Sunday, 31 August 2025

फलता का असली सूत्र - Swati Tripathi

"Having a goal and understanding the situation are not enough"

“लक्ष्य होना और स्थिति को समझना”— ये दोनों चीज़ें ज़रूरी तो हैं, लेकिन अकेले पर्याप्त नहीं हैं। मान लीजिए आपके पास एक लक्ष्य है और आप परिस्थिति को अच्छे से समझ भी रहे हैं, फिर भी अगर: योजना (planning) नहीं है,लगातार प्रयास (consistent action) नहीं है, अनुशासन और धैर्य (discipline & patience) नहीं है, तो केवल लक्ष्य और समझ आपको मंज़िल तक नहीं पहुँचाएँगे।

उदाहरण: क्रिकेट खिलाड़ी को पता है कि मैच जीतना है (goal) और पिच की हालत भी समझ में आ गई (situation), लेकिन अगर उसने प्रैक्टिस नहीं की, सही रणनीति नहीं बनाई और मेहनत नहीं की, तो जीतना मुश्किल हो जाएगा।

यानी असली सफलता के लिए लक्ष्य + स्थिति की समझ + योजना + मेहनत + निरंतरता। इसके अलावा कई ऐसी बाते है जो हमे होने लक्ष्यों को प्राप्त करने मव मदद करती है जैसे-

Action plan + Self assessment + flexibility + efforts  इन सब बातो से हम प्रभावी ढंग से कार्य कर सकते है।

Swati Tripathi 
Sunbeam Gramin School

लक्ष्य: जीवन की दिशा और सफलता की कुंजी - साक्षी खन्ना

जीवन में लक्ष्य होना बहुत आवश्यक है, क्योंकि बिना लक्ष्य का जीवन अधूरा और दिशाहीन हो जाता है। लक्ष्य वह दीपक है, जो अंधेरे रास्ते में भी हमें सही दिशा दिखाता है। यदि इंसान के पास लक्ष्य न हो तो उसकी मेहनत और प्रतिभा बेकार हो सकती है, क्योंकि उसे पता ही नहीं होगा कि उसे किस ओर बढ़ना है। लक्ष्य हमें मेहनती, अनुशासित और आत्मविश्वासी बनाता है। जब हम एक निश्चित उद्देश्य तय करते हैं, तो हमारी पूरी ऊर्जा उसी दिशा में लगती है। रास्ते में चाहे कितनी भी कठिनाइयां आएं, लक्ष्य की प्रेरणा हमें हार मानने से रोकती है।

जीवन का लक्ष्य केवल अपने लिए सफलता या धन कमाना ही नहीं होना चाहिए, बल्कि ऐसा होना चाहिए जिससे समाज, परिवार और देश का भी भला हो। सही लक्ष्य वही है जो हमें संतोष और दूसरों को खुशी दे। हर व्यक्ति के जीवन में लक्ष्य होना चाहिए, क्योंकि यही लक्ष्य हमारी मेहनत को सार्थक बनाता है और जीवन को अर्थपूर्ण दिशा देता है। लक्ष्य हमें यह एहसास दिलाता है कि हम कौन हैं और हमें क्या बनना है। यह हमारी क्षमताओं को पहचानने और उन्हें सही दिशा देने का साधन है। बिना लक्ष्य के हम चाहे कितनी ही ऊर्जा लगाएं, परिणाम अधूरे और बिखरे हुए ही मिलेंगे। जैसे कोई तीर बिना निशाने के छोड़ा जाए, वह कभी लक्ष्य पर नहीं लगेगा।

लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए संघर्ष अनिवार्य है। यदि सब सरल हो तो उसकी प्राप्ति का महत्व भी कम हो जाता है। संघर्ष ही हमें मेहनती, धैर्यवान और आत्मविश्वासी बनाता है। ठोकर हमें गिराने के लिए नहीं, बल्कि संभालना सिखाने के लिए होती है। हर असफलता यह बताती है कि हमने कहां कमी की और अगली बार कैसे और बेहतर किया जा सकता है।

लक्ष्य केवल सपनों से पूरे नहीं होते। उन्हें पाने के लिए कड़ी मेहनत और निरंतर अभ्यास की आवश्यकता होती है। अनुशासन वह कुंजी है, जो हर बंद दरवाजे को खोल सकती है। यदि हम समय का सम्मान करेंगे और निरंतरता बनाए रखेंगे, तो बड़ी से बड़ी मंज़िल भी सुलभ हो जाएगी।

साक्षी खन्ना, Arthur Foot Academy

लक्ष्यहीन जीवन अंधेरी राह जैसा है, और लक्ष्ययुक्त जीवन उजाले की तरह - Sakshi Pal

हमारे जीवन में लक्ष्य (Aim) का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। बिना लक्ष्य का जीवन ऐसे है जैसे नाव बिना पतवार के – न कोई दिशा होती है और न कोई गंतव्य। इस पाठ से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में हमेशा एक निश्चित लक्ष्य तय करना चाहिए और उसके प्रति पूरी निष्ठा, परिश्रम और धैर्य के साथ आगे बढ़ना चाहिए।

लक्ष्य हमें प्रेरणा देता है, कठिनाइयों से लड़ने की शक्ति देता है और हमें सही दिशा में आगे बढ़ने का साहस प्रदान करता है। छोटे-छोटे लक्ष्य बनाकर उन्हें प्राप्त करना हमें आत्मविश्वास देता है और हमें बड़े सपनों की ओर ले जाता है। लक्ष्य हमें अनुशासनप्रिय बनाता है। जब हम जानते हैं कि हमें कहां पहुंचना है, तब हमारी ऊर्जा, हमारी सोच और हमारा हर प्रयास उसी दिशा में लगने लगता है। इस प्रक्रिया में कई बार कठिनाइयां आती हैं, लेकिन वही कठिनाइयां हमें मज़बूत और अनुभवी बनाती हैं।

इतिहास गवाह है कि जिन्होंने अपने जीवन में महान लक्ष्य तय किए, उन्होंने ही समाज और राष्ट्र को नई दिशा दी। महात्मा गांधी, स्वामी विवेकानंद, डॉ० ए. पी. जे. अब्दुल कलाम जैसे व्यक्तित्व हमें बताते हैं कि बड़ा लक्ष्य केवल सपना नहीं होता, बल्कि वह कठोर मेहनत और निरंतर प्रयास से वास्तविकता में बदला जा सकता है।

इस पाठ से मैंने सीखा कि लक्ष्य निर्धारित करना ही पर्याप्त नहीं, बल्कि उसके लिए कठोर मेहनत, अनुशासन और आत्मविश्वास भी ज़रूरी है। बाधाएं आएंगी, असफलताएं मिलेंगी, परंतु यदि मन में दृढ़ संकल्प हो तो कोई भी मंज़िल असंभव नहीं।

आज के समय में हर छात्र को चाहिए कि वह अपने जीवन का उद्देश्य तय करे और उस पर पूरी लगन से काम करे। चाहे डॉक्टर, शिक्षक, वैज्ञानिक, लेखक या कोई भी क्षेत्र क्यों न हो, यदि हम लक्ष्य स्पष्ट रखेंगे तो सफलता निश्चित रूप से हमारे कदम चूमेगी।

जब मैंने इस पाठ को पढ़ा तो मुझे भी महसूस हुआ कि अब मुझे अपने जीवन का लक्ष्य स्पष्ट रखना चाहिए और हर दिन उसी दिशा में आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। यह पाठ मेरे लिए प्रेरणा बन गया है कि मेहनत, धैर्य और दृढ़ इच्छाशक्ति से हम कोई भी सपना पूरा कर सकते हैं।

"सपने वो नहीं जो सोते समय आते हैं, सपने वो हैं जो हमें सोने नहीं देते!"

Sakshi Pal, Arthur Foot Academy

 

लक्ष्य: प्रेरणा, साहस और आत्मविश्वास का दीपक - Swati

"लक्ष्य तक पहुंचने का रास्ता कठिन हो सकता है, लेकिन वही रास्ता हमें मजबूत बनाता है।"

मैं अपने मन से लक्ष्य पर विचार करूं तो लक्ष्य मेरे लिए सिर्फ कोई मंज़िल नहीं है, बल्कि जीवन को दिशा देने वाला दीपक है। लक्ष्य वह शक्ति है जो हमें हर कठिनाई के बावजूद आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। जब मन थकने लगता है, हिम्मत डगमगाने लगती है, तब हमें लक्ष्य रास्ता दिखाता है कि हमने यह रास्ता क्यों चुना है। लक्ष्य का मतलब ऊँचाइयां छूना ही नहीं है, बल्कि सफ़र को अर्थ देना है।

"बिना लक्ष्य के जीवन ऐसा है, जैसे बिना दिशा की नाव – जो लहरों के भरोसे कहीं भी बह जाती है।"

मेरी नज़र में लक्ष्य हमें अनुशासन, धैर्य और आत्मविश्वास सिखाता है। यह हमारी क्षमताओं को परखता है और हमें खुद को बेहतर बनाने का अवसर देता है। लक्ष्य तभी सच होते हैं जब वे हमारे अंदर की सच्ची चाहत से जुड़े हों, न कि किसी और की उम्मीदों या दिखावे से। जब लक्ष्य हमारे मन से आता है, तब मुश्किलें भी सिर्फ़ रास्ते की परीक्षा लगती हैं और हम हर परीक्षा में और बेहतर बनते जाते हैं।

लक्ष्य तय करना एक साहसी कदम है, क्योंकि यह हमें आलस और कमजोरियों के सामने झुकने नहीं देता। यह हमें अपनी कमजोरियों को पहचानने का मौका देता है। कभी-कभी लक्ष्य बड़ा होने पर डर भी लगता है, पर उस समय याद रखना चाहिए कि लक्ष्य छोटे-छोटे कदमों का समूह होता है, जो हमें मंज़िल की ओर ले जाता है।

"लक्ष्य वह नहीं जो हमें दूर खड़ा दिखे, लक्ष्य वह है जो हमें हर रोज़ सुबह काम करने का बहाना दे।"

- Swati, Arthur Foot Academy

लक्ष्य: जीवन की दिशा और संघर्ष से सफलता तक - Lalita Pal

"Our goal is our greatest strength, giving us the courage to face every challenge."

