमण किया।

गुरु नानक देव जी की शिक्षाएँ और जीवन यात्रा आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं, और उनकी विरासत सिख धर्म के रूप में जीवित है। गुरु नानक देव जी की जीवन यात्रा और उनके उपदेशों का आधुनिक जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। उनकी शिक्षाएँ हमें अखंडता, समानता और मानवता के महत्व को समझने में मदद करती हैं।

गुरु नानक देव जी के जीवन से हमें निम्नलिखित महत्वपूर्ण सबक मिलते हैं:

  • समानता और भाईचारा: गुरु नानक देव जी ने जाति, धर्म और लिंग के आधार पर भेदभाव को समाप्त करने का संदेश दिया। उन्होंने लंगर की परंपरा शुरू की, जिसमें सभी लोग बिना किसी भेदभाव के एक साथ बैठकर भोजन करते हैं।

  • मानवता की सेवा: गुरु नानक देव जी ने मानवता की सेवा को बहुत महत्व दिया। उन्होंने लोगों को दूसरों की मदद करने और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रेरित किया।

  • विनम्रता और सहिष्णुता: गुरु नानक देव जी ने विनम्रता और सहिष्णुता के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने लोगों को दूसरों के साथ प्रेम और सम्मान से पेश आने की शिक्षा दी।

  • आध्यात्मिक ज्ञान: गुरु नानक देव जी ने आध्यात्मिक ज्ञान के महत्व पर बल दिया। उन्होंने लोगों को ईश्वर के नाम का जप करने और कीर्तन करने के लिए प्रेरित किया।

  • सामाजिक सुधार: गुरु नानक देव जी ने समाज में व्याप्त कुरीतियों और पाखंडों का विरोध किया। उन्होंने महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज उठाई और जाति प्रथा का विरोध किया।

इन शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाकर, हम एक बेहतर और अधिक समरस समाज का निर्माण कर सकते हैं। गुरु नानक देव जी की जीवन यात्रा और उनके उपदेश हमें प्रेरित करते हैं कि हम अपने समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए कार्य करें और एक-दूसरे के साथ प्रेम और सम्मान से पेश आएँ।

गुलाबी, सनबीम ग्रामीण स्कूल  

अखंडता के प्रतीक गुरु नानक को समर्पित - सनबीम ग्रामीण विद्यालय

 गुरु नानक देव जी के अनुसार सुख-दुख जीवन के दो अनिवार्य पहलू हैं, और मनुष्य को दोनों में समान भाव से रहना चाहिए। न तो सुख में अहंकारी होना चाहिए और न ही दुख में हतोत्साहित। इसका अर्थ है कि सच्चा व्यक्ति वह है जो हर परिस्थिति में समभाव रखता है, सुख-दुख से प्रभावित हुए बिना और मोह-माया से परे होता है, जो उसे ईश्वर के अधिक निकट ले जाता है। दुख में घबराएं नहीं और सभी परिस्थितियों में ईश्वर की रज़ा में खुश रहें।

— नैन्सी मौर्या
कक्षा – 8

अखंडता के प्रतीक गुरु नानक को समर्पित
गुरु नानक देव जी ने अपनी शिक्षाओं और जीवन से ईश्वर की एकता और मानवता की अखंडता पर जोर दिया। गुरु नानक देव जी ने यह सिखाया कि सुख और दुख जीवन के स्वाभाविक नियम हैं और ये 'हुक्म' या ईश्वरीय आज्ञा के समान हैं, जो आते-जाते रहते हैं।
नाम – सीमा
कक्षा – 8

Exploring the Divine Journey: Lessons from Guru Nanak’s Travels - Lotus Petal Foundation

 

Allegory- The Tapestry of Guru Nanak's Travels - Lotus petal -.pdf

Lotus Petal Foundation – Primary Wing (Grades 3 to 5)
Our young learners shared their reflections and understanding from Episode 22 – "Allegory: The Tapestry of Guru Nanak's Travels." Through this episode, students explored the inspiring journeys of Guru Nanak Dev Ji and discovered the deeper meanings behind his teachings of unity, compassion, and selfless service. Their insights beautifully capture how timeless wisdom continues to guide us even today.

Monday, 6 October 2025

क्षमा का महत्व और जीवन में उसका अमूल्य स्थान - साक्षी खन्ना

क्षमा इंसान के जीवन का सबसे सुंदर आभूषण है। यह हमें नफ़रत से दूर ले जाकर प्रेम और करुणा से जोड़ती है। जब हम किसी की गलती को माफ़ कर देते हैं, तो हम केवल उसका अपराध ही नहीं मिटाते, बल्कि अपने दिल की कड़वाहट भी समाप्त कर देते हैं।

क्षमा करने से रिश्ते टूटने के बजाय और मज़बूत हो जाते हैं। यह हमें सिखाती है कि इंसान गलती कर सकता है और हर गलती को सुधार सकता है। अगर हम दूसरों को क्षमा करेंगे, तभी हमें भी अपने जीवन में क्षमा पाने का अधिकार होगा।

