Monday, 28 July 2025

साथियों का दबाव: सोच और व्यवहार पर प्रभाव - सनबीम ग्रामीण स्कूल

साथियों का दबाव तब होता है जब कोई सहकर्मी या साथियों का समूह किसी व्यक्ति को किसी विशेष तरीके से सोचने या कार्य करने के लिए प्रभावित करता है या उस पर दबाव डालता है। इसका उद्देश्य किसी व्यक्ति के दृष्टिकोण या धारणा को बदलकर उसे किसी विशिष्ट कार्य में सम्मिलित करना होता है।

सहकर्मी दबाव वह प्रक्रिया है जिसमें एक ही समूह के सदस्य, अन्य सदस्यों को ऐसे व्यवहार या गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रेरित करते हैं, जिनमें वे स्वेच्छा से संलग्न नहीं होना चाहते।साथियों का दबाव समान रुचियों, अनुभवों या सामाजिक परिस्थितियों वाले समूहों के सदस्यों पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव डालता है। ऐसे समूह किसी व्यक्ति के विश्वासों, मूल्यों, धर्म और व्यवहार को प्रभावित करने की अधिक संभावना रखते हैं।

साथियों के दबाव का समाधान:

  • आत्मसम्मान और आत्मविश्वास का विकास करें।
    दृढ़ता  का अभ्यास करें।
    सकारात्मक संबंधों के साथ-साथ सकारात्मक विचार भी बनाएं।
- नैंसी मौर्या (कक्षा 8)

सबसे मुश्किल भावना क्या है?
सबसे कठिन भावना क्रोध है, क्योंकि यह एक नकारात्मक मनोवैज्ञानिक स्थिति है, जो असहायता या अपमान की भावना से उत्पन्न होती है। क्रोध व्यक्ति के सोचने-समझने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है, इसलिए इसे नियंत्रित करना बहुत ज़रूरी होता है।

दोस्ती कैसी होनी चाहिए?
अच्छी दोस्ती के लिए ईमानदारी, वफादारी और एक-दूसरे के प्रति सम्मान होना आवश्यक है। सच्चे दोस्त हमेशा एक-दूसरे की मदद के लिए तैयार रहते हैं और मुश्किल समय में साथ नहीं छोड़ते।

साथियों का दबाव
साथियों का दबाव तब होता है जब आपके दोस्त या सहकर्मी आपको ऐसा कुछ करने के लिए प्रेरित करते हैं, जो आप सामान्य रूप से नहीं करना चाहते, या फिर आपको किसी ऐसे कार्य से रोकते हैं, जिसे आप करना चाहते हैं। यह दबाव सकारात्मक भी हो सकता है और नकारात्मक भी, इस पर निर्भर करता है कि प्रभाव किस दिशा में ले जा रहा है।

– सीमा (कक्षा 8) 

जिज्ञासु मस्तिष्क - Sunbeam Gramin School

 

इस अध्याय में बताया गया है कि किस तरह जिज्ञासा और असफलता (failure) मिलकर सीखने की प्रक्रिया को गहरा और लंबे समय तक याद रखने योग्य बना देती है। जब हम किसी सवाल का उत्तर नहीं जानते और बाद में सही उत्तर पता चलता है, तो वह जानकारी हमारे दिमाग में ज़्यादा अच्छी तरह से बैठती है। वैज्ञानिकों ने मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को समझने के लिए ब्रेन स्कैनिंग (MRI) और व्यवहारिक प्रयोगों का उपयोग किया।

शोध से यह सिद्ध हुआ कि असफलता के बाद जिज्ञासा और सीखने की इच्छा मस्तिष्क को अधिक सक्रिय करती है। साथ ही, जब विद्यार्थी "सीखने के लक्ष्य" (Mastery Goals) अपनाते हैं — यानी गहराई से समझने की कोशिश करते हैं — तो उनका सीखना और प्रदर्शन दोनों बेहतर हो जाते हैं।

जिज्ञासा और मस्तिष्क का संबंध

1. जिज्ञासा मस्तिष्क के कुछ विशेष हिस्सों को सक्रिय करती है, जिससे सीखना तेज होता है।
2. जब सवाल हमें चौंकाते हैं, तब दिमाग सीखने के लिए ज्यादा तैयार रहता है।
3. MRI अध्ययन ने दिखाया कि जिज्ञासा में मस्तिष्क की मेमोरी और इनाम से जुड़ी प्रणाली सक्रिय होती है

- Manjula Sagar

आज के अध्याय में जिज्ञासु मस्तिष्क के बारे में चर्चा किया गया था जिसमें बताया गया कि जिज्ञासु मस्तिष्क एक महत्वपूर्ण कार्य है जो हमें नई चीज़ सीखने और समझने के लिए प्रेरित करते हैं। इस अध्याय में उदाहरण देकर बताया गया कि जिज्ञासु मस्तिष्क समस्याओं का समाधान ढूंढने के लिए प्रेरित करती है, विभिन्न विकल्पों के बारे में जानने और समझने में मदद करती हैं जिज्ञासा को बढ़ावा देने के लिए प्रश्न पूछना एक अच्छा तरीका है , हमारा मस्तिष्क सामान्य ज्ञान के प्रश्नों पर कैसे प्रतिक्रिया  देता है, प्रतिक्षा के दौरान मस्तिष्क का कैसा व्यवहार होता है आदि बातें बताई गई।

- अशोक कुमार मौर्य


GSA Calendar August 2025

Notice: There will be no Brewing Knowledge Friday on the 1st of August and the Saturday Masterclass on 2nd August 2025, as we’re away for SGEF 2025. Please visit us at the Scoonews Global Edfest, find out more at www.globaledfest.com

My Good School

3rd   August 2025
Amardeep Singh Screening of Allegory. The Tapestry of Guru Nanak’s Travels 
Episode - 20 गीन गुलदस्ता (रंग-बिरंगे फूलों का गुच्छा 

10th August 2025
Book Reading- The Inner Life of Animals
Book Reading
क्या आपका बच्चा दुनिया का सामना करने के लिए तैयार है?

17th  August 2025
Book Reading- The Door-To-Door Bookstore
Book Reading
क्या आपका बच्चा दुनिया का सामना करने के लिए तैयार है?

24th   August 2025
We aim to inspire young minds, helping them navigate their dreams and aspirations while embracing their goals.
The YES workshop with Shikha Agnihotri, founder of The Right Side Story

Book Reading- The Inner Life of Animals

31st August 2025
Book Reading- The Door-To-Door Bookstore 
Book Readingक्या आपका बच्चा दुनिया का सामना करने के लिए तैयार है?

The Teachers Academy

Brewing Knowledge Fridays at 5.30 PM: Book Reading with Sandeep Dutt:

  • What Did You Ask At School Today: A Handbook Of Child Learning; and 
  • The Book of Rumi: 105 Stories And Fables That Illumine Delight And Inform

Saturday Masterclass Webinar at 5:30 PMProductive Failure - Design for and turn your failures into meaningful learning experiences

GSA Squad Meetings

At 5:30 PM every Monday on Zoom - GSA Coordinators, Volunteers and Mentors. #JoyOfGiving We review programs and plan for the coming week.

Good Schools of India

Are you signed up for the Good Schools of India Weekly yet? Don't miss out on valuable insights—published every Monday at 7:00 AM! #JoyOfLearning Subscribe at: www.GSI.in

Sunday, 27 July 2025

एक ओंकार की गूंज: गुरु नानक देव जी की आत्मिक यात्रा - साक्षी पाल

"नाम जपो, सेवा करो, मानवता की राह पर चलो"

Episode 19 को देखकर मुझे यह महसूस हुआ कि गुरु नानक देव जी सिर्फ एक धार्मिक गुरु नहीं थे, बल्कि वे मानवता, एकता और सच्चाई के प्रतीक थे। उन्होंने अपनी यात्राओं के माध्यम से न सिर्फ़ लोगों को ईश्वर के बारे में बताया, बल्कि समाज में फैले भेदभाव, अंधविश्वास और झूठे रिवाजों को भी चुनौती दी। इस एपिसोड में दिखाए गए ऐतिहासिक स्थल, जो आज पाकिस्तान में स्थित हैं, यह दर्शाते हैं कि भले ही समय बदल गया है, पर गुरु जी का संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है

"ना कोई हिन्दू, ना कोई मुस्लिम" — इस विचार के द्वारा उन्होंने धर्मों के बीच की दीवारें तोड़ी और इंसानियत को सबसे ऊपर रखा।

यह एपिसोड हमें यह याद दिलाता है कि सच्चा धर्म वही है, जो प्रेम, सेवा और सच्चाई पर आधारित हो। गुरु जी ने सिखाया कि "ईश्वर मंदिर या मस्जिद में नहीं, बल्कि हर जीव में है।" आज की दुनिया में, जहाँ धर्म के नाम पर मतभेद और संघर्ष देखने को मिलते हैं, वहाँ गुरु नानक देव जी का Universal संदेश एक प्रकाशपुंज की तरह है।यह एपिसोड केवल इतिहास नहीं दिखाता, बल्कि आत्मा को भी छूता है। यह मात्र एक दृश्य यात्रा नहीं, बल्कि आत्मा की यात्रा थी।

"वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरु जी की फतेह!"
"जहां एक ओंकार की गूंज हो, वहां नफ़रत की कोई जगह नहीं होती!"