लक्ष्य के बिना जीवन की दिशा निर्धारित करना बहुत मुश्किल है। अगर हमने अपने जीवन में लक्ष्य निर्धारित नहीं किया तो हम अपनी मंज़िल को प्राप्त नहीं कर पाएंगे। इसलिए सबसे पहले हमें अपना लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए। लक्ष्य हमें दिशा देता है, जैसे घने अंधेरे में दीपक की छोटी-सी लौ हमें राह दिखाती है।

बिना लक्ष्य के जीवन ऐसा है जैसे नाव के बिना पतवार, जो लहरों के सहारे इधर-उधर भटकती रहती है। जब कभी हम अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ने की कोशिश करते हैं तो कठिनाइयाँ, असफलताएँ और बहुत सारी रुकावटें आती हैं और हम घबरा जाते हैं। लेकिन वही मुश्किलें हमें मज़बूत बनाती हैं और सफलता की कीमत समझाती हैं।

अगर हम अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, तो समझ लीजिए कि हमने अपने सपनों के लिए मेहनत करना शुरू कर दिया है। अगर हम अपने सपनों को पूरा करने के लिए एक कदम बढ़ाते हैं तो हज़ारों मुश्किलें सामने आती हैं, जो हमें पीछे की ओर खींचने लगती हैं। लेकिन अगर हम पीछे हट जाएँ तो वह हमारी हार है, और अगर हर मुश्किल को पार करके आगे बढ़ जाते हैं तो जीत पक्की है।

ज़िंदगी एक किताब की तरह है; हर दिन एक नया पन्ना खुलता है और नई मुश्किलें सामने आती हैं, जिन पर हम अपने कर्मों और विचारों से लिखते जाते हैं। कभी-कभी ज़िंदगी में दुख के इतने काले बादल छा जाते हैं कि लगता है शायद कभी खत्म नहीं होंगे, लेकिन यह जीवन का सत्य है कि रात के बाद सुबह और दिन के बाद फिर से रात आती है।

अगर किसी भी व्यक्ति के पास कोई लक्ष्य नहीं होता, तो वह इस जीवन में चलता ही रहता है। जैसे कोई यात्री यात्रा तो करता है लेकिन अपनी मंज़िल को नहीं जानता, इसलिए बस चलता ही रहता है। लेकिन अगर अपनी मंज़िल का पता चल जाए, तो फिर वह सीधे अपनी मंज़िल तक पहुँच जाता है।

जैसे एक चींटी बार-बार चट्टान पर चढ़ती है और गिरती है, लेकिन हार नहीं मानती क्योंकि उसने अपना लक्ष्य निर्धारित कर रखा है, इसलिए वह अंततः अपनी मंज़िल तक पहुँच जाती है। जब तक हम अपना लक्ष्य निर्धारित नहीं करते, तब तक समय भी व्यर्थ जाता है, मुश्किलें भी बढ़ती हैं और इंसान भटकता ही रहता है। हाँ, जिस दिन हमें अपने लक्ष्य का ज्ञान हो जाएगा, उसी दिन से ज़िंदगी को सही रास्ता मिल जाएगा।

"Only those who don't fear challenges but stay determined at every step."

- Lalita Pal, Arthur Foot Academy


कोशिश और मेहनत: लक्ष्य प्राप्ति का मंत्र - सिमरन कौर

मैंने इस पाठ से यह सीखा है कि लक्ष्य एक जादू है, जो किसी भी व्यक्ति को वहाँ तक ले जा सकता है जहाँ कोई न गया हो। अगर मैंने अपने मन में अभी यह ठान रखा है कि मैं बी.एससी कर लूँगी, तो मेरा लक्ष्य केवल बी.एससी तक ही नहीं बल्कि इससे भी आगे एम.एससी करने का भी है। यह बात बिल्कुल सच है कि "उठो, जागो और तब तक न रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए।" इसलिए अपने लक्ष्य के लिए जीवन में मेहनत करनी ही पड़ती है। कठिनाई का मतलब असंभव नहीं होता, बल्कि इसका सीधा अर्थ है कि आपको कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। अगर इंसान अपने लक्ष्य को पाने के लिए हर तरीके से मेहनत करता है, तो लक्ष्य भी जल्दी ही प्राप्त हो जाता है। लेकिन अपने लक्ष्य के लिए व्यक्ति को मेहनत करते रहना चाहिए।

जैसे एक कविता है: "कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।"
इस कविता में एक छोटी चींटी होती है, जिसका लक्ष्य केवल दीवार पर चढ़ना होता है। अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए चींटी बहुत मेहनत करती है। इसलिए एक और पंक्ति है:
"नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ते हुए दीवार पर सौ बार फिसलती है।
आख़िर उसकी मेहनत हर बार बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।"

चींटी सौ बार चढ़ती है लेकिन सौ बार ही फिसल जाती है, फिर भी उसकी मेहनत हर बार बेकार नहीं होती। चींटी हार नहीं मानती और अंततः अपना लक्ष्य प्राप्त कर लेती है। ऐसे ही जीवन में भी इंसान को मेहनत करते रहना चाहिए। इस छोटी-सी चींटी से हमें यह सीख मिलती है कि अगर मनुष्य अपने मन में ठान ले, तो वह अपना लक्ष्य अवश्य प्राप्त कर सकता है। जीवन में मनुष्य असंभव को संभव में बदल सकता है। इस दुनिया में ऐसा कोई कार्य नहीं है जो मनुष्य नहीं कर सकता।

यह सोचना गलत है कि "हम यह कार्य नहीं कर सकते।" जब मनुष्य अपना लक्ष्य प्राप्त कर सकता है तो वह सब कुछ कर सकता है। इसलिए मनुष्य को जीवन में मेहनत करते रहना चाहिए। इंसान वह सब कुछ पा सकता है जो उसने अपने मन में ठान रखा है। इस संसार में कोई कार्य कठिन नहीं है—बस मेहनत करते रहना चाहिए, सफलता अवश्य मिलेगी।

सिमरन कौर, Arthur Foot Academy

लक्ष्य: आत्मविश्वास और सफलता का मार्ग - Reena Devi

लक्ष्य हमारे जीवन की दिशा तय करते हैं। यह हमारे सपनों को वास्तविक रूप में बदलते हैं।
बिना लक्ष्य का जीवन वैसा ही है जैसे बिना पतवार की नाव, जिसे लहरें कभी इधर तो कभी उधर ले जाती हैं।

लक्ष्य हमें विश्वास दिलाते हैं कि हम अपने जीवन के उद्देश्यों को पूरा कर सकते हैं। जब हम लक्ष्य बनाते हैं, तो हमें अपने समय, ऊर्जा और प्रयास को सही दिशा देने का अवसर मिलता है। यही हमारी क्षमताओं को पहचानने और निखारने का साधन है। लक्ष्य पाने का मार्ग आसान नहीं होता। इसमें कठिनाइयाँ और असफलताएँ आती हैं, और यही रुकावटें हमें मज़बूत और धैर्यवान बनाती हैं। अगर लक्ष्य बड़ा है, तो मेहनत भी उतनी ही बड़ी करनी पड़ती है।

सच्चा चिंतन यह है कि लक्ष्य केवल बाहरी सफलता पाने का साधन नहीं, बल्कि आत्मविश्वास का मार्ग भी है। लक्ष्य हमें अनुशासन और धैर्य सिखाते हैं। जब हम अपने छोटे-छोटे लक्ष्यों को पूरा करते हैं, तो हमारे भीतर संतोष का भाव जागता है और यही हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। लक्ष्य वह नक्शा है जो हमें हर रोज़ छोटे कदम उठाने की वजह देता है और हर छोटा कदम हमें बड़ी मंज़िल तक लेकर जाता है।

"लक्ष्य सिर्फ़ मंज़िल नहीं, आत्मसम्मान का रास्ता है।"

- Reena Devi, Arthur Foot Academy

Inspiration and Joy: Sunbeam Lahartara


My Good School.pptx by Manisha Khanna

Students of Sunbeam School enthusiastically share their views about Sunday School, expressing their love and enjoyment of it. For them, Sunday School is not just a place of learning but also a source of joy, values, and inspiration. They eagerly look forward to it every week, as it helps them grow in knowledge, confidence, and character, while creating beautiful memories with their friends and teachers

Friday, 29 August 2025

लक्ष्य और सफलता - सीमा

लक्ष्य

लक्ष्य वह सपना है जिसकी एक समय-सीमा होती है। कोई सपना तभी वास्तविक बनता है जब उसे पूरा करने के लिए निश्चित समय-सीमा तय की जाए। यह प्रेरणा देता है, कार्यों को प्राथमिकता देता है और सपनों को हकीकत में बदलने के लिए स्पष्ट दिशा प्रदान करता है। सफल होने के लिए लक्ष्य होना आवश्यक है। जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए लक्ष्य निर्धारित करना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि लक्ष्य हमें दिशा प्रदान करते हैं, प्रेरित करते हैं और मेहनत को सही राह पर ले जाते हैं। बिना लक्ष्य का जीवन दिशाहीन हो जाता है। लक्ष्य तय होने से हमें यह पता चलता है कि क्या हासिल करना है और कैसे, जिससे हम अपने सपनों को हकीकत में बदल सकते हैं।

क्या जुनून पर्याप्त है?