क्षमा का भाव आत्मा को निर्मल करता है। यह मनुष्य को विनम्र, सहनशील और उदार बनाता है। वास्तव में क्षमा ही वह गुण है, जो मनुष्य को मानवता के उच्चतम स्तर तक ले जाता है।

जीवन में सभी से गलतियाँ होती हैं—कभी हमसे, तो कभी दूसरों से। यदि हर गलती को पकड़कर हम अपने मन में बोझ रखें, तो रिश्ते टूटने लगते हैं और मन अशांत हो जाता है। लेकिन जब हम क्षमा करना सीखते हैं, तब हमारे रिश्तों में मिठास और विश्वास बढ़ता है। क्षमा दुर्बलता की निशानी नहीं, बल्कि यह तो साहस और आत्मबल का प्रतीक है। यह वह गुण है, जो इंसान को महान बनाता है। क्षमा से हम अतीत की कड़वाहट से निकलकर वर्तमान में खुश रहना सीखते हैं।

इसलिए हमें जीवन में क्षमा को अपनाना चाहिए, ताकि हम न केवल दूसरों को बल्कि स्वयं को भी हल्का और शांत बना सकें।

साक्षी खन्ना, आर्थर फ़ुट अकैडमी

क्षमा : सच्ची शक्ति और जीवन का अमूल्य गुण - ललिता पाल

 

"क्षमा" अध्याय हमें यह सिखाता है कि सच्ची शक्ति किसी को दंड देने में नहीं, बल्कि उसे क्षमा करने में होती है। क्षमा ऐसा गुण है जो मनुष्य को देवताओं के स्तर तक पहुँचा देता है। यह केवल दूसरों को माफ़ करना ही नहीं, बल्कि अपने भीतर के क्रोध, द्वेष और नफ़रत को मिटाकर आत्मिक शांति प्रदान करता है।

इस अध्याय में बताया गया है कि जो व्यक्ति दूसरों की गलती को समझकर उन्हें क्षमा करता है, वह वास्तव में महान होता है, क्योंकि क्षमा करना आसान नहीं होता। इसके लिए हृदय की विशालता, धैर्य और समझदारी चाहिए। जब हम किसी को माफ़ करते हैं, तब न केवल सामने वाला हल्का महसूस करता है, बल्कि हमारा मन भी शांत और निर्मल हो जाता है।

क्षमा का अर्थ यह नहीं कि हम अन्याय या गलतियों को स्वीकार कर लें, बल्कि इसका मतलब यह है कि हम द्वेष और प्रतिशोध की भावना से ऊपर उठें। महात्मा गांधी ने भी कहा था—
"कमज़ोर कभी क्षमा नहीं कर सकते, क्षमा करना तो मज़बूत का गुण है।"

यह विचार हमें प्रेरित करता है कि जीवन में कितनी भी कठिन परिस्थितियाँ आएँ, हमें अपने हृदय में दया, करुणा और क्षमा की भावना बनाए रखनी चाहिए। क्षमा का गुण हमारे संबंधों को मज़बूत बनाता है और समाज में प्रेम व शांति फैलाता है। यदि हर व्यक्ति अपने भीतर क्षमा का भाव जाग्रत कर ले, तो दुनिया में नफ़रत, हिंसा और झगड़ों की जगह प्रेम और सौहार्द का वातावरण बन सकता है।

क्षमा वह दीपक है, जो अंधकार मिटाकर जीवन को प्रकाशमय बना देता है। जो व्यक्ति क्षमा करना सीख लेता है, वह वास्तव में जीवन का सबसे बड़ा विजेता बन जाता है।

ललिता पाल, आर्थर फ़ुट अकैडमी

क्षमा का अमूल्य महत्व - स्वाति

मनुष्य जीवन में सबसे कठिन लेकिन सबसे सुंदर गुण क्षमा है। जब कोई हमें चोट पहुँचाता है, चाहे शब्दों से, कर्मों से या व्यवहार से, हमारा दिल टूट जाता है और गुस्सा मन को जकड़ लेता है। परंतु यदि हम हमेशा बदले की भावना में जीते रहें, तो मन में शांति कभी नहीं आ सकती। लेकिन जब हम किसी इंसान को क्षमा कर देते हैं, तो सबसे पहले हमें खुद ही अपने मन में हल्का महसूस होता है। जैसे कोई बड़ा बोझ हमारे मन से उतर गया हो और एक अलग ही सुकून मिल गया हो।

क्षमा का मतलब यह नहीं कि हम भूल जाएँ कि किसने हमें दुःख दिया, बल्कि इसका अर्थ यह है कि हम अपने हृदय में उस पीड़ा और उस व्यक्ति के प्रति नफरत को जगह नहीं देते। क्षमा करने वाला इंसान सच में बड़ा और महान होता है, क्योंकि वह अपने गुस्से को अपने मन से निकाल देता है।

मुझे लगता है कि क्षमा केवल दूसरों के लिए ही नहीं बल्कि अपने लिए भी जरूरी है। जब हम गलती करें, तो हमें खुद को भी क्षमा करना आना चाहिए। बार-बार अपने ही दोषों में फँसकर पछताने से बेहतर है कि उन्हें स्वीकार करें, उनसे सीख लें और स्वयं को क्षमा कर आगे बढ़ें।