– साक्षी पाल





विनम्रता की छाप: गुरु नानक जी की शिक्षाओं से जीवन का मार्ग - साक्षी खन्ना

 

"अच्छा प्रभाव", अर्थात विनम्रता की छाप, एक ऐसा विषय है जो सीधे हमारे हृदय और व्यवहार से जुड़ा है। इस एपिसोड को सुनकर यह स्पष्ट हो गया कि गुरु नानक देव जी की यात्राएँ केवल शारीरिक नहीं थीं, बल्कि वे आत्मा की यात्रा और मानवता के मार्गदर्शन का प्रतीक थीं। गुरु नानक देव जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्चा बल दिखावे में नहीं, बल्कि विनम्रता में होता है। जब इंसान अपने ज्ञान, पद या सफलता के कारण अहंकार में डूब जाता है, तब वह दूसरों से दूर हो जाता है। लेकिन जो व्यक्ति विनम्र होता है, वह सभी के दिलों में स्थान बना लेता है।

अमरदीप सिंह जी ने जब गुरु नानक जी के व्यवहार और उनके सच्चे प्रेम को साझा किया, तब मुझे यह समझ आया कि आज के समय में भी विनम्रता कितनी आवश्यक है। विनम्रता कोई कमजोरी नहीं, बल्कि यह एक ऐसा गुण है जो व्यक्ति को भीतर से मजबूत बनाता है। यह हमें सुनना सिखाती है, समझना सिखाती है और दूसरों की भावनाओं का सम्मान करना सिखाती है।

मेरे मन के विचार:

इस एपिसोड ने मुझे स्वयं के विचारों पर सोचने के लिए प्रेरित किया।
क्या मैं भी इतनी विनम्र हूं कि हर किसी को आदरपूर्वक सुन सकूं?
क्या मैं अपने शब्दों और कर्मों से दूसरों को सम्मान दे पाती हूं?
यह सत्र मेरे लिए एक आईने की तरह था, जिसमें मैंने खुद को देखा — और यह जाना कि मुझे स्वयं को और बेहतर बनाने की आवश्यकता है।

गुरु नानक देव जी की शिक्षाएँ समय की सीमाओं से परे हैं।
आज भी यदि हम उनके बताए मार्ग — सेवा, विनम्रता और सच्चाई — पर चलें, तो हमारा जीवन न केवल सुंदर और शांतिपूर्ण, बल्कि सार्थक भी बन सकता है।

निष्कर्ष:

विनम्र प्रभाव केवल एक विचार नहीं, बल्कि एक जीवन शैली है। इसे अपनाकर हम समाज में प्रेम, सहिष्णुता और शांति का संचार कर सकते हैं। इस एपिसोड ने मेरे मन पर गहरी छाप छोड़ी — जो मुझे सदा याद दिलाएगी कि सच्चा इंसान वही है जिसमें विनम्रता हो।

"ईश्वर के सामने सब समान हैं — कोई ऊँचा-नीचा नहीं।"
इंसान को अपने अहंकार को त्यागकर विनम्र होना चाहिए।

"सेवा भाव से जीना — दूसरों की सेवा करना बिना किसी घमंड के — यही सच्ची भक्ति है।"

गुरु नानक देव जी ने बार-बार कहा कि —

ईश्वर के निकट वही पहुँच सकता है, जो अपने अहंकार को त्याग देता है।

— साक्षी खन्ना



संपूर्ण मानवता के गुरु: नानक की वाणी, नानक का प्रेम - Lalita pal

 

"He lit the flame of truth and grace, Guru Nanak showed the divine in every face."

यह एपिसोड गुरु नानक देव जी की यात्राओं के दौरान एक गहरे और प्रतीकात्मक अनुभव को दर्शाता है। यह न केवल ऐतिहासिक स्थलों को दिखाता है, बल्कि उन स्थलों में छिपे हुए आध्यात्मिक संदेशों को भी उजागर करता है।

गुरु नानक देव जी अपने उपदेशों में सदैव विनम्रता को प्राथमिकता देते थे। इस एपिसोड में दिखाया गया है कि कैसे उन्होंने कठोर और घमंडी लोगों को भी प्रेम और शांति के माध्यम से बदल दिया।

गुरु नानक जी ने संसार को यह बताया कि ईश्वर एक है और वह हर जीव में समाया हुआ है। उनके इस विचार ने धार्मिक भेदभाव को मिटाने का मार्ग दिखाया। उन्होंने अमीर–गरीब, ऊँच–नीच, स्त्री–पुरुष — सभी को समान माना। जब दुनिया जात-पात में उलझी हुई थी, तब गुरु नानक देव जी ने सबको एक ही प्रभु की संतान बताया।

इस एपिसोड को देखने के बाद मुझे यह महसूस हुआ कि गुरु नानक देव जी का जीवन और उनके संदेश आज की दुनिया में और भी अधिक प्रासंगिक हैं, जहाँ धर्म, भाषा और जाति के नाम पर भेदभाव बढ़ता जा रहा है।

गुरु नानक जी की विचारधारा हमें जोड़ने और प्रेम फैलाने की प्रेरणा देती है।

"नाम जपो, सच्चा पथ अपनाओ,
गुरु नानक जी की राह चलो, मोक्ष को पाओ।"

– ललिता पाल

विनम्रता की शक्ति: गुरु नानक जी की यात्राओं से सीख - रीना देवी

 

"विनम्रता की छाप" — यह शीर्षक स्वयं में बहुत गहराई लिए हुए है। इससे मैंने महसूस किया कि विनम्रता कोई कमजोरी नहीं, बल्कि एक महान शक्ति है, जो किसी भी व्यक्ति को भीतर से बड़ा बनाती है। गुरु नानक जी की यात्रा केवल भौगोलिक नहीं थी, बल्कि यह आत्मा की यात्रा थी — ऐसी यात्रा जो सिखाती है कि विनम्रता से ही संसार जीता जा सकता है। यह एपिसोड हमें याद दिलाता है कि सच्चे प्रभाव की शुरुआत विनम्र हृदय से होती है। एक विनम्र व्यक्ति शब्दों से नहीं, अपने कर्मों से प्रभाव छोड़ता है। जब अमरदीप सिंह जी इस एपिसोड को साझा करते हैं, तो यह केवल सीख ही नहीं देता, बल्कि आत्मा को भी छू जाता है।

विनम्रता ऐसा गुण है, जो व्यक्ति को महान बनाता है — भले ही वह स्वयं को कभी महान न माने।
गुरु नानक जी की यात्रा में विनम्रता की छाप हर स्थान पर स्पष्ट दिखाई देती है। विनम्रता कोई दिखावे की चीज नहीं, यह आत्मा का स्वाभाविक गुण है। जब कोई व्यक्ति हज़ार उपलब्धियाँ प्राप्त करने के बाद भी सहज और सरल बना रहता है, तभी वह सच्चा विनम्र कहलाता है। गुरु नानक देव जी की यात्राएँ इसी बात का उदाहरण हैं — वे राजमहल में भी उतने ही विनम्र थे, जितने किसी गाँव के कच्चे घर में।

"विनम्रता वह आईना है जिसमें आत्मा की असली खूबसूरती दिखाई देती है।"

विनम्रता किसी भी व्यक्ति की सबसे सुंदर पहचान होती है। यह शब्दों से नहीं, व्यवहार से झलकती है।
गुरु नानक देव जी की यात्राएँ विनम्रता की जीवंत मिसाल हैं — जहाँ उन्होंने हर जाति और समाज को बराबरी और प्रेम का संदेश दिया।

"विनम्रता वह झरना है, जो नीचे बहता है, पर राह को जीवन देता है।"

जब हमारे मन से घमंड मिटता है, तभी सच्ची विनम्रता जन्म लेती है।
विनम्र व्यक्ति आलोचना में भी अवसर देखते हैं और प्रशंसा में भी विनय बनाए रखते हैं।

असली प्रभाव वही होता है, जो दिल में उतर जाए — बिना शोर, बिना घमंड।

"झुके हुए पेड़ फल देते हैं, और झुका हुआ मन शांति देता है।"

— रीना देवी

"विनम्रता की छाप" — गुरु नानक देव जी से सीखा जीवन का सार - स्वाति

 गुरु नानक देव जी के जीवन-यात्रा पर आधारित इस एपिसोड में "विनम्रता की छाप" विषय ने मेरे मन को बहुत गहराई से छुआ। अमरदीप सिंह जी के माध्यम से जब मैंने इस प्रसंग को सुना और देखा, तो मुझे यह महसूस हुआ कि विनम्रता केवल एक गुण नहीं, बल्कि एक शक्ति है—जो बिना शब्दों के भी दूसरों के दिल को छू जाती है।