केवल जुनून या प्रबल इच्छा किसी व्यक्ति को सफल बनाने के लिए पर्याप्त नहीं है। जुनून निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण शक्ति है जो हमें प्रेरित करती है, लेकिन सफलता पाने के लिए दृढ़ संकल्प, कड़ी मेहनत, धैर्य, योजना और आवश्यक कौशल भी चाहिए।

सीमा
कक्षा – 8
सनबीम ग्रामीण स्कूल

लक्ष्य वह सपना है जिसकी एक निश्चित समय-सीमा होती है। लक्ष्य को पाना आसान नहीं होता, इसके लिए निरंतर प्रयास करना पड़ता है। सफल होने के लिए जीवन में लक्ष्य का होना आवश्यक है। बिना लक्ष्य का जीवन व्यर्थ और दिशाहीन हो जाता है। जीवन में लक्ष्य तारे की तरह होता है, जो हमारे मार्ग को रोशन करता है।

एक स्पष्ट लक्ष्य होना हमारे व्यक्तिगत विकास और प्रगति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। अधिकांश लोगों का लक्ष्य एक सुनहरा भविष्य बनाना होता है। यदि हमें अपने लक्ष्य तक पहुँचना है, तो मेहनत रूपी ईंधन को अपने भीतर जलाना ही होगा। व्यक्ति अपने भविष्य के बारे में सपने सजाता है और जब ठान लेता है, तो उसे हर हाल में पूरा करने का प्रयास करता है।

लक्ष्य बहुत छोटा-सा शब्द है, लेकिन इसका हमारे जीवन में अत्यंत बड़ा महत्व है। लक्ष्य का अर्थ है — पक्का इरादा करना, निरंतर प्रयास करना और किसी चीज़ को पाने की आकांक्षा रखना।

विशाखा यादव
सनबीम ग्रामीण स्कूल

लक्ष्य - Mamta

बाल विकास के लिए लक्ष्य निर्धारण बहुत महत्वपूर्ण है। लक्ष्य निर्धारण से एक प्रमुख लाभ होता है कि यह बच्चों को उन चीजों पर ध्यान  केंद्रित करने में मदद करता है। जो वास्तव में महत्वपूर्ण है ,जो बच्चे स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित करते हुए कार्यों को प्राथमिकता देने और अपने समय का कुशलता पूर्वक प्रबंध करने में अधिक सक्षम होते हैं। यह ध्यान केवल प्रेरणा को बढ़ाता ही नहीं है ,बल्कि छात्रों को अपने शिक्षा की जिम्मेदारी के लिए प्रेरित करता है।

लक्ष्य निर्धारण और विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह जीवन में कम उम्र से ही सीखने लायक एक आवश्यक कौशल है। लक्ष्य हमें अपने सपनों को साकार करने के लिए प्रेरित करता है। अगर हम सुनिर्धारित लक्ष्य की परिकल्पना को मानते हैं तो यह तर्कसंगत होगा कि हम अपने बच्चों को भी लक्ष्य निर्धारण के प्रति संवेदनशील बनाना चाहेंगे। लेकिन बच्चों को इस विचार को समझ पाना बहुत कठिन होता है। इसका एक तरीका है कि हम अपने बच्चों को कहानी सुनाएं  जिसमें यह सिद्ध किया गया हो कि कैसे असंभव कार्य को  संभव बनाया गया हो  कहानियों बच्चों के रुचि के अनुसार चुनना चाहिए।

जैसे एक छोटी सी चिड़िया की कहानी -

एक समय की बात है एक छोटी सी चिड़िया थी ।जिसका नाम था चंदा  उसका एक बड़ा सपना था। वह एक सुंदर और बड़ा घोंसला बनाना चाहती थी ।जिसमें वह अपने परिवार के साथ रह सके। चंदा ने अपने सपने को पूरा करने के लिए योजना बनाई उसने हर दिन थोड़ी-थोड़ी लकड़िया इकट्ठा की और अपने घोसले को बनाने के लिए उपयोग किया। लेकिन चंदा के दोस्तों ने उसे नाकाम करने की कोशिश की उन्होंने कहा तुम इतनी छोटी हो इतना बड़ा घोंसला नहीं बना सकती लेकिन चंदा ने हार नहीं मानी उसने अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत जारी रखी। उसने हर दिन थोड़ी-थोड़ी प्रगति की और अंत में उसका घोसला बनकर तैयार हो गया।

इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलती है कि हमें लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमें अपने सपनों पर विश्वास करना चाहिए। और कड़ी मेहनत करना चाहिए चंदा ने अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक योजना बनाई और उसे पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की।

निष्कर्ष 

लक्ष्य जीवन में सफलता प्राप्त करने की पहली सीढ़ी होता है। यदि हमारे पास स्वस्थ लक्ष्य नहीं है तो जीवन की दिशा भटक सकती है ।लक्ष्य हमें मेहनत करने के प्रेरणा देता है और कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति प्रदान करता है ।यह हमारे समय ,ऊर्जा और प्रयास  को सही दिशा में लगता है ।लक्ष्य के बिना इंसान एक नाव की तरह होता है जो बिना पतवार के समुद्र में भटकती रहती है। इसलिए हर व्यक्ति को अपने जीवन में छोटा या बड़ा कोई ना कोई लक्ष्य जरूर तय करना चाहिए और उसे पूरा करने के लिए निरंतर प्रयास करना चाहिए।

Ms Mamata
Sunbeam Gramin School

Tuesday, 26 August 2025

Lessons from Animals and Life - Sunbeam Suncity School

Sunday School by My Good School turned out to be an enlightening session. Today, we explored the inner life of animals, realising that just like humans, animals too need care and compassion to survive. They are not naturally harmful; rather, it is often our mistreatment that makes them appear dangerous. We also learned about the behavioural patterns of animals and how these connect with human behaviour in many ways.
—Atharv Singh Chauhan

Animals, like wild boars crossing rivers to escape hunters, show how fear can drive intelligent behaviour for survival. Similarly, in human life, fear can act as both a warning signal and a motivator to adapt wisely to challenges.
—Yuvraj Singh

Today's discussion on goals, skills, passion, discipline, and perseverance highlights that success is never accidental—it is the result of clear direction, consistent effort, and the right mindset. Just like animals rely on instinct and practice, humans thrive when preparation meets persistence.
—Rishi Agrawal

Today, we learnt about the importance of addressing individuals correctly, along with the evolving nature of titles, reminding us that respect and acknowledgement shape relationships. Just as behaviour defines animals and humans alike, our words and manners define how we are perceived in society.
—Rishabh Singh

Animals often mirror their surroundings—gentle when nurtured, hostile when threatened. Humans, too, react to their environment; a supportive setting brings out positivity, while a toxic one can create negativity. This highlights the deep link between behaviour and environment.
—Shishir Verma

कृतज्ञता का महत्व- Sunbeam Gramin School


कृतज्ञता का अर्थ है किए हुए उपकार को मानना और उसके प्रति आभार व्यक्त करना। कृतज्ञता एक सकारात्मक भावना है, जो किसी के प्रति दयालुता या सहायता के लिए सराहना व्यक्त करती है। कृतज्ञता एक गुण है और मानवता की एक महत्वपूर्ण विशेषता है। यह हमें दूसरों के प्रति सम्मान और श्रद्धा की भावना रखने में मदद करती है।

आजकल के बच्चे भी बहुत-सी चीज़ों के महत्व को नहीं समझते। भोजन, कपड़े, आरामदायक बिस्तर और खिलौने, पढ़ने के लिए स्कूल, छुट्टियाँ और जन्मदिन की पार्टियाँ — ये सब वे सामान्य मान लेते हैं। बहुत कम बच्चे ऐसे होते हैं जिन्हें इन सबका सही महत्व “पता” होता है। वास्तव में वे ही बच्चे इन सभी चीज़ों के लिए कृतज्ञ होते हैं। हमें भी जो सुविधाएँ प्राप्त हैं, उनके लिए कृतज्ञ होना “चाहिए”।

– Shubham Patel
Class – 8

कृतज्ञता, यानी किसी के प्रति आभार व्यक्त करना, जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने में मदद करता है। यह एक सकारात्मक दृष्टिकोण है, जो जीवन की चुनौतियों का सामना करने और खुशी पाने में सहायक होता है।

कृतज्ञता एक ऐसी भावना है, जो हमें जीवन की अच्छी चीज़ों को पहचानने और उनके लिए आभारी होने में मदद करती है। जब हम कृतज्ञ होते हैं, तो हम सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाते हैं और नकारात्मक विचारों से दूर रहते हैं। इससे हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।

कृतज्ञता हमें दूसरों के प्रति अधिक दयालु और सहानुभूतिपूर्ण बनाती है, जिससे हमारे रिश्ते मजबूत होते हैं। जब हम अपने जीवन की छोटी-छोटी चीज़ों के लिए भी आभारी होते हैं, तो हम अधिक खुश और संतुष्ट महसूस करते हैं।

- Seema
Class – 8

कृतज्ञता का अर्थ है – किसी के प्रति किए गए उपकार या सहायता को मानना और उसके प्रति आभार व्यक्त करना। यह एक सकारात्मक भावना है, जो सम्मान और भरोसे की भावना से जुड़ी होती है।

कृतज्ञता का अर्थ :

  • दयाभाव रखना : किसी के द्वारा की गई मदद या उपकार को याद रखना और उसका सम्मान करना।

  • आभार व्यक्त करना : किसी के प्रति अपनी भावनाओं और आभार को शब्दों या कर्मों से व्यक्त करना।

  • सकारात्मकता : कृतज्ञता एक सकारात्मक भावना है, जो दूसरों और स्वयं की भावनाओं को बढ़ाती है।

कृतज्ञता के लाभ :

  • सकारात्मक दृष्टिकोण : यह जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने में मदद करता है।

  • मजबूत रिश्ते : कृतज्ञता दूसरों के साथ संबंधों को मजबूत बनाती है

– Nainisha Maurya
Class – 5

Storytelling that Brings Nature Alive - Sunbeam School Ballia

In the first part of the session, we read a story about the inner life of animals. The story was truly confronting—the life of animals, how they feel, what problems they face. This story also tells you about a place where animals stay freely without any danger. And in the second part, Manisha ma'am read the story of Lakshya and also told us about what things are required in the path of your success. The story tells about why there is a need for ambition.

