
साथियों के दबाव का समाधान:
- आत्मसम्मान और आत्मविश्वास का विकास करें।दृढ़ता का अभ्यास करें।सकारात्मक संबंधों के साथ-साथ सकारात्मक विचार भी बनाएं।
– सीमा (कक्षा 8)
साथियों के दबाव का समाधान:
– सीमा (कक्षा 8)
इस अध्याय में बताया गया है कि किस तरह जिज्ञासा और असफलता (failure) मिलकर सीखने की प्रक्रिया को गहरा और लंबे समय तक याद रखने योग्य बना देती है। जब हम किसी सवाल का उत्तर नहीं जानते और बाद में सही उत्तर पता चलता है, तो वह जानकारी हमारे दिमाग में ज़्यादा अच्छी तरह से बैठती है। वैज्ञानिकों ने मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को समझने के लिए ब्रेन स्कैनिंग (MRI) और व्यवहारिक प्रयोगों का उपयोग किया।
शोध से यह सिद्ध हुआ कि असफलता के बाद जिज्ञासा और सीखने की इच्छा मस्तिष्क को अधिक सक्रिय करती है। साथ ही, जब विद्यार्थी "सीखने के लक्ष्य" (Mastery Goals) अपनाते हैं — यानी गहराई से समझने की कोशिश करते हैं — तो उनका सीखना और प्रदर्शन दोनों बेहतर हो जाते हैं।
जिज्ञासा और मस्तिष्क का संबंध
- Manjula Sagar
आज के अध्याय में जिज्ञासु मस्तिष्क के बारे में चर्चा किया गया था जिसमें बताया गया कि जिज्ञासु मस्तिष्क एक महत्वपूर्ण कार्य है जो हमें नई चीज़ सीखने और समझने के लिए प्रेरित करते हैं। इस अध्याय में उदाहरण देकर बताया गया कि जिज्ञासु मस्तिष्क समस्याओं का समाधान ढूंढने के लिए प्रेरित करती है, विभिन्न विकल्पों के बारे में जानने और समझने में मदद करती हैं जिज्ञासा को बढ़ावा देने के लिए प्रश्न पूछना एक अच्छा तरीका है , हमारा मस्तिष्क सामान्य ज्ञान के प्रश्नों पर कैसे प्रतिक्रिया देता है, प्रतिक्षा के दौरान मस्तिष्क का कैसा व्यवहार होता है आदि बातें बताई गई।
- अशोक कुमार मौर्य
Notice: There will be no Brewing Knowledge Friday on the 1st of August and the Saturday Masterclass on 2nd August 2025, as we’re away for SGEF 2025. Please visit us at the Scoonews Global Edfest, find out more at www.globaledfest.com
10th August
2025
Book
Reading- The Inner Life of Animals
Book Reading- क्या आपका बच्चा दुनिया का सामना करने के लिए तैयार है?
17th August
2025
Book
Reading-
The Door-To-Door Bookstore
Book Reading- क्या आपका बच्चा दुनिया का सामना करने के लिए तैयार है?
24th August
2025
We aim to inspire young minds, helping them navigate their dreams and aspirations while embracing their goals.
The YES workshop with Shikha Agnihotri, founder of The Right Side Story
Brewing
Knowledge Fridays at 5.30
PM: Book Reading with Sandeep Dutt:
Saturday
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Failure - Design for and turn your failures into meaningful learning
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"नाम जपो, सेवा करो, मानवता की राह पर चलो"
Episode 19 को देखकर मुझे यह महसूस हुआ कि गुरु नानक देव जी सिर्फ एक धार्मिक गुरु नहीं थे, बल्कि वे मानवता, एकता और सच्चाई के प्रतीक थे। उन्होंने अपनी यात्राओं के माध्यम से न सिर्फ़ लोगों को ईश्वर के बारे में बताया, बल्कि समाज में फैले भेदभाव, अंधविश्वास और झूठे रिवाजों को भी चुनौती दी। इस एपिसोड में दिखाए गए ऐतिहासिक स्थल, जो आज पाकिस्तान में स्थित हैं, यह दर्शाते हैं कि भले ही समय बदल गया है, पर गुरु जी का संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है।
"ना कोई हिन्दू, ना कोई मुस्लिम" — इस विचार के द्वारा उन्होंने धर्मों के बीच की दीवारें तोड़ी और इंसानियत को सबसे ऊपर रखा।
यह एपिसोड हमें यह याद दिलाता है कि सच्चा धर्म वही है, जो प्रेम, सेवा और सच्चाई पर आधारित हो। गुरु जी ने सिखाया कि "ईश्वर मंदिर या मस्जिद में नहीं, बल्कि हर जीव में है।" आज की दुनिया में, जहाँ धर्म के नाम पर मतभेद और संघर्ष देखने को मिलते हैं, वहाँ गुरु नानक देव जी का Universal संदेश एक प्रकाशपुंज की तरह है।यह एपिसोड केवल इतिहास नहीं दिखाता, बल्कि आत्मा को भी छूता है। यह मात्र एक दृश्य यात्रा नहीं, बल्कि आत्मा की यात्रा थी।
"वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरु जी की फतेह!"
