Monday, 29 September 2025

GSA Calendar October 2025

Meet and Greet Session 
Dr Anupam Sibal
17th October 2025, 5:30 PM

My Good School
5th October
Amardeep Singh Screening of Episode 22
लिहाज़-ए-इंसानियत (मानवता का सम्मान) Allegory: A Tapestry of Guru Nanak's Travels 

12th October
Book Reading- The Door-To-Door Bookstore
Book Reading- दी व्हिसलिंग स्कूलबॉय और अन्य कहानियाँ

19th October 2025
We aim to inspire young minds, helping them navigate their dreams and aspirations while embracing their goals. The YES workshop on Communication with Kartik Bajoria
Book Readingदी व्हिसलिंग स्कूलबॉय और अन्य कहानियाँ 

26th  October 2025
Book Reading- The Door-To-Door Bookstore
Book ReadingThe Inner Life of Animals

The Teachers Academy
Brewing Knowledge 
Fridays at 5.30 PM: Book Reading with Neelashi Mangal
What Did You Ask At School Today: A Handbook Of Child Learning

Saturday Masterclass 
Webinar at 5:30 PM: Productive Failure - Design for and turn your failures into meaningful learning experiences, Co-hosted by Gurdeep Kaur and Sandeep Dutt

Learning Forward Saturday
Early Childhood Development training sessions for Teachers at 2.00 PM every Saturday- Hosted by Ms Neelashi Mangal

GSA Squad Meetings
At 5:30 PM every Monday on Zoom - GSA Coordinators, Volunteers and Mentors. #JoyOfGiving 
We review programs and plan for the coming week.

AFA Weekly Review
Zoom Meeting for Arthur Foot Academy: Every Friday at 4:00 PM in association with Asteya Services

Good Schools of India
Are you signed up for the Good Schools of India Weekly yet? Don't miss out on valuable insights—published every Monday at 7:00 AM! #JoyOfLearning 
Subscribe at: www.GSI.in

Sunbeam My Good School Retreat
27th October to 30th October at Sunbeam Gramin School, Karsana and Sunbeam Suncity Campus

Sunday, 28 September 2025

ईमानदारी – जीवन का स्थायी धन - Sakshi Pal

ईमानदारी केवल एक गुण नहीं, बल्कि जीवन जीने का सही मार्ग है। इस अध्याय ने मुझे यह गहराई से समझाया कि इंसान की असली पहचान उसके रूप-रंग, धन-दौलत या बाहरी उपलब्धियों से नहीं होती, बल्कि उसके सच्चे स्वभाव और ईमानदार आचरण से होती है।

अध्याय पढ़ते समय मैंने महसूस किया कि ईमानदारी हमें कभी आसान रास्ता नहीं देती, लेकिन यह हमेशा सही मंज़िल तक पहुँचाती है। कई बार झूठ बोलना या बेईमानी करना तुरंत लाभ देता है, पर उसका परिणाम अंततः दुखदायी होता है। इसके विपरीत, ईमानदार व्यक्ति कठिनाइयाँ झेल सकता है, लेकिन समाज में उसकी प्रतिष्ठा और आत्मसम्मान हमेशा ऊँचा रहता है।

यह अध्याय पढ़कर मेरे मन में यह विचार आया कि ईमानदारी केवल बड़े-बड़े कार्यों में ही नहीं, बल्कि हमारे छोटे-छोटे कामों में भी दिखाई देनी चाहिए। चाहे वह परीक्षा में नकल न करना हो, घर के कामों में सच्चाई से मदद करना हो, या दूसरों से व्यवहार करते समय पारदर्शिता रखना हो – हर जगह ईमानदारी हमारी सबसे बड़ी पूंजी है।

मेरे लिए सबसे प्रभावशाली बात यह रही कि ईमानदारी इंसान के भीतर आत्मविश्वास और सच्ची शांति लाती है। झूठ और छल से भले ही थोड़े समय के लिए सफलता मिल जाए, लेकिन मन का बोझ और डर हमें चैन से जीने नहीं देते। वहीं, ईमानदारी से भरा जीवन हमें न केवल समाज का विश्वास दिलाता है, बल्कि हमें अपने ही अंदर गर्व और संतोष का अनुभव कराता है।

इस संदर्भ में महात्मा गाँधी जी का जीवन और विचार हमारे लिए मार्गदर्शन हैं – उन्होंने सत्य और अहिंसा को जीवन का मूल सिद्धांत माना और बताया कि सत्य के लिए लगातार खड़ा होना ही सच्ची महानता है। इसी तरह अब्राहम लिंकन का प्रसिद्ध विचार “I am not bound to win, but I am bound to be true” हमें याद दिलाता है कि जीत से ज्यादा ज़रूरी है सच्चाई के साथ बने रहना।

यह अध्याय हमें सिखाता है कि एक ईमानदार व्यक्ति समाज में प्रेरणा का स्रोत बनता है। जैसे दीपक अंधकार को दूर करता है, वैसे ही ईमानदारी दूसरों के लिए मार्गदर्शन का कार्य करती है। यदि हर व्यक्ति अपने जीवन में ईमानदारी को अपनाए, तो समाज से अन्याय, भ्रष्टाचार और भेदभाव स्वतः ही कम हो जाएँगे।

अंत में, मैं यह कहना चाहूँगी कि ईमानदारी केवल पढ़ाई का विषय नहीं, बल्कि जीने की कला है। इस अध्याय और महापुरुषों के विचारों ने मेरे भीतर यह दृढ़ निश्चय पैदा किया है कि मैं हर परिस्थिति में ईमानदार बने रहने की कोशिश करूँगी, क्योंकि यही गुण इंसान को सच्चा और महान बनाता है।

"सत्य और ईमानदारी जीवन का स्थायी धन है; इन्हें अपनाकर ही हम खुद भी महान बनते हैं और समाज को बेहतर बनाते हैं।"

– Sakshi Pal
Arthur Foot Academy

ईमानदारी – जीवन का पहला अध्याय - Swati

"ज्ञान की पुस्तक में ईमानदारी पहला अध्याय है।" मुझे लगता है कि जीवन में ईमानदार होना केवल एक गुण नहीं, बल्कि हमारी पहचान है। यह हमें दूसरों के लिए प्रेरणा बनाता है और हमारे चरित्र की मजबूती दर्शाता है। इसलिए मैं ईमानदारी को अपने जीवन का आधार मानकर जीना चाहती हूँ।