And my favourite part was the question-and-answer session where Jugjiv sir answered all questions in a very understandable way. At the beginning, I also got a suggestion for making my reading better.

SAVITA SINGH
IX- D

Today’s My Good School session left me with many thoughts to carry forward. The first book, Inner Life of Animals, read with Ms. Brinda Ghosh, opened my eyes to the depth of emotions animals experience. It was touching to realise that they too have feelings and connections, reminding me that empathy must extend beyond just people—it should include every living being.

The second book, क्या आपका बच्चा दुनिया का सामना करने के लिए तैयार है, shared by Ms. Manisha Khanna, made me reflect on how we prepare children for life. It was a gentle reminder that education is not only about marks or subjects but also about giving children the strength and courage to face real-world challenges with confidence.

Both readings beautifully connected—the first teaching us compassion, the second resilience. Together, they showed that true learning is about shaping both the heart and the mind. Each Sunday at My Good School feels like a step toward becoming better versions of ourselves.

By Pranjal Rai
IX- D

Today’s session was truly eye-opening and deeply enriching. We began by exploring Peter Wohlleben’s The Inner Life of Animals, where scientific facts unfolded like gentle forest fables. His storytelling revealed the emotions and hidden struggles of creatures like squirrels, ravens, and horses—transforming them from mere animals into beings with inner lives that deserve empathy and respect. It made me more aware of the challenges animals face and the importance of creating safe spaces where they can live peacefully alongside us.

Adding to this, Manisha Ma’am shared the inspiring story of Lakshya, centred on ambition and determination. It beautifully highlighted how clarity of goals and a strong mindset can shape success. This narrative not only encouraged me to reflect on my own ambitions but also reminded me of the value of perseverance in everyday life.

What truly elevated the session was the engaging way our mentor connected these stories with larger life lessons. The discussions showed me how storytelling has the power to reshape our perspectives—whether about the natural world or about personal growth.

Overall, the session left me inspired, motivated for self-reflection, and equipped with practical ideas to grow both as a learner and as a person.

Aayush Kumar Singh
X-A

Today’s session was truly eye-opening. In the first part, we explored a story about animals that revealed their hidden struggles and emotions. It made me more aware of the challenges they face and the importance of creating safe spaces where they can live peacefully.

Manisha Ma’am then shared the story of Lakshya, which focused on ambition and determination. It taught me that having clear goals and the right mindset is essential for success, and it made me reflect on how I can apply these lessons in my own life.

Overall, the session inspired me, encouraged self-reflection, and gave me practical ideas to grow both as a learner and as a person.

Astha Mishra
IX-D

At today’s Good School Alliance Reading Session, I attended the discussion on The Inner Life of Animals by Peter Wohlleben. I really liked how the storytelling made scientific facts feel like little stories, almost like fables of the forest. Animals were shown not just as creatures but as beings with emotions—squirrels, ravens, and even horses felt alive in a new way through his words.

Our mentor’s responses during the session made the discussion even more engaging and helped me realise how storytelling can completely change the way we look at the natural world.

Janvi Singh
IX-F

Today, I learned that achieving success requires a clear aim, skill development, and hard work. Breaking down goals into smaller parts helps maintain momentum, and embracing failure as a learning opportunity is crucial. By staying focused and committed, I can make steady progress towards my objectives. This reflection reminds me to work diligently and maintain a growth mindset to achieve my goals. 

Ifra Wahid 
IX F

Lessons of Compassion and Purpose - Neha Srivastava

As part of the regular Sunday Reading Session, I had the privilege of listening to two inspiring readings—The Inner Life of Animals and Lakshya—presented by Ms Brinda Ghosh and Ms. Manisha Khanna, with enriching insights shared by Mr. Jugjiv Singh. The first reading beautifully highlighted the emotions and silent language of animals, reminding us to extend compassion not only to human beings but to every living creature. The second, Lakshya, emphasised the importance of motivation and the significance of setting clear goals in life. Mr. Singh’s reflections added depth to the discussion, making it even more relatable and impactful.

As a teacher, I found the session especially meaningful. It reminded me of my responsibility to instil empathy, kindness, and purpose in my students. Such sessions not only touch the heart but also shape the mind, leaving behind lessons that inspire us to live with greater sensitivity and determination.

Ms. Neha Srivastava
Educator
Sunbeam School Ballia

Friday, 22 August 2025

कृतज्ञता: जीवन और संबंधों को मजबूत बनाने की सकारात्मक भावना - Manjula Sagar


कृतज्ञता एक सकारात्मक भावना है, जिसमें व्यक्ति अपने जीवन में प्राप्त सहयोग, उपकार, अवसर या आशीर्वाद के लिए आभार व्यक्त करता है। यह हमें संतोषी, विनम्र और दयालु बनाती है। कृतज्ञ व्यक्ति दूसरों के योगदान को स्वीकार करता है और छोटी-छोटी चीज़ों की भी कदर करता है। यह न केवल मानसिक शांति और खुशी देती है, बल्कि रिश्तों को मजबूत और जीवन को अर्थपूर्ण बनाती है।

1 . रोजर फेडरर अपने कोच, परिवार और प्रशंसकों के सहयोग के लिए हमेशा आभार जताते रहे। जीत हो या हार विनम्र बने रहे और विरोधियों का सम्मान किया। अपने देश स्विट्ज़रलैंड और बच्चों की शिक्षा के लिए चैरिटी कार्यों में कृतज्ञ भाव से योगदान दिया।

2-. नेलसन मंडेला 27 साल जेल में रहने के बाद भी बदले की बजाय क्षमा और आभार का मार्ग चुना। स्वतंत्रता और लोकतंत्र मिलने पर अपने साथियों और जनता का धन्यवाद किया। जीवनभर जाति, शांति और समानता के लिए संघर्ष करते हुए दूसरों के योगदान को सराहा। स्वतंत्रता संग्राम में साथ देने वाले साथियों और जनता के प्रति कृतज्ञ रहे। राष्ट्रपति बनने पर विरोधियों और समर्थकों – दोनों के योगदान को स्वीकार किया।

निष्कर्ष - हमें एक दूसरे के प्रति कृतज्ञता का भाव रखना चाहिए और अपने कक्षा मे भी बच्चों को भी एक दूसरे के लिए कृतज्ञता एवं आभार व्यक्त करने के लिए सिखाना चाहिए।

Manjula Sagar
Sunbeam Gramin School

कृतज्ञता: जीवन को सुंदर और समाज को सशक्त बनाने का अमूल्य गुण- साक्षी पाल


पाठ "कृतज्ञता" हमें यह सिखाता है कि जीवन केवल अधिकार लेने का नाम नहीं है, बल्कि दूसरों के प्रति आभार व्यक्त करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। हम अकेले कुछ नहीं कर सकते। हमारे माता-पिता हमें जीवन और संस्कार देते हैं, हमारे शिक्षक हमें ज्ञान का प्रकाश देते हैं, मित्र कठिन समय में हमारा साथ देते हैं, और प्रकृति हमें भोजन, जल, वायु तथा हर आवश्यक संसाधन प्रदान करती है।

कृतज्ञता का अर्थ इन सबकी महत्ता को समझना और उनके प्रति धन्यवाद का भाव प्रकट करना है। जब हम आभार व्यक्त करते हैं, तो हमारे भीतर विनम्रता, सहानुभूति और प्रेम का विकास होता है। यह गुण हमें न केवल एक अच्छा इंसान बनाता है, बल्कि समाज में सकारात्मकता और सहयोग की भावना भी फैलाता है।

कृतज्ञता हमें यह भी सिखाती है कि हमें छोटी-छोटी चीज़ों की भी कद्र करनी चाहिए। जीवन में हर अनुभव, हर अवसर और हर मदद हमें आगे बढ़ने का मार्ग दिखाती है। आभारी व्यक्ति कभी दुःखी नहीं होता, क्योंकि वह हर परिस्थिति में ईश्वर और जीवन का धन्यवाद करना जानता है। आज के भौतिकवादी युग में लोग केवल पाने की सोचते हैं, लेकिन कृतज्ञता हमें यह याद दिलाती है कि "देने वाले का सम्मान और धन्यवाद करना ही सबसे बड़ा संस्कार है।"