गुरु नानक देव जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्चा नेतृत्व और महानता तभी संभव है जब हम अपने अहंकार को त्यागकर, दूसरों की बातों को समझें, उनका सम्मान करें और सभी के साथ आदरपूर्वक व्यवहार करें

आज के समय में, जब हर कोई स्वयं को श्रेष्ठ साबित करने की होड़ में लगा है, यह एपिसोड हमें शांति, सच्चाई, और मानवता से भरे जीवन की ओर ले जाता है।
विनम्रता कोई दिखावा नहीं है, यह तो हमारे भीतर ही होती है — बस हमें खुद को पहचानने की आवश्यकता होती है। यही इंसान की असली सुंदरता है।

इस एपिसोड ने मेरे मन में एक विचार जगाया — अगर हम सभी अपने जीवन में थोड़ी-सी भी विनम्रता अपना लें, तो यह समाज और दुनिया एक सुंदर और शांतिपूर्ण स्थान बन सकती है।

यह एपिसोड केवल गुरु नानक देव जी के विचारों को जानने का माध्यम नहीं था, बल्कि उन्हें समझने और मनन करने का एक अवसर भी बना।

इस अनुभव से मैंने यह सीखा कि जीवन में कुछ बड़ा करने के लिए झुकना ज़रूरी होता है — जैसे फलदार पेड़ हमेशा झुका होता है।
विनम्र व्यक्ति हर जगह स्वीकार किया जाता है, क्योंकि उसमें दूसरों को अपनाने की शक्ति होती है।
और सबसे बड़ी बात —
"विनम्रता की छाप शब्दों से नहीं, व्यवहार से झलकती है।"

 "विनम्रता एक सुगंध की तरह है, जो बिना दिखे हर दिल में जगह बना लेती है।" 

— स्वाति

ईश्वर हर दिशा में है: मक्का से श्रीलंका तक गुरु नानक जी का संदेश - रूबल कौर

 

गुरु नानक देव जी की यात्राएं और उनका सार्वभौमिक संदेश

गुरु नानक देव जी ने मक्का की यात्रा की थी। उनके साथ उनके शिष्य भाई मर्दाना भी थे, जो मुस्लिम थे और मक्का जाना चाहते थे। मक्का में गुरु नानक देव जी एक आरामगाह में लेट गए, और उनके पैर काबा की दिशा में थे। एक हाजी जियॉन ने जब गुरु नानक जी को इस प्रकार लेटे हुए देखा, तो उसने विरोध किया और नाराज़गी ज़ाहिर की। गुरु नानक देव जी ने शांति से उत्तर दिया कि वे थके हुए हैं और उन्हें नहीं पता कि काबा किस दिशा में है। उन्होंने जियॉन से कहा, "मेरे पैर उस दिशा में कर दो, जहाँ काबा नहीं है।"

जब जियॉन ने उनके पैर दूसरी दिशा में घुमाए, तो यह देखकर चकित रह गया कि काबा भी उसी दिशा में घूम गया। तभी उसे बोध हुआ कि ईश्वर हर दिशा में है, हर ओर, हर स्थान पर व्याप्त है। मक्का की यह यात्रा सिख इतिहास में एक अत्यंत महत्वपूर्ण घटना है, जो गुरु नानक देव जी के सर्वधर्म समभाव, समानता, और ईश्वर की सर्वव्यापकता के संदेश को दर्शाती है। गुरु नानक देव जी ने अपनी पहली यात्रा के दौरान पटना का दौरा भी किया था। यह यात्रा 16वीं शताब्दी की शुरुआत में हुई, जब वे पूर्व दिशा की ओर यात्रा कर रहे थे। पटना में उन्होंने पश्चिम द्वार से प्रवेश किया।

गुरु नानक देव जी ने कई देशों और क्षेत्रों की यात्राएं कीं, जिनमें श्रीलंका भी शामिल था। उन्होंने वहां सिख धर्म और उसके मूल संदेशों का प्रचार किया। उनकी श्रीलंका यात्रा का वहां के लोगों पर गहरा प्रभाव पड़ा। कुछ इतिहासकारों के अनुसार, उन्होंने श्रीलंका के नागपट्टनम, जाफना, नयिनतिवु, त्रिंकोमाली, बट्टीकलोआ आदि स्थानों का दौरा किया। श्रीलंका यात्रा के दौरान राजा शिवनाथ से भी उनकी मुलाकात का उल्लेख मिलता है।

यह यात्रा गुरु नानक देव जी के जीवन और सिख धर्म के प्रसार में अत्यंत महत्वपूर्ण रही।

"God is one but He has innumerable forms. He is the creator of all and He Himself takes human form."

रूबल कौर

Reflecting Hearts, Growing Minds - PYDS Learning Academy

 

PYDS Reflections.pdf posted by Manisha Khanna, GSA Principal

The children are thrilled to attend Sunday School. Each week, they look forward to the stories and lessons that spark their curiosity and joy. But what they love most is the time they spend in quiet reflection, thinking deeply about what they've learned and how it touches their lives.

This habit of introspection isn't just meaningful—it's powerful. It helps them understand themselves and the world around them. Reflection makes them more thoughtful, responsible, and aware. In fact, it shapes them into better students, not just of books, but of life.

Seeds of Thought, Blooms of Change - Lotus Petal Foundation

Reflections- 20 July 2025.pdf Posted by Manisha Khanna

At Lotus Petal Foundation School, reflection is an integral part of the learning process. Here, students are encouraged not only to answer questions, but also to ask them about life, themselves, and society. After each lesson, they pause, ponder, and express their insights through stories, drawings, journals, and discussions. This creative culture of reflection empowers students to connect learning with lived experiences. It nurtures empathy, resilience, and originality. Whether sketching a lotus to represent hope or writing poems about kindness, their reflections bloom into ideas that shape a better tomorrow.


जानवरों का आंतरिक जीवन - Sunbeam Gramin School

अध्याय – आराम

जानवरों के लिए आराम का मतलब है कि वे अपने प्राकृतिक व्यवहार को स्वतंत्र रूप से व्यक्त कर सकें और अपने वातावरण में सहज महसूस करें। इसमें पर्याप्त भोजन और पानी, उपयुक्त तापमान, सुरक्षित आश्रय, बीमारियों या चोटों से मुक्ति, सामाजिक संपर्क, सुरक्षा की भावना और तनाव या डर से मुक्ति शामिल है।

एक ऐसा वातावरण, जहाँ वे स्वतंत्र रूप से घूम सकें, खेल सकें और अपनी प्राकृतिक आदतों को पूरा कर सकें, वास्तव में उनके लिए आरामदायक होता है।

धन्यवाद।
सीमा

जानवरों के आराम या सुख का अर्थ है उनकी ज़रूरतों को पूरा करना। इसके लिए उन्हें एक ऐसा प्राकृतिक वातावरण मिलना चाहिए, जिसमें भोजन, पानी और सुरक्षित स्थान उपलब्ध हों।
हमें पेड़ों की कटाई कम करनी चाहिए, चिड़ियाघर और अभयारण्य जैसे स्थान बनाकर उन्हें संरक्षण देना चाहिए। ऐसे कार्य नहीं करने चाहिए जो उनके लिए हानिकारक हों या उन्हें कष्ट या चोट पहुँचाएँ।
इससे वे सुरक्षित और आराम से जीवन जी सकेंगे।

धन्यवाद।
सूरज पटेल

गुरुओं की कुर्बानी: एक भूलने योग्य नहीं कहानी - Sakshi Pal

इस एपिसोड से मुझे यह समझ में आया कि कभी भी किसी व्यक्ति के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए। सभी को एक समान मानना चाहिए।अब ज़रा गुरु के सिंहों के बारे में ध्यान से सुनिए — दस लाख सैनिकों से टक्कर लेने वाले, जो सूरमाओं की गिनती में आते हैं। चालीस की संख्या में चमकौर के युद्ध में वीरता से लड़ते हुए बलिदान देने वाले  जोड़ी लड़ाके थे, जो अपने साथियों के साथ पाले गए थे।

छोटे साहिबजादे — बाबा ज़ोरावर सिंह और फतेह सिंह — अपनी दादी जी के साथ थे। रास्ते में उन्हें गंगू ब्राह्मण मिला, जो माताजी और बच्चों को अपने गांव खेड़ी ले आया। यह वही गंगू था जो पहले गुरुघर में सेवा करता था, रसोइया था और लंगर बनाता था। लेकिन वह भीतर से दगाबाज़ था। उसने रात को माताजी को दो मंजी (खाट) लाकर दी। माताजी ने कहा, "हमें एक मंजी की ही ज़रूरत है, क्योंकि मेरे पोते मुझसे कभी दूर नहीं सोते।"

रात होते-होते बच्चे अपनी दादी से कहने लगे, “अब माताजी, पिताजी और बड़े भाई हमें लेने आएंगे, तो हम उनके साथ नहीं जाएंगे।” बच्चे जानते थे कि वे बलिदान देने वाले परिवार से हैं, और उनका आत्मबल अपार था। उधर गंगू ब्राह्मण का असली चेहरा सामने आया — वह बेईमान हो गया। उसने रात को माताजी की सोने की थैली चुरा ली। वह यह भूल गया कि जिसकी थैली वह चुरा रहा है, वह वही बुज़ुर्ग माता है, जिसकी जवानी में उसके पति ने हमारे तिलक और जनेऊ की रक्षा के लिए दिल्ली के चांदनी चौक पर अपना सिर दे दिया था।