आज के समय में, जब लोग छोटे फायदे के लिए झूठ या छल का सहारा लेते हैं, तब ईमानदारी का महत्व और भी बढ़ जाता है। ईमानदारी न केवल व्यक्तिगत जीवन में सफलता दिलाती है, बल्कि समाज में एक अच्छा और सकारात्मक वातावरण भी बनाती है।

ईमानदारी का अर्थ केवल सच बोलना नहीं है, बल्कि अपने कर्मों में भी सच्चाई बनाए रखना है। जब हम ईमानदारी के मार्ग पर चलते हैं, तो चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हों, हमें न डर लगता है न अपराधबोध।

ईमानदारी हमारे जीवन का एक अनमोल गुण है। यह वह नैतिक ताकत है जो हमें सच्चाई के रास्ते पर चलने की प्रेरणा देती है। ईमानदार व्यक्ति न केवल दूसरों का विश्वास जीतता है, बल्कि अपने आत्मसम्मान को भी बनाए रखता है।

ईमानदारी इंसान की सबसे बड़ी पूंजी है। यह हमें सिखाती है कि सही काम करने वाला इंसान कभी हारता नहीं, और ईमानदार व्यक्ति का सम्मान हर जगह होता है।

– Swati, Arthur Foot Academy

ईमानदारी – असली जीत का मार्ग - Sakshi Khanna


मानदारी केवल सच बोलने का नाम नहीं, बल्कि अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा से निभाना भी है। जीवन में कभी-कभी ऐसे मौके आते हैं जब झूठ आसान लगता है, लेकिन वही समय हमें परखता है।

ईमानदारी अपनाने से हमें संतोष मिलता है और लोग हम पर विश्वास करते हैं। यदि समाज का हर व्यक्ति ईमानदारी को अपनाए तो समाज और देश दोनों उन्नति की ओर बढ़ेंगे।

यदि हम ईमानदारी से जीते हैं तो हमें कभी डर नहीं लगता, क्योंकि अपने कर्मों को छुपाना नहीं पड़ता। ईमानदार व्यक्ति हमेशा आत्मविश्वासी होता है और समाज में उसका मान-सम्मान बढ़ता है। यह गुण हमें सच्चा इंसान बनाता है।

आज के समय में, जब धोखाधड़ी बढ़ रही है, तब ईमानदारी का महत्व और भी बढ़ गया है। यह हमें न केवल सफलता दिलाती है, बल्कि समाज में एक अच्छा और शांत वातावरण भी बनाती है।

कभी-कभी कठिन परिस्थितियों में ईमानदार रहना आसान नहीं लगता, लेकिन याद रखना चाहिए कि ईमानदारी हमें सही राह पर रखती है। यही हमें लंबे समय तक सफलता और विश्वास दिलाती है। असली जीत वही है जो ईमानदारी से जीती जाती है।

– Sakshi Khanna
Arthur Foot Academy

ईमानदारी – जीवन की असली पूंजी – Lalita Pal

ईमानदारी इंसान की सबसे बड़ी पूंजी होती है। अगर हमारा मन साफ है, तो हमें अपनी गलती स्वीकार करने में कोई परेशानी नहीं होती। ईमानदार व्यक्ति हमेशा सम्मान के पात्र होते हैं।

ईमानदारी का गुण हमें केवल सम्मान ही नहीं दिलाता, बल्कि हमें अंदर से सच्चा और निडर भी बनाता है। मैंने सीखा है कि ईमानदार व्यक्ति हर परिस्थिति में विश्वास का पात्र होता है। अस्थायी लाभ के लिए झूठ बोलना आसान लगता है, लेकिन उसका प्रभाव थोड़े समय तक ही रहता है। जबकि ईमानदारी से जीता हुआ विश्वास जीवन भर साथ देता है।

इस पाठ से मुझे समझ आया कि हमें हमेशा सच का साथ देना चाहिए और ईमानदारी से दुनिया को बदलने की कोशिश करनी चाहिए। जीवन में सबसे बड़ी पूंजी पैसा या पद नहीं, बल्कि सच्चाई और विश्वास हैं।

ईमानदारी वह आधार है जिस पर व्यक्ति और समाज का भविष्य खड़ा होता है। जब कोई व्यक्ति ईमानदार होता है, तो वह न केवल अपने लिए, बल्कि अपने परिवार, समाज और राष्ट्र के लिए भी प्रेरणा बन जाता है।

इस पाठ ने मुझे यह सोचने पर मजबूर किया कि ईमानदारी केवल सच बोलने तक सीमित नहीं है। यह हमारे हर व्यवहार और निर्णय में झलकती है। परीक्षा में नकल न करना, दूसरों के साथ न्याय करना, अपने विचारों को शुद्ध रखना और गलत कार्यों से बचना – ये सब ईमानदारी के छोटे-छोटे रूप हैं। यही छोटे कार्य मिलकर व्यक्ति को महान बनाते हैं।

मैंने महसूस किया कि ईमानदारी केवल दूसरों के प्रति कर्तव्य नहीं है, बल्कि यह हमारे भीतर आत्मविश्वास और आत्मसंतोष भी उत्पन्न करती है। झूठ बोलने वाला व्यक्ति हमेशा डर और संकोच में जीता है, जबकि ईमानदार व्यक्ति निडर और शांति पूर्ण जीवन जीता है।

इस पाठ ने मुझे यह भी सिखाया कि ईमानदारी केवल व्यक्तिगत गुण नहीं है, बल्कि यह सामाजिक परिवर्तन का माध्यम भी है। यदि हर व्यक्ति अपने जीवन में ईमानदारी को अपनाए तो समाज में अन्याय, भ्रष्टाचार और असमानता की जड़ें अपने आप कमजोर हो जाएँगी।

ईमानदारी हमें एक बेहतर नागरिक और एक बेहतर इंसान बनाती है। अंततः मैं यही कह सकती हूँ कि यह पाठ मेरे लिए केवल पढ़ाई का विषय नहीं रहा, बल्कि जीवन की दिशा दिखाने वाला दर्पण बना है। इसने मुझे प्रेरित किया है कि मैं हर परिस्थिति में सत्य और ईमानदारी का साथ दूँ। चाहे रास्ता कितना भी कठिन क्यों न हो, अंततः यही गुण हमें सच्चा सम्मान, आत्मसंतोष और वास्तविक सफलता दिलाते हैं।