कृतज्ञता का भाव केवल रिश्तों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज और राष्ट्र के प्रति भी होना चाहिए। हमें उन किसानों का आभार मानना चाहिए जो हमारे लिए अन्न उगाते हैं, उन सैनिकों का धन्यवाद करना चाहिए जो हमारी रक्षा करते हैं, और उन डॉक्टरों का सम्मान करना चाहिए जो हमारे स्वास्थ्य का ध्यान रखते हैं। यदि हम इन सभी के योगदान को समझें और उनके प्रति आभारी रहें, तो हमारा जीवन अधिक जिम्मेदार और संवेदनशील बन जाएगा।

कृतज्ञता हमें अहंकार से दूर ले जाकर विनम्रता की ओर ले जाती है। यह हमें सिखाती है कि जीवन में चाहे कितनी भी बड़ी उपलब्धि क्यों न मिले, उसके पीछे कई अनदेखे हाथों का योगदान होता है। इसलिए आभारी होना ही सच्ची इंसानियत है।

"आभार वह दीपक है, जो अंधकार में भी जीवन को रोशन कर देता है।"

— साक्षी पाल, Arthur Foot Academy

कृतज्ञता: जीवन का अनमोल गुण - सिमरन कौर


कृतज्ञता पाठ से मैंने सीखा है कि कृतज्ञता वह गुण है जो हर व्यक्ति में होना चाहिए। कृतज्ञता जीवन की एक ऐसी शैली है जो जीवन के सारे प्रतिबंध खोल देती है। कृतज्ञता से हमारे जीवन में अनेक प्रकार के बदलाव आते हैं। अगर हम किसी इंसान की मदद करते हैं और वह व्यक्ति हमें “Thank you” बोलता है, तब हमें कितना अच्छा महसूस होता है। हमारा दिल खुश हो जाता है और हम उस व्यक्ति को सम्मान की नजरों से देखने लगते हैं। उसके प्रति हमारे मन में प्रेम और सम्मान की भावना बढ़ती है।

जब ऐसा करने पर हमें खुद को खुशी मिलती है, तो क्यों न हम दूसरों की खुशी के लिए आभार व्यक्त करें। ऐसा करने से एकता और समानता, प्रेम बढ़ता है।

कृतज्ञता वह पूंजी है जो हर व्यक्ति में होती है। परंतु कभी-कभी इंसान अपने अहंकार (ego) के कारण सामने वाले व्यक्ति को उसकी मदद के लिए आभार व्यक्त नहीं करता। यह गलत है। जैसे हमें खुशी मिलती है, वैसे ही हमें दूसरों के लिए भी और अपनों को खुश रखने के लिए कृतज्ञता का पालन करना चाहिए।

- सिमरन कौर, Arthur Foot Academy

आभार का भाव रिश्तों को गहराई और जीवन को अर्थ प्रदान करता है - साक्षी खन्ना

 

कृतज्ञता एक ऐसा भाव है, जो इंसान के हृदय को हल्का करता है और जीवन को गहराई से देखने की क्षमता प्रदान करता है। जब हम आभार प्रकट करते हैं, तो हम केवल दूसरों के प्रति ही नहीं बल्कि स्वयं के जीवन के प्रति भी संवेदनशील हो जाते हैं। कृतज्ञता हमें यह याद दिलाती है कि चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हों, जीवन में हमेशा कुछ ऐसा होता है जिसके लिए हम आभारी हो सकते हैं।

कृतज्ञता का अर्थ केवल धन्यवाद कह देना नहीं है, बल्कि यह एक दृष्टिकोण है— जीवन को सकारात्मकता से देखने की कला। यह हमें सिखाती है कि छोटी-छोटी चीज़ें भी मायने रखती हैं— जैसे सूरज की पहली किरण, किसी प्रियजन की मुस्कान, या कठिन समय में मिला सहारा। जब-जब हम इन क्षणों को महसूस करते हैं, तो हमारे अंदर संतोष, शांति और अपनापन जागृत होता है। आधुनिक जीवन में हम अक्सर अपनी कमियों, अधूरी इच्छाओं या असफलताओं पर ही ध्यान केंद्रित कर लेते हैं। यही असंतोष तनाव और बेचैनी को जन्म देता है। लेकिन जब हम रुककर यह सोचते हैं कि हमें क्या-क्या मिला है—परिवार, दोस्त, स्वास्थ्य, अवसर, ज्ञान और अनुभव— तो जीवन अचानक समृद्ध प्रतीत होने लगता है। कृतज्ञता हमारी सोच को समृद्धि की ओर ले जाती है। इसके अलावा कृतज्ञता हमारे संबंधों को गहरा बनाती है। जब हम अपने माता-पिता, मित्रों, शिक्षकों या सहयोगियों के योगदान को स्वीकार करते हैं और दिल से धन्यवाद देते हैं, तो रिश्ते और भी मधुर हो जाते हैं।

आखिरकार, कृतज्ञता केवल एक भाव नहीं, बल्कि एक साधना है। यह हर दिन का अभ्यास है—सुबह उठकर जीवन को धन्यवाद देना, रात को सोने से पहले दिनभर के छोटे-बड़े उपहारों को याद करना। धीरे-धीरे यह हमारी आदत बन जाती है और हमें भीतर से और अधिक शांत, संतुलित और करुणामय बना देती है। इसलिए कहा जा सकता है कि कृतज्ञता जीवन का वह दीपक है, जो अंधेरों में भी रोशनी दिखाता है।

यह हमें याद दिलाता है कि हमारे पास जो भी है, वही पर्याप्त है और वही हमारे सुख का आधार है।

साक्षी खन्ना, Arthur Foot Academy

कृतज्ञता कठिन दिनों में भी उम्मीद की एक किरण बन जाती है - Swati

कृतज्ञता—इस शब्द से दिल को एक अलग ही सुकून मिलता है। मन में एक शांत सी रोशनी होती है। जब मैं इसके बारे में सोचती हूँ, तो मुझे लगता है कि कृतज्ञता केवल "thank you" बोल देने का नाम नहीं है, बल्कि यह दुनिया को देखने का एक नजरिया है। कहें तो यह एक ऐसा चश्मा है, जो हमें हमारी कमियों और उपलब्धियों पर फोकस करवाता है—फिर चाहे वे कितनी ही छोटी क्यों न हों।

मेरे मन में विचार आता है कि हमें हर छोटी चीज़ के लिए आभार व्यक्त करना चाहिए। और यह आभार हमें हर इंसान के साथ करना चाहिए—फिर चाहे वह इंसान हमसे बड़ा हो या छोटा। ऐसा भाव अपने मन में रखने से हमारे आस-पास के रिश्ते मजबूत होते हैं और प्रेम बढ़ता है।

हम हर चीज़ के लिए आभार व्यक्त कर सकते हैं—जैसे प्रकृति की सुंदरता के लिए, अपने परिवार के सदस्यों के लिए, और कभी-कभी दूसरों की खुशी के लिए भी। कृतज्ञता जीवन का वह भाव है जो हमारे मन में संतोष और शांति का अनुभव कराता है। जब हम कृतज्ञ होते हैं, तो हमें लगता है कि हमारे पास जो कुछ भी है, वही पर्याप्त है। यह सोच न केवल हमें संतोष देती है, बल्कि और पाने की लालसा से भी मुक्ति दिलाती है।

"कृतज्ञता मेरे मन में एक शांति का दीपक जलाती है।"

कृतज्ञता हमें सिखाती है कि कठिन परिस्थितियों में भी कुछ न कुछ ऐसा होता है जिसके लिए हम आभारी रह सकते हैं। यह नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में बदल देती है।

"आभार संबंधों की दूरी को भी पास ले आता है।"

मेरे विचार से—अगर हम प्रतिदिन कृतज्ञता को अपने मन से दूसरों के लिए स्वीकार करें, तो हमारा जीवन न केवल आनंदमय होगा बल्कि दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनेगा।

"मैं जितना 'धन्यवाद' बोलती हूँ, उतना मन हल्का होता है।"

स्वाति, Arthur Foot Academy


कृतज्ञ मन सबसे धनी मन होता है - Reena Devi

कृतज्ञता का पहला पाठ स्वीकार करना है। जीवन में सुख-दुख दोनों आते हैं, पर हर अनुभव कोई न कोई सीख लेकर आता है। सफलता हमें दिशा देती है और असफलता गहराई। जब हम अपने कठिन दिनों में भी उनसे कोई सीख ढूंढ लेते हैं, तब शिकायत की जगह विनम्रता आती है। विनम्रता आने पर अहंकार ढीला होता है, और जब अहंकार कम होता है, तब प्रेम बढ़ता है।

रिश्तों में कृतज्ञता चमत्कार करती है। हम अक्सर अपने करीब के लोगों के योगदान को "स्वाभाविक" मान लेते हैं—जैसे हमारे माता-पिता, शिक्षकों का मार्गदर्शन आदि। यह सब हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अगर हम दिल से इनका धन्यवाद करें, तो सभी का दिन बदल सकता है। बार-बार किया गया सम्मान रिश्तों को मजबूत करता है, और जिन रिश्तों में कृतज्ञता खुलकर बोली जाती है, उन रिश्तों में शिकायत जन्म लेने से पहले ही छोटी पड़ जाती है।

कृतज्ञता मानसिक स्वास्थ्य की औषधि है। यह हमारे ध्यान को कमी से उपलब्धि की ओर जोड़ती है। यही बदलाव चिंता को घटाता है और आशा को बढ़ाता है। जब हम रोज़ के छोटे-छोटे उपहार नोटिस करते हैं—सुबह की हवा, हल्की सी मुस्कान—तो हमारे मन को शांति मिलती है।

"कृतज्ञता हृदय की वह कुंजी है, जो सुख और शांति के द्वार खोलती है।"