"जहां एक ओंकार की गूंज हो, वहां नफ़रत की कोई जगह नहीं होती!"
– साक्षी पाल
"अच्छा प्रभाव", अर्थात विनम्रता की छाप, एक ऐसा विषय है जो सीधे हमारे हृदय और व्यवहार से जुड़ा है। इस एपिसोड को सुनकर यह स्पष्ट हो गया कि गुरु नानक देव जी की यात्राएँ केवल शारीरिक नहीं थीं, बल्कि वे आत्मा की यात्रा और मानवता के मार्गदर्शन का प्रतीक थीं। गुरु नानक देव जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्चा बल दिखावे में नहीं, बल्कि विनम्रता में होता है। जब इंसान अपने ज्ञान, पद या सफलता के कारण अहंकार में डूब जाता है, तब वह दूसरों से दूर हो जाता है। लेकिन जो व्यक्ति विनम्र होता है, वह सभी के दिलों में स्थान बना लेता है।
अमरदीप सिंह जी ने जब गुरु नानक जी के व्यवहार और उनके सच्चे प्रेम को साझा किया, तब मुझे यह समझ आया कि आज के समय में भी विनम्रता कितनी आवश्यक है। विनम्रता कोई कमजोरी नहीं, बल्कि यह एक ऐसा गुण है जो व्यक्ति को भीतर से मजबूत बनाता है। यह हमें सुनना सिखाती है, समझना सिखाती है और दूसरों की भावनाओं का सम्मान करना सिखाती है।
"ईश्वर के सामने सब समान हैं — कोई ऊँचा-नीचा नहीं।"इंसान को अपने अहंकार को त्यागकर विनम्र होना चाहिए।
"सेवा भाव से जीना — दूसरों की सेवा करना बिना किसी घमंड के — यही सच्ची भक्ति है।"
गुरु नानक देव जी ने बार-बार कहा कि —
ईश्वर के निकट वही पहुँच सकता है, जो अपने अहंकार को त्याग देता है।
— साक्षी खन्ना
"He lit the flame of truth and grace, Guru Nanak showed the divine in every face."