गंगू यह भी भूल गया कि हमारे हिंदू धर्म को बचाने के लिए गुरु तेग बहादुर जी ने अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया था। इस घटना से यह सीख मिलती है कि इस दुनिया में कोई भी व्यक्ति हो — चाहे हमारे गुरु हों या आमजन — हमें उनके उपकारों को कभी नहीं भूलना चाहिए। कभी भी किसी के साथ धोखा नहीं करना चाहिए, जैसा कि गंगू ब्राह्मण ने माता जी के साथ किया। गंगू ब्राह्मण को यह याद रखना चाहिए था कि जिन गुरुजी ने हमारा तिलक और जनेऊ बचाने के लिए अपना सिर दे दिया, उनके परिवार के साथ धोखा करना कितना बड़ा अधर्म है।

Sakshi Pal

Tuesday, 22 July 2025

The Spirit of Equality and Devotion - Sunbeam Suncity

 

Life lessons from Allegory: A Tapestry of Guru Nanak’s Travels - Amardeep Singh

The journey of Guru Nanak Dev Ji and Bhai Mardana highlights the various religious practices people followed to express their devotion. It also reflects the many challenges they faced in spreading the message of peace, unity, and equality in society. These stories continue to inspire us, showing how dedication, effort, and perseverance—no matter how small—can bring about great change, just like tiny drops of water together form an ocean.
Mayank Malani

This session taught us that we are all equal in the eyes of God. He does not judge anyone based on their religion; what truly matters to Him are our actions, our faith, and our deeds. The water inside the Gurudwara symbolises the peace and purity of the holy place. Even the tradition of serving Langar in the Gurudwara reminds us that no matter one’s caste or status—whether high or low—everyone is treated equally. Everything we receive, including food, is a divine gift from God.
Atulya Jaiswal

Jai Hind, everyone,
In today’s reading session, we learned many inspiring things about Guru Nanak Dev Ji—his teachings, values, and his simple, humble way of life. He was born in Talwandi, which is now in Pakistan. We were deeply moved by the way people worshipped him and how he shared his message with society. As the first Guru of Sikhism, he played a significant role in shaping its foundation and is also regarded as one of the greatest philosophers in history.
Vaidehi

Through this session, I learned that Guru Nanak Dev Ji was the first Guru of Sikhism. He was known for his kindness and humility. His teachings—especially about equality, compassion, and humility—left a deep impact on me. What touched my heart the most was his message of brotherhood among people of all religions—Hindus, Muslims, Sikhs, and Christians. He strongly believed that no one should be discriminated against based on their faith. Guru Nanak Dev Ji also taught that truth is understood through pure and thoughtful thinking.
Yuvraj Keshri

प्रयास का महत्व और सफलता का मार्ग - सनबीम ग्रामीण स्कूल



देने का जज़्बा का अर्थ है — किसी को कुछ देने या सहायता प्रदान करने की भावना या इच्छा। यह एक सकारात्मक और सहायक दृष्टिकोण को दर्शाता है, जहाँ व्यक्ति दूसरों की मदद करने या उन्हें कुछ देने के लिए तत्पर रहता है। इस जज़्बे में सेवा, सहयोग और उदारता की भावना शामिल होती है, जो समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने में मदद करती है। "The joy of giving, The willingness to give"

यदि आपके मन में किसी को कुछ देने का जज़्बा है, तो आप बिना किसी वित्तीय साधन के भी किसी की सहायता कर सकते हैं। जैसे – किसी की विकट स्थिति में उसके साथ समय बिताकर, उसे सहारा देकर, या अपनी सेवा से मदद कर सकते हैं। किसी रोते हुए को हँसाना या किसी दुखी व्यक्ति से बात करके उसके मन का बोझ हल्का करना भी एक प्रकार की मदद है, जिसे हम उदार हृदय से कर सकते हैं। इसके लिए सबसे ज़रूरी यह है कि हमारे मन में दूसरों की मदद करने की सच्ची इच्छा हो।
नैन्सी मौर्या

देने का जज़्बा रखने वालों का हृदय उदार होना चाहिए।
उदार होना एक ऐसा गुण है जो किसी भी व्यक्ति में हो सकता है — फिर चाहे वह अमीर हो या गरीब। यह मायने नहीं रखता कि हमारे पास कितना धन है, बल्कि यह ज़रूरी है कि हमारे मन में दूसरों की किसी भी प्रकार से मदद करने की सच्ची इच्छा हो। अगर हमारे भीतर सहायता करने की लगन है, तो हम बिना अमीर हुए भी किसी की सहायता कर सकते हैं। उदार हृदय एक ऐसी भावना है, जो किसी की मदद करने की सच्ची इच्छा से उत्पन्न होती है। यह इस बात से तय नहीं होती कि किसी के पास कितना पैसा है।

देने का जज़्बा रखने वाले लोग अपनी सेवा भावना से भी लोगों की सहायता कर सकते हैं। किसी की कठिन परिस्थिति में उसके साथ खड़े रहना, उसका मनोबल बढ़ाना — यह सब किसी व्यक्ति के दयालुता भरे स्वभाव को दर्शाते हैं। कहने का आशय यह है कि उदारता एक ऐसा गुण है, जो किसी में भी हो सकता है। क्योंकि देने का जज़्बा उसी व्यक्ति में होता है, जिसका हृदय करुण और संवेदनशील होता है।
शिखा

 विद्यार्थी पंचलक्षणम्
विद्यार्थी के पाँच लक्षण होते हैं —
काक चेष्टा – विद्यार्थी को पढ़ाई करने में कौए की तरह लगातार प्रयास करते रहना चाहिए।
वको ध्यानम् – पढ़ाई में बगुले की तरह एकाग्र और स्थिर ध्यान लगाना चाहिए।
गृहत्यागी – विद्यार्थी को अध्ययन के लिए संयम से रहना चाहिए, और यदि आवश्यक हो, तो घर का आराम छोड़कर तप करने का भाव रखना चाहिए।
स्वान निद्रा – विद्यार्थी को कम सोना चाहिए और अधिक समय पढ़ाई में लगाना चाहिए।
अल्पाहारी – विद्यार्थी को अधिक भोजन नहीं करना चाहिए, क्योंकि ज़्यादा भोजन से आलस्य और नींद आती है, जिससे पढ़ाई में बाधा आती है।
विशाखा

"सफलता कभी अंतिम नहीं होती, असफलता कभी घातक नहीं होती।"
सफलता स्थायी नहीं होती और असफलता भी हमेशा नहीं रहती। जीवन में सबसे महत्वपूर्ण है — निरंतर प्रयास।

विद्यार्थी पंचलक्षणम् का यही संदेश है कि विद्यार्थी को हमेशा मेहनती, एकाग्र, संयमी और निरंतर प्रयासशील होना चाहिए। हमें अपने जीवन में हर कार्य को पूरा मन लगाकर, निरंतर प्रयास करते हुए करना चाहिए। यही मार्ग हमें सच्ची सफलता की ओर ले जाता है।
सीमा

देने का जज़्बा – एक छोटी मदद, एक बड़ा असर - सिमरन कौर

मैंने इस पाठ से यह सीखा है कि अगर कोई व्यक्ति किसी काम को करने में असमर्थ हो और उसे मदद की ज़रूरत हो, तो हमें उसकी मदद ज़रूर करनी चाहिए। दूसरों की सहायता करने से न केवल सामने वाले को राहत मिल ती है, बल्कि हमारे अपने मन को भी संतुष्टि और सच्ची खुशी मिलती है।मान लीजिए हमारे पास बहुत सारा पैसा है, और एक व्यक्ति हमारे पास आकर कहता है कि उसे अपने बच्चे के स्कूल में दाखिले के लिए पैसों की ज़रूरत है। ऐसे समय पर हमारे अंदर उसकी सहायता करने का साहस और जज़्बा होना चाहिए। अगर हमने उसे मदद कर दी, तो न सिर्फ वह बच्चा स्कूल जा सकेगा, बल्कि उसके माता-पिता को भी अपार खुशी मिलेगी।

हमारी एक छोटी सी सहायता एक बच्चे को शिक्षा पाने का अवसर दिला सकती है। वह बच्चा जब पढ़-लिखकर एक अच्छा इंसान बनता है, तो वह खुद, उसके माता-पिता और पूरा समाज उससे प्रेरित हो सकता है। कई बार किसी गरीब पिता को बेटे की फीस भरने के लिए उधार लेना पड़ता है। ऐसे में यदि कोई उसे मदद कर दे, तो वह बच्चा स्कूल में पढ़ सकता है। और यही बच्चा आगे चलकर जब सफल होता है, तो उसके माता-पिता को भी गर्व होता है।