रीना देवी, Arthur Foot Academy 

कृतज्ञता: जीवन का सच्चा आभूषण - Lalita Pal

 "कृतज्ञता जीवन की पूर्णता के सारे प्रतिबंध खोल देती है। यह हमारे पास जो कुछ भी है, उसे पर्याप्त में बदल देती है। यह अस्वीकृति को स्वीकृति में, अव्यवस्था को व्यवस्था में और अस्पष्टता को स्पष्टता में बदल देती है। यह एक साधारण से भोजन को भोज में, एक मकान को घर में और अजनबी को मित्र में बदल सकती है।"

कृतज्ञता जीवन का वह भाव है जो इंसान को विनम्र, सरल और संतोषी बनाता है। जब हम अपने जीवन में मिलने वाली हर छोटी-बड़ी चीज़ के लिए धन्यवाद करते हैं, तो जीवन और भी सुंदर लगने लगता है। कृतज्ञता केवल शब्द नहीं है बल्कि यह हमारे भीतर की एक सकारात्मक सोच है। यह हमें हर स्थिति में खुश रहना सिखाती है और हमारे दिल में प्रेम और शांति का संचार करती है।

हमारे जीवन में सबसे पहले कृतज्ञता माता-पिता के प्रति होनी चाहिए। उन्होंने हमें जन्म दिया, पाला-पोसा और त्याग व परिश्रम से हमारे जीवन को संवारने का प्रयास किया। अगर हम उनका आभार नहीं मानेंगे तो जीवन कभी पूर्ण नहीं होगा। उसी तरह हमारे शिक्षक भी हमारे प्रति अपार योगदान रखते हैं। वे हमें ज्ञान और शिक्षा देकर अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं। उनके प्रति आभार व्यक्त करना हमारी जिम्मेदारी है।

कृतज्ञता केवल इंसान के लिए नहीं बल्कि प्रकृति के प्रति भी होनी चाहिए। यह धरती हमें भोजन देती है, आकाश हमें वायु देता है, नदियाँ हमें जल देती हैं और पेड़ हमें जीवन देते हैं। यदि हम इनके प्रति आभार नहीं मानते तो हम बहुत स्वार्थी कहलाएँगे। तभी हमारे भीतर उनका संरक्षण करने की भावना जागती है।

"चलो उठो और कृतज्ञ बनें, क्योंकि अगर उसने हमें बहुत ज्यादा नहीं भी सिखाया, तो कम से कम थोड़ा तो सिखाया ही है। और अगर उसने थोड़ा भी नहीं सिखाया, तो कम से कम हम बीमार तो नहीं पड़े। और अगर बीमार भी पड़े, तो कम से कम मरे तो नहीं। इसलिए, हमें कृतज्ञ होना चाहिए।"

- Lalita Pal, Arthur Foot Academy

Monday, 18 August 2025

My Good School: A Journey of Lifelong Learning - Sunbeam School, Ballia

My favourite story in the session was The Door-to-Door Bookstore, which beautifully showed how small details make a story feel alive and meaningful. I especially appreciated it when Pramod Sir spoke about the better side of Afghanistan, as it offered me a fresh perspective beyond common assumptions. The discussion on hard work versus skill was also very valuable for me; I realised that in our country, hard work plays a greater role until we reach a certain stage of development, after which skills become equally important. Overall, the session was engaging, eye-opening, and truly inspiring.

Arpita Yadav
Class IX-F

Today’s My Good School session was truly inspiring.
The Meet and Greet with Pramod Sharma Sir allowed us to learn from a veteran educationist who has dedicated 50+ years to shaping education. His presence was a reminder of the value of lifelong learning and the powerful impact a single teacher can create.

The first book reading from The Door-to-Door Bookstore (Chapter 5: Words with Jugjiv Singh) highlighted the importance of words, stories, and conversations in bringing people closer. It reminded me that books are not just meant for reading—they open doors to meaningful connections and thoughtful discussions.

Pranjal Rai
Class IX-D

In today’s session, meeting Mr. Pramod Sharma was truly inspiring. His unwavering determination and clarity of purpose showed us what true passion looks like. As I asked him questions, I realised how deeply committed he is to education and personal growth. His explanation of gratitude reminded us to cherish every moment. One quote I now believe in is: “Purpose fuels passion, and passion shapes legacy.” This session wasn’t just informative—it was a powerful reminder to lead with intention and heart.

Today’s first book reading from The Door-to-Door Bookstore (Chapter 5) made me realise how powerful words and stories can be in connecting people. It showed me that books aren’t just meant to be read—they spark meaningful conversations and help build genuine bonds between individuals.

Janvi Singh
IX-F

Saturday, 16 August 2025

Goodbye, Registered Post - Manisha Khanna

Once upon a time, on every street corner of India, stood a bright red hero. He wasn’t tall and muscular. He didn’t have shiny armour. But oh boy—he had a big tummy.

Why? Because children, uncles, aunts, and even the courts kept sending him letters every single day!
“Chomp, chomp,” the Red Post Box would say.
“Secret letter? Yum! Court summons? Burp! Birthday card? Delicious!”

For over 50 years, this red friend worked tirelessly. Rain tried to wash him away, the hot sun roasted him, and the wind made him shiver— But he never gave up. He carried every letter with pride.

He even had a VIP badge: Registered Post—safe, trusted, and even respected in court.
(Yes, even judges said, “If Red Post Box delivered it, we believe it!”)

But now… something is changing.
People have become addicted to speed—
“Zoom! WhatsApp in 2 seconds!”
“Zap! Email instantly!”
“Boom! Speed Post, faster than Red could run!”

So from 1st September 2025, India Post has decided:
Registered Post won’t exist as a separate service anymore—it will join hands with its speedy cousin, Speed Post.

🚀 The good news?
Letters will still be safe, trusted, and now much faster, with better tracking.
No more waiting, no more guessing.

😊 And the better news?
 The badge has changed—from “Registered” to “Speedy & Strong.”

Still… the Red Box feels a little nostalgic.
“Ah,” he sighs, “I’ll miss the old days when ‘Registered Post’ was my crown.
But change is part of life, and I’m still here to carry your words forward.”

So kids, here’s the Red Box’s last lesson:
Change will come, names will shift, services will grow faster. But never stop writing. Because words—whether dropped in my tummy or typed on a screen—always find their way to hearts.”

Now tell me honestly—
When was the last time you wrote a real letter with your own hands?
Not a WhatsApp “Hiiiii 👋” or a copy-paste birthday wish—
But a real, ink-on-paper, cramp-in-your-fingers letter?

And if the Red Box could tell a story about you, what would it be?
“Ah, yes, this kid once stuffed me with a letter smelling of bubblegum perfume!” 
or
“This fellow posted his exam application at the last second—I almost fainted from the rush!” 

So maybe, just maybe, you’d like to write one more reflection— a little thank-you to the Red Box, who still waits patiently, ready to carry your words into the world. 

Manisha Khanna

The Gala Time Paradox: Fun Now, Panic Later - Manisha Khanna

Coach or Control? The Classroom Tug of War

It’s 2025, and students have unlocked a superpower: selective hearing.

  • Homework? “Oh… that was just a suggestion, right?”

  • Deadlines? “But sir/ma’am… time is a social construct.”

  • Writing assignments? “Pens are so last century, can’t we just send emojis?”

Meanwhile, Netflix, gaming, memes, and reels enjoy full attendance and 100% completion rates.

Motivation—the old fairy godmother of education—seems to have retired. “Follow your passion” has been upgraded to “Follow whatever is fun right now.” Result? Balance and time management are missing in action, probably lying somewhere between a half-finished essay and a three-hour YouTube binge on “10 ways cats secretly rule the world.”

Why do students hate writing anyway?

  • “My hand hurts!” – after writing exactly three lines.

  • “Why write when AI/Google can?”

  • “The page looks so scary… all that white space judging me.”

  • “Typing is faster, duh.”

  • “Do I really need to write an essay when I can just make a reel about it?”

Writing, for many, feels like running a marathon… barefoot… uphill… in the snow.

Control or Coach?

  • Control Approach: Strict rules, constant monitoring, and punishments given out like free Wi-Fi passwords. Effective for a bit—until students start treating you like the router itself: only noticed when you block their connection.

  • Coach Approach: Gentle nudges, guiding questions, and life lessons. Teaching that freedom without responsibility is like a pizza without cheese—fun for one bite, but regret forever. Coaching is slower, but it builds habits, self-awareness, and the ability to manage life (and deadlines) without panic attacks.

The Secret Recipe 🍲

In today’s world, pure control sparks rebellion, while pure coaching can feel too “chill.” The magic is in mixing the two—a coach with a pinch of control. Like adding just enough salt to pasta: too much ruins it, too little makes it bland.

Because while gala time is great, learning to balance fun with goals isn’t just a school requirement—it’s a life superpower. And that, dear students, is as non-negotiable as exam dates.

A Question Back to You ✍️

If writing feels like a burden, why did every great thinker, leader, and creator—from poets to inventors—still turn to pen and paper to capture their thoughts?
Maybe writing isn’t about the homework at all—it’s about discovering your own mind on paper.

Now it’s your turn: What do you think writing gives us that no screen or shortcut can? 

Write back—because your thoughts matter.