क्षमा हमें दया, करुणा और प्रेम की ओर ले जाती है। यह रिश्तों को जोड़ती है, टूटे हुए दिलों को संवारती है और इंसान को मन से महान बनाती है। बिना किसी को क्षमा किए कोई भी रिश्ता ज्यादा समय तक नहीं टिक सकता। इसलिए मेरे लिए क्षमा जीवन का एक अमूल्य रत्न है, जिसे हर इंसान को अपनाना चाहिए। क्षमा करने से हम न केवल दूसरों के लिए बड़े बनते हैं, बल्कि खुद के लिए भी सच्ची शांति और आनंद पाते हैं।

स्वाति, आर्थर फ़ुट अकैडमी

Sunday, 5 October 2025

क्षमा - साक्षी पाल

"क्षमा" अध्याय पढ़ने के बाद मुझे यह गहराई से समझ में आया कि क्षमा जीवन का सबसे ऊँचा गुण है। क्षमा केवल एक शब्द नहीं है, बल्कि यह मनुष्य की सबसे बड़ी शक्ति और सच्ची पहचान है। जब कोई हमें दुःख पहुँचाता है और हम बदला लेने के बजाय उसे माफ़ कर देते हैं, तो वही क्षमा कहलाती है। क्षमा मन को हल्का करती है। जब हम दूसरों से क्रोध या बदले की भावना रखते हैं, तो हमारा मन भारी और अशांत हो जाता है। लेकिन क्षमा करने से हमारे अंदर का बोझ कम हो जाता है और शांति का अनुभव होता है। यही कारण है कि संत-महात्मा और महापुरुष हमेशा क्षमा-धर्म का पालन करने की सीख देते हैं।

इतिहास में कई उदाहरण मिलते हैं जहाँ क्षमा ने बड़े-बड़े संघर्षों को समाप्त किया। महात्मा गांधी ने अहिंसा और क्षमा के बल पर आज़ादी की लड़ाई लड़ी। उन्होंने यह दिखाया कि हिंसा या क्रोध से नहीं, बल्कि क्षमा और सहनशीलता से बड़े परिवर्तन संभव होते हैं। भगवान राम ने भी अपने शत्रुओं तक को क्षमा किया। यह हमें बताता है कि क्षमा वास्तव में वीरता है, कायरता नहीं।

अगर समाज में क्षमा का भाव न हो तो लोग एक-दूसरे से केवल बदला लेने में लगे रहेंगे और भाईचारा कभी स्थापित नहीं हो पाएगा। क्षमा वह सेतु है जो रिश्तों को जोड़ता है और समाज को शांति व स्थिरता प्रदान करता है।

इस अध्याय को पढ़कर मैंने सीखा कि क्षमा का भाव इंसान को महान बनाता है। क्षमा करने वाला व्यक्ति वास्तव में दिल से बड़ा होता है। वह दूसरों की गलती को भूलकर आगे बढ़ता है और नफ़रत के बजाय प्रेम फैलाता है। मैंने यह भी समझा कि क्षमा करना आसान नहीं है, लेकिन अगर हम इसे अपनाएँ तो जीवन में ख़ुशी, शांति और संतोष मिलता है।

क्षमा करना कमजोरी नहीं, बल्कि सबसे बड़ी ताक़त है। क्षमा से मन को शांति और आत्मिक सुख मिलता है। क्षमा से रिश्ते मज़बूत होते हैं और समाज शांतिपूर्ण बनता है। क्रोध और द्वेष नाश करते हैं, जबकि क्षमा निर्माण करती है। क्षमा मनुष्य को सच्चा, महान और पूजनीय बनाती है।

साक्षी पाल
आर्थर फुट अकैडमी

Wednesday, 1 October 2025

क्षमा - एक सुगंधित और सकारात्मक क्रिया - सीमा

क्षमा करने का कार्य स्वयं एक सुगंधित और  सकारात्मक क्रिया है , ठीक वैसे ही जैसे एक फूल पैरों से कुचले जाने के बावजूद अपनी सुगंध बिखेरता है । 

क्षमा करने से न केवल दूसरो का भला होता है बल्कि यह स्वयं क्षमा करने वाले को भी नकारात्मक भावनाओं से मुक्त करता है और सकारात्मक ऊर्जा  से भरता है क्षमा करना केवल दूसरे व्यक्ति  को माफ करना नहीं हैं , बल्कि  क्रोध, कड़वाहट  से खुद को मुक्त करना भी है।                                       

सीमा, कक्षा - 8
सनबीम ग्रामीण स्कूल

Celebrating Four Years of Growth, Passion, and Possibility - Manisha Khanna

As My Good School celebrates its 4th birthday, we extend our heartfelt wishes to everyone who has been part of this remarkable journey. Today is not just a celebration of years, but of the people who have made these years meaningful.