इसलिए, हमें कभी भी दूसरों की मदद करने से पीछे नहीं हटना चाहिए। क्या पता हमारी एक छोटी-सी मदद किसी की जिंदगी बदल दे। दूसरों की मदद करना एक महान जज़्बा होता है। यह किसी बड़े दान या संपत्ति से नहीं, बल्कि दिल की भावना से जुड़ा होता है। किसी की छोटी-छोटी समस्याओं का समाधान करना या उनकी मदद करना एक सच्चे, अच्छे इंसान की पहचान है। इसलिए जब भी किसी को आपकी ज़रूरत हो, तो उसकी मदद ज़रूर करें। हमारी की हुई छोटी-सी सहायता किसी की जिंदगी को खुशनुमा बना सकती है।

 सिमरन कौर, Arthur Foot Academy

देने का जज़्बा - Sakshi Pal

"देने का जज़्बा" एक ऐसा अध्याय है, जो हमारे हृदय को छू जाता है। यह हमें याद दिलाता है कि जीवन का असली सौंदर्य तभी है, जब हम दूसरों के लिए कुछ करते हैं। इस पाठ से यह स्पष्ट होता है कि जिंदगी का सबसे खूबसूरत पहलू दूसरों के चेहरों पर मुस्कान लाना है। हम अक्सर सोचते हैं कि हमारे पास बहुत काम है, लेकिन जब हम अपने छोटे से हिस्से से भी किसी की मदद करते हैं, तो उसका असर बहुत बड़ा होता है।

True giving doesn't depend on wealth, it depends on will.

यह अध्याय बताता है कि देने की कोई सीमा नहीं होती। हम चाहें तो अपने शब्दों, अपने समय और अपने स्नेह से भी किसी की सहायता कर सकते हैं। आज की दुनिया में, जहां हर कोई सिर्फ अपने बारे में सोचता है, वहां देने की भावना और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। जब कोई व्यक्ति नि:स्वार्थ होकर देता है, तो वह समाज के लिए एक उदाहरण बन जाता है। Selfless giving is rare, but powerful.

इस अध्याय में हमें यह सिखाया गया है कि "देने" का मतलब सिर्फ धन देना नहीं है — एक सहानुभूतिपूर्ण बात, मदद का हाथ, समय देना — ये सब भी देने की श्रेणी में आते हैं।
Even giving time and attention is a beautiful act of kindness.

मुझे इस पाठ से यह समझ आया कि हमें बच्चों को शुरू से ही देने की आदत सिखानी चाहिए, ताकि वे बड़े होकर संवेदनशील और दयालु इंसान बन सकें।
Good values must be taught early.

यदि हम सब मिलकर थोड़ा-थोड़ा भी योगदान दें, तो समाज में बड़ा बदलाव आ सकता है। हम अपने आस-पास के लोगों की छोटी-छोटी ज़रूरतें देखकर भी मदद कर सकते हैं — किसी ग़रीब बच्चे को किताब देना, किसी बीमार को समय पर दवाई दिला देना, किसी अकेले बुज़ुर्ग से बात कर लेना — ये सब देने के ही रूप हैं। इस अध्याय ने मुझे भीतर तक झकझोर दिया। अब मैं हर दिन सोचती हूं — “आज मैंने किसी के लिए क्या किया?”

What did I give today? अगर हम सब यह सवाल खुद से रोज़ पूछने लगें, तो दुनिया एक बेहतर जगह बन सकती है। "देने का जज़्बा" सिर्फ एक कहानी नहीं है, यह एक संदेश है, एक प्रेरणा है, एक मिशन है — जिसे हर इंसान को अपने जीवन में अपनाना चाहिए।

Sakshi Pal, Arthur Foot Academy

Sunday, 20 July 2025

Hearts That Share & Minds That Grow - Lotus Petals Foundation

Hearts That Share & Minds That Grow by Lotus Petal Foundation (Special Project of the Good Schools Alliance)

The students of Lotus Petals Foundation eagerly look forward to Sundays, as it's their special time for reflection and joy. They cherish this quiet moment where thoughts are shared, feelings are expressed, and learnings are celebrated. For them, Sunday reflections are not just about looking back, but also about dreaming ahead. They love the warmth, the stories, and the sense of togetherness it brings, making it the most awaited part of their week.


देने का जज़्बा: इंसानियत की असली पहचान – Reena Devi

 

The more you give, the richer your soul becomes.

यही तो इंसानियत की असली पहचान है। इस दुनिया में सबसे कीमती चीज़ वही होती है जो बिना किसी स्वार्थ, बदले या उम्मीद के दी जाती है। जब हम किसी को कुछ देने का निर्णय लेते हैं—चाहे वह समय हो, प्रेम हो या मदद—तो उसके चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान उभरती है। और उस मुस्कान को देखकर जो सुकून हमें मिलता है, वह सुकून पैसे से कभी नहीं खरीदा जा सकता। देना सिर्फ पैसे तक सीमित नहीं होता, बल्कि किसी की समस्या का समाधान ढूंढ़ना या उसे सहारा देना भी एक बड़ा "देना" होता है।

Giving is not always about material things.

अगर हम किसी को उसकी तकलीफ़ के समय यह एहसास दिला दें कि "मैं तुम्हारे साथ हूं," तो उसकी आधी समस्या वहीं खत्म हो जाती है। जब कोई टूट रहा हो और हम उसका हाथ थाम लें, या जब किसी अनजान को एक अच्छा शब्द कह दें—तो ये सभी छोटे-छोटे कार्य भी बहुत बड़े दान बन जाते हैं। जो हमें अपना समय देता है, वही हमारे लिए सबसे मूल्यवान होता है। देने वाला कभी छोटा नहीं होता; उसका दिल बड़ा होता है। क्योंकि जो व्यक्ति देना जानता है, वही एक सच्चा इंसान होता है। इस भीड़ भरी दुनिया में, जहां कोई किसी के काम नहीं आता, वहाँ निष्काम सहायता ही सच्ची मानवता है।

स्कूल के लंच टाइम में अगर किसी के पास लंच नहीं है, तो हम उसे अपना लंच दे सकते हैं। अगर हमारे पास अतिरिक्त स्टेशनरी है, तो हम उसे ज़रूरतमंद साथी को दे सकते हैं। मदद के लिए सिर्फ पैसे की नहीं, बल्कि सोच और भावना की ज़रूरत होती है। अगर हम चाहें, तो किताब, पेन या सिर्फ साथ देकर भी किसी की मदद कर सकते हैं। हमें अपने अंदर देने का जज़्बा बनाए रखना चाहिए और अपने आसपास के बच्चों को भी यह सिखाना चाहिए कि सच्चा इंसान वही है जो बिना उम्मीद, बिना शर्त के कुछ दे सके।

When we give, we heal. When we give, we grow.

यही देने की भावना, यही जज़्बा, इस मतलबी दुनिया में हमें बेहतर और बड़ा इंसान बनाता है।जो व्यक्ति बिना मांगे देता है, वही भगवान का रूप होता है। किसी की मदद करने या कुछ देने के लिए अमीर होना ज़रूरी नहीं होता।जैसे एक माँ अपने बच्चों के लिए बिना थके दिन-रात काम करती है, या जैसे एक दोस्त मुश्किल समय में बिना कहे मदद के लिए आ जाता है—ये सभी निस्वार्थ देने के उदाहरण हैं।बिल गेट्स ने भी एक बार कहा था, "एक हद के बाद पैसा मेरे किसी काम का नहीं। मैं उसे एक संस्था को देकर दुनिया को बेहतर बनाना चाहता हूँ।"

देने का जज़्बा बदलाव की पहली सीढ़ी है।

सच्चा दाता वही होता है जो बिना अपेक्षा के, दिल से देता है।

यज्ञ, दान और तप—ये तीनों कर्म कभी नहीं छोड़ने चाहिए।
दान एक पूर्ण कर्म है, लेकिन सबसे सुंदर वही दान है जो बिना अहंकार और बिना अपेक्षा के दिया जाए। मेरे अपने जीवन में भी देने का बहुत गहरा जज़्बा है। मैंने अपने स्कूल टाइम में अपने विद्यार्थियों की बिना बोले मदद की—कभी स्टेशनरी देकर, तो कभी किताबें। जब मैंने उन्हें चुपचाप वह चीजें दीं, तो उनके चेहरे की मुस्कान मुझे एक अनकहा सुकून दे गई। किसी की मदद करनी है तो बिना बताए करनी चाहिए, और सबसे बड़ी बात—उसे कभी यह एहसास नहीं होना चाहिए कि मैंने उसकी मदद की।

Those who give freely, live fully.

Reena Devi, Principal Arthur Foot Academy

Friday, 18 July 2025

देने का जज़्बा: मानवता की सच्ची पहचान -- Lalita Pal

 

"The real richness is not in having much but in giving more."