यह एपिसोड गुरु नानक देव जी की यात्राओं के दौरान एक गहरे और प्रतीकात्मक अनुभव को दर्शाता है। यह न केवल ऐतिहासिक स्थलों को दिखाता है, बल्कि उन स्थलों में छिपे हुए आध्यात्मिक संदेशों को भी उजागर करता है।
गुरु नानक देव जी अपने उपदेशों में सदैव विनम्रता को प्राथमिकता देते थे। इस एपिसोड में दिखाया गया है कि कैसे उन्होंने कठोर और घमंडी लोगों को भी प्रेम और शांति के माध्यम से बदल दिया।
गुरु नानक जी ने संसार को यह बताया कि ईश्वर एक है और वह हर जीव में समाया हुआ है। उनके इस विचार ने धार्मिक भेदभाव को मिटाने का मार्ग दिखाया। उन्होंने अमीर–गरीब, ऊँच–नीच, स्त्री–पुरुष — सभी को समान माना। जब दुनिया जात-पात में उलझी हुई थी, तब गुरु नानक देव जी ने सबको एक ही प्रभु की संतान बताया।
इस एपिसोड को देखने के बाद मुझे यह महसूस हुआ कि गुरु नानक देव जी का जीवन और उनके संदेश आज की दुनिया में और भी अधिक प्रासंगिक हैं, जहाँ धर्म, भाषा और जाति के नाम पर भेदभाव बढ़ता जा रहा है।
गुरु नानक जी की विचारधारा हमें जोड़ने और प्रेम फैलाने की प्रेरणा देती है।
"नाम जपो, सच्चा पथ अपनाओ,
गुरु नानक जी की राह चलो, मोक्ष को पाओ।"
– ललिता पाल
"विनम्रता वह आईना है जिसमें आत्मा की असली खूबसूरती दिखाई देती है।"
"विनम्रता वह झरना है, जो नीचे बहता है, पर राह को जीवन देता है।"
असली प्रभाव वही होता है, जो दिल में उतर जाए — बिना शोर, बिना घमंड।
"झुके हुए पेड़ फल देते हैं, और झुका हुआ मन शांति देता है।"
— रीना देवी
गुरु नानक देव जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्चा नेतृत्व और महानता तभी संभव है जब हम अपने अहंकार को त्यागकर, दूसरों की बातों को समझें, उनका सम्मान करें और सभी के साथ आदरपूर्वक व्यवहार करें।
इस एपिसोड ने मेरे मन में एक विचार जगाया — अगर हम सभी अपने जीवन में थोड़ी-सी भी विनम्रता अपना लें, तो यह समाज और दुनिया एक सुंदर और शांतिपूर्ण स्थान बन सकती है।
यह एपिसोड केवल गुरु नानक देव जी के विचारों को जानने का माध्यम नहीं था, बल्कि उन्हें समझने और मनन करने का एक अवसर भी बना।
"विनम्रता एक सुगंध की तरह है, जो बिना दिखे हर दिल में जगह बना लेती है।"
— स्वाति
गुरु नानक देव जी की यात्राएं और उनका सार्वभौमिक संदेश
गुरु नानक देव जी ने मक्का की यात्रा की थी। उनके साथ उनके शिष्य भाई मर्दाना भी थे, जो मुस्लिम थे और मक्का जाना चाहते थे। मक्का में गुरु नानक देव जी एक आरामगाह में लेट गए, और उनके पैर काबा की दिशा में थे। एक हाजी जियॉन ने जब गुरु नानक जी को इस प्रकार लेटे हुए देखा, तो उसने विरोध किया और नाराज़गी ज़ाहिर की। गुरु नानक देव जी ने शांति से उत्तर दिया कि वे थके हुए हैं और उन्हें नहीं पता कि काबा किस दिशा में है। उन्होंने जियॉन से कहा, "मेरे पैर उस दिशा में कर दो, जहाँ काबा नहीं है।"
जब जियॉन ने उनके पैर दूसरी दिशा में घुमाए, तो यह देखकर चकित रह गया कि काबा भी उसी दिशा में घूम गया। तभी उसे बोध हुआ कि ईश्वर हर दिशा में है, हर ओर, हर स्थान पर व्याप्त है। मक्का की यह यात्रा सिख इतिहास में एक अत्यंत महत्वपूर्ण घटना है, जो गुरु नानक देव जी के सर्वधर्म समभाव, समानता, और ईश्वर की सर्वव्यापकता के संदेश को दर्शाती है। गुरु नानक देव जी ने अपनी पहली यात्रा के दौरान पटना का दौरा भी किया था। यह यात्रा 16वीं शताब्दी की शुरुआत में हुई, जब वे पूर्व दिशा की ओर यात्रा कर रहे थे। पटना में उन्होंने पश्चिम द्वार से प्रवेश किया।
गुरु नानक देव जी ने कई देशों और क्षेत्रों की यात्राएं कीं, जिनमें श्रीलंका भी शामिल था। उन्होंने वहां सिख धर्म और उसके मूल संदेशों का प्रचार किया। उनकी श्रीलंका यात्रा का वहां के लोगों पर गहरा प्रभाव पड़ा। कुछ इतिहासकारों के अनुसार, उन्होंने श्रीलंका के नागपट्टनम, जाफना, नयिनतिवु, त्रिंकोमाली, बट्टीकलोआ आदि स्थानों का दौरा किया। श्रीलंका यात्रा के दौरान राजा शिवनाथ से भी उनकी मुलाकात का उल्लेख मिलता है।
यह यात्रा गुरु नानक देव जी के जीवन और सिख धर्म के प्रसार में अत्यंत महत्वपूर्ण रही।
"God is one but He has innumerable forms. He is the creator of all and He Himself takes human form."