We sincerely thank the directors, principals, teachers, students, and partners who have stood by us. Your trust, dedication, and collaboration have been the pillars that made this milestone possible. With heartfelt gratitude to all our partners for carrying forward our shared vision, we honour the collective effort that drives My Good School forward.

Together, let us unite to excel and continue bringing our vision to life through the 4S — Service, Skills, Sports, and Study. Your encouragement inspires us to nurture talent, foster growth, and build a community where learning, values, and achievements shine brightly.

We could not have reached this milestone without the guidance and support of our mentors and leaders. Our founder, Devgan Sir, has been the pillar of our journey, providing direction, wisdom, and unwavering belief in our potential. Jugjiv Sir has consistently guided us with insight and encouragement, showing us the right path and inspiring focus on our vision. Brinda Ma’am has been a constant source of support, motivation, and guidance, helping us grow at every step. The steadfast support of Mr Sandeep Dutt, our visionary leader, fuels every initiative we undertake and inspires us to strive for excellence in all we do.

Without all of you, this journey would not have been possible. Together, we celebrate today and look forward to many more milestones ahead.

Happy 4th Birthday to My Good School!

With knowledge to spark and dreams to drive,
Manisha Khanna

My Good School: Four Years of Learning, Unity, and Growth

Kajal from Lotus Petal Foundation Foundation 

Best wishes on your 4th anniversary! We are proud to be a part of your journey towards a better future.

Shubham Patel, Class -8
Sunbeam Gramin School

Happy 4th Birthday to My Good School! May you continue to spread the light of knowledge and friendship among schools forever.

Seema, Class -8
Sunbeam Gramin School

हैप्पी बर्थडे माय गुड स्कूल ! आपको  4वें जन्मदिन पर ढेर सारी  शुभकामनाएं🎂✨!

सोनाली, कक्षा  8
सनबीम ग्रामीण स्कूल

🎉4वें बर्थडे पर ढेर सारी बधाई🎈! माय गुड स्कूल  हमेशा चमकता रहे, और खुशियाँ बांटता रहे। 

अर्पिता यादव, कक्षा 8
सनबीम ग्रमीण स्कूल 


Lotus Petal Foundation Foundation 

As My Good School celebrates its 4th anniversary, may the seeds of knowledge sown here continue to flourish, nurturing dreams and empowering futures. Congratulations and best wishes for many more years of excellence!"💐❤️

With lots of love and best wishes.
Shweta Morolia

✨On behalf of Sunbeam Gramin School, I extend my warmest wishes to Good School Alliance on its 4th birthday. May this alliance continue to inspire, innovate, and strengthen the bond of collaboration among schools for a brighter educational future.

Regards 
Principal 
Sunbeam Gramin School

Happy 4th Birthday to My Good School! 🎂 May it continue to shine as a place of knowledge, growth, and inspiration for many more years to come.

S K Singh
Sunbeam School


A Very Happy Birthday from Sunbeam School Ballia

Monday, 29 September 2025

GSA Calendar October 2025

Meet and Greet Session 
Dr Anupam Sibal
17th October 2025, 5:30 PM

My Good School
5th October
Amardeep Singh Screening of Episode 22
लिहाज़-ए-इंसानियत (मानवता का सम्मान) Allegory: A Tapestry of Guru Nanak's Travels 

12th October
Book Reading- The Door-To-Door Bookstore
Book Reading- दी व्हिसलिंग स्कूलबॉय और अन्य कहानियाँ

19th October 2025
We aim to inspire young minds, helping them navigate their dreams and aspirations while embracing their goals. The YES workshop on Communication with Kartik Bajoria
Book Readingदी व्हिसलिंग स्कूलबॉय और अन्य कहानियाँ 

26th  October 2025
Book Reading- The Door-To-Door Bookstore
Book ReadingThe Inner Life of Animals

The Teachers Academy
Brewing Knowledge 
Fridays at 5.30 PM: Book Reading with Neelashi Mangal
What Did You Ask At School Today: A Handbook Of Child Learning

Saturday Masterclass 
Webinar at 5:30 PM: Productive Failure - Design for and turn your failures into meaningful learning experiences, Co-hosted by Gurdeep Kaur and Sandeep Dutt

Learning Forward Saturday
Early Childhood Development training sessions for Teachers at 2.00 PM every Saturday- Hosted by Ms Neelashi Mangal

GSA Squad Meetings
At 5:30 PM every Monday on Zoom - GSA Coordinators, Volunteers and Mentors. #JoyOfGiving 
We review programs and plan for the coming week.