Manisha Khanna


Friday, 15 August 2025

स्वयं में बदलाव ही दुनिया को बदलने का पहला कदम है - स्वाति

मैंने देखा है कि हम सब अक्सर दूसरों में बदलाव की उम्मीद करते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि बदलाव की असली शुरुआत स्वयं से होती है। जब हम अपने सोचने का तरीका, अपनी आदतें और अपना नज़रिया बदलते हैं, तब दुनिया हमें नए रंग में दिखाई देने लगती है। बदलाव का मतलब अपनी पहचान खोना नहीं, बल्कि खुद को एक नए रूप में ढालना है।

"जब मैं बदलती हूँ, तब मेरी दुनिया बदलने लगती है।"

स्वयं में बदलाव लाना आसान नहीं होता, क्योंकि इसके लिए आत्मनिरीक्षण, धैर्य और निरंतर प्रयास की आवश्यकता होती है। बदलाव के लिए कई बार हमें अपनी गलतियों को स्वीकार करना पड़ता है, और यह सबसे कठिन कदम होता है। लेकिन जब हम अपने भीतर सुधार लाते हैं, तो हमारे आस-पास के रिश्ते और माहौल सकारात्मक रूप में बदलने लगते हैं। मेरे मन में यह विचार गहराई से बैठा है कि अगर मैं रोज़ थोड़ा-थोड़ा बेहतर बनने की कोशिश करूँ—चाहे वह मेरे व्यवहार में हो, मेरी पढ़ाई में, या फिर मेरी सोच और आदतों में—तो यह छोटे-छोटे बदलाव समय के साथ बहुत बड़ा असर डाल सकते हैं। जीवन में ठहराव से बचने के लिए बदलाव ज़रूरी है, और यह बदलाव सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण "स्वयं" से शुरू होना चाहिए।

"बदलाव की शुरुआत हमेशा खुद से होती है। आज मैं कल से बेहतर बनूँगा।"

जब यह बदलाव भीतर से आता है, तो इसका प्रभाव बाहर की दुनिया पर भी पड़ता है। ऐसे में न केवल हमारा जीवन सुंदर बनता है, बल्कि हम दूसरों के जीवन में भी सकारात्मक ऊर्जा भरते हैं। स्वयं में बदलाव केवल हमारी व्यक्तिगत उन्नति का साधन नहीं, बल्कि यह समाज को प्रगति की ओर ले जाने वाला बीज है।

"भीतर का बदलाव, बाहर की दुनिया का रूप बदल देता है।"

स्वाति

स्वयं में बदलाव लाने की सीख - रीना देवी

 
ज़िंदगी में सबसे मुश्किल काम दूसरों को बदलना नहीं, बल्कि खुद को बदलना होता है। शुरुआत में मुझे लगता था कि मैं जैसी हूँ, वैसी ही ठीक हूँ। मुझे लगता था कि अगर मुझे कोई समझ नहीं पा रहा है, तो गलती उसकी है। लेकिन धीरे-धीरे एहसास हुआ कि रिश्ते, सपने और खुशियाँ तभी टिकती हैं जब अपने भीतर झाँकने का साहस रखें।

पहले मैं हर बात पर तुरंत प्रतिक्रिया देती थी। लेकिन फिर मैंने खुद में बदलाव लाया। अब, जब कोई भी व्यक्ति मुझसे कुछ कहता है, तो मैं जवाब देने से पहले थोड़ा रुककर सोचती हूँ और फिर शांत होकर उत्तर देती हूँ। हम अक्सर अपने समाज और आसपास के लोगों से बदलाव की उम्मीद करते हैं, लेकिन भूल जाते हैं कि असली बदलाव की शुरुआत खुद से होती है। जब हम अपने व्यवहार और विचारों में सुधार लाते हैं, तब हमारा असर दूसरों तक भी पहुँचता है। यह असर धीरे-धीरे फैलकर समाज का माहौल बदल सकता है।

इससे हमें यह सीख मिलती है कि हम दूसरों से शिकायत करने के बजाय उदाहरण बनें। अगर हम चाहते हैं कि लोग ईमानदार बनें, तो उसके लिए हमें पहले खुद ईमानदार होना होगा। इसी तरह, अगर हम चाहते हैं कि माहौल सकारात्मक हो, तो शुरुआत हमें खुद से करनी होगी।

"दुनिया बदलने से पहले, अपने भीतर बदलाव लाओ।"

रीना देवी

स्वयं बदलाव बनो - साक्षी खन्ना

"स्वयं बदलाव बनो" सिर्फ एक प्रेरणादायक वाक्य नहीं, बल्कि जीवन जीने का एक गहरा सिद्धांत है।

अक्सर हम समाज, माहौल और परिस्थितियों को बदलने की बातें करते हैं, लेकिन बदलाव की शुरुआत हमेशा हमारे भीतर से होती है। अगर हम चाहते हैं कि दुनिया में ईमानदारी, करुणा और न्याय हो, तो हमें पहले खुद में ये गुण लाने होंगे। यह सोच हमें जिम्मेदार बनाती है, क्योंकि जब हम अपने व्यवहार, सोच और दृष्टिकोण को बेहतर बनाते हैं, तो हमारे आसपास के लोग भी उससे प्रेरित होते हैं।

यह ठीक वैसा है जैसे एक दीपक जलाकर अंधेरे में रोशनी फैलाना—रोशनी की शुरुआत खुद से होती है और फिर धीरे-धीरे पूरे वातावरण को उजाला देती है। कभी-कभी यह रास्ता कठिन होता है, क्योंकि बदलाव का मतलब है अपनी पुरानी आदतों, सोच और डर को छोड़ना। लेकिन हर कदम—चाहे वह ईमानदारी से बोलना हो, दूसरों की मदद करना हो या गलत के खिलाफ खड़े होना—समाज में बड़ा असर डाल सकता है।

"स्वयं बदलाव बनो" एक आह्वान है अपने भीतर झांकने का और यह सोचने का कि हम किस तरह के समाज का सपना देखते हैं। अगर हम बदलाव चाहते हैं, तो हमें इंतजार करना छोड़कर खुद वह बदलाव बनना होगा—यही असली क्रांति है।

बदलाव आसान नहीं होता। अपनी पुरानी आदतें छोड़कर, डर का सामना कर, और सही के लिए खड़ा होने में साहस चाहिए। कभी-कभी लोग आपके बदलाव को नज़रअंदाज़ करेंगे, लेकिन याद रखिए—इतिहास में हर बड़ा बदलाव ऐसे ही व्यक्तियों से शुरू हुआ है, जिन्होंने कठिनाइयों के बावजूद अपनी राह चुनी।

जब हम स्वयं बदलाव बनते हैं, तो हमारा प्रभाव सिर्फ हमारे जीवन तक सीमित नहीं रहता; यह हमारे परिवार, दोस्तों और समुदाय में भी एक चिंगारी जला देता है।

साक्षी खन्ना

बदलाव का बीज तुम्हारे भीतर है - साक्षी पाल

 
बदलाव की शुरुआत हमेशा भीतर से होती है। हम अक्सर चाहते हैं कि समाज, देश और दुनिया बेहतर हो जाए, लेकिन पहला कदम उठाने से डरते हैं। अगर हम सच में बदलाव देखना चाहते हैं, तो हमें अपने आचरण, सोच और कार्यों में सुधार लाना होगा।

महात्मा गांधी ने कहा था— "वह बदलाव बनो जो तुम दुनिया में देखना चाहते हो।" यह विचार हमें बताता है कि परिवर्तन का बीज हमारे भीतर है। अगर हम ईमानदारी, अनुशासन, दया, स्वच्छता और जिम्मेदारी को अपनाएँ, तो हमारा प्रभाव दूसरों पर भी पड़ेगा, और धीरे-धीरे समाज में सकारात्मक लहर दौड़ जाएगी।

इसका एक अद्भुत उदाहरण हैं जादव पायेंग—असम के एक साधारण किसान, जिन्होंने अकेले 40 साल तक पेड़ लगाकर 550 हेक्टेयर का घना जंगल तैयार कर दिया। यह सब उन्होंने तब शुरू किया, जब अपने गाँव के पास की बंजर ज़मीन और सूखती नदी देखकर उनका दिल पसीज गया। लोग कहते थे कि अकेले कोई कुछ नहीं कर सकता, लेकिन उन्होंने साबित कर दिया कि एक व्यक्ति भी पूरी धरती को हरियाली से ढक सकता है। आज वह जंगल असंख्य पशु-पक्षियों का घर है, और जादव पायेंग को "Forest Man of India" कहा जाता है।

उनकी कहानी यह सिखाती है कि अगर हम शिकायत करने के बजाय काम शुरू कर दें, तो बदलाव अपने आप रास्ता बना लेता है। चाहे कदम कितना भी छोटा हो, उसका असर समय के साथ बहुत बड़ा हो सकता है।

इसलिए, इंतज़ार मत करो कि कोई और आए और दुनिया को बदले—शुरुआत खुद करो, क्योंकि बदलाव का असली स्रोत हम खुद हैं।

"छोटे कदम से बड़े बदलाव की शुरुआत होती है।" 

साक्षी पाल

Thursday, 14 August 2025

स्वयं बदलाव बनो – सिमरन कौर

 

इस पाठ से मैंने यह सीखा कि यदि जीवन में कुछ बदलना है, तो शुरुआत स्वयं से करनी होगी। बदलाव के लिए मेहनत, लगन और धैर्य जरूरी है। जब इंसान यह ठान ले कि मुझे अपने अंदर सुधार लाना है, तो वह बदलाव संभव हो जाता है। जैसे मैं चाहती हूँ कि मैं अंग्रेज़ी अच्छी तरह बोल सकूँ। इसके लिए मैं खुद सीख रही हूँ, ताकि जब मुझमें यह बदलाव आए, तो मैं अपने विद्यार्थियों को भी बेहतर अंग्रेज़ी सिखा सकूँ। मैं चाहती हूँ कि मेरे स्कूल के बच्चे आत्मविश्वास के साथ अंग्रेज़ी बोलें और पढ़ें।