रूबल कौर
The children are thrilled to attend Sunday School. Each week, they look forward to the stories and lessons that spark their curiosity and joy. But what they love most is the time they spend in quiet reflection, thinking deeply about what they've learned and how it touches their lives.
This habit of introspection isn't just meaningful—it's powerful. It helps them understand themselves and the world around them. Reflection makes them more thoughtful, responsible, and aware. In fact, it shapes them into better students, not just of books, but of life.
जानवरों के लिए आराम का मतलब है कि वे अपने प्राकृतिक व्यवहार को स्वतंत्र रूप से व्यक्त कर सकें और अपने वातावरण में सहज महसूस करें। इसमें पर्याप्त भोजन और पानी, उपयुक्त तापमान, सुरक्षित आश्रय, बीमारियों या चोटों से मुक्ति, सामाजिक संपर्क, सुरक्षा की भावना और तनाव या डर से मुक्ति शामिल है।
एक ऐसा वातावरण, जहाँ वे स्वतंत्र रूप से घूम सकें, खेल सकें और अपनी प्राकृतिक आदतों को पूरा कर सकें, वास्तव में उनके लिए आरामदायक होता है।
इस एपिसोड से मुझे यह समझ में आया कि कभी भी किसी व्यक्ति के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए। सभी को एक समान मानना चाहिए।अब ज़रा गुरु के सिंहों के बारे में ध्यान से सुनिए — दस लाख सैनिकों से टक्कर लेने वाले, जो सूरमाओं की गिनती में आते हैं। चालीस की संख्या में चमकौर के युद्ध में वीरता से लड़ते हुए बलिदान देने वाले जोड़ी लड़ाके थे, जो अपने साथियों के साथ पाले गए थे।
छोटे साहिबजादे — बाबा ज़ोरावर सिंह और फतेह सिंह — अपनी दादी जी के साथ थे। रास्ते में उन्हें गंगू ब्राह्मण मिला, जो माताजी और बच्चों को अपने गांव खेड़ी ले आया। यह वही गंगू था जो पहले गुरुघर में सेवा करता था, रसोइया था और लंगर बनाता था। लेकिन वह भीतर से दगाबाज़ था। उसने रात को माताजी को दो मंजी (खाट) लाकर दी। माताजी ने कहा, "हमें एक मंजी की ही ज़रूरत है, क्योंकि मेरे पोते मुझसे कभी दूर नहीं सोते।"
रात होते-होते बच्चे अपनी दादी से कहने लगे, “अब माताजी, पिताजी और बड़े भाई हमें लेने आएंगे, तो हम उनके साथ नहीं जाएंगे।” बच्चे जानते थे कि वे बलिदान देने वाले परिवार से हैं, और उनका आत्मबल अपार था। उधर गंगू ब्राह्मण का असली चेहरा सामने आया — वह बेईमान हो गया। उसने रात को माताजी की सोने की थैली चुरा ली। वह यह भूल गया कि जिसकी थैली वह चुरा रहा है, वह वही बुज़ुर्ग माता है, जिसकी जवानी में उसके पति ने हमारे तिलक और जनेऊ की रक्षा के लिए दिल्ली के चांदनी चौक पर अपना सिर दे दिया था।
गंगू यह भी भूल गया कि हमारे हिंदू धर्म को बचाने के लिए गुरु तेग बहादुर जी ने अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया था। इस घटना से यह सीख मिलती है कि इस दुनिया में कोई भी व्यक्ति हो — चाहे हमारे गुरु हों या आमजन — हमें उनके उपकारों को कभी नहीं भूलना चाहिए। कभी भी किसी के साथ धोखा नहीं करना चाहिए, जैसा कि गंगू ब्राह्मण ने माता जी के साथ किया। गंगू ब्राह्मण को यह याद रखना चाहिए था कि जिन गुरुजी ने हमारा तिलक और जनेऊ बचाने के लिए अपना सिर दे दिया, उनके परिवार के साथ धोखा करना कितना बड़ा अधर्म है।
Sakshi Pal
Life lessons from Allegory: A Tapestry of Guru Nanak’s Travels - Amardeep Singh
The journey of Guru Nanak Dev Ji and Bhai Mardana highlights the various religious practices people followed to express their devotion. It also reflects the many challenges they faced in spreading the message of peace, unity, and equality in society. These stories continue to inspire us, showing how dedication, effort, and perseverance—no matter how small—can bring about great change, just like tiny drops of water together form an ocean.