AFA Weekly Review
Zoom Meeting for Arthur Foot Academy: Every Friday at 4:00 PM in association with Asteya Services

Good Schools of India
Are you signed up for the Good Schools of India Weekly yet? Don't miss out on valuable insights—published every Monday at 7:00 AM! #JoyOfLearning 
Subscribe at: www.GSI.in

Sunbeam My Good School Retreat
27th October to 30th October at Sunbeam Gramin School, Karsana and Sunbeam Suncity Campus

Sunday, 28 September 2025

ईमानदारी – जीवन का स्थायी धन - Sakshi Pal

ईमानदारी केवल एक गुण नहीं, बल्कि जीवन जीने का सही मार्ग है। इस अध्याय ने मुझे यह गहराई से समझाया कि इंसान की असली पहचान उसके रूप-रंग, धन-दौलत या बाहरी उपलब्धियों से नहीं होती, बल्कि उसके सच्चे स्वभाव और ईमानदार आचरण से होती है।

अध्याय पढ़ते समय मैंने महसूस किया कि ईमानदारी हमें कभी आसान रास्ता नहीं देती, लेकिन यह हमेशा सही मंज़िल तक पहुँचाती है। कई बार झूठ बोलना या बेईमानी करना तुरंत लाभ देता है, पर उसका परिणाम अंततः दुखदायी होता है। इसके विपरीत, ईमानदार व्यक्ति कठिनाइयाँ झेल सकता है, लेकिन समाज में उसकी प्रतिष्ठा और आत्मसम्मान हमेशा ऊँचा रहता है।

यह अध्याय पढ़कर मेरे मन में यह विचार आया कि ईमानदारी केवल बड़े-बड़े कार्यों में ही नहीं, बल्कि हमारे छोटे-छोटे कामों में भी दिखाई देनी चाहिए। चाहे वह परीक्षा में नकल न करना हो, घर के कामों में सच्चाई से मदद करना हो, या दूसरों से व्यवहार करते समय पारदर्शिता रखना हो – हर जगह ईमानदारी हमारी सबसे बड़ी पूंजी है।

मेरे लिए सबसे प्रभावशाली बात यह रही कि ईमानदारी इंसान के भीतर आत्मविश्वास और सच्ची शांति लाती है। झूठ और छल से भले ही थोड़े समय के लिए सफलता मिल जाए, लेकिन मन का बोझ और डर हमें चैन से जीने नहीं देते। वहीं, ईमानदारी से भरा जीवन हमें न केवल समाज का विश्वास दिलाता है, बल्कि हमें अपने ही अंदर गर्व और संतोष का अनुभव कराता है।

इस संदर्भ में महात्मा गाँधी जी का जीवन और विचार हमारे लिए मार्गदर्शन हैं – उन्होंने सत्य और अहिंसा को जीवन का मूल सिद्धांत माना और बताया कि सत्य के लिए लगातार खड़ा होना ही सच्ची महानता है। इसी तरह अब्राहम लिंकन का प्रसिद्ध विचार “I am not bound to win, but I am bound to be true” हमें याद दिलाता है कि जीत से ज्यादा ज़रूरी है सच्चाई के साथ बने रहना।

यह अध्याय हमें सिखाता है कि एक ईमानदार व्यक्ति समाज में प्रेरणा का स्रोत बनता है। जैसे दीपक अंधकार को दूर करता है, वैसे ही ईमानदारी दूसरों के लिए मार्गदर्शन का कार्य करती है। यदि हर व्यक्ति अपने जीवन में ईमानदारी को अपनाए, तो समाज से अन्याय, भ्रष्टाचार और भेदभाव स्वतः ही कम हो जाएँगे।

अंत में, मैं यह कहना चाहूँगी कि ईमानदारी केवल पढ़ाई का विषय नहीं, बल्कि जीने की कला है। इस अध्याय और महापुरुषों के विचारों ने मेरे भीतर यह दृढ़ निश्चय पैदा किया है कि मैं हर परिस्थिति में ईमानदार बने रहने की कोशिश करूँगी, क्योंकि यही गुण इंसान को सच्चा और महान बनाता है।

"सत्य और ईमानदारी जीवन का स्थायी धन है; इन्हें अपनाकर ही हम खुद भी महान बनते हैं और समाज को बेहतर बनाते हैं।"

– Sakshi Pal
Arthur Foot Academy

ईमानदारी – जीवन का पहला अध्याय - Swati

"ज्ञान की पुस्तक में ईमानदारी पहला अध्याय है।" मुझे लगता है कि जीवन में ईमानदार होना केवल एक गुण नहीं, बल्कि हमारी पहचान है। यह हमें दूसरों के लिए प्रेरणा बनाता है और हमारे चरित्र की मजबूती दर्शाता है। इसलिए मैं ईमानदारी को अपने जीवन का आधार मानकर जीना चाहती हूँ।

आज के समय में, जब लोग छोटे फायदे के लिए झूठ या छल का सहारा लेते हैं, तब ईमानदारी का महत्व और भी बढ़ जाता है। ईमानदारी न केवल व्यक्तिगत जीवन में सफलता दिलाती है, बल्कि समाज में एक अच्छा और सकारात्मक वातावरण भी बनाती है।

ईमानदारी का अर्थ केवल सच बोलना नहीं है, बल्कि अपने कर्मों में भी सच्चाई बनाए रखना है। जब हम ईमानदारी के मार्ग पर चलते हैं, तो चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हों, हमें न डर लगता है न अपराधबोध।

ईमानदारी हमारे जीवन का एक अनमोल गुण है। यह वह नैतिक ताकत है जो हमें सच्चाई के रास्ते पर चलने की प्रेरणा देती है। ईमानदार व्यक्ति न केवल दूसरों का विश्वास जीतता है, बल्कि अपने आत्मसम्मान को भी बनाए रखता है।