"सच्चा धन अधिक पाने में नहीं, अधिक देने में है।"

देने का जज़्बा हर इंसान के भीतर होना चाहिए। यह न केवल मनुष्य को बड़ा बनाता है, बल्कि उसे महान भी बनाता है। बिना किसी स्वार्थ के किसी की मदद करना — चाहे समय देना हो, प्रेम हो या दान — यह एक सकारात्मक और प्रेरणादायक भावना है। देना केवल धन या वस्तुएं देना नहीं है; मुस्कान, सहानुभूति और सहयोग भी देना होता है। एक शिक्षक का ज्ञान देना, एक मां का स्नेह देना, एक दोस्त का दुख में साथ देना — सब देने के रूप हैं।

देने की भावना से समाज में प्रेम, भाईचारा और सहयोग बढ़ता है। यह हमें निस्वार्थ बनाती है और दूसरों के लिए कुछ करने की प्रेरणा देती है। यही भावना हमें देशभक्तों, डॉक्टरों, सैनिकों और समाजसेवकों में देखने को मिलती है, जो बिना किसी स्वार्थ के समाज की सेवा करते हैं। प्रकृति से भी हम यह भावना सीख सकते हैं — सूरज हमें रोशनी देता है, पेड़ फल और हवा देते हैं, नदियाँ जल देती हैं — वह भी बिना कुछ माँगे।

हर इंसान कुछ पाने की चाह रखता है, लेकिन असली सुख पाने में नहीं, देने में है। देने का जज़्बा किसी की ज़िंदगी बदल सकता है और यही सच्चा सुख देता है। कुछ लोग बहुत कुछ होने के बावजूद भी अभिमान में रहते हैं और मदद नहीं करते। ऐसे में वह बड़ा होना व्यर्थ हो जाता है। अगर हमारे पास साधन हैं और फिर भी हम किसी की मदद नहीं करते, तो वह अवसर खो देना हमारे मानव होने के उद्देश्य से दूर जाना है।

- Lalita Pal

Thursday, 17 July 2025

Guided to Grow: A Journey Through Mentorship and Meaningful Learning - Aayush Kumar Singh


Here’s what Manisha Khanna shared—check it out!
https://www.joyoflearningdiaries.com/2025/07/drive-force-behind-success-manisha.html

This is a truly inspiring reflection, and I’m Aayush Kumar Singh, Class 10 A, Sunbeam School Ballia, writing this after attending the session by Mrs. Manisha Khanna Ma’am!

It all starts with a simple yet profound thought: What truly makes a school good?

Manisha Ma’am’s journey beautifully illustrates that understanding isn’t just about getting answers handed to you—it's about the incredible process of figuring things out for yourself, especially when you have wonderful guides.

Finding Direction with Gentle Nudges

It’s clear how important Neetu Koranga Ma’am was in helping Manisha Ma’am find her initial direction. Instead of just giving answers, she offered “scaffolding”—a beautiful way to describe how a mentor enables you too to build your own understanding step by step. This really hits home: true guidance is about empowering someone to discover their own path, rather than simply telling them where to go. It’s like being given a compass and the confidence to use it, not just a pre-drawn map.

The Spark of a Dream

Then came Sandeep Dutt Sir, who helped Manisha Ma’am tap into her dream. It’s so inspiring to see how a mentor can spark something within you, not just by showing the way, but by truly walking alongside you. Giving Manisha Ma’am the freedom to correct, create, and eventually lead shows immense trust. And that trust is crucial for a dream to truly take root and flourish. It’s about being trusted to grow, to try, and even to stumble, knowing there’s support every step of the way.

Thank you and Jai Hind!


Aayush Kumar Singh
Sunbeam School, Ballia

"Break a Leg!” — And Then…Everyone Ran! - Manisha Khanna

It was a bright Monday morning, and the air in the classroom was buzzing with energy. A group of my students was gearing up for an inter-house competition. As a supportive mentor, I decided to cheer them on. I flashed my warmest smile, gave them a thumbs-up, and with great flair, said:

"Break a leg!"

And just like that…silence.
No smiles.
No "thank you ma'am."
No excitement.

Just…stunned faces.

Before I could say anything more, the group shuffled awkwardly, gave me a look of utter betrayal, and disappeared—like I had just cursed them with an ancient wizard’s hex.

I stood there, confused.

Did I say it wrong? Did my breath smell?
What just happened?

The next few days were even stranger. In the corridors, those very students would sprint in the opposite direction as if I were carrying a hammer in one hand and a broken bone in the other. I even heard a faint whisper from behind a classroom door:
"Yahi toh boli thi...pair tod do!"

My teacher brain went into overdrive. Did they think I meant it literally?

And then... came the reality check.

A concerned colleague casually dropped the bomb:
"Hey, I think you need to clear something up. The students are kind of…scared. They think you want them to actually break their legs."

Agast! 😳
My eyes widened.
My soul left my body for two seconds.
I imagined my name on the school noticeboard: “Mentor or Menace?”

Suddenly, my well-intentioned idiom of encouragement had become a horror story for innocent teenagers.

That evening, I gathered the class, took a deep breath, and with a slightly awkward laugh, clarified:
"Break a leg” doesn’t mean I want you to visit the hospital. It’s just a fancy English way of saying all the best!

The room burst into laughter. The tension lifted. One student even said, "Ma'am, we almost thought you joined the mafia!"

And just like that, I learned two important lessons:

  1. Idioms can be tricky, especially when taken literally.

  2. Never underestimate the power of clear communication, especially when dealing with Gen Z students who are fluent in emojis but not in Shakespearean sarcasm.

So next time, I’ll probably just say:
"Do your best!"
(And keep all bones intact.)

Manisha Khanna

😊 देने का ज़ज्बा 😊 — Swati

 

इस पाठ को पढ़कर मेरे मन में अनेक विचार जागे। हम अक्सर जीवन में सफलता, पैसा और आराम पाने की दौड़ में लगे रहते हैं, लेकिन इस पाठ से यह सीख मिलती है कि सच्ची सफलता तब है जब हम दूसरों को कुछ दे सकें। जब ईश्वर हमें मुकाम और समृद्धि प्रदान करते हैं, तो केवल अपनी ज़रूरतों को बढ़ाना और पूरा करना ही पर्याप्त नहीं होता; हमें दूसरों की ज़रूरतों को भी समझकर उन्हें पूरा करने का प्रयास करना चाहिए। साथ ही, देने की क्षमता को भी बढ़ाना चाहिए।

समाज में बहुत कम लोग हैं जो बिल गेट्स जी की तरह निस्वार्थ भाव से दूसरों की मदद करते हैं। उनका उदाहरण यह स्पष्ट करता है कि सच्ची अमीरी केवल पैसों से नहीं होती, बल्कि उस धन को ज़रूरतमंदों की सहायता में लगाने से होती है। उन्होंने न केवल दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति होने का सम्मान प्राप्त किया, बल्कि अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा दान में देकर यह सिखाया कि सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है।

देने का ज़ज्बा एक ऐसा भाव है जो इंसान को वास्तव में "बड़ा" बनाता है। मदद केवल पैसों से नहीं होती —
कभी-कभी किसी की बात को ध्यान से सुनना, उसे समझना और साथ देना भी बहुत बड़ी मदद होती है।

आज के समय में, यदि हम किसी को थोड़ा-सा समय भी दे दें और उससे उन्हें थोड़ी-सी भी खुशी मिले, तो वह भी एक अनमोल उपहार है।

मुझे लगता है कि देने के लिए अमीर होना जरूरी नहीं है, बल्कि देने के लिए बस एक ऐसा दिल चाहिए जो दूसरों का दर्द समझ सके।

जब हम बिना किसी स्वार्थ के किसी की मदद करते हैं, तो उस देने में एक अलग ही सुकून होता है — जैसे कोई दीपक, जो दूसरों को रोशनी देता है और खुद जलता रहता है।

मुझे याद है, जब मैंने किसी ज़रूरतमंद की मदद की थी — वह खुशी मेरे भीतर गहराई तक उतर गई थी। उस एक पल ने मुझे सिखाया कि देने से कुछ घटता नहीं, बल्कि हमारा मन एक गहरी आत्मिक संतुष्टि से भर जाता है।

देने का ज़ज्बा मतलब:

  • अपने स्वार्थ से ऊपर उठना,

  • किसी अनजान के लिए रुक जाना,

  • और अपनी सीमाओं को पार करके किसी और को उम्मीद देना।

And that is enough.

To give is enough.
To care is enough...
Swati



देने का जज़्बा - साक्षी खन्ना

 
A smile on someone's face is the real reward

देने का जज़्बा मानवता की सबसे सुंदर और शक्तिशाली भावनाओं में से एक है। यह वह भावना है, जो न केवल दूसरों के जीवन को संवारती है, बल्कि देने वाले के भीतर भी संतोष, करुणा और आंतरिक आनंद का संचार करती है। यह केवल वस्तुएँ देने की बात नहीं है, बल्कि समय, प्रेम, सहानुभूति और सहयोग देने की भावना है। जब हम किसी को बिना किसी अपेक्षा के कुछ देते हैं, तो न सिर्फ सामने वाला व्यक्ति खुश होता है, बल्कि हमारी आत्मा भी प्रसन्न होती है।

Giving never decreases, it multiplies.
A helping hand is never small.