Mayank Malani
देने का जज़्बा रखने वालों का हृदय उदार होना चाहिए।
उदार होना एक ऐसा गुण है जो किसी भी व्यक्ति में हो सकता है — फिर चाहे वह अमीर हो या गरीब। यह मायने नहीं रखता कि हमारे पास कितना धन है, बल्कि यह ज़रूरी है कि हमारे मन में दूसरों की किसी भी प्रकार से मदद करने की सच्ची इच्छा हो। अगर हमारे भीतर सहायता करने की लगन है, तो हम बिना अमीर हुए भी किसी की सहायता कर सकते हैं। उदार हृदय एक ऐसी भावना है, जो किसी की मदद करने की सच्ची इच्छा से उत्पन्न होती है। यह इस बात से तय नहीं होती कि किसी के पास कितना पैसा है।
"सफलता कभी अंतिम नहीं होती, असफलता कभी घातक नहीं होती।"
सफलता स्थायी नहीं होती और असफलता भी हमेशा नहीं रहती। जीवन में सबसे महत्वपूर्ण है — निरंतर प्रयास।
मैंने इस पाठ से यह सीखा है कि अगर कोई व्यक्ति किसी काम को करने में असमर्थ हो और उसे मदद की ज़रूरत हो, तो हमें उसकी मदद ज़रूर करनी चाहिए। दूसरों की सहायता करने से न केवल सामने वाले को राहत मिल ती है, बल्कि हमारे अपने मन को भी संतुष्टि और सच्ची खुशी मिलती है।मान लीजिए हमारे पास बहुत सारा पैसा है, और एक व्यक्ति हमारे पास आकर कहता है कि उसे अपने बच्चे के स्कूल में दाखिले के लिए पैसों की ज़रूरत है। ऐसे समय पर हमारे अंदर उसकी सहायता करने का साहस और जज़्बा होना चाहिए। अगर हमने उसे मदद कर दी, तो न सिर्फ वह बच्चा स्कूल जा सकेगा, बल्कि उसके माता-पिता को भी अपार खुशी मिलेगी।
हमारी एक छोटी सी सहायता एक बच्चे को शिक्षा पाने का अवसर दिला सकती है। वह बच्चा जब पढ़-लिखकर एक अच्छा इंसान बनता है, तो वह खुद, उसके माता-पिता और पूरा समाज उससे प्रेरित हो सकता है। कई बार किसी गरीब पिता को बेटे की फीस भरने के लिए उधार लेना पड़ता है। ऐसे में यदि कोई उसे मदद कर दे, तो वह बच्चा स्कूल में पढ़ सकता है। और यही बच्चा आगे चलकर जब सफल होता है, तो उसके माता-पिता को भी गर्व होता है।
इसलिए, हमें कभी भी दूसरों की मदद करने से पीछे नहीं हटना चाहिए। क्या पता हमारी एक छोटी-सी मदद किसी की जिंदगी बदल दे। दूसरों की मदद करना एक महान जज़्बा होता है। यह किसी बड़े दान या संपत्ति से नहीं, बल्कि दिल की भावना से जुड़ा होता है। किसी की छोटी-छोटी समस्याओं का समाधान करना या उनकी मदद करना एक सच्चे, अच्छे इंसान की पहचान है। इसलिए जब भी किसी को आपकी ज़रूरत हो, तो उसकी मदद ज़रूर करें। हमारी की हुई छोटी-सी सहायता किसी की जिंदगी को खुशनुमा बना सकती है।
सिमरन कौर, Arthur Foot Academy
यदि हम सब मिलकर थोड़ा-थोड़ा भी योगदान दें, तो समाज में बड़ा बदलाव आ सकता है। हम अपने आस-पास के लोगों की छोटी-छोटी ज़रूरतें देखकर भी मदद कर सकते हैं — किसी ग़रीब बच्चे को किताब देना, किसी बीमार को समय पर दवाई दिला देना, किसी अकेले बुज़ुर्ग से बात कर लेना — ये सब देने के ही रूप हैं। इस अध्याय ने मुझे भीतर तक झकझोर दिया। अब मैं हर दिन सोचती हूं — “आज मैंने किसी के लिए क्या किया?”