– Lalita Pal
Arthur Foot Academy

ईमानदारी – जीवन का आभूषण और समाज की शक्ति - Reena Devi

ईमानदारी मनुष्य के जीवन का वह आभूषण है, जो न केवल व्यक्ति के व्यक्तित्व को निखारने में मदद करता है, बल्कि समाज और राष्ट्र को भी मजबूत बनाता है। ईमानदारी का अर्थ केवल सच बोलना नहीं है, बल्कि हर परिस्थिति में सत्य और नैतिकता का साथ देना है। यह जीवन जीने का ऐसा तरीका है, जो हमें भीतर से शांति और आत्मसम्मान प्रदान करता है।

ईमानदारी केवल व्यक्तिगत जीवन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे सामाजिक और व्यावसायिक जीवन का आधार है। यदि शिक्षक ईमानदार होगा तो आने वाली पीढ़ी सही दिशा पाएगी, यदि नेता ईमानदार होगा तो राष्ट्र प्रगति करेगा, और यदि विद्यार्थी ईमानदार होगा तो उसका भविष्य उज्ज्वल होगा। इसलिए कहा गया है कि ईमानदारी केवल एक गुण नहीं, बल्कि हमारे चरित्र का आईना है।

जीवन में ईमानदारी को अपनाना केवल एक विकल्प नहीं, बल्कि एक जिम्मेदार नागरिक की पहचान है। यह न केवल दूसरों की नजरों में हमें महान बनाती है, बल्कि हमारे आत्मसम्मान और आत्मसंतोष को भी बढ़ाती है। झूठ और बेईमानी से क्षणिक लाभ मिल सकता है, परंतु ईमानदारी से मिलने वाला संतोष और प्रतिष्ठा जीवनभर हमारे साथ रहती है।

इसलिए हमें हर परिस्थिति में सच बोलने, सही रास्ते पर चलने और अपने कर्मों में ईमानदार बने रहने का प्रयास करना चाहिए। यही हमारे जीवन को सार्थक और आदर्श बनाता है।

– Reena Devi
Arthur Foot Academy

ईमानदारी – जीवन की सबसे बड़ी विरासत - Simran


मैंने इस बात से सीखा है कि ईमानदारी इस संसार में एक ऐसी राह है, जो किसी भी व्यक्ति को वहाँ तक पहुँचा सकती है जहाँ कोई बेईमान मनुष्य नहीं पहुँच सकता। इसलिए, हर मनुष्य को ईमानदारी की राह पर चलना चाहिए।

ईमानदारी का एक उदाहरण मैंने अपने घर में देखा है। मेरे पिताजी हलवाई का काम करते हैं। एक बार हमारी दुकान पर एक बूढ़ा व्यक्ति मिठाई लेने आया। उसने ₹480 की मिठाई खरीदी और ₹1000 का नोट दिया। मेरे पिताजी ने उसे मिठाई देकर कहा कि अभी मेरे पास केवल ₹20 हैं, बाकी ₹500 आप शाम को आकर ले लेना। उस बूढ़े व्यक्ति ने कहा कि ठीक है, मैं शाम को आकर पैसे ले लूँगा।

मैं उस समय 16 वर्ष की थी और पिताजी की मदद करती थी। अगले दिन पिताजी ने मुझसे पूछा कि क्या वह बूढ़ा व्यक्ति ₹500 ले गया था? मैंने कहा – नहीं। तब पिताजी ने मुझसे ₹500 दिए और कहा कि मैं उसे उसके घर जाकर पैसे लौटा आऊँगा। मैंने पिताजी से पूछा कि वह व्यक्ति खुद आकर ले लेता, तो पिताजी ने कहा – "कोई बात नहीं, वह भूल गया होगा। किसी के पैसे रखने से हम राजा नहीं बन जाते।"

उस दिन के बाद से मैंने भी सीखा कि यदि कोई हमारी दुकान पर अपना सामान या पैसे भूल जाता था तो मैं भी तुरंत लौटा देती थी।

एक और उदाहरण मुझे याद आता है। साक्षी खन्ना अंकल हमारी दुकान से सामान लेते थे और महीने भर का हिसाब रखते थे। जब उनकी तनख्वाह मिलती, तो रात 10-11 बजे भी यदि पिताजी सो गए होते, तो वे उन्हें उठाकर कहते – "लाल जी, सामान का हिसाब जोड़ लो।" पिताजी हिसाब जोड़कर राशि बताते और वे तुरंत पैसे चुका देते।

इसी तरह मेरे दादाजी और उनके भाई भी दुकान चलाते थे। उस समय कई लोग अनाज या चावल देकर सामान खरीदते थे। एक बार चूहों ने दुकान की बोरी काटकर अनाज अपने बिल में जमा करना शुरू कर दिया। बोरी हल्की हो गई तो दादाजी के भाई को लगा कि दादाजी ने चोरी-छिपे अनाज बेच दिया है। उन्होंने गुस्से में दादाजी को मारा-पीटा, लेकिन दादाजी चुप रहे। बाद में, जब बोरी हटाकर देखा गया तो पता चला कि नीचे चूहों का बिल है और सारा अनाज वहीं जमा है। यह देखकर दादाजी का भाई शर्मिंदा हो गया और समझ गया कि उसका भाई कितना ईमानदार है।

इन सभी घटनाओं से मुझे यह सीख मिली कि ईमानदारी कभी छिपती नहीं। जैसे बेईमानी सामने आ जाती है, वैसे ही ईमानदारी भी अपने आप प्रकट हो जाती है। इसलिए जीवन में हमेशा ईमानदारी की राह पर चलना चाहिए, चाहे समय अच्छा हो या बुरा।

ईमानदारी सबसे बड़ी विरासत है। यह न केवल स्वयं के जीवन को आधार देती है, बल्कि दूसरों को भी सही राह दिखाती है। अच्छे कार्य अपने आप अभिव्यक्ति करते हैं, इसलिए हर इंसान को अच्छे काम करने चाहिए और ईमानदारी की राह पर ही चलना चाहिए।

Simran
Arthur Foot Academy

Thursday, 25 September 2025

ईमानदारी और सच्चाई – चरित्र की सच्ची पहचान - Sunbeam Gramin School

ईमानदारी का तात्पर्य सत्यनिष्ठा, निष्ठा, सम्मान और सच्चाई से होता है, जो किसी भी तरह से झूठ, चोरी या धोखे से इनकार करने का भाव है, जबकि सच्चाई से तात्पर्य किसी वस्तुनिष्ठ तथ्य या वास्तविकता के अनुरूप होना है, जो सटीक और सत्यापित हो। संक्षेप में, ईमानदारी एक चरित्र का गुण है, जो सच कहने और नैतिक मूल्यों का पालन करने से व्यक्त होता है, जबकि सच्चाई वह वस्तुनिष्ठ वास्तविकता है, जो सही है और जिसकी पुष्टि की जा सकती है।