ईमानदारी इंसान की सबसे बड़ी पूंजी है। यह हमें सिखाती है कि सही काम करने वाला इंसान कभी हारता नहीं, और ईमानदार व्यक्ति का सम्मान हर जगह होता है।

– Swati, Arthur Foot Academy

ईमानदारी – असली जीत का मार्ग - Sakshi Khanna


मानदारी केवल सच बोलने का नाम नहीं, बल्कि अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा से निभाना भी है। जीवन में कभी-कभी ऐसे मौके आते हैं जब झूठ आसान लगता है, लेकिन वही समय हमें परखता है।

ईमानदारी अपनाने से हमें संतोष मिलता है और लोग हम पर विश्वास करते हैं। यदि समाज का हर व्यक्ति ईमानदारी को अपनाए तो समाज और देश दोनों उन्नति की ओर बढ़ेंगे।

यदि हम ईमानदारी से जीते हैं तो हमें कभी डर नहीं लगता, क्योंकि अपने कर्मों को छुपाना नहीं पड़ता। ईमानदार व्यक्ति हमेशा आत्मविश्वासी होता है और समाज में उसका मान-सम्मान बढ़ता है। यह गुण हमें सच्चा इंसान बनाता है।

आज के समय में, जब धोखाधड़ी बढ़ रही है, तब ईमानदारी का महत्व और भी बढ़ गया है। यह हमें न केवल सफलता दिलाती है, बल्कि समाज में एक अच्छा और शांत वातावरण भी बनाती है।

कभी-कभी कठिन परिस्थितियों में ईमानदार रहना आसान नहीं लगता, लेकिन याद रखना चाहिए कि ईमानदारी हमें सही राह पर रखती है। यही हमें लंबे समय तक सफलता और विश्वास दिलाती है। असली जीत वही है जो ईमानदारी से जीती जाती है।

– Sakshi Khanna
Arthur Foot Academy

ईमानदारी – जीवन की असली पूंजी – Lalita Pal

ईमानदारी इंसान की सबसे बड़ी पूंजी होती है। अगर हमारा मन साफ है, तो हमें अपनी गलती स्वीकार करने में कोई परेशानी नहीं होती। ईमानदार व्यक्ति हमेशा सम्मान के पात्र होते हैं।

ईमानदारी का गुण हमें केवल सम्मान ही नहीं दिलाता, बल्कि हमें अंदर से सच्चा और निडर भी बनाता है। मैंने सीखा है कि ईमानदार व्यक्ति हर परिस्थिति में विश्वास का पात्र होता है। अस्थायी लाभ के लिए झूठ बोलना आसान लगता है, लेकिन उसका प्रभाव थोड़े समय तक ही रहता है। जबकि ईमानदारी से जीता हुआ विश्वास जीवन भर साथ देता है।

इस पाठ से मुझे समझ आया कि हमें हमेशा सच का साथ देना चाहिए और ईमानदारी से दुनिया को बदलने की कोशिश करनी चाहिए। जीवन में सबसे बड़ी पूंजी पैसा या पद नहीं, बल्कि सच्चाई और विश्वास हैं।

ईमानदारी वह आधार है जिस पर व्यक्ति और समाज का भविष्य खड़ा होता है। जब कोई व्यक्ति ईमानदार होता है, तो वह न केवल अपने लिए, बल्कि अपने परिवार, समाज और राष्ट्र के लिए भी प्रेरणा बन जाता है।

इस पाठ ने मुझे यह सोचने पर मजबूर किया कि ईमानदारी केवल सच बोलने तक सीमित नहीं है। यह हमारे हर व्यवहार और निर्णय में झलकती है। परीक्षा में नकल न करना, दूसरों के साथ न्याय करना, अपने विचारों को शुद्ध रखना और गलत कार्यों से बचना – ये सब ईमानदारी के छोटे-छोटे रूप हैं। यही छोटे कार्य मिलकर व्यक्ति को महान बनाते हैं।

मैंने महसूस किया कि ईमानदारी केवल दूसरों के प्रति कर्तव्य नहीं है, बल्कि यह हमारे भीतर आत्मविश्वास और आत्मसंतोष भी उत्पन्न करती है। झूठ बोलने वाला व्यक्ति हमेशा डर और संकोच में जीता है, जबकि ईमानदार व्यक्ति निडर और शांति पूर्ण जीवन जीता है।

इस पाठ ने मुझे यह भी सिखाया कि ईमानदारी केवल व्यक्तिगत गुण नहीं है, बल्कि यह सामाजिक परिवर्तन का माध्यम भी है। यदि हर व्यक्ति अपने जीवन में ईमानदारी को अपनाए तो समाज में अन्याय, भ्रष्टाचार और असमानता की जड़ें अपने आप कमजोर हो जाएँगी।