सच्चा दाता वही होता है जो बिना दिखावे और बिना अहंकार के देता है। आज के समय में ऐसे लोगों की अत्यंत आवश्यकता है, जो निस्वार्थ होकर दूसरों के लिए कुछ करें। यह भावना एक बेहतर समाज और एक बेहतर दुनिया की नींव रखती है।

Giving without expectation is true charity.

देने वाला व्यक्ति केवल दूसरों की ज़रूरतें पूरी नहीं करता, बल्कि समाज में भरोसे, प्रेम और करुणा का बीज भी बोता है।
एक छोटी सी मदद किसी के जीवन में बड़ा बदलाव ला सकती है — चाहे वह किसी भूखे को भोजन देना हो या किसी अनजान को राह दिखाना। यदि हर व्यक्ति देने की भावना को अपनाए, तो समाज में अकेलापन कम हो सकता है।

When we give, we grow.
Giving is not just sharing things — it's connecting from the heart.

जब हम कुछ देते हैं — चाहे वह समय हो, मदद हो या एक मुस्कान — हम दूसरों की ज़िंदगी में रोशनी लाते हैं।
देने से हम खुद भी एक बेहतर इंसान बनते हैं। यह हमें सिखाता है कि दुनिया सिर्फ लेने से नहीं, बल्कि बांटने से खूबसूरत बनती है।एक छोटा सा अच्छा काम, किसी के लिए बहुत बड़ी खुशी बन सकता है।

  1. जो बिना मांगे दे, वही सच्चा दाता है। देने से दिल बड़ा होता है और दुनिया सुंदर।

  2. जब हम बांटते हैं, तो सिर्फ चीज़ें नहीं, प्यार भी फैलता है। देने से बढ़ती है इंसानियत।

  3. एक छोटी-सी मदद किसी के लिए पूरी दुनिया बन सकती है।

-साक्षी खन्ना

Monday, 14 July 2025

एक सपना, एक सोच – जो बने सबकी कोशिश - Arthur Foot Academy

 

How will we move ahead and make our school from good to great

The staff team at AFA shows the way by stating a clear vision and mission for the school. We ensure that every stakeholder is involved in the process, and we grow together.

मेरी कल्पना की आर्थर फुट एकेडमी

जब मैं अपनी आँखें बंद करती हूँ और कल्पना करती हूँ, तो मुझे भविष्य की आर्थर फुट एकेडमी एक ऐसे स्थान के रूप में दिखती है जहाँ हर बच्चा मुस्कान के साथ सीखने आता है। स्कूल का वातावरण शांत, सुरक्षित और प्रेरणादायक है। बच्चे आत्मविश्वास के साथ खुलकर बोलते हैं, सहयोग करते हैं और अपनी जिम्मेदारी समझते हैं। यहाँ शिक्षा के साथ-साथ संस्कार, नैतिकता और व्यावहारिक ज्ञान भी दिया जाता है। स्कूल में तकनीक और परंपरा का सुंदर मेल है — बच्चे स्मार्ट क्लास से भी सीखते हैं और पेड़ के नीचे बैठकर प्रकृति से भी।

समाज में आर्थर फुट एकेडमी की पहचान एक ऐसे स्कूल के रूप में होती है जहाँ से शिक्षा प्राप्त कर बच्चा न सिर्फ पढ़ा-लिखा होता है, बल्कि एक अच्छा इंसान भी बनता है। लोग कहते हैं – इस स्कूल में न सिर्फ रटा-रटाया ज्ञान, बल्कि जीवन जीने की कला सिखाई जाती है।

Vision

प्रश्न: हम अपने स्कूल के बच्चों का भविष्य कैसा बनाना चाहते हैं?
उत्तर: हम चाहते हैं कि आर्थर फुट एकेडमी के बच्चे आत्मनिर्भर, संवेदनशील और समाज के लिए उपयोगी नागरिक बनें। वे न केवल पढ़ाई में अच्छे हों, बल्कि नैतिक मूल्यों को भी समझें और अपनाएं।

Mission

प्रश्न: हम बच्चों को एक बेहतर समाज के लिए कैसे तैयार कर रहे हैं?
उत्तर: हम बच्चों को समूह कार्य, सामाजिक सेवा, नैतिक शिक्षा और संवाद कौशल सिखाकर उन्हें एक जिम्मेदार नागरिक बनने की दिशा में ले जा रहे हैं।

- साक्षी पाल 

हम अपने बच्चों के लिए कैसा भविष्य चाहते हैं?

हम अपने बच्चों के लिए एक सुरक्षित, सुखद और उज्ज्वल भविष्य चाहते हैं। हम चाहते हैं कि वे स्वतंत्र रूप से सोच सकें, अपने सपनों को पूरा कर सकें और अच्छे इंसान बनें।

हम चाहते हैं कि उन्हें अच्छी और नैतिक शिक्षा मिले जिससे उन्हें जीवन में सफलता मिले। न सिर्फ किताबी ज्ञान, बल्कि व्यावहारिक ज्ञान और जीवन मूल्यों की भी समझ हो।

स्वतंत्र सोच और आत्मनिर्भरता

हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे आत्मनिर्भर बनें, जो अपने भविष्य के फैसले स्वयं ले सकें और जीवन की समस्याओं का सामना खुद करें। वे संवेदनशील, दयालु और मददगार हों। हम उन्हें सच्चाई और ईमानदारी से जीवन जीना सिखाते हैं।
वे सभी के साथ मिल-जुलकर प्रेम से रहें और सभी का आदर करें।

हम चाहते हैं कि हमारे स्कूल के बच्चे खुशहाल, आत्मनिर्भर और समाज के लिए उपयोगी बनें।वे कल के नेता, वैज्ञानिक, शिक्षक, कलाकार और अच्छे इंसान बनकर देश-दुनिया में नाम रोशन करें।

हम बच्चों को एक बेहतर समाज के लिए कैसे तैयार कर रहे हैं?

हम जानते हैं कि हमारे देश और समाज का भविष्य हमारे बच्चों पर निर्भर करता है। इसलिए हम उन्हें सोच-समझकर और पूरी मेहनत से तैयार कर रहे हैं। हम उन्हें सिखा रहे हैं:

  • Honesty (ईमानदारी)

  • Respect (सम्मान)

  • Kindness (दयालुता)

  • Helping Nature (मदद करने की भावना)

हम सिर्फ किताबों की पढ़ाई ही नहीं कराते, बल्कि उन्हें नैतिक शिक्षा भी देते हैं ताकि वे सही और गलत में फर्क समझ सकें।
आज के डिजिटल युग में हम उन्हें सिखाते हैं कि वे मोबाइल, इंटरनेट और गैजेट्स का इस्तेमाल सिर्फ पढ़ाई और अच्छी चीजों के लिए करें, न कि गलत चीजों में उलझें।

Equality and Respect

हम उन्हें यह सिखाते हैं कि सभी इंसान बराबर हैं – चाहे वे किसी भी धर्म, जाति या आर्थिक स्थिति से हों। सभी का सम्मान करना चाहिए। उन्हें Unity in Diversity और Gender Equality की भी सीख दी जाती है।

Social Work and Community Service

हम बच्चों को दूसरों की मदद के लिए प्रोत्साहित करते हैं – जैसे बुजुर्गों की सहायता करना, गरीब बच्चों को पढ़ाना या समाज के लिए कुछ उपयोगी करना। इससे उनमें जिम्मेदारी की भावना आती है। हम बच्चों को केवल पढ़ा नहीं रहे, बल्कि उन्हें responsible citizen, good human being और socially aware व्यक्ति बना रहे हैं ताकि वे आने वाले समय में एक मजबूत, शांतिपूर्ण और बेहतर समाज बना सकें।

- स्वाति
मेरे सपनों का Arthur Foot Academy

हमारा Arthur Foot Academy ऐसा होना चाहिए जहाँ ईमानदारी और नैतिकता हर बच्चे में हो। स्कूल का माहौल ऐसा हो कि बच्चे दबाव में न होकर, उत्साह के साथ कहें – "कब सुबह हो और कब हम स्कूल जाएँ!"

पढ़ाई के साथ-साथ बच्चे खेल, गायन, नृत्य जैसे गतिविधियों में भी सबसे आगे हों। और जब वे स्कूल से बाहर निकलें तो लोग पूछें – "कहाँ से पढ़कर आए हो?"

हमारे बच्चे न केवल अपने स्कूल, बल्कि अपने गाँव और समाज का भी नाम रोशन करें।

Vision

प्रश्न: आपके सपनों का Arthur Foot Academy कैसा हो?
उत्तर: मैं चाहती हूँ कि Arthur Foot Academy ऐसा हो जहाँ बच्चे सिर्फ पढ़ाई ही नहीं, बल्कि अपने सपनों को साकार करने का स्थान समझें — एक ऐसा मंदिर या घर, जहाँ वे शिक्षा और संस्कारों के साथ अपने सपनों की उड़ान भर सकें।

Mission

प्रश्न: हमारे स्कूल में ऐसी कौन सी बातें हों जिन्हें हम सब मिलकर सिखाएँ?
उत्तर: मैं चाहती हूँ कि हम बच्चों को सिखाएँ:

  • सच बोलना

  • बड़ों का सम्मान करना

  • आत्मनिर्भर बनना

  • अपनी गलती स्वीकार करना

  • दूसरों की मदद करना

- ललिता पाल

आपको क्या लगता है कि पढ़ाई से बच्चों को सबसे बड़ा क्या लाभ मिलता है?