ईमानदारी - ईमानदारी का अर्थ है सच बोलने वाला होना, किसी भी तरह से झूठ, चोरी या धोखे से इनकार करना।

नैंसी गिरी
कक्षा - 8

सच्चाई और ईमानदार व्यक्ति का चरित्र को मजबूत बनाता है। जब व्यक्ति सच बोलता है तो समाज में विश्वास और एकता का निर्माण होता है। ईमानदार लोग दूसरों के लिए प्रेरणा देते हैं। ईमानदारी एक नैतिक अवधारणा है। सामान्य रूप से इसका तात्पर्य सत्य से होता है, किन्तु विस्तृत रूप से ईमानदारी में मन, वचन तथा कर्म से प्रेम, अहिंसा, विश्वास जैसे गुणों के पालन पर बल देती है।

ईमानदारी एक ऐसा गुण है, जो लालच और बेईमानी से बचाती है। ईमानदारी हर एक मनुष्य में होना चाहिए। ईमानदारी से जो कार्य किए जाते हैं, वे अवश्य पूरे होते हैं। अनुशासन में रहना, सच बोलना और दूसरों की ईमानदारी से मदद करना चाहिए।

विशाखा यादव
कक्षा - 8

Honesty: A Timeless Value from the Good School Session- Sunbeam School, Ballia


Today's Reflection on Good School Session

Today's session was truly inspiring and encouraging. In our reading session with Manisha Ma’am and Jugjiv Sir, we explored the book “ईमानदारी” (Honesty) through the exemplary lives of Lal Bahadur Shastri, Abraham Lincoln, and others. We learned about the significance of honesty in a student’s life and how parents and teachers can instill this value in young minds.

One key takeaway that resonated with me was: “We should always be honest and follow the right path, regardless of what others think about us.” This lesson has left a lasting impact on me, and I am grateful for the opportunity to reflect on it.

Thank you to Manisha Ma’am and Jugjiv Sir for such a thought-provoking session.

Ifra Wahid, IX-F
Sunbeam School, Ballia


Jai Hind, dear readers

I am Aayush Kumar Singh, writing this reflection on the session taken by Manisha Khanna Ma’am.

In today’s session, Manisha Ma’am shared how people still carry deep faith and honesty. She told us how, during namaz, shopkeepers leave their shops open and go for prayer. Customers come, take what they need, and leave the money there before going.

This really touched me because it shows that even in today’s world, where we often hear about dishonesty and selfishness, there are still places and people where trust is alive. It is inspiring to see that values like honesty, responsibility, and respect are still being practiced today.

The session reminded me that trust is not just an old value but something we can live by even now. If we act truthfully and responsibly, we can also strengthen this culture of faith and honesty in our surroundings.

Aayush Kumar Singh, X-A
Sunbeam School, Ballia

सच बोलना और ईमानदारी - सुनीता त्रिपाठी

जब मैं "सच बोलना" और "ईमानदारी" पर सोचती हूं, तो मुझे लगता है कि दोनों एक जैसे लगते हैं, लेकिन वास्तव में इनमें अंतर है। सच बोलना केवल शब्दों में सत्य कहना है, जबकि ईमानदारी जीवन के हर पहलू में सच्चाई और निष्ठा रखने का नाम है।

कभी-कभी कोई व्यक्ति सच तो बोल देता है, लेकिन अपने कर्मों में ईमानदार नहीं होता। वहीं, ईमानदार व्यक्ति न केवल सच बोलता है, बल्कि अपने काम और व्यवहार में भी न्यायपूर्ण और सच्चा रहता है। मुझे लगता है कि सच बोलना आसान हो सकता है, लेकिन ईमानदारी निभाना कठिन है।

फिर भी, अगर हम ईमानदारी को अपने जीवन में अपनाते हैं, तो हमें विश्वास, सम्मान और आत्मिक शांति मिलती है। मेरे लिए ईमानदारी का मतलब है — अपने आप से और दूसरों से सच्चा रहना।

जीवन में कई बार ऐसे मौके आते हैं जब झूठ बोलकर फायदा उठाया जा सकता है, लेकिन वह लाभ स्थायी नहीं होता। ईमानदार रहना कभी-कभी कठिन लगता है, पर यही हमें भरोसेमंद बनाता है। मैं मानती हूं कि ईमानदारी हमें आत्मिक शांति देती है। जब हम सच और निष्ठा के साथ जीते हैं, तो हमें किसी डर या बोझ का सामना नहीं करना पड़ता। यही आंतरिक संतोष असली सफलता है।

सुनीता त्रिपाठी

The Beautiful Mess of Friendships- Maira Jalan

In this ever-evolving and changing world, Shikha Ma’am talked about the importance of real and genuine friendships and how they shape you into the person you are today. In a world where hustle culture has become really common, friends teach us how important it is to balance fun with productivity and make the most out of this precious little life.

You all must have heard the phrase, "Quality over Quantity," which is a major part of true friendships. Instead of boasting about having a hundred online friends, the importance of those two true friends who always have your back no matter what was clearly highlighted by Ma’am. They see through the flaws in you and still want to be a part of your life story.

Real friends would never leave you stranded, even if they themselves earn a scolding from the teacher (but at least we were together in this mess).

Agreed, friendships are messy, confusing, and sometimes a major headache, but I promise you, in the end, it’s all worth it. Friendships are the mess you never knew you needed in your life.

They will sometimes be the ones getting your focus back on the right path, but sometimes the ones deviating you. No matter what, they are never going to disrespect your choices. Of course, they are different individuals, so you can’t expect them to always agree with your opinion or make the same choices as you—but that’s what makes friendships such a big life lesson in negotiation and adjustment, full of fun, happiness, and, of course, fights along the way.

There is no right or wrong way of approaching friendships, but we all should know how to identify who our true friends are and who are…well…just acquaintances. Shikha Ma’am made this easier for us as well.

Today’s session was truly engaging and thought-provoking (especially because of those really difficult Q&As—but hey! I’m not complaining).