ईमानदारी हमें एक बेहतर नागरिक और एक बेहतर इंसान बनाती है। अंततः मैं यही कह सकती हूँ कि यह पाठ मेरे लिए केवल पढ़ाई का विषय नहीं रहा, बल्कि जीवन की दिशा दिखाने वाला दर्पण बना है। इसने मुझे प्रेरित किया है कि मैं हर परिस्थिति में सत्य और ईमानदारी का साथ दूँ। चाहे रास्ता कितना भी कठिन क्यों न हो, अंततः यही गुण हमें सच्चा सम्मान, आत्मसंतोष और वास्तविक सफलता दिलाते हैं।

– Lalita Pal
Arthur Foot Academy

ईमानदारी – जीवन का आभूषण और समाज की शक्ति - Reena Devi

ईमानदारी मनुष्य के जीवन का वह आभूषण है, जो न केवल व्यक्ति के व्यक्तित्व को निखारने में मदद करता है, बल्कि समाज और राष्ट्र को भी मजबूत बनाता है। ईमानदारी का अर्थ केवल सच बोलना नहीं है, बल्कि हर परिस्थिति में सत्य और नैतिकता का साथ देना है। यह जीवन जीने का ऐसा तरीका है, जो हमें भीतर से शांति और आत्मसम्मान प्रदान करता है।

ईमानदारी केवल व्यक्तिगत जीवन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे सामाजिक और व्यावसायिक जीवन का आधार है। यदि शिक्षक ईमानदार होगा तो आने वाली पीढ़ी सही दिशा पाएगी, यदि नेता ईमानदार होगा तो राष्ट्र प्रगति करेगा, और यदि विद्यार्थी ईमानदार होगा तो उसका भविष्य उज्ज्वल होगा। इसलिए कहा गया है कि ईमानदारी केवल एक गुण नहीं, बल्कि हमारे चरित्र का आईना है।

जीवन में ईमानदारी को अपनाना केवल एक विकल्प नहीं, बल्कि एक जिम्मेदार नागरिक की पहचान है। यह न केवल दूसरों की नजरों में हमें महान बनाती है, बल्कि हमारे आत्मसम्मान और आत्मसंतोष को भी बढ़ाती है। झूठ और बेईमानी से क्षणिक लाभ मिल सकता है, परंतु ईमानदारी से मिलने वाला संतोष और प्रतिष्ठा जीवनभर हमारे साथ रहती है।

इसलिए हमें हर परिस्थिति में सच बोलने, सही रास्ते पर चलने और अपने कर्मों में ईमानदार बने रहने का प्रयास करना चाहिए। यही हमारे जीवन को सार्थक और आदर्श बनाता है।

– Reena Devi
Arthur Foot Academy

ईमानदारी – जीवन की सबसे बड़ी विरासत - Simran


मैंने इस बात से सीखा है कि ईमानदारी इस संसार में एक ऐसी राह है, जो किसी भी व्यक्ति को वहाँ तक पहुँचा सकती है जहाँ कोई बेईमान मनुष्य नहीं पहुँच सकता। इसलिए, हर मनुष्य को ईमानदारी की राह पर चलना चाहिए।

ईमानदारी का एक उदाहरण मैंने अपने घर में देखा है। मेरे पिताजी हलवाई का काम करते हैं। एक बार हमारी दुकान पर एक बूढ़ा व्यक्ति मिठाई लेने आया। उसने ₹480 की मिठाई खरीदी और ₹1000 का नोट दिया। मेरे पिताजी ने उसे मिठाई देकर कहा कि अभी मेरे पास केवल ₹20 हैं, बाकी ₹500 आप शाम को आकर ले लेना। उस बूढ़े व्यक्ति ने कहा कि ठीक है, मैं शाम को आकर पैसे ले लूँगा।

मैं उस समय 16 वर्ष की थी और पिताजी की मदद करती थी। अगले दिन पिताजी ने मुझसे पूछा कि क्या वह बूढ़ा व्यक्ति ₹500 ले गया था? मैंने कहा – नहीं। तब पिताजी ने मुझसे ₹500 दिए और कहा कि मैं उसे उसके घर जाकर पैसे लौटा आऊँगा। मैंने पिताजी से पूछा कि वह व्यक्ति खुद आकर ले लेता, तो पिताजी ने कहा – "कोई बात नहीं, वह भूल गया होगा। किसी के पैसे रखने से हम राजा नहीं बन जाते।"

उस दिन के बाद से मैंने भी सीखा कि यदि कोई हमारी दुकान पर अपना सामान या पैसे भूल जाता था तो मैं भी तुरंत लौटा देती थी।

एक और उदाहरण मुझे याद आता है। साक्षी खन्ना अंकल हमारी दुकान से सामान लेते थे और महीने भर का हिसाब रखते थे। जब उनकी तनख्वाह मिलती, तो रात 10-11 बजे भी यदि पिताजी सो गए होते, तो वे उन्हें उठाकर कहते – "लाल जी, सामान का हिसाब जोड़ लो।" पिताजी हिसाब जोड़कर राशि बताते और वे तुरंत पैसे चुका देते।