पढ़ाई से बच्चों को विषयों की गहरी समझ मिलती है, जिससे वे दुनिया को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं। अच्छी शिक्षा मिलने पर बच्चे समस्याओं का समाधान निकालना और निर्णय लेना सीखते हैं। जब बच्चे कुछ नया और अच्छा सीखते हैं, तो उनका आत्मविश्वास भी बढ़ता है। हमारे स्कूल में हर बच्चे को उसकी क्षमताओं के अनुसार सीखने और आगे बढ़ने का अवसर मिलता है।

हम अपने स्कूल के बच्चों का भविष्य कैसा बनाना चाहते हैं?

हम अपने स्कूल के बच्चों का भविष्य केवल उज्ज्वल ही नहीं, बल्कि मजबूत और उद्देश्यपूर्ण बनाना चाहते हैं।
हमारा लक्ष्य सिर्फ परीक्षा में अच्छे अंक दिलाना नहीं, बल्कि उन्हें अच्छा इंसान बनाना है। हम ऐसा भविष्य चाहते हैं जहाँ बच्चे आत्मनिर्भर हों, सोचने की क्षमता रखते हों, सवाल पूछ सकें और दूसरों के सवालों के उत्तर सोच-समझकर दे सकें।
शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं होनी चाहिए – हम चाहते हैं कि हमारे Arthur Foot Academy के बच्चे कला, खेल, विज्ञान और सामाजिक विषयों में भी अपनी रुचियाँ पहचानें और उन्हें निखारें। वे चुनौतियों से डरें नहीं, उनका साहसपूर्वक सामना करें। हमारा प्रयास रहेगा कि हम उन्हें ऐसा वातावरण दें, जहाँ वे सुरक्षित महसूस करें, अपनी बात खुलकर कह सकें और हर दिन कुछ नया सीखें। हमारा स्कूल उन्हें वो पंख देना चाहता है जिससे वे खुले आकाश में उड़ सकें।

साक्षी खन्ना

हम अपने स्कूल के बच्चों का भविष्य कैसा बनाना चाहते हैं?

हमें अपने विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा देनी चाहिए, ताकि वे अपने माता-पिता और स्कूल का नाम रोशन कर सकें।हम अपने स्कूल को उत्कृष्ट बनाने के लिए कई प्रयास कर सकते हैं — जैसे बेहतर पढ़ाई के लिए सुरक्षित और सहायक वातावरण तैयार करना, जहाँ बच्चे आत्मविश्वास के साथ सीखें और अपने सपनों को पूरा कर सकें। हम उन्हें इतना सक्षम बनाना चाहते हैं कि वे कोई भी परीक्षा सफलता से पास कर सकें। हमें बच्चों को अधिक से अधिक ज्ञान देना चाहिए ताकि उनका भविष्य सुरक्षित हो सके। हमें अपने विद्यार्थियों को अपनी राय खुलकर व्यक्त करने का अवसर देना चाहिए। उनका mind sharp बनाना चाहिए, ताकि जो कुछ भी वे पढ़ें, वह उन्हें समझ आए और याद रहे। हमें बच्चों को सिर्फ रटाना नहीं, समझना सिखाना चाहिए।

Education – शिक्षा क्या है?

शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं होती — यह जीवन को दिशा देने वाली शक्ति है। शिक्षा वह दीपक है जो न केवल व्यक्ति के भविष्य को उजाला देता है, बल्कि पूरे समाज को भी एक नई दिशा देता है।जहाँ शिक्षा नहीं है, वहाँ समाज में जागरूकता भी नहीं होगी। इसलिए शिक्षा को सर्वोपरि मानना चाहिए।

रूबल कौर

हम अपने स्कूल के बच्चों को कैसा भविष्य देना चाहते हैं?
हम बच्चों को ऐसा भविष्य देना चाहते हैं जो सुरक्षित हो और संभावनाओं से भरा हो। हम चाहते हैं कि वे न केवल पढ़ाई में, बल्कि खेल-कूद, कला और सोचने-समझने की क्षमता में भी आगे रहें। हम ऐसा वातावरण देना चाहते हैं जहाँ बच्चे अपने सपनों को पहचानें, खुलकर सोचें, सवाल करें और अपने रास्ते खुद खोजें। बिना किसी डर या दबाव के वे अपनी समस्याओं को हमारे साथ साझा करें, खुलकर जीवन जीएँ, और अपने स्कूल, समाज व देश का नाम रोशन करें। वे अपने देश के प्रति वफादार नागरिक बनें।

मेरे सपनों का Arthur Foot Academy

एक ऐसा स्थान जहाँ बच्चे खुशी-खुशी सीखने आएँ, डर नहीं बल्कि प्रेम और सहयोग का वातावरण हो।स्कूल की इमारत रंग-बिरंगी हो, पेड़-पौधों और सुंदर फूलों से सजी हो, खेल-कूद के लिए खुला मैदान हो और हर कोने में कुछ नया सीखने का अवसर हो। बच्चों को सिर्फ किताबों से नहीं, बल्कि खेल, कहानियाँ, कला, संगीत और प्रयोगों से भी सीखने का अवसर मिले।

सबसे ज़रूरी बात – बच्चों के प्रति सम्मान। 

हर बच्चे का सम्मान करें, और यह समझें कि उन्होंने हमें यह अवसर दिया है कि हम उनके भविष्य को गढ़ सकें — पूरी ईमानदारी और समर्पण के साथ।

- रीना देवी

आपके सपनों का Arthur Foot Academy कैसा होना चाहिए?

मैं चाहती हूँ कि मेरा सपना Arthur Foot Academy सबसे अच्छा स्कूल बने — ऐसा कि आस-पास के लोग कहें, “यह सचमुच एक बेहतरीन स्कूल है!”

हमारे स्कूल में ऐसी कौन-सी बातें हों जिन्हें हम मिलकर सिखा सकते हैं?

हम बच्चों को पढ़ना, लिखना और खेलना — सब कुछ मिलकर सिखाएँ, ताकि वे जल्दी आगे बढ़ सकें। हमें बच्चों को उनके समझने योग्य तरीके से पढ़ाना चाहिए — अलग-अलग तरीकों से सिखाना चाहिए, ताकि वे रुचि के साथ सीखें।हर बच्चे को पढ़ाई, लेखन और खेल के अलग-अलग तरीके आने चाहिए, जिससे वे पूर्ण रूप से विकसित हो सकें और अपने माता-पिता, स्कूल और शिक्षकों का नाम रोशन कर सकें।

- सिमरन कौर

Sunday, 13 July 2025

My Good School, first-ever Webinar

📚 Session Summary – Book Reading Webinar

Date: 13th July 2025
Platform: We moved from Zoom Meetings to Webinars
Occasion: Weekly Reading Session

Special Mention: Ms. Manisha Khanna has completed one year with My Good School. Congratulations on this achievement!

🎯 Meeting Purpose
  • Promote emotional literacy, giving mindset, and expression through reading and reflection.

  • Provide upcoming creative platforms to nurture student writing and publishing skills.

📘 Books Discussed

  1. The Inner Life of Animals
    Chapter: Something Special in the Air

    • Highlighted animals' emotional sensitivity and how they use droplets like perfume to express themselves.

  2. क्या आपका बच्चा दुनिया का सामना करने के लिए तैयार है?
    Chapter: देने का जज़्बा

    • Focused on the joy of giving—not only financially, but through acts of time, care, and compassion.

🗝️ Key Takeaways

  • Emotional Communication in Nature: Understanding that animals also feel and communicate in invisible but powerful ways.

  • Giving with Heart: Students related to the broader meaning of generosity and contribution.

  • Reflections Shared: Students participated by reading and discussing their blogs, despite initial technical challenges.

  • Gratitude and Confidence: The webinar format initially posed challenges, but students appreciated the opportunity to speak and be heard.

ℹ️ Information Shared with Students

  • The session was converted into a webinar due to attendance exceeding 100, as Zoom meetings have a participant limit.

  • Students were informed in advance to prepare accordingly.

✍️ Upcoming Opportunities 

  1. Story Writing Competition

  2. Publishing Course

    • Start Date: 9th August

    • Duration: 10 weeks

    • Schedule: Every Saturday, 11:00 AM – 12:30 PM

    • Mode: Zoom (link shared after registration)

    • If unable to register online, centre coordinators can share school-wise lists with names and ages of interested students.

⚠️ Things to Work On

  • Equip students for smooth webinar interaction.

  • Introduce more speaking opportunities in large groups.

  • Streamline future communication about technical and platform changes.

Reflections Since 2021