Name: Maira Jalan
Class: 8th C
School: Gyanshree School, Noida

Sunday, 21 September 2025

जंतुओं का आंतरिक जीवन - सनबीम ग्रामीण स्कूल

 जंतुओं के आंतरिक जीवन का अच्छे-बुरे के संदर्भ में अर्थ यह है कि जानवर वे व्यवहार करते हैं, जिन्हें अगर मनुष्य करें तो नैतिक रूप से गलत या बुरा माना जाएगा, जैसे प्रतिस्पर्धा या भोजन के लिए हत्या। लेकिन यह व्यवहार उनके लिए स्वाभाविक और विकासवादी रूप से अनुकूल होता है और उन्हें बुरा या गलत नहीं माना जाता। यह शब्द जंतुओं में नैतिकता की मानवीय अवधारणा को लागू करने की कोशिश करता है, जो उनके लिए प्राकृतिक और आवश्यक व्यवहारों पर लागू नहीं होता है।

नैन्सी मौर्या
कक्षा – 8

जंतुओं का आंतरिक जीवन उनकी भावनाओं (खुशी, दुःख, डर) और व्यवहार (शर्म, पश्चाताप, अनुशासन) से भरा होता है, जो उनके जीवित रहने और सामाजिक संबंधों को प्रभावित करता है। हालांकि उनमें मानवीय नैतिकता (सही–गलत) नहीं होती है, लेकिन वे अपने अनुभवों के आधार पर अच्छे या बुरे व्यवहार को सीखते और अपनाते हैं, जो उनके कल्याण पर निर्भर करता है।

धन्यवाद।
सीमा
कक्षा – 8

अच्छाई और बुराई - मनोज कुमार

 पशुओं में पाए जाने वाले निःस्वार्थ प्रेम, अपनी प्रजाति के प्रति सहिष्णुता और अपने बच्चों की सुरक्षा की प्रवृत्ति उनकी अच्छाई में शामिल होती है। जैसे, कई जानवर अपने झुंड में एक नैतिक आचार-संहिता का पालन करते हैं और बिना किसी पूर्वाग्रह के प्यार व आत्म-समर्पण प्रदर्शित करते हैं।

दूसरी ओर, शिकारियों से बचाव के लिए अपनी प्रवृत्ति का पालन करना, भोजन की तलाश करना और अपनी जरूरतों के लिए दूसरे जानवरों के साथ प्रतिस्पर्धा करना बुराई में शामिल हो सकता है।

निष्कर्ष – जंतुओं का आंतरिक जीवन उनकी शारीरिक और प्राकृतिक प्रवृत्तियों के इर्द-गिर्द घूमता है, जो हमें बुराई लग सकता है। जैसे शिकार करना या प्रतिस्पर्धा करना उनके अस्तित्व के लिए आवश्यक हो सकता है। दूसरी ओर, उनका निःस्वार्थ प्रेम और अपने बच्चों की रक्षा करना उनकी अच्छाई को दर्शाता है। यह समझना महत्वपूर्ण है कि उनके आंतरिक जीवन को मानवीय नैतिकता (सही या गलत) के मापदंडों पर नहीं मापा जा सकता।

धन्यवाद।
मनोज कुमार
सनबीम ग्रामीण स्कूल

Wednesday, 17 September 2025

गुरु नानक देव जी की यात्राएँ – सत्य, सेवा और मानवता का मार्ग - Sakshi Pal

इस एपिसोड से मुझे अनुभव हुआ कि गुरु नानक देव जी की यात्राएँ केवल धार्मिक यात्राएँ नहीं थीं, बल्कि वे मानवता को जोड़ने का एक महान प्रयास थीं। उन्होंने अलग-अलग स्थानों पर जाकर लोगों को सत्य, प्रेम, समानता और सेवा का संदेश दिया। "Allegory – The Tapestry of Guru Nanak Travels" हमें सिखाता है कि गुरु नानक देव जी का जीवन केवल सिख धर्म तक सीमित नहीं है, बल्कि यह संपूर्ण मानवता के लिए प्रेरणा है।

एपिसोड 21 के माध्यम से हमें यह समझने का अवसर मिलता है कि गुरु नानक जी ने हर जगह अपनी शिक्षाओं से समाज में नई सोच पैदा की। उनकी यात्राएँ हमें सिखाती हैं कि इंसान को जाति, धर्म और भाषा के भेदभाव से ऊपर उठकर जीवन जीना चाहिए।

मुझे लगता है कि इस प्रकार के कार्यक्रम हमें न केवल इतिहास और धर्म के बारे में ज्ञान देते हैं, बल्कि यह भी बताते हैं कि आज के समय में हम गुरु नानक जी की शिक्षाओं को अपने जीवन में कैसे अपनाएँ। उनकी शिक्षाएँ हमें सत्य बोलना, दूसरों की सेवा करना और ईश्वर पर विश्वास रखना सिखाती हैं।

इस कार्यक्रम को देखकर मेरे मन में यह भाव आया है कि हमें भी अपने जीवन में सरलता, सत्य और सेवा को महत्व देना चाहिए। अगर हम गुरु नानक देव जी के बताए हुए मार्ग पर चलें, तो समाज में शांति, प्रेम और भाईचारे का वातावरण बन सकता है।

Sakshi Pal
Arthur Foot Academy

गुरु नानक देव जी की यात्राएँ – सत्य, समानता और मानवता का संदेश- Lalita Pal

इस एपिसोड से यह समझ में आता है कि गुरु नानक जी ने कभी भी जाति या धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया। उन्होंने हमेशा लोगों को अच्छे कर्म करने और सभी के साथ प्रेम व भाईचारे से रहने की शिक्षा दी। उनकी यात्राएँ केवल साधारण यात्राएँ नहीं थीं, बल्कि वे लोगों तक ज्ञान और सत्य का प्रकाश पहुँचाने का एक माध्यम थीं।

कार्यक्रम देखने के बाद यह अनुभव हुआ कि हमें भी अपने जीवन में गुरु नानक जी की शिक्षाओं को अपनाना चाहिए, जैसे—

  • हमेशा सच बोलना

  • सबके साथ बराबरी का व्यवहार करना

  • ज़रूरतमंद की मदद करना

  • अपने मन को स्वच्छ और शांत रखना

गुरु नानक जी का संदेश आज भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना उस समय था। यह कार्यक्रम न सिर्फ़ जीवन के बारे में जानकारी देता है, बल्कि हमें यह भी सिखाता है कि हम किस तरह अपने जीवन को सरल, सच्चा और दूसरों के लिए उपयोगी बना सकते हैं।