इसी तरह मेरे दादाजी और उनके भाई भी दुकान चलाते थे। उस समय कई लोग अनाज या चावल देकर सामान खरीदते थे। एक बार चूहों ने दुकान की बोरी काटकर अनाज अपने बिल में जमा करना शुरू कर दिया। बोरी हल्की हो गई तो दादाजी के भाई को लगा कि दादाजी ने चोरी-छिपे अनाज बेच दिया है। उन्होंने गुस्से में दादाजी को मारा-पीटा, लेकिन दादाजी चुप रहे। बाद में, जब बोरी हटाकर देखा गया तो पता चला कि नीचे चूहों का बिल है और सारा अनाज वहीं जमा है। यह देखकर दादाजी का भाई शर्मिंदा हो गया और समझ गया कि उसका भाई कितना ईमानदार है।

इन सभी घटनाओं से मुझे यह सीख मिली कि ईमानदारी कभी छिपती नहीं। जैसे बेईमानी सामने आ जाती है, वैसे ही ईमानदारी भी अपने आप प्रकट हो जाती है। इसलिए जीवन में हमेशा ईमानदारी की राह पर चलना चाहिए, चाहे समय अच्छा हो या बुरा।

ईमानदारी सबसे बड़ी विरासत है। यह न केवल स्वयं के जीवन को आधार देती है, बल्कि दूसरों को भी सही राह दिखाती है। अच्छे कार्य अपने आप अभिव्यक्ति करते हैं, इसलिए हर इंसान को अच्छे काम करने चाहिए और ईमानदारी की राह पर ही चलना चाहिए।

Simran
Arthur Foot Academy

Thursday, 25 September 2025

ईमानदारी और सच्चाई – चरित्र की सच्ची पहचान - Sunbeam Gramin School

ईमानदारी का तात्पर्य सत्यनिष्ठा, निष्ठा, सम्मान और सच्चाई से होता है, जो किसी भी तरह से झूठ, चोरी या धोखे से इनकार करने का भाव है, जबकि सच्चाई से तात्पर्य किसी वस्तुनिष्ठ तथ्य या वास्तविकता के अनुरूप होना है, जो सटीक और सत्यापित हो। संक्षेप में, ईमानदारी एक चरित्र का गुण है, जो सच कहने और नैतिक मूल्यों का पालन करने से व्यक्त होता है, जबकि सच्चाई वह वस्तुनिष्ठ वास्तविकता है, जो सही है और जिसकी पुष्टि की जा सकती है।

ईमानदारी - ईमानदारी का अर्थ है सच बोलने वाला होना, किसी भी तरह से झूठ, चोरी या धोखे से इनकार करना।

नैंसी गिरी
कक्षा - 8

सच्चाई और ईमानदार व्यक्ति का चरित्र को मजबूत बनाता है। जब व्यक्ति सच बोलता है तो समाज में विश्वास और एकता का निर्माण होता है। ईमानदार लोग दूसरों के लिए प्रेरणा देते हैं। ईमानदारी एक नैतिक अवधारणा है। सामान्य रूप से इसका तात्पर्य सत्य से होता है, किन्तु विस्तृत रूप से ईमानदारी में मन, वचन तथा कर्म से प्रेम, अहिंसा, विश्वास जैसे गुणों के पालन पर बल देती है।

ईमानदारी एक ऐसा गुण है, जो लालच और बेईमानी से बचाती है। ईमानदारी हर एक मनुष्य में होना चाहिए। ईमानदारी से जो कार्य किए जाते हैं, वे अवश्य पूरे होते हैं। अनुशासन में रहना, सच बोलना और दूसरों की ईमानदारी से मदद करना चाहिए।

विशाखा यादव
कक्षा - 8

Honesty: A Timeless Value from the Good School Session- Sunbeam School, Ballia


Today's Reflection on Good School Session

Today's session was truly inspiring and encouraging. In our reading session with Manisha Ma’am and Jugjiv Sir, we explored the book “ईमानदारी” (Honesty) through the exemplary lives of Lal Bahadur Shastri, Abraham Lincoln, and others. We learned about the significance of honesty in a student’s life and how parents and teachers can instill this value in young minds.

One key takeaway that resonated with me was: “We should always be honest and follow the right path, regardless of what others think about us.” This lesson has left a lasting impact on me, and I am grateful for the opportunity to reflect on it.

Thank you to Manisha Ma’am and Jugjiv Sir for such a thought-provoking session.

Ifra Wahid, IX-F
Sunbeam School, Ballia


Jai Hind, dear readers

I am Aayush Kumar Singh, writing this reflection on the session taken by Manisha Khanna Ma’am.

In today’s session, Manisha Ma’am shared how people still carry deep faith and honesty. She told us how, during namaz, shopkeepers leave their shops open and go for prayer. Customers come, take what they need, and leave the money there before going.

This really touched me because it shows that even in today’s world, where we often hear about dishonesty and selfishness, there are still places and people where trust is alive. It is inspiring to see that values like honesty, responsibility, and respect are still being practiced today.

The session reminded me that trust is not just an old value but something we can live by even now. If we act truthfully and responsibly, we can also strengthen this culture of faith and honesty in our surroundings.

Aayush Kumar Singh, X-A
Sunbeam School, Ballia

Reflections Since 2021