Sakshi Pal, Arthur Foot Academy
The more you give, the richer your soul becomes.
स्कूल के लंच टाइम में अगर किसी के पास लंच नहीं है, तो हम उसे अपना लंच दे सकते हैं। अगर हमारे पास अतिरिक्त स्टेशनरी है, तो हम उसे ज़रूरतमंद साथी को दे सकते हैं। मदद के लिए सिर्फ पैसे की नहीं, बल्कि सोच और भावना की ज़रूरत होती है। अगर हम चाहें, तो किताब, पेन या सिर्फ साथ देकर भी किसी की मदद कर सकते हैं। हमें अपने अंदर देने का जज़्बा बनाए रखना चाहिए और अपने आसपास के बच्चों को भी यह सिखाना चाहिए कि सच्चा इंसान वही है जो बिना उम्मीद, बिना शर्त के कुछ दे सके।
देने का जज़्बा बदलाव की पहली सीढ़ी है।
"सच्चा धन अधिक पाने में नहीं, अधिक देने में है।"
देने का जज़्बा हर इंसान के भीतर होना चाहिए। यह न केवल मनुष्य को बड़ा बनाता है, बल्कि उसे महान भी बनाता है। बिना किसी स्वार्थ के किसी की मदद करना — चाहे समय देना हो, प्रेम हो या दान — यह एक सकारात्मक और प्रेरणादायक भावना है। देना केवल धन या वस्तुएं देना नहीं है; मुस्कान, सहानुभूति और सहयोग भी देना होता है। एक शिक्षक का ज्ञान देना, एक मां का स्नेह देना, एक दोस्त का दुख में साथ देना — सब देने के रूप हैं।
देने की भावना से समाज में प्रेम, भाईचारा और सहयोग बढ़ता है। यह हमें निस्वार्थ बनाती है और दूसरों के लिए कुछ करने की प्रेरणा देती है। यही भावना हमें देशभक्तों, डॉक्टरों, सैनिकों और समाजसेवकों में देखने को मिलती है, जो बिना किसी स्वार्थ के समाज की सेवा करते हैं। प्रकृति से भी हम यह भावना सीख सकते हैं — सूरज हमें रोशनी देता है, पेड़ फल और हवा देते हैं, नदियाँ जल देती हैं — वह भी बिना कुछ माँगे।
हर इंसान कुछ पाने की चाह रखता है, लेकिन असली सुख पाने में नहीं, देने में है। देने का जज़्बा किसी की ज़िंदगी बदल सकता है और यही सच्चा सुख देता है। कुछ लोग बहुत कुछ होने के बावजूद भी अभिमान में रहते हैं और मदद नहीं करते। ऐसे में वह बड़ा होना व्यर्थ हो जाता है। अगर हमारे पास साधन हैं और फिर भी हम किसी की मदद नहीं करते, तो वह अवसर खो देना हमारे मानव होने के उद्देश्य से दूर जाना है।
- Lalita Pal
This is a truly inspiring reflection, and I’m Aayush Kumar Singh, Class 10 A, Sunbeam School Ballia, writing this after attending the session by Mrs. Manisha Khanna Ma’am!
Thank you and Jai Hind!
It was a bright Monday morning, and the air in the classroom was buzzing with energy. A group of my students was gearing up for an inter-house competition. As a supportive mentor, I decided to cheer them on. I flashed my warmest smile, gave them a thumbs-up, and with great flair, said:
"Break a leg!"
Just…stunned faces.