कुल मिलाकर, यह एपिसोड मन को छू लेने वाला रहा। इससे हमें प्रेरणा मिलती है कि हम भी अपने जीवन को मानवता, समानता और सेवा की राह पर चलकर सार्थक बना सकें।

 Lalita Pal
Arthur Foot Academy

Allegory - The Tapestry of Guru Nanak’s Travels - Reena Devi

Allegory - The Tapestry of Guru Nanak’s Travels एक महत्वपूर्ण प्रेरणादायक कार्यक्रम है। इसका उद्देश्य गुरु नानक देव जी की यात्राओं और उनके संदेशों को गहराई से समझना है। यह कहानी हमें उनके मूल्यों और शिक्षाओं से जोड़ती है।

इस एपिसोड में मैंने सीखा कि कैसे गुरु नानक देव जी ने पूरी दुनिया को समानता, भाईचारे, ईमानदारी और सत्य के मार्ग पर चलने का संदेश दिया। उनकी यात्राएँ केवल धार्मिक नहीं थीं, बल्कि सामाजिक सुधार और मानवता के उत्थान के लिए थीं। जब हम इस तरह के एपिसोड देखते या सुनते हैं, तो हमें यह समझ में आता है कि उन्होंने किस तरह जात-पात, भेदभाव और अन्याय का विरोध किया और लोगों को ईश्वर की ओर प्रेरित किया।

श्री अमरदीप सिंह जी द्वारा प्रस्तुत यह एपिसोड हमें न केवल गुरु नानक देव जी की घटनाओं से अवगत कराता है, बल्कि उनके संदेशों को आज की दुनिया से जोड़ने का कार्य भी करता है। आज के समय में, जहाँ समाज में विभाजन और भेदभाव, स्वार्थ बढ़ रहा है, ऐसे में यह एपिसोड हमें और भी जागरूक करता है।

यह एपिसोड हमें सोचने पर मजबूर करता है कि हम अपने जीवन में गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं को कैसे उतारें — चाहे वह भेदभाव से दूर रहना हो, सादगी अपनाना हो या सत्य के मार्ग पर चलना हो। यह हमें संस्कृति से जोड़ता है और साथ ही यह संदेश देता है कि सच्ची धार्मिकता इंसानियत की सेवा है।

Reena Devi
Arthur Foot Academy

गुरु नानक देव जी की यात्राओं से जीवन के मूल्यों की सीख- Swati

"Allegory - The Tapestry of Guru Nanak Travels" को देखकर मेरे मन में यह विचार आता है कि यह केवल एक ऐतिहासिक कार्यक्रम नहीं है, बल्कि इसमें जीवन जीने का तरीका और सोचने का दृष्टिकोण छिपा है। गुरु नानक देव जी की यात्राएँ हमें सिखाती हैं कि इंसान को केवल अपनी सीमाओं में बंधकर नहीं रहना चाहिए, बल्कि पूरे समाज को अपने परिवार की तरह देखना चाहिए।

मुझे सबसे ज़्यादा यह बात प्रभावित करती है कि जहाँ भी गुरु नानक देव जी गए, उन्होंने हर धर्म, जाति और भाषा के लोगों से बातचीत की। वह यह दिखाना चाहते थे कि ईश्वर तक पहुँचने वाला रास्ता सबके लिए समान है। इसमें कोई ऊँच-नीच नहीं है। आज जब दुनिया में भेदभाव, घृणा और विभाजन की घटनाएँ देखने को मिलती हैं, तो गुरु नानक देव जी का संदेश और भी ज़्यादा प्रेरित करता है।

गुरु नानक देव जी की यात्राओं से मैंने यह महसूस किया है, इस एपिसोड के माध्यम से, कि असली यात्रा बाहर की नहीं, बल्कि अपने मन के भीतर की होती है। बाहर की यात्रा हमें सिर्फ़ दुनिया दिखाती है, लेकिन भीतर की यात्रा हमें अपने मन और आत्मा से जोड़ती है। गुरु नानक देव जी की यात्राएँ हमें सोचने पर मजबूर करती हैं और सिखाती हैं कि हम अपने जीवन में कितनी सादगी, प्रेम और करुणा ला पाते हैं।

गुरु नानक देव जी की यात्राओं को जानकर मैंने यह समझा है कि जीवन का असली उद्देश्य केवल सफलता और पैसे कमाना नहीं है, बल्कि असली उद्देश्य है—एक अच्छा और सच्चा इंसान बनना, दूसरों की सेवा करना और ईश्वर को हर जगह देखना।

Swati
Arthur Foot Academy

गुरु नानक देव जी की यात्राएँ – मानवता और आध्यात्मिकता का संदेश- Sakshi Khanna

गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन में बहुत सारी यात्राएँ कीं, जिनका उद्देश्य केवल भ्रमण करना नहीं था, बल्कि लोगों तक सच्चाई, ईमानदारी और समानता का संदेश पहुँचाना था। उनकी शिक्षाएँ समय और स्थान से परे हैं।

इस एपिसोड से मैंने सीखा है कि जीवन का असली मतलब दूसरों की सेवा करना, सादगी से जीना और ईश्वर से जुड़ना है। इस एपिसोड से यह भी पता चलता है कि गुरु नानक जी हर धर्म और जाति के लोगों से मिले और उनसे बातें कीं। उनका संदेश था कि इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है।

आज के समय में, जब हमें समाज में विभाजन और भेदभाव देखने को मिलता है, तब ऐसे में गुरु नानक जी की यात्राएँ हमें सिखाती हैं कि सच्ची राहें केवल प्रेम, शांति और एकता की हैं। इस एपिसोड का अनुभव यह सिखाता है कि गुरु नानक जी की यात्राएँ केवल बाहरी नहीं थीं, बल्कि वे आंतरिक आध्यात्मिक यात्राएँ भी थीं। यह हमें प्रेरणा देता है कि हम भी अपने मन में झाँकें और अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जाएँ।

कुल मिलाकर, यह एपिसोड हमें गुरु नानक देव जी के जीवन को करीब से दिखाता है और हमारे जीवन को मार्गदर्शन व प्रेरणा भी देता है। यह हमें याद दिलाता है कि अगर हम गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं को अपने जीवन में उतार लें, तो समाज में शांति, समानता और प्रेम अपने आप फैल जाएँगे।

Sakshi Khanna
Arthur Foot Academy 

Wednesday, 10 September 2025

An Enriching Session on Unity and Learning - Sunbeam School, Ballia

Today’s session was truly inspiring and informative. In the first session with Amardeep Sir, we learned about the teachings of Guru Nanak and gained insight into his travels across various regions, including Makkah, Madina, Iran, Iraq, Afghanistan, Pakistan, Tibet, and India, as he explored the true meaning of life and religion.