बदलाव केवल अपने लिए नहीं, बल्कि घर-परिवार और समाज के लिए भी जरूरी है। जब मैं खुद में बदलाव लाती हूँ, तो मेरे छोटे भाई-बहन भी उसे देखकर प्रेरित होते हैं और खुद को सुधारने की कोशिश करते हैं। यह देखकर मुझे बहुत खुशी मिलती है।

मेरी एक छोटी बहन थी, जो 11वीं कक्षा में दाखिला लेने से मना कर रही थी क्योंकि उसकी कुछ सहेलियाँ पढ़ाई छोड़ चुकी थीं। मैंने उसे समझाया कि अगर मेरी भी कई सहेलियाँ पढ़ाई छोड़ देती हैं, तो क्या मैं भी छोड़ दूँगी? हमें दूसरों से अलग होकर, सकारात्मक बदलाव लाना चाहिए। मेरी बातें सुनकर उसने मन बदल लिया और अब वह रोज़ स्कूल जाती है और मन लगाकर पढ़ती है। यह अनुभव मुझे यह सिखाता है कि एक अच्छा विचार किसी का पूरा जीवन बदल सकता है। इसलिए हमें अपने भीतर और दूसरों के लिए हमेशा सकारात्मक सोच और अच्छे विचार रखने चाहिए।

सिमरन कौर

Storytelling: A Bridge to Creativity and Connection - Sunbeam School Ballia

Jai Hind, everyone,

This was my third session (though I could join only for the last 20–25 minutes), and once again, it was amazing—full of insights on reading techniques, explanation patterns, and the art of weaving stories through narration.

Today’s session reminded me that storytelling is more than just words—it’s a bridge between minds, turning ideas into experiences. When students share their visions, they don’t just imagine the future; they begin to shape it. Imagination fuels possibility, and stories breathe life into it. Our role is to listen, encourage, and believe in the power of their dreams.

Overall, the session was truly fruitful, offering many practical methods we can adopt in our own teaching.

Thank you, and Jai Hind.
Regards,
Vishakha Singh
Educator

Jai Hind, everyone,

Every Sunday’s session leaves me inspired, and today was no different. The techniques shared for reading, explaining, and narrating stories opened up new ways to engage learners. It proved that storytelling goes beyond speaking—it builds connections, sparks creativity, and helps shape young minds for the future.

Truly, it was a rewarding session with plenty of ideas to bring into the classroom.

Pooja Pandey
Educator

Sunday Sessions that Inspire Reading and Thinking - Sunbeam School, Ballia

True growth begins when we take charge of our actions, work on bettering ourselves, and inspire others through what we do. By being responsible, open to improvement, and setting a positive example, we create a ripple of change that reaches far beyond us. The best part of today’s session was the focus on quality time rather than quantity. During the session, 

I shared this thought: "If you want to buy jeans without looking at the price, you must study without looking at the time." 
Astha Mishra

Jai Hind, dear readers,

I am Aayush Kumar Singh from Class 10 A, and this is my reflection on today’s session.

Study like you’re shopping for a luxury item—focus on the quality, not the cost. The best results don’t come from watching the clock, but from immersing yourself completely in the work.

Another way to put it: Dedicate yourself to learning with the same unwavering focus you’d have when purchasing something without looking at the price tag. True wealth isn’t measured in hours spent, but in the depth of knowledge gained.

Or simply: When you’re truly invested in your goals, you stop counting the hours you put in. Success isn’t about the quantity of time you spend, but the quality of the effort you make.

Thank you, and Jai Hind.
Aayush Kumar Singh

I am Saksham Gupta of Class 6E, and I am going to tell you about the session named "My Good School." It takes place every Sunday to help us improve our reading skills. This platform not only strengthens our reading but also sharpens our thinking power.

About the Story

Today, the story was "Weathering the Storm" by our mentor, Ms. Brinda Ghosh. She is an amazing teacher, and I really enjoyed the way she told the story.

I would also recommend that other readers join these classes every Sunday. They will definitely help improve your reading.

Saksham Gupta

Sunday, 10 August 2025

Reflections on the Travels of Guru Nanak Dev Ji - Lotus Petals Senior Secondary School

LOTUS PETAL SENIOR SECONDARY SCHOOL.pdf by Manisha Khanna


Guru Nanak Dev Ji’s journeys taught us that the world is our classroom. Meeting people of different faiths and cultures, he shared messages of kindness, equality, and truth.

We learned that wisdom grows when we listen, respect differences, and stand against injustice. His travels remind us to live with compassion and curiosity, seeing every person as part of one human family.

Like petals of a Lotus, we are each unique — yet together, we can spread light, just as he did.

Allegory - गुरु नानक देव जी की यात्राओं की एक गाथा - Simran Kaur

यह एपिसोड "गीन गुलदस्ता" शीर्षक के साथ प्रस्तुत किया गया है, जिसका अर्थ है – रंग-बिरंगे फूलों का गुच्छा। यह शीर्षक स्वयं में गुरु नानक जी के विचारों की विविधता और सुंदरता को दर्शाता है। जैसे एक गुलदस्ता विभिन्न रंगों और खुशबुओं से मिलकर बनता है, वैसे ही गुरु नानक देव जी की यात्राएं विभिन्न संस्कृतियों, भाषाओं और विश्वासों का संगम थीं।

अमरदीप सिंह द्वारा प्रस्तुत यह स्क्रीनिंग सिर्फ एक ऐतिहासिक वृत्तांत नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव भी है। इसमें उन्होंने गुरु नानक देव जी की यात्राओं को भावनात्मक, ऐतिहासिक और कलात्मक दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया है।

अब गुरु जी के बारे में थोड़ा गौर से सुनिए –
गुरु नानक देव जी सिख धर्म के पहले गुरु और संस्थापक थे। उनका जीवन और शिक्षाएं आज भी करोड़ों लोगों को प्रेरणा देती हैं।

गुरु नानक जी के जीवन की कुछ महत्वपूर्ण बातें:

  • एक ओंकार – ईश्वर एक है और सब जगह मौजूद है।

  • नाम जपना – भगवान का नाम स्मरण करो, जैसे सतनाम, वाहेगुरु

  • कीरत करो – मेहनत और ईमानदारी से जीवन यापन करो।

  • सबको बराबर समझो – जात-पात, धर्म, भेदभाव नहीं।

  • स्त्रियों का सम्मान करो – उन्होंने कहा:
    "सो क्यों मंदा आखिए, जित जंमे राजान?"
    अर्थात, जिस स्त्री से राजा जन्म लेते हैं, उसे नीचा कैसे कहा जा सकता है?

गुरु नानक देव जी की इन सभी बातों से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में जात-पात, भेदभाव, ऊंच-नीच जैसी बातों को अपने मन से त्याग देना चाहिए। इन शिक्षाओं से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि सब एक समान हैं – कोई भी व्यक्ति अलग नहीं है।

सिमरन कौर
Arthur Foot Academy

Saturday, 9 August 2025

विविधता में एकता का संदेश - Sakshi Khanna

 

🌸🌼 जब हम "रंगीन गुलदस्ता" की बात करते हैं तो यह केवल रंग-बिरंगे 🌼🌸 फूलों का एक गुच्छा नहीं है।

यह गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं, अनुभवों और यात्राओं के दौरान मिले विविध संस्कृतियों, भाषाओं और आस्थाओं के अद्भुत संगम का प्रतीक है। अमरदीप सिंह द्वारा प्रस्तुत Allegory: The Tapestry of Guru Nanak’s Travels के 20वें एपिसोड में यह स्पष्ट होता है कि गुरु नानक देव जी की यात्रा केवल एक धर्मगुरु की यात्रा नहीं थी, बल्कि वह एक ऐसी चेतना की यात्रा थी जिसने विश्व को जोड़ा, तोड़ा नहीं।

रंग-बिरंगे फूलों का गुच्छा इस बात का प्रतीक है कि संसार में जितनी विविधताएं हैं — भाषा, संस्कृति, धर्म, जाति, रंग — वे सब मिलकर एक सुंदर गुलदस्ता बनाते हैं। गुरु नानक देव जी ने जिस तरह हिंदू, मुस्लिम, सिख, साधु, फकीर और आम जनता से संवाद किया, वह उनके व्यापक दृष्टिकोण और गहन करुणा का उदाहरण है।

यह एपिसोड हमें यह सिखाता है कि हमें विविधता से डरना नहीं चाहिए, बल्कि उसे अपनाना चाहिए। एक बगीचे की सुंदरता तभी होती है जब उसमें रंग-बिरंगे अनेक फूल हों। गुरु नानक देव जी की यात्राओं में केवल चलना नहीं था — वह एक आत्मिक तपस्या थी। वे लोगों से मिलते थे, सवाल पूछते थे, जवाब देते थे और फिर आगे बढ़ जाते थे।

जैसे कोई माली हर बगीचे से एक फूल चुनकर एक अनुभव, एक सीख, एक रंग अपने अंदर समेटता है, वैसे ही उनकी यात्राएं थीं। यह एपिसोड दर्शकों को यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम भी अपने जीवन की यात्रा में ऐसे ही अनुभव समेट रहे हैं, या केवल आगे बढ़ने की दौड़ में लगे हैं।

"गिन गुलदस्ता" न केवल गुरु नानक देव जी की यात्रा का एक सुंदर अध्याय है, बल्कि यह हर दर्शक के अंदर एक गहरा प्रश्न छोड़ जाता है

साक्षी खन्ना
Arthur Foot Academy

Reflections Since 2021