Before I could say anything more, the group shuffled awkwardly, gave me a look of utter betrayal, and disappeared—like I had just cursed them with an ancient wizard’s hex.
My teacher brain went into overdrive. Did they think I meant it literally?
And then... came the reality check.
Suddenly, my well-intentioned idiom of encouragement had become a horror story for innocent teenagers.
The room burst into laughter. The tension lifted. One student even said, "Ma'am, we almost thought you joined the mafia!"
And just like that, I learned two important lessons:
Idioms can be tricky, especially when taken literally.
Never underestimate the power of clear communication, especially when dealing with Gen Z students who are fluent in emojis but not in Shakespearean sarcasm.
Manisha Khanna
आज के समय में, यदि हम किसी को थोड़ा-सा समय भी दे दें और उससे उन्हें थोड़ी-सी भी खुशी मिले, तो वह भी एक अनमोल उपहार है।
देने का ज़ज्बा मतलब:
अपने स्वार्थ से ऊपर उठना,
किसी अनजान के लिए रुक जाना,
और अपनी सीमाओं को पार करके किसी और को उम्मीद देना।
सच्चा दाता वही होता है जो बिना दिखावे और बिना अहंकार के देता है। आज के समय में ऐसे लोगों की अत्यंत आवश्यकता है, जो निस्वार्थ होकर दूसरों के लिए कुछ करें। यह भावना एक बेहतर समाज और एक बेहतर दुनिया की नींव रखती है।
Giving without expectation is true charity.
जो बिना मांगे दे, वही सच्चा दाता है। देने से दिल बड़ा होता है और दुनिया सुंदर।
जब हम बांटते हैं, तो सिर्फ चीज़ें नहीं, प्यार भी फैलता है। देने से बढ़ती है इंसानियत।
एक छोटी-सी मदद किसी के लिए पूरी दुनिया बन सकती है।
The staff team at AFA shows the way by stating a clear vision and mission for the school. We ensure that every stakeholder is involved in the process, and we grow together.
Honesty (ईमानदारी)
Respect (सम्मान)
Kindness (दयालुता)
Helping Nature (मदद करने की भावना)
हम बच्चों को दूसरों की मदद के लिए प्रोत्साहित करते हैं – जैसे बुजुर्गों की सहायता करना, गरीब बच्चों को पढ़ाना या समाज के लिए कुछ उपयोगी करना। इससे उनमें जिम्मेदारी की भावना आती है। हम बच्चों को केवल पढ़ा नहीं रहे, बल्कि उन्हें responsible citizen, good human being और socially aware व्यक्ति बना रहे हैं ताकि वे आने वाले समय में एक मजबूत, शांतिपूर्ण और बेहतर समाज बना सकें।
सच बोलना
बड़ों का सम्मान करना
आत्मनिर्भर बनना
अपनी गलती स्वीकार करना
दूसरों की मदद करना
पढ़ाई से बच्चों को विषयों की गहरी समझ मिलती है, जिससे वे दुनिया को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं। अच्छी शिक्षा मिलने पर बच्चे समस्याओं का समाधान निकालना और निर्णय लेना सीखते हैं। जब बच्चे कुछ नया और अच्छा सीखते हैं, तो उनका आत्मविश्वास भी बढ़ता है। हमारे स्कूल में हर बच्चे को उसकी क्षमताओं के अनुसार सीखने और आगे बढ़ने का अवसर मिलता है।
हम अपने स्कूल के बच्चों का भविष्य केवल उज्ज्वल ही नहीं, बल्कि मजबूत और उद्देश्यपूर्ण बनाना चाहते हैं।
हमारा लक्ष्य सिर्फ परीक्षा में अच्छे अंक दिलाना नहीं, बल्कि उन्हें अच्छा इंसान बनाना है। हम ऐसा भविष्य चाहते हैं जहाँ बच्चे आत्मनिर्भर हों, सोचने की क्षमता रखते हों, सवाल पूछ सकें और दूसरों के सवालों के उत्तर सोच-समझकर दे सकें।
शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं होनी चाहिए – हम चाहते हैं कि हमारे Arthur Foot Academy के बच्चे कला, खेल, विज्ञान और सामाजिक विषयों में भी अपनी रुचियाँ पहचानें और उन्हें निखारें। वे चुनौतियों से डरें नहीं, उनका साहसपूर्वक सामना करें। हमारा प्रयास रहेगा कि हम उन्हें ऐसा वातावरण दें, जहाँ वे सुरक्षित महसूस करें, अपनी बात खुलकर कह सकें और हर दिन कुछ नया सीखें। हमारा स्कूल उन्हें वो पंख देना चाहता है जिससे वे खुले आकाश में उड़ सकें।
शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं होती — यह जीवन को दिशा देने वाली शक्ति है। शिक्षा वह दीपक है जो न केवल व्यक्ति के भविष्य को उजाला देता है, बल्कि पूरे समाज को भी एक नई दिशा देता है।जहाँ शिक्षा नहीं है, वहाँ समाज में जागरूकता भी नहीं होगी। इसलिए शिक्षा को सर्वोपरि मानना चाहिए।
एक ऐसा स्थान जहाँ बच्चे खुशी-खुशी सीखने आएँ, डर नहीं बल्कि प्रेम और सहयोग का वातावरण हो।स्कूल की इमारत रंग-बिरंगी हो, पेड़-पौधों और सुंदर फूलों से सजी हो, खेल-कूद के लिए खुला मैदान हो और हर कोने में कुछ नया सीखने का अवसर हो। बच्चों को सिर्फ किताबों से नहीं, बल्कि खेल, कहानियाँ, कला, संगीत और प्रयोगों से भी सीखने का अवसर मिले।
सबसे ज़रूरी बात – बच्चों के प्रति सम्मान।
हर बच्चे का सम्मान करें, और यह समझें कि उन्होंने हमें यह अवसर दिया है कि हम उनके भविष्य को गढ़ सकें — पूरी ईमानदारी और समर्पण के साथ।
मैं चाहती हूँ कि मेरा सपना Arthur Foot Academy सबसे अच्छा स्कूल बने — ऐसा कि आस-पास के लोग कहें, “यह सचमुच एक बेहतरीन स्कूल है!”
हम बच्चों को पढ़ना, लिखना और खेलना — सब कुछ मिलकर सिखाएँ, ताकि वे जल्दी आगे बढ़ सकें। हमें बच्चों को उनके समझने योग्य तरीके से पढ़ाना चाहिए — अलग-अलग तरीकों से सिखाना चाहिए, ताकि वे रुचि के साथ सीखें।हर बच्चे को पढ़ाई, लेखन और खेल के अलग-अलग तरीके आने चाहिए, जिससे वे पूर्ण रूप से विकसित हो सकें और अपने माता-पिता, स्कूल और शिक्षकों का नाम रोशन कर सकें।
Date: 13th July 2025
Platform: We moved from Zoom Meetings to Webinars
Occasion: Weekly Reading Session
Promote emotional literacy, giving mindset, and expression through reading and reflection.
Provide upcoming creative platforms to nurture student writing and publishing skills.
📘 Books Discussed
Highlighted animals' emotional sensitivity and how they use droplets like perfume to express themselves.
Focused on the joy of giving—not only financially, but through acts of time, care, and compassion.
Emotional Communication in Nature: Understanding that animals also feel and communicate in invisible but powerful ways.
Giving with Heart: Students related to the broader meaning of generosity and contribution.
Reflections Shared: Students participated by reading and discussing their blogs, despite initial technical challenges.
Gratitude and Confidence: The webinar format initially posed challenges, but students appreciated the opportunity to speak and be heard.
The session was converted into a webinar due to attendance exceeding 100, as Zoom meetings have a participant limit.
Students were informed in advance to prepare accordingly.
Story Writing Competition
Last Date for Submission: 19th July
Registration Required: https://dreamtimelearningcommunity.com/the-friendship-story-challenge/
Winners Announcement: On Friendship Day via the My Good School community website
Publishing Course
Start Date: 9th August
Duration: 10 weeks
Schedule: Every Saturday, 11:00 AM – 12:30 PM
Mode: Zoom (link shared after registration)
If unable to register online, centre coordinators can share school-wise lists with names and ages of interested students.
Equip students for smooth webinar interaction.
Introduce more speaking opportunities in large groups.
Streamline future communication about technical and platform changes.