The second session was a fascinating discussion with Brinda Ma’am and Jugjiv Sir, where we read excerpts from The Inner Life of Animals. We delved into the world of animals, exploring their desires and emotions towards humans. The session was both encouraging and thought-provoking, and I thoroughly enjoyed it.

A heartfelt thank you to the organisers for an engaging and enriching experience.

– Ifra Wahid, IX F

In today’s session, we had the great personality, Mr. Amardeep Singh Sir with us. His best quality is that he does not believe in any kind of discrimination in religion. He told us about the Islamic religion and the story of Mecca and Madina. Then, he showed us a video about all religions in India. He also shared an important moral – the compassion of a mosque. Sir very patiently answered the questions of the students.

After some time, one more teacher, Mrs. Brinda Ghosh Ma’am, entered the class. She read a story titled The Inner Life of Animals and later asked us questions related to the story.

This session was truly one of the best sessions!

– Talat Bano
Class V C


गुरु नानक देव जी : एकता और समानता के प्रतीक - सनबीम ग्रामीण स्कूल

 

गुरु नानक देव जी और उनके बचपन के दोस्त भाई मरदाना जी। भाई मरदाना, जो गुरु नानक के बचपन के मित्र और पहले शिष्यों में से एक थे। भाई मरदाना सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी के पहले अनुयायी और जीवनभर के साथी थे। वे जन्म से मुस्लिम थे और संगीत के बहुत अच्छे जानकार थे। गुरु नानक देव जी के साथ उनकी लंबी यात्राओं में वे रबाब बजाकर गुरबानी (पवित्र भजन) गाते थे, जिससे उनके आध्यात्मिक संदेशों का प्रसार होता था। उन्हें रबाबी परंपरा का संस्थापक भी माना जाता है।

भाई मरदाना और गुरु नानक देव जी ने मक्का, मदीना, बगदाद, कराची, तिब्बत, कश्मीर, बंगाल, मणिपुर, श्रीलंका और दक्षिण भारत सहित कई देशों और उपमहाद्वीपों की आध्यात्मिक यात्राएँ कीं, जिन्हें 'उदासियाँ' कहा जाता है। इन यात्राओं में भाई मरदाना रबाब बजाते थे और गुरु नानक देव जी के साथ रहते थे।
नाम – शुभम पटेल

गुरु नानक देव जी को अखण्डता का प्रतीक माना जाता है क्योंकि उन्होंने अपने उपदेशों के माध्यम से समाज में एकता और समानता का संदेश फैलाया। आइए उनके कुछ प्रमुख योगदानों पर नज़र डालें:
एक ओंकार का संदेश: गुरु नानक देव जी ने "एक ओंकार" के माध्यम से यह संदेश दिया कि परमात्मा एक है और सभी मनुष्य उसके अंश हैं। इससे धार्मिक और सामाजिक भेदभाव से ऊपर उठकर लोगों में भाईचारा बढ़ा।
जाति-पाति और पाखंड का विरोध: गुरु नानक देव जी ने जाति-पाति और पाखंड का विरोध किया और सभी मनुष्यों की समानता पर जोर दिया।
लंगर के माध्यम से एकता: लंगर के माध्यम से गुरु नानक देव जी ने सभी को एक साथ भोजन करने के लिए प्रेरित किया, जिससे सामाजिक एकता को बढ़ावा मिला।
निस्वार्थ सेवा और करुणा: गुरु नानक देव जी ने निस्वार्थ सेवा और करुणा का उपदेश दिया, जिससे समाज में एकता और सौहार्द बढ़ा।

उनके इन उपदेशों से समाज को बेहतर बनाने की प्रेरणा मिली।
Name – Seema
Class – 8

गुरुनानक देव जी : मानवता और समानता के दूत - चंचल

गुरुनानक जी की जीवनी अमरदीप सिंह जी ने गुरुनानक देव जी की पूरी जीवनी के बारे में बताया और गुरुनानक जी कहाँ-कहाँ गए यह भी बताया। गुरुनानक जी मक्का मदीना से बगदाद और बाद में ईरान से भारत आए। यह यात्रा उनके धार्मिक और सामाजिक संदेशों को फैलाने का एक जरिया थी। ईश्वर की एकता, सभी मनुष्यों की समानता, ईमानदारी से मेहनत, मिल-बाँटकर खाना, ईश्वर के नाम का जाप करना है। गुरुनानक देव जी ने सिखाया कि एक ही ईश्वर है और वह सभी प्राणियों में मौजूद है। उन्होंने जाति-पाति और धर्म के आधार पर भेदभाव की निंदा की और सभी मनुष्यों की समानता पर जोर दिया।

गुरुनानक जी के विचार —
एक ईश्वर में विश्वास: ईश्वर एक है, वह सर्वत्र विद्यमान है और उसकी भक्ति से मन शांत होता है।
मेहनत और ईमानदारी: अपने हाथों से मेहनत करके और ईमानदारी से धन कमाना चाहिए।
परोपकार: अपनी मेहनत की कमाई से दूसरों की मदद करनी चाहिए।
समानता: स्त्री-पुरुष को बराबर मानना चाहिए और किसी का अनादर नहीं करना चाहिए।
अहंकार का त्याग: किसी भी प्रकार का अहंकार नहीं करना चाहिए, विनम्र भाव से जीवन जीना चाहिए।
आत्म-नियंत्रण: संसार को जीतने से पहले अपने विकारों पर विजय पाना अति आवश्यक है।
सादा जीवन: धन को हृदय में स्थान नहीं देना चाहिए, उसे लालच से दूर रखना चाहिए।
प्रेम और एकता: सभी मनुष्यों से प्रेम और एकता की भावना रखना चाहिए।
आत्मविश्वास: जिसे खुद पर भरोसा नहीं होता वह कभी कोई काम सही ढंग से नहीं कर सकता।

गुरुनानक देव जी ने कहा — "उसे महान समझो जो स्वयं को जानता है।"

चंचल 
सनबीम ग्रामीण स्कूल

Wednesday, 3 September 2025

Sunbeam Lahartara: Reading Our Minds Aloud

 

Educating with Empathy.pptx by Manisha Khanna

At our Sunday School, we immerse ourselves in a vibrant environment where every story and activity teaches us valuable lessons and resonates with our hearts. If we could share our thoughts, you would see how deeply we cherish each moment spent together.

During the Youth Engaging Society Workshop with Shikha Ma’am, we discovered the importance of empathy. We learned to listen to others patiently and to understand feelings beyond our own. We practised kindness, not only through our words but also through simple acts that can brighten someone's day. We also realized the value of determination—when challenges arise, courage and persistence guide us toward success.

Our Sunday School experience was more than a class; it was a gentle reminder that values shape who we are. We carry these lessons forward, proud to be Sunbeamians who believe in touching lives with empathy, spreading kindness, and facing every challenge with determination.

Tuesday, 2 September 2025

Learning Empathy and Kindness - Sunbeam School Ballia

My Good School 31st August 2025

Our first session with Shikha ma'am was particularly enlightening, as we explored the differences between empathy, sympathy, and kindness. We learned how these acts can profoundly impact not only our own happiness, but also that of our friends and surroundings. We also gained valuable insights into practising empathy in various situations.

The second session with Jugjiv sir was a delightful book-reading experience. The Door-to-Door Bookstore by Carsten Henn highlighted the immense value of friendship through the story of Carl, a bookseller.

Today's session was incredibly encouraging and helpful in my journey to develop essential skills, be empathetic, and practice kindness.

Ifra Wahid
Class IX

Today, we had Ms. Shikha ma'am with us, and we learnt about kindness, friendship, and empathy. I understood how we can help our friends in every situation—whether they are facing a problem or not, and whether they are in a good mood or not. I felt thrilled because Ma'am helped me answer my question and also gave me a chance to speak. Today's session was very interactive and genuinely one of the best sessions I've ever had.

Talat Bano 
Class V-C

In today's session, I learnt that kindness is when we do something good for others, but empathy is when we actually feel what they feel. Kindness is like giving a hand, and empathy is like walking beside someone so they don't feel alone. When both come together, even small actions can make a big difference. A simple act, such as listening to a friend or standing with someone who feels hurt, can give them the courage they need.

Today, I understood that kindness is the action, but empathy is the heart inside it. If we practice both, we not only make one person's day better, but also make this world a softer and kinder place to live in.

Astha Mishra 
Class IX-D

It was one of the most fruitful sessions I have ever attended. It was taken by Ms. Shikha Agnihotri and focused on how children's emotions affect their lives. She has conducted multiple analyses of child psychology, and her explanation of kindness and empathy made it clear how we should practice these values in our daily lives.

We asked many questions, and Shikha ma'am answered them patiently, ensuring that she conveyed the essence of kindness and empathy to us. In the middle of the session, we even discussed coping with bullying, which made the discussion even more impactful.

Janvi Singh 
Class IX-F

दयालुता और सहानुभूति: जीवन की असली शक्ति - सनबीम ग्रामीण स्कूल

दयालुता का अर्थ है दूसरों के प्रति मित्रवत, उदार और विचारशील होने का गुण या भाव, जबकि सहानुभूति का अर्थ है दूसरों की भावनाओं को समझना और उन्हें साझा करने की क्षमता। सीधे शब्दों में कहे तो दयालुता एक बाहरी व्यवहार है जबकि सहानुभूति एक आंतरिक भावना और समझ है जो दयालुता को जन्म देती है। 
दयालुता:- यह एक ऐसा गुण है जो दूसरों के साथ व्यवहार करते समय गर्म जोशी, उदारता और विचारशीलता दर्शाता है।  आप दूसरों की भावनाओं या परिस्थितियों की समझ के बिना भी दयालु हो सकते हैं। 
नाम - नैंसी मौर्या 
कक्षा - 8

 "दया और सहानुभूति ही असली महाशक्ति है" एक विचार है जो मानता है कि दूसरों के प्रति दयालु होना और उनके अनुभवों से जुड़ना एक शक्तिशाली गुण है। यह गुण लोगों को गहराई से समझना, मजबूत रिश्ते बनाने और विश्वास व सहयोग को बढ़ावा देने में मदद करता है। सहानुभूति से प्रेरित व्यवहार एक सकारात्मक वातावरण बनता है जिससे व्यक्ति और समाज दोनों के लिए अधिक समय तक सफलता मिलती है। दयालुता और सहानुभूति वास्तव में शक्तिशाली भावनाएं हैं जो मनुष्य के भीतर से उत्पन्न होती हैं जो व्यक्तियों को सशक्त बनाती हैं ,और अधिक करुणामय और जुड़ा हुआ समाज बनती हैं। 
नाम -सीमा 
कक्षा -8

Monday, 1 September 2025

GSA Calendar September 2025


My Good School

 7th September

Amardeep Singh Screening of Episode 21
Wahdat-al-Wajud (Unity of Existence) Allegory: A Tapestry of Guru Nanak's Travels 
Book Reading- The Inner Life of Animals

14th September
Book Reading- The Door-To-Door Bookstore
Book Reading- The Inner Life of Animals

21st September 2025

We aim to inspire young minds, helping them navigate their dreams and aspirations while embracing their goals.
The YES workshop with Shikha Agnihotri from Right Side Story
Book Reading- क्या आपका बच्चा दुनिया का सामना करने के लिए तैयार है?

28th  September 2025

Book Reading- The Door-To-Door Bookstore
Book Readingक्या आपका बच्चा दुनिया का सामना करने के लिए तैयार है

The Teachers Academy

Brewing Knowledge Fridays at 5.30 PM: Book Reading with Neelashi Mangal and Sandeep Dutt:

  • What Did You Ask At School Today: A Handbook Of Child Learning; and 
  • The Book of Rumi: 105 Stories And Fables That Illumine Delight And Inform

Saturday Masterclass Webinar at 5:30 PMProductive Failure - Design for and turn your failures into meaningful learning experiences, Cohosted by Gurdeep Kaur and Sandeep Dutt

Learning Forward Saturday

Early Childhood Development training sessions for Teachers at 2.00 PM every Saturday- Hosted by Ms Neelashi Mangal

GSA Squad Meetings

At 5:30 PM every Monday on Zoom - GSA Coordinators, Volunteers and Mentors. #JoyOfGiving We review programs and plan for the coming week.

AFA Weekly Review

Zoom Meeting for Arthur Foot Academy: Every Friday at 4:00 PM in association with Asteya Services

Good Schools